Saturday, October 4, 2025
विभाजन करके पश्चिम बंगाल को मुसलमान होने से बचाया श्यामप्रसाद ने?
भारत विभाजन का असर पश्चिम पाकिस्तान के लोगों पर क्यों नहीं हुआ, पूर्वी पाकिस्तान के लावारिश विभाजन पीड़ितों की तुलना में यह सवाल हमेशा उठता है। क्योंकि विभाजन के तीन साल के भीतर पश्चिम पाकिस्तान से सारे लोग आ गए और उनका युद्धस्तर पर पुनर्वास हो गया।उनकी भारत में नई जिंदगी तुरंत शुरू हो गया। यह पंजाब के सामुदायिक जीवन और साझा चूल्हा का करिश्मा है।
बंगाली बुद्धिजीवी बंगाल के सत्तवर्ग के विस्थापित दलित विरोधी कृत्यों को छुपाने के लिए विभाजन के लिए जोगेंद्र नाथ मंडल, गांधी, नेहरू को जिम्मेदार ठहराने के साथ यह भी कहते हैं कि पंजाब का एकीकृत धर्म और धार्मिक संगठन उनकी एकता का कारण है,जबकि बंगाल के दलित और स्वर्ण दो परस्पर विरोधी ग्रुप में बंट गए थे।
पंजाब में सिखों, सिख धर्म और गुरुद्वारा की भूमिका से कोई इनकार नहीं है।लेकिन पूर्वी पाकिस्तान से बड़ी संख्या में गैर सिख पंजाबी और सिंधी सवर्ण और दलित भी आए थे। पंजाबियों का सामुदायिक जीवन इन सबको लेकर है। सिख सिर्फ सिखों के लिए नहीं, हिंदुओं और दलितों के लिए भी लड़े। यह एकता धार्मिक एकता नहीं है। सामाजिक एकता है।पंजाबियों की एकता है।
बंगाली हर मुद्दे पर बंगाली एकता का नारा उछालते हैं। जाति, धर्म, वर्ग के आरपार पंजाबियों की यह एकता अभी हाल में ही प्राकृतिक आपदा में भी देखने को मिली, जब पंजाबियों ने आदमी तो आदमी, एक एक पशु पक्षी को बचाने के लिए सामूहिक तौर पर सामने आए।
किसान आंदोलन में भी पंजाब की यह एकता, ताकत और साझा चूल्हा की विरासत सामने आई थी।
भारत विभाजन के वक्त, किसान आंदोलन के समय या हाल की आपदा में भी सिख संगत और गुरुद्वारा संगठन की बड़ी भूमिका रही है।
पंजाब में हिंदू भी गुरुद्वारा और गुरु ग्रन्थ साहब में उतनी ही आस्था रखते हैं, जितनी हिंदू धर्म और धर्मग्रंथ में।
पिछले चुनाव में तो बंगाल में भाजपा के चुनाव अभियान में सबसे बड़ा मुद्दा यही था कि पश्चिम बंगाल को पूर्वी बंगाल से अलग करके श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाली हिंदुओं को मुसलमान बनने से रोका
अगर यह दावा सही है तो भारत विभाजन और विशेष तौर पर बंगाल के विभाजन में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भूमिका निर्णायक थी। फिर जोगेंद्र नाथ मंडल और गांधी नेहरू खलनायक क्यों हैं?
मुगल काल तक मनुस्मृति ही हिंदुओं के लिए कानून था। शूद्रों को कोई अधिकार नहीं था। अंग्रेजी हुकूमत में शूद्रों और स्त्रियों को शिक्षा, संपत्ति और कानून हक पहली बार मिले। आजादी के बाद से जो लोग फिर मनुस्मृति राज चला रहे हैं, वे शूद्रों और स्त्रियों के साथ न्याय कैसे करेंगे।
बंगाल में अस्पृश्यता निषेध कानून नमोशुद्र आंदोलन के कारण अंग्रेजों ने लगों किया। बंगाली सत्तवर्ग ने भारत विभाजन की आड़ में बंगाल के दलितों के सफाए का गेम खेला। इस सच को छिपाते हुए शर्म नहीं आती।
विभाजन के बाद बंगाल में कितने प्रतिशत दलित हैं?
पंजाब और हरियाणा में कितने प्रतिशत?
पंजाब और हरियाणा 1 नवंबर, 1966 को भाषा के आधार पर अलग-अलग राज्य बने। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 पारित होने के बाद पंजाब राज्य का विभाजन हुआ, जिसमें हिंदी भाषी क्षेत्रों को हरियाणा राज्य का हिस्सा बनाया गया।
दोनों राज्यों की समूची आबादी पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थियों के साथ थे। विभाजन के वक्त को छोड़िए, पूर्वी बंगाल के विस्थापितों के पक्ष में आज तक कितने बंगाली नेता, बुद्धिजीवी और धार्मिक नेता बोले?
बंगाल में जाति धर्म भेदभाव न होने का दावा करने वाले बताएं, बाकी देश की छोड़िए, बंगाल में दलितों और विभाजन पीड़ितों की क्या स्थिति है?
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