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Monday, April 12, 2010

अदालत में यूलिप!वायु सेना नक्सलियों से निपटने के लिए तैयार! थरूर की भावी पत्नी का फ्रेंचाइजी में शेयर!परमाणु सामग्री के आतंकवादियों के हाथ में पड़ने के आसार ‘सबसे बड़ा खतरा’!

अदालत में यूलिप!वायु सेना नक्सलियों से निपटने के लिए तैयार! थरूर की भावी पत्नी का फ्रेंचाइजी में शेयर!परमाणु सामग्री के आतंकवादियों के हाथ में पड़ने के आसार 'सबसे बड़ा खतरा'!

पलाश विश्वास

गरीबी रेखा के गलत व त्रुटिपू्र्ण नि्र्धारण के पीछे एक राजनीति भी है। इससे देश के गरीबों की बड़ी संख्या को किसी भी प्रकार की सरकारी मदद से वंचित किया जा सकता है। महंगाई और केंद्र सरकार की 'जनविरोधी नीतियों' के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दिल्ली में एक बड़ी रैली की है. ... रैली में देश भर से हज़ारों वामपंथी कार्यकर्ता दिल्ली पहुँचे .... बंगाल में वाममोर्चा गठबन्धन के चेयरमैन विमान बोस के खिलाफ हालांकि किसी ने जुबान नहीं खोली है, लेकिन उनके तौर-तरीकों पर दबी जुबान कई वामपंथी नेता गुरेज करते रहे हैं।

  1. विपक्ष के इंतजाम से सरकार परेशान


    याहू! भारत - 19 मिनट पहले
    भाजपा ने जिस तरह से वामपंथी दलों की अगुवाई वाले सियासी मोर्चे के 'कटौती प्रस्ताव' को ... हालांकि वामपंथी दलों की अगुवाई वाली बैठक में बसपा मौजूद नहीं थी, लेकिन उसके सरकार के ...

  2. जेएनयू का नया घमासान नक्सल बनाम ...


    याहू! जागरण - 10 मिनट पहले
    कैंपस में वामपंथी छात्र संगठन जहां नक्सलियों की कार्रवाई का समर्थन कर रहे हैं, वहीं एबीवीपी व एनएसयूआई के छात्र इसे राष्ट्रवाद का मुद्दा बनाकर विरोध में खड़े हो गए हैं। ...
    एनएसयूआई और एबीवीपी एक साथ‎ - Pressnote.in
    जेएनयू में मारपीट के बाद माहौल गरमाया‎ - नवभारत टाइम्स
    जेएनयू छात्रों के बीच गरमाया ...‎ - दैनिक भास्कर
    याहू! जागरण
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  3. वामपंथी कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी दी


    जनादेश - 3 दिनों पहले
    इस मौके पर पार्टी के जिला सचिव छोटेलाल पाल ने कहा कि अगर केन्द्र सरकार महंगाई पर रोक नहीं लगा पाई तो वामपंथी पार्टियां अप्रैल के अंतिम हफ्ते में भारत बंद का एलान करेंगी। ...
    महंगाई के खिलाफ वाम नेताओं ने दी ...‎ - That's Hindi
    महंगाई के खिलाफ जेल भरो आंदोलन आज से‎ - दैनिक भास्कर
    महंगाई-नक्सलवाद के विरोध में प्रदर्शन‎ - प्रातःकाल
    Patrika.com - Pressnote.in
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  4. वामपंथी पार्टी का जेलभरो आंदोलन आठ को


    दैनिक भास्कर - 4 अप्रैल 2010
    बीकानेर & महंगाई व बेरोजगारी के विरोध में वामपंथी पार्टियों की ओर से आठ अप्रैल को भेलभरो आंदोलन चलाया जाएगा। भाकपा एवं माकपा ने इस अभियान से लोगों को जोडऩे के लिए संयुक्त रूप ...
    महंगाई के विरोध में कल देंगे ...‎ - दैनिक भास्कर
    महंगाई के विरोध में गिरफ्तारी देंगे‎ - दैनिक भास्कर
    सभी 3 समाचार लेख »
  5. असम में बढ़ रही है माओवादियों की ...


