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Wednesday, May 8, 2013

कर्नाटक निकला भाजपा के हाथ से, हुई शर्मनाक पराजय

कर्नाटक निकला भाजपा के हाथ से, हुई शर्मनाक पराजय
Wednesday, 08 May 2013 08:55

बेंगलूर। कर्नाटक में कांग्रेस अपना परचम लहराते हुए विधानसभा चुनावों में सात साल के अंतराल के बाद अपने दम पर सत्ता तक पहुंच रही है और उसने दक्षिण भारत के इस राज्य को भाजपा से लगभग छीन लिया है। घोटालों के कारण परेशान भाजपा की स्थिति का फायदा उठाते हुए कांग्रेस दक्षिण भारत के अपने इस पुराने गढ़ में करीब 120 सीटें अपने कब्जे में करने जा रही है। 224 सदस्यीय विधानसभा में यह आंकड़ा सरकार बनाने के लिए जरूरी 113 सीटों के बहुमत से सात अधिक है।
अब तक कांग्रेस 86 सीटों पर विजय पताका लहरा चुकी है और 36 अन्य पर वह भाजपा तथा जनता दल :एस: को पछाड़ते हुए आगे चल रही है। 
दूसरे स्थान के लिए भाजपा और जद:एस: के बीच कांटे की टक्कर है।


पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा का पार्टी छोड़ कर जाना और दक्षिण में भाजपा की पहली सरकार के कार्यकाल में हुआ कथित भ्रष्टाचार सत्तारूढ़ दल की हार के मुख्य कारण रहे। भाजपा 26 सीटें जीत चुकी है और 13 पर आगे चल रही है। 
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की जनता दल :एस: 31 सीटें अपने खाते में डाल कर दूसरी सबसे बडी पार्टी बनने जा रही है। पार्टी अभी 10 अन्य सीटों पर आगे चल रही है।
सपा ने एक सीट जीती है जबकि 'अन्य' 16 सीट जीत कर चार अन्य में आगे चल रहे हैं। अन्य में येदियुरप्पा की कर्नाटक जनता पक्ष :केजेपी: भी शामिल है। केजेपी पांच सीट जीत चुकी है और एक अन्य पर बढ़त बनाए हुए है। लेकिन उसने भाजपा को नुकसान पहुंचाने का अपना पहला लक्ष्य पूरा कर लिया है। येदियुरप्पा शिकारीपुरा सीट से 15,Þ000 से अधिक मतों से चुनाव जीत गए हैं।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल :एस: की राज्य इकाई के अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी रामनगर विधानसभा सीट से 25,000 से अधिक मतों से जीत गए ।
कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री और भाजपा की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष के एस ईश्वरप्पा शिमोगा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए और तीसरे स्थान पर रहे ।
पांच साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने इस दक्षिणी राज्य में अपने दम पर सरकार बनाई थी। यह दक्षिण भारत के किसी राज्य में भाजपा की पहली सरकार थी। तब भाजपा को 110 सीटें, कांग्रेस को 80 सीटें और जद:एस: को 28 सीटें मिली थीं।
कुल 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 113 सीटें जरूरी होंगी। मतदान 223 सीटों पर हुआ है क्योंकि मैसूर जिले की पेरियापटना विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार की मौत के चलते मतदान की तारीख बढ़ा दी गई है। वहां 28 मई को मतदान होगा। 
केजेपी ने कई विधानसभा सीटों पर भाजपा के मतों में सेंध लगाई जिससे सत्तारूढ़ दल को नुकसान हुआ है।
कांग्रेस की इस जीत के बीच उसे एक झटका उस समय लगा जब कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के दावेदार जी परमेश्वर कराटगेरे विधानसभा सीट पर 18,000 से अधिक मतों से हार गए ।
दक्षिणी राज्य में कांग्रेस सरकार बनाने के लिए तैयार है और मुख्यमंत्री पद के लिए दौड़ तेज हो गई है। इस पद के लिए राज्य के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री एम मल्लिकार्जुन खरगे तथा राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्दरमैया के बीच मुकाबला बताया जाता है।
अपने ही गढ़ में भाजपा का प्रदर्शन कितना कमजोर रहा यह बात दक्षिण कन्नड़ और उडूपी के तटीय जिलों से जाहिर होती है जहां पार्टी का सूपड़ा लगभग साफ होने को है। येदियुरप्पा के गृह जिले शिमोगा और बेल्लारी में भी भाजपा की यही हालत रही।
भाजपा के पूर्व मंत्री बी श्रीरामुलु की बीएसआर कांग्रेस ने भी चार सीटें जीतीं और भाजपा के मतों में सेंध लगाई है। 
सरकार का कार्यकाल खत्म होते होते सी पी योगीश्वर ने भी जगदीश शेट्टार मंत्रिमंडल छोड़ कर समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जद:एस: की प्रत्याशी अनिता कुमारस्वामी को करीब 6,500 मतों के अंतर से हरा कर चन्नपाटा सीट से जीत दर्ज की। अनिता जद:एस: की राष्ट्रीय इकाई के अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी की पत्नी हैं।
पिछले साल भाजपा से किनारा कर क्षेत्रीय दल बनाने वाले येदियुरप्पा की पार्टी केजेपी केवल पांच सीटें ही जीत पाई और एक पर यह आगे है। लेकिन उसने भाजपा को कई विधानसभा सीटों में भारी नुकसान पहुंचाया।
खुद येदियुरप्पा शिमोगा जिले की शिकारपुरा सीट से पुनर्निर्वाचित हो गए। एक ओर जहां भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेरने में उनकी अहम भूमिका रही वहीं दूसरी ओर उनकी नयी नवेली पार्टी को निराशाजनक नतीजे मिले जिससे खुद येदियुरप्पा की किंगमेकर बनने की उम्मीदों पर पानी फिर गया।

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