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Tuesday, May 14, 2013

चक्रवर्ती सम्राट अशोक कु राज माँ गढ़वाळम भाषा आन्दोलन





सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं  


                           चक्रवर्ती सम्राट अशोक कु राज माँ गढ़वाळम भाषा आन्दोलन   

                                        चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )
 
 श्रेणी संघ  महा नायक (फैक्ट्री/ गिल्ड सुपरवाइजर)  -हे सबि  सूणो पांच दिन उपरान्त प्रियदर्शनी, महानो माँ महान  चक्रवर्ती सम्राट अशोक को सहतरवां जनम दिन च अर वैदिन सरा जगा अवकाश रालो। तो तुम तैं तैदिन तलक सब आवश्यक काम निबटाण पोड़ल। अच्छा मि कालकूट (कालसी , चकरौता ) तरफां जाणु छौं उख बि अपणी श्रेणी धरमों ( व्यापारिक या फैक्ट्री गिल्ड ) मा  महान अशोक को जनम दिनों सुचना दीण। मेरो सहायक श्रेणी संघ  उपनायक तुम तैं बथाल कि पाटलिपुत्र का वास्ता , उज्जैन का वास्ता , अफघानिस्तान का वास्ता अर यूनान का वास्ता क्या क्या वस्तु  कै कै चीज पर बंधण।
एक श्रेणी संघ  भागीदार या कर्मचारी- यूँ श्रेणी धर्म महानायक मंडली  (निदेशक मंडली ) अर महानायक , नायकों (जनरल मैनेजर ) मजा छन। खेत हमर , जंगळ हमर,खेतुं-जंगळु   से लेकि सामान हम एकत्रित करवां , इख अणसाळ (फैक्ट्री ) मा  काम हम करदां अर मलाई खै जान्दन इ बणिया जु व्यापार संघ का नायक , महानायक अर निदेशक  बण्या छन। सब कुछ हमारो अर पुट लाभ (नेट प्रॉफिट ) मा हम भागीदारों अर बकै कर्मचार्युं हिस्सा बीस प्रतिका (प्रतिशत ) अर नायकों , महानायकों तैं मिलदो अस्सी प्रतिशत।
दुसर भागीदार या कर्मचारी -अरे हम कौरि बि क्या सकदवां जब बिटेन यि व्यापार श्रेणी संघ बणिन अर बणिक श्रेणी का लोगुं अधिकार व्यापारिक संघों पर ह्वे व्यक्तिगत व्यापार माँ घाटा ही घाटा अर जब बीतें मौर्या सम्राटों समौ पर विपणन अर वितरण मा संघोंकु एकाधिकार ह्वे हम सरीखा स्थानीय व्यक्तिवादी व्यापारियों कुदशा  शुरू ह्वे अर हम तै अपण  माल बिचणो बान  झक मारिक व्यापारी श्रेणी संघों सदस्य बणन पोड़। बुलणो हम भागीदार छंवा पण मलाई अर गुंदकी  तो निदेशकों पास ही रै जांदी।
तिसरू भागीदार - हम तैं एकी लाभ च बल हम तैं ,  माल वस्तु या बणयूँ  माल को वितरण अर विपणन की झंझट नि होंदि। ले स्यु ऐ ग्यायि अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ..
अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर ) [एक लम्बो भोजपत्र या ताड़पत्र माँ देखिक ] - टक लगैक सूणो हाँ परस्यूं तलक सौ तुमड़ी शहद उज्जैन का वास्ता, द्वी सौ तुमड़ी पाटलिपुत्र का वास्ता, तीन सौ तुमड़ी गिरी याने जामनगर गुर्जर का वास्ता भरो अर तुमड्यू तैं मुंगरेटुं ढक्कन अर ठप्पा (सील ) लगै देन। इनि चमोली गढवाल बिटेन  जु भेषज (दवा )  अयीं छन वूं तैं पुडकी अर पितकों पर भरण , इ दवा यूनान अर देश माँ जालि। अर हजारेक दांतून पाटलिपुत्र का वास्ता बंधणन, इनि हजारेक हजारेक टिमरो दांतून दस जगा हौरि जाली। अच्छा हे बैसाखु ! तू पर्ण (पत्ता ) पर गढ़वाली भाषा मा यूँ सामनो विवरण लेखि दे हाँ अर फिर यूँ भागीदारों तैं अपणी भाषा मा बिंगाई दे !
बैशाखु - हाँ श्री