    एनडीटीवी खबर - 4 घंटे पहले
    गोगोई ने भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दलों द्वारा उनके इस्तीफे की मांग को खारिज करते हुए कहा, '' वे लोग मेरे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं जबकि उनके द्वारा शासित राज्यों में यदि ...

  6. केंद्र से संबंध सुधारने में जुटे ...


    याहू! भारत - 2 दिनों पहले
    ऐसे में वामपंथी खेमे से कड़े बयान आने पर उनकी असहजता और बढ़ सकती थी। इसलिए मनमोहन ने वामपंथी खेमे में अपने सबसे अजीज दोस्त बुद्धदेव का सहारा लिया। उनसे मुलाकात कर उन्हें ...

  7. यह किसी को दोष देने का समय नहीं ...


    याहू! भारत - 3 दिनों पहले
    इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है कि नक्सलवाद पर राजनीति करने के लिए ममता को अलग-थलग करने की कोशिश में पूरा वामपंथी खेमा जुटा हुआ है। जाहिर है कांग्रेस और ममता के बीच दरार पैदा ...
    बुद्धदेव-मोंटेक मुलाकात में छाया ...‎ - याहू! भारत
    सभी 13 समाचार लेख »
  8. टीका परीक्षण पर वामपंथियों ने उठाए ...


    दैनिक भास्कर - 3 दिनों पहले
    इस पर वामपंथी पार्टियां और स्वयंसेवी संस्थाएं सवाल उठा रही हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से कई सवाल किए हैं। उनके प्रश्न हैं कि आखिर किसी भी टीके या दवा के परीक्षण के लिए गरीब और ...
  9. माकपा की जेल भरो आंदोलन की तैयारी


    दैनिक भास्कर - 4 अप्रैल 2010
    वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी आह्वान पर माकपा तहसील इकाई की ओर से आठ अप्रैल को मिनी सचिवालय पर प्रदर्शन कर सत्याग्रह किया जाएगा और गिरफ्तारियां दी जाएंगी। ...

  10. महंगाई पर लगाम लगाने को पीएम और ...


    हिन्दुस्तान दैनिक - 5 दिनों पहले
    महंगाई के मुद्दे पर वामपंथी दलों के जेल भरो अभियान शुरू किए जाने के फैसले पर सिंह ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस समस्या का समाधान आंदोलन के नुस्खे अपनाकर किया जा सकता है। ...

रबी की फसल अच्छी होना जहां पंजाब और हरियाणा सरकार के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है वहीं गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए यह खुश-खबरी हो सकती है।

दरअसल गेहूं की अच्छी फसल होने से पंजाब और हरियाणा को इस साल गेहूं भंडारण में मुश्किल हो सकती है। अनुमान है कि दोनों राज्यों के पास भंडारण क्षमता से 55 लाख टन अधिक गेहूं होगा। दोनों राज्यों की सरकार 120 लाख टन से अधिक गेहूं को चावल मिल जैसी अस्थायी जगहों पर रखने की योजना बना रही हैं।

इससे उम्मीद है कि सरकार गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और बेहद गरीब करीब 6.5 करोड़ परिवारों को 3 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से 35 किलोग्राम गेहूं या चावल मुहैया करा सकती है। बेहद गरीब लोगों के लिए सरकार अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत इसकी शुरुआत कर सकती है।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को जहां इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं के भंडारण में मुश्किल हो सकती है। लेकिन अधिक मात्रा में गेहूं उपलब्ध होने के कारण सरकार खाद्य सुरक्षा को एक कानून बनाने की पहल भी कर सकती है।

1 मार्च तक जहां सरकार के पास 1.8 करोड़ टन गेहूं का भंडार था, वहीं इस साल यह 2.6 करोड़ टन हो सकता है। 1 मार्च तक सरकार के भंडार में करीब 2.7 करोड़ टन चावल मौजूद था। फिलहाल गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को हर महीने 4.15 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर 35 किलो गेहूं और 5.65 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 35 किलो चावल मिलते हैं।

जबकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत गेहूं इससे 2 रुपये कम कीमत पर और चावल 3 रुपये प्रति किलो कम कीमत पर दिया जाता है। फिलहाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए करीब 1.5-1.6 करोड़ टन गेहूं और 1.8-1.9 करोड़ टन चावल की जरूरत है।

एफसीआई और पंजाब विभाग की कुल भंडारण क्षमता 1.11 करोड़ टन है जबकि हरियाणा के लिए यह 57 लाख टन है। पंजाब और हरियाणा के खाद्य सचिवों ने खाद्य मंत्रालय को बताया है कि उनके पास क्रमश: 25 लाख टन और 30 लाख टन कम भंडारण क्षमता है।

आस की बाली

पंजाब और हरियाणा के पास भंडारण क्षमता से 55 लाख टन अधिक गेहूं
चीनी और चावल मिलों में हो रहा है भंडारण
इसका इस्तेमाल हो सकता है अंत्योदय अन्न योजना के लिए

PTI
योजना आयोग की ओर से गरीबी रेखाGet Fabulous Photos of Rekha के नीचे रहने वाले (बीपीएल) परिवारों के बारे में अनुमान अगले 10 दिन के भीतर दिए जाने की संभावना है। इससे खाद्य सुरक्षा विधेयक को अंतिम रूप देने में मदद मिलेगी।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया ने कहा अगले 10 दिन के भीतर हमारे पास बीपीएल परिवारों का आँकड़ा होगा।

उन्होंने कहा कि आयोग तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट की जाँच कर रहा है। रिपोर्ट में बीपीएल परिवारों की संख्या 8 करोड़ बताई गई है, जो योजना आयोग के पूर्व के 6.5 करोड़ के अनुमान से कहीं अधिक है।

अहलूवालिया ने कहा कि बीपीएल परिवारों की संख्या 7.5 करोड़ से 8 करोड़ हो सकती है, जो तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट के मुताबिक है।

मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) ने आयोग से बीपीएल परिवारों की सटीक परिभाषा देने को कहा है, जो प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के तहत हर महीने चावल और गेहूँ पाने के हकदार होंगे।

योजना आयोग ने कहा कि कुछ राज्य बीपीएल परिवारों की संख्या 11 करोड़ बता रहे हैं। इसके अलावा कई अन्य अनुमान भी हैं, जो पूरी तरह मनमाने हैं और उसमें किसी तरह की प्रणाली नहीं अपनाई गई है। उन्होंने कहा मेरा अपना अनुमान है कि तेंदुलकर रिपोर्ट का नतीजा कार्य योग्य है।

भारत में सबसे बड़ा है 'भूख सेक्‍टर'
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प्रकाशन तरीख : 11-Apr-2010 01:03:31 द्वारा: शिरीष खरे Font Size:
भारत में हर साल भूख से होती हैं हजारों मौतें

आज के भारत में सबसे तेजी से बढ़ता सेक्टर कौन सा है- आईटी, मोबाइल टेलेफोनी, आटोमोबाइल, इन्फ्रास्ट्रक्चर, आईपीएल? जहां तक मेरा ख्याल है, तो भूख की रफ़्तार के आगे ये सारे सेक्टर बहुत पीछे हैं। आजादी के 62 सालों के बाद भारत के पास दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दावा है। मगर, अमेरिका की कुल आबादी से कहीं अधिक भूख और कुपोषण से घिरे पीड़ितों का आकड़ा भी यहीं पर है। अब चमचमाती अर्थव्यवस्था पर लगा यह काला दाग भला छिपाया जाए भी तो कैसे?

