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Saturday, May 11, 2013

हावड़ा की कमान अभिषेक को, भतीजे की ताजपोशी के लिए दीदी का जोखिमभरा फैसला!

हावड़ा की कमान अभिषेक को, भतीजे की ताजपोशी के लिए दीदी का जोखिमभरा फैसला!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


अपनी कंपना `लीप्स एंड बाउंड' को लेकर विवादों में फंसे युवा तृणमूल के अध्यक्ष और अपने भतीजे अभिषेक बंद्योपाध्याय  की ताजपोशी के लिए शारदा फर्जीवाड़े के भंडाफोड़ की छाया में हावड़ा लोकसभा उपचुनाव में  त्रिकोणीय कठिन मुकाबला जीतने के लिए चुनाव प्रचार अभियान की बागडोर दीदी ने उन्हें सौंपकर मौजूदा राजनीतिक माहौल में भारी जोखिम उठाया है।


अभिषेक को अनुभव नहीं है। वैसे भी हावड़ा संसदीय क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है। यहां मुसलमान वोटरों की संख्या ३० फीसद से ज्यादा बतायी जाती है। इस चुनाव प्रचार अभियान में अल्पसंख्ययकों की भावनाओं का खास ख्याल रखा जाना है। जिस तरह से​​ दीदी केंद्र में यूपीए सरकार का तख्ता पलटने के लिए जिहाद में लगी है, केंद्र में उनके सौजन्य से संघ परिवार के राजग सरकार बनने के आसार ​​प्रबल हैं । यह समीकरण कुछ ऐसा है, जिसका कांग्रेस और माकपा द्वारा पूरा इस्तेमाल करके अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करने का जोरदार प्रयास होगा , इसमें संदेह नहीं है।


हावड़ा लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव दो जून को कराया जाएगा। वाम मोर्चा ने मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के श्रीदीप भट्टाचार्य को हावड़ा लोकसभा सीट के लिए 2 जून को होने जा रहे उपचुनाव में अपना प्रत्याशी घोषित किया है।तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी प्रसून बनर्जी को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने यहां सनातन मुखर्जी को मैदान में उतारने का फैसला लिया है। तृणमूल सांसद अंबिका बनर्जी की 25 अप्रैल को निधन हो जाने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं।हावड़ा लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव दो जून को कराया जाएगा।


वैसे संकेत है कि दीदी इस उपचुनाव को अपने लिए अग्नि परीक्षा मान रही हैं और खुद सामने से रहकर वे विरोधियों का मुकाबला करने वाली हैं । पर राज्य की मुखयमंत्री होने और राजनीतिक संकटों से जूझते रहने के कारण अपेक्षा यह की जा रही थी कि अपनी पार्टी के किसी अनुभवी लीडर को ही वे चुनाव प्रचार अभियान की कमान सौंपेगी।


दीदी ने लेकिन ऐसा नहीं किया है। जबकि हावड़ा संसदीय उपचुनाव में पार्टी के भीतर चल रहे घमासान का इंगित मिला है, जहां पार्टी नेताओं के बजाय फुटबाल खिलाड़ी प्रसून बंद्योपाध्याय को उम्मीदवार बतौर उतारना पड़ा है दीदी को।इससे पूरे हावड़ा जिले में शारदा समूह के फर्जीवाड़े के शिकार लोगों के इस विपर्यय के पीछे पार्टी नेताओं की भूमिका की नये सिरे से चर्चा शुरु हो गयी है।बाली से लेकर सांकराइल, डोमजूर, पाचला , रानीहाटी तक सर्वत्र इसी मुद्दे पर गर्मागर्म चर्चा हो रही है।लोग खुलेआम पार्टी नेताओं को दोषी ठहराने लगे हैं।दीदी फिलहाल इन सबसे बेपरवाह है और हावड़ा का चक्रव्यूह जीतने के लिए अभिषेक बंद्योपाध्याय को ही दांव पर लगा दिया है।


उनके भाई कार्तिक ने जैसे मीडिया में आकर बयानबाजी की है, उससे अभिषेक के राजनीतिक उत्तराधिकार पर सवालिया निसान लग गया है। अभिषेक बंद्योपाध्याय किसी लीप्स एंड बाउंड्स नाम की कंपनी के कर्णधार बताये जाते हैं और यह कंपनी रियल्टी और फाइनेंसियल कंसल्टेन्सी का कारोबार चलाती है। माकपा नेता गौतम देव ने अपने विरुद्ध अभिषेक के मानहानि दावे के बावजूद आज टीवी चैनल पर खुलेआम आरोप लगाया कि अभिषेक की यह कंपनी मुख्यमंत्री आवास से अपना कारोबार चलाते हुए मुख्यमंत्री की साक का बेजां इस्तेमाल कर रही है।।(अभिषेक बंद्योपाध्याय की कंपनी के संबंध में जानकारी के लिए देखें ।(अभिषेक बंद्योपाध्याय की कंपनी के संबंध में जानकारी के लिए देखें (http://leapsandbounds.co.in/ourleadership.php)!

खास बात तो यह है कि मुख्यमंत्री के भाई कार्तिक जो अब तक चिटफंड कारोबार के खिलाफ मुखर हुए हैं, उन्होंने अपनी पत्रिका `विवेक' में चिटफंड कारोबार में शामिल मंत्रियों के खिलाफ मुहिम शुरु कर दी है। गौरतलब है कि कार्तिक विवेक नाम से ही एक स्वयंसेवी संस्था चलाते हैं। इस संस्था का मुखपत्र विवेक पहली मई को प्रकाशित हुआ।कार्तिक ने चिटपंड कंपनियों के फर्जी समाजसेवा कार्यक्रमों की जमकर खबर लेते हुए राज्यवासियों को लूटने के इस कारोबार में मंत्रियों के शामिल  होने की भी गंभीर आलोचना की है।


कार्तिक ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, 'मैंने चिटफंड और इसके जरिए गरीबों को ठगे जाने को लेकर एक साल पहले ही आवाज उठाई थी। मैं पार्टी का एक मामूली कार्यकर्ता हूं और इस कारण मेरी आवाज को तब अनसुना कर दिया गया।' उन्होंने कहा, 'हर कोई जानता है कि दीदी (ममता बनर्जी) बेहद ईमानदार हैं, लेकिन वे कुछ ऐसे लोगों से घिरी हुई है, जो पूरी तरह से ईमानदार नहीं हैं। पार्टी को मजबूत करने के लिए ऐसे लोगों को पार्टी से निकाल देना चाहिए।'


दीदी झटके से इस विवाद का समाधान कर लेना चाहती हैं। इसके अलावा उन्हें अपने वोट बैंक पर अटूट विश्वास है और वे मानती हैं कि तृणमूल अकेले ही कांग्रेस और माकपा को कड़ी शिकस्त देने के लिए काफी ​है।


उनके इस अति आत्मविश्वास का हकश्र क्या होता है, यह तो हावड़ा के मतदाता ही बतायेंगे।


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