एक भागीदार -अणसाळ नायक श्री ! यी जु तुम ताड़ पत्र मा मगधी मा हमर अणसाळ (फैक्ट्री ) को हिसाब लिखदां तो आप गढ़वाळी भाषा मा ही लेखि दींदा अर हमारि भाषा माँ हम तैं बिंगांदा /समझांदा तो ठीक नि होंद।
 अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर )- छि छि ! अरे गढ़वाळी भाषा बि भाषा ह्वे। भाषा ह्वे तो शेष्ठ जनों की मगधी पाली भाषा । 
एक भागीदार -कनो जब हम खस सम्राट को तौळ छया तो हमारी खस भाषा तैं जामनगर गुर्जर नि समझदा छा ? अरे म्यार पड़  ददा श्री अपण शहद जामनगर गुजरात तलक पंहुचांदा छा।
 अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर)  - छि छि ! स्थानीय  भाषा की बात मेरी समणि नि कर्या करो।
 एक भागीदार - अणसाळ  नायक श्री ! जरा मै बथावो कि ये पदिका (मैना /माह ) मा मेरो हिसाब कथगा ह्वे?
अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर)  - रवाँइ को माळु  पत्तळ बणाण अर  माळु टांटी , माळु रस्सी दीण वाळ  हुस्यारु को भाग ...ऊँ ऊँ उ . ये मैना को त्यार  भाग च  कुल जमा तीन हजार कहपणस (रुपया )।
हुस्यारु- नै नै म्यार हिसाब से मेरो भाग होंद चार हजार कहपणस (रुपया )।
अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर)  - तो त्यार बुलणो मतबल च  मि असत्य बुलणु छौं। ले देखि लेदि अपण हिसाब
हुस्यारु - क्या देखि ल्यूं त्यार मगधी पाली मा लिख्युं हिसाब। मि तैं मगधी पाली बंचण आंद तो मि त्यार जगा अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर)  या व्यापारी संघ को महानायक नि होंदु।
अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर)  - त कैन रोकि छौ कि मगधी पाली नि सीख।
हुस्यारु - ए ले म्यार अपुण पर्ण (पत्ता ) मा रवांइनी  खस भाषा मा  हिसाब  लिख्युं च। अर म्यार हिसाबन मेरी भागीदारी  चार हजार  कहपणस (रुपया ) हुंदन।
अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर)- मीन कथगा दें ब्वाल बि च कि मि निम्न श्रेणी की भाषा मा बचऴयाणम ही अपंणो अपमान समझदु तो निम्न श्रेणी भाषा मा लिखीं इबारत किलै पौढु ?
हुस्यारु - तो फिर न्याय कनकै होलु ?
 अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर)- ठीक च तू अणसाळ  संघ को न्यायालय मा अबि चलि जा।
सबि - पण संघ न्यायालय हमारी खस भाषा मा लिख्युं तैं मान्यता ही नि दींदो अर न्यायाधीस बुलदो बल यदि हिसाब मगधी वा बि पाली प्राकृत भाषा मा  नि ह्वावो तो इन हिसाब किताबो विवादों की सुणवाइ होलि ही ना।
 अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर)- न्यायालय ठीक बुलद, अणसाळु   हिसाब बि उच्च श्रेणी भाषा मा हि होण चयेंद। ऐरा गैरा , तुच्छ खस भासा को तो तिरस्कार  ही अति उत्तम च। मीम तुच्छ भाषा बाराम बात करणों समौ नी च मि यूनान अर सिंध देस से अयाँ व्यापारियों से मिलणो कालकूट  (कालसी ) जाणु छौं।
हुस्यारु - यी ,  महानायक , नायक , सहनायक  मगधी भाषा  मा गड़बड़ी करदन अर हमर खस भाषा माँ लिख्युं हिसाब तै झुटा साबित करदन।
सबि - अब हम बि क्या करां। हमर राजान चन्द्रगुप्त,  बिन्दुसार  अशोक को प्रांताधिकारी बणन स्वीकार कार तो हम तैं मगधी पाली भाषा को अधिपत्य स्वीकार  करण ही पोड़ल
भैर बीतें एक आवाज - भन्ते आणा छन, भन्ते आणा छन।
एक -अब ल्या ये बुद्ध सन्यासी क बकबास बि  सूणो।
दुसर - अरे नै नै सन्यासी बढ़िया सीख वळ बात सिखांदो।
तिसुर - ह्यां पण मगधी पाली की सेख हमर बिंगण मा आवो तब तो ठीक च।