वैसे भी अपनी सरकार मंहगाई को कम नहीं करने की बात जब खुलेआम कह रही है, तो उसके मंसूबों से ताल्लुक रखने वाली चुप्पियों के भेद भी खुल्लमखुल्ला हो ही जाए। 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम' के हो-हल्ला से पहले सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को याद कीजिए, जो गरीबी रेखा के नीचे के हर भारतीय परिवार को 2 रूपए किलो की रियायती दर से 35 किलो खाद्यान्न दिये जाने की बात कहता है। इसके बाद केन्द्र की यूपीए सरकार के 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम' का मसौदा देखिए, जो गरीबी रेखा के नीचे के हर भारतीय परिवार को रियायती दर से महज 25 किलो खाद्यान्न की गारंटी ही देता है। मामला साफ है, मौजूदा खाद्य सुरक्षा का मसौदा तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ही कतरने (गरीबों के लिए रियायती दर से 10 किलो खाद्यान्न में कमी) वाला है।

अहम सवाल यह भी है कि मौजूदा मसौदा अपने भीतर कितने लोगों को शामिल करेगा? इसके जवाब में जो भी आकड़े हैं, वो आपस में मिलकर भ्रम फैला रहे हैं। अगर वर्ल्ड बैंक की गरीबी का बेंचमार्क देखा जाए तो जो परिवार रोजाना 1 यूएस डालर (मौजूदा विनिमय दर के हिसाब से 45 रूपए) से कम कमाता है, वो गरीब है। भारत में कितने गरीब हैं, इसका पता लगाने के लिए जहां पीएमओ 'इकोनोमिकल एडवाइजरी काउंसिल' की रिपोर्ट ने गरीबों की संख्या 370 मिलियन (37 करोड़) के आसपास बतलाई है, वहीं घरेलू आमदनी के आधार पर सभी राज्य सरकारों के दावों का राष्ट्रीय योग किया जाए तो गरीब रेखा के नीचे 420 मिलियन (42 करोड़) लोगों की संख्या दिखाई देती है। यानि गरीबों को लेकर केन्द्र और राज्य सरकारों के अपने-अपने और अलग-अलग आकड़े हैं। इसके बावजूद गरीबों की संख्या का सही आकलन करने की बजाय केन्द्र सरकार का यह मसौदा केवल केन्द्र सरकार द्वारा बतलाये गए गरीबों को ही शामिल करेगा।

यहां अगर आप वर्ल्ड बैंक की गरीबी का बेंचमार्क रोजाना 1 यूएस डालर से 2 यूएस डालर (45 रूपए से 90 रूपए) बढ़ाकर देखें, तो देश में गरीबों का आकड़ा 80 मिलियन (80 करोड़) तक पहुंच जाता है। यह आकड़ा यहां की कुल आबादी का तकरीबन 80 फीसदी हिस्सा है। अब थोड़ा देशी संदर्भ में सोचिए, महज 1 यूएस डालर का फर्क है, जिसके कम पड़ जाने भर से आबादी के इतना भारी हिस्सा वोट देने भर का अधिकार तो पाता रहेगा, नहीं पा सकेगा तो भोजन का अधिकार।

केन्द्र सरकार ने 2010-11 भूख से मुकाबला करने के लिए 1.18 लाख करोड़ रूपए खर्च करने का वादा किया है। अगर यूपीए सरकार गरीबी रेखा के नीचे के हर भारतीय परिवार को रियायती तौर से 35 किलो खाद्यान्न दिये जाने पर विचार करती है, तो उसे अपने बिल में अतिरिक्त 82,100 करोड़ रूपए का जोड़ लगाना होगा।

जब कभी देश को युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है, तो हमारे देश के हुक्मरानों का दिल अचानक पसीज जाता है। उस दौरान के बुरे हालातों से निपटने के लिए बहुत सारा धन और राहत सुविधाओं को मुहैया कराया जाता है। मगर भूख की विपदा तो देश के कई बड़े इलाकों को खाती जा रही है। वैसे भी युद्ध और प्राकृतिक आपदाएं तो थोड़े समय के लिए आती हैं और जाती हैं, मगर भूख तो हमेशा तबाही मचाने वाली परेशानी है, इसलिए यह ज्यादा खतरनाक है। मगर सरकार है कि इतने बड़े खतरे के खिलाफ पर्याप्त मदद मुहैया कराने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही है।

भूख का यह अर्थशास्‍त्र न केवल हमारे सामाजिक ढ़ाचे के सामने एक बड़ी चुनौती है, बल्कि मानवता के लिए भी एक गंभीर खतरा है, जो मानवता को नए सिरे से समझने और उसे फिर से परिभाषित करने की ओर ले जा रहा है। उदाहरण के लिए- आज अगर भूखे माता-पिता भोजन की जुगाड़ में अपने बच्चों को बेच रहे हैं तो यह बड़ी अप्राकृतिक स्थिति है, जिसमें मानव अपनी मानवीयता में ही कटौती करके जीने को मजबूर हो रहा है। यह दर्शाता है कि बुनियादी तौर पर भूख किस तरह से मानवीयता से जुड़ी हुई है। इसलिए क्यों न भूख को मिटाने के लिए यहां बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) की बजाय बीएचएल (मानवीय रेखा से नीचे) शब्द को उपयोग में लाया जाए?

एक तरफ भूखा, तो दूसरी तरफ पेटू वर्ग तो हर समाज में होता है। मगर भारत में इन दोनों वर्गों के बीच का अंतर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। एक ही अखबार के एक साइड में कुपोषण से बच्चों की मौत की काली हेडलाइन है, तो उसी के दूसरी साइड में मोटापन कम करने वाले क्लिनिक और जिमखानों के रंगीन विज्ञापन होते हैं। भारत भी बड़ा अजीब देश है, जहां आबादी के एक बड़े भाग को भूखा रहना पड़ता है, वहीं डायबिटीज, कोरोनरी और इसी तरह की अन्य बीमारियों के मरीज भी सबसे अधिक यही पर हैं, जिनकी बीमारियां सीधे-सीधे ज्यादा खाने-पीने से जुड़ी हुई हैं।

(शिरीष खरे 'चाइल्ड राइट्स एण्ड यू' (क्राई) के 'संचार-विभाग' से जुड़े हैं। संपर्क: shirish2410@gmail.com ब्लॉग: crykedost.tk)

इस लेखक की दूसरी खबरें

पश्चिम बंगाल और उत्तर भारत के विभिन्न इलाकों में सोमवार को भीषण गर्मी का प्रकोप बरकार रहा जबकि जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में वर्षा और बर्फबारी हुई। पश्चिम बंगाल में पारा 45 डिग्री को पार कर गया।सोमवार को सोना मजबूत होकर चार महीने के ऊंचे स्तर 1,168.70 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया...गर्मी बढ़ने के साथ दिल्ली में आग लगने के हादसे बढ़ते देख, दुकानदार, ट्रेडर, गोदाम मालिक फायर इश्योरेंस एजेंटों को ढूंढने लगे हैं..औद्योगिक उत्पादन ने फरवरी में लगातार तीसरे महीने 15 फीसदी से ज्यादा वृद्धि दर्ज की है। कार, बाइक और टीवी सेटों की रिकॉर्ड बिक्री हुई है...यूलिप को लेकर विवाद फिलहाल थम गया है। फाइनैंस मिनिस्ट्री के कहने पर सेबी और इरडा इस मामले में मौजूदा स्थिति बहाल रखने को तैयार हो गए हैं...सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ)ने छत्तीसगढ़ के जंगलों में अपनी नक्सल विरोधी मुहिम को स्थगित कर दिया है। यह जानकारी प्

रदेश पुलिस के सूत्रों ने दी है।
 
Shashi Tharoor
PIB
विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर का इंडियन प्रीमियर लीग की कोच्चि फ्रेंचाइजी में खुद का कोई हिस्सा नहीं है लेकिन वह महिला इसमें शेयरधारक है, जिससे वह शादी करने वाले हैं। आईपीएल आयुक्त ललित मोदी ने यह खुलासा किया।
विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर एक बार फिर से सुखिर्यों में आ गए हैं, लेकिन