सन्यासी आंद  अर प्रवचन शुरू करद -धम्मा साधु,कियम च ध्म्मे ति। अपासिनेव, बहु कयाने, दया दाने , सच,सौच्य। दिघा निकाय,कलनगामा,अपाव्यायाता अपा भादता ......संघम शरणम
सन्यासी सुणैक चली जांद।
सबि - चलो गरण चलि ग्यायी। यक्ष को सौं, घंटाकर्ण को सौं जु हमर समझ मा कुछ आयि धौं। राजकीय सन्यासी अपण कर्तव्य निभै ग्यायि। मगधी पाली मा कुछ बोलि गे अर फिर इन नि दिखुद कि हमर समझ मा आयि च कि ना .
एक -चलो रै  अपण काम कारो। अपण काम निबटैक   नितरस्युं कालकूट ( कालसी ) जौंला।
सबि - अरे उख जैक बि क्या करण। हमर खस राजाक समौ छौ तो उख हम मनोरंजन करी लीन्दा छा। हमारि खसणि, किरातण, टंगणन (भोटिया स्त्री ) नृत्य करदी छे अर हमारि भाषा मा गीत गाँदी छे। अब त मगधी पाली मा सूत्र वाच्य सूणो अर कालकूट को बड़ी पटाळ पर मगधी पाली भाषा मा लिखीं चक्रवर्ती सम्राट की आज्ञा तैं  रटो।
हुस्यारु - मगधी पाली भाषा क राज मा  हम निम्न श्रेणी का नागरिक ह्वे गेवाँ। जब तलक राज्यौ कामो मा  मगधी पाली को बोलबाला  नि छौ हम तैं हमर व्यापार को टुप  लाभ से से अस्सी प्रतिशत भागीदारी मिल्दि छे। जन जन राज्यौ काम मा मगधी पाली को अधिपत्य शुरू ह्वे हमर गणत निम्न श्रेणी नागरिकों मा हूंद गे अर हमर व्यापार मा लाभांस बि कम हूँद गे। भाषा की मान्यता से हमर समाज ही  हीण ह्वे गे। 
एक - पण हम क्या कौर सकदां/
हुस्यारु - विद्रोह या असहयोग आन्दोलन !
सबि -यी क्या ह्वाइ/
हुस्यारू - बस हमर मांग च बल जु अणसाळ को काम धाम हमारी खस भाषा मा नि होलु अर अणसाळ न्यायालय मा खस भाषा तैं मान्यता नि मीलल तो हम सब अपण वस्तु व्यापारिक संघ तै नि बिचला।
सबि - क्या व्यापारिक संघ (गिल्ड ) हमारि बात मानि जालो?
हुस्यारु - नि मानल तो कालकूट (कालसी ) मा सब ब्यापार बंद ह्वे जालो
सबि -हाँ यु ठीक च। जा रै दुभाषिया बैसाखू  ! अपण श्रेष्ठी (बौस ) अणसाळ  श्रेणी संघ को सहनायक ( फैक्ट्री मैनेजर) तक रैबार पौंछे दे बल जु अणसाळ को काम मा अर व्यापारी संघ न्यायालय मा  खस भाषा तैं मान्यता नि मिल्दी तो हमन अपण सामन व्यापारी संघ (गिल्ड ) तैं नि बिचण ना ही अणसाळम काम करण।
दुभाषिया बैसाखू - द्याखो सोचि समजी ल्यावो हाँ। मगधी पाली तैं राजकीय परिश्रय मिल्युं च। ह्वे सकद च अणसाळ संघ राजकीय सैनिकों सहायता ले ल्यावो।
हुस्यारु - सैनिको से हम नि डरदां। उख मौर्यों अदा से जादा भाड़ा सैनिक बि त खस, किरात , भारद्वाज,  आत्रेयी ही छन। हम बि कुछ कम नि छंवां। फिर कालकूट (कालसी ) मध्य हिमालय को सबसे बडो निर्यात केंद्र च। हम सब पाटलिपुत्र से असहयोग करला तो हम से जादा हानि राज्य की होली 
सबि - चलो अणसाळ का द्वार बंद कारो अर अब अणसाळ[फैक्ट्री ] मा काम तबी शुरू होलु जब हमारी खस भाषा मा लिख्युं हिसाब तैं सबि जगा मान्यता मीललि। अर कालकूट ( कालसी ) का सबि अणसाळ बंद कराणो चलो। सबि मागधी पाली को एकाधिकार से परेशान छ्न. सबि अणसाळ वाळुन  हमर दगुड दीण हि च ।     
सबि - जै खस दिव्ता. जै घंटाकरण दिब्ता .... जै खस भाषा !                            
         
 
        

 Copyright @ Bhishma Kukreti  14/05/2013           
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )


--
 
 
 
 
Regards
Bhishma  Kukreti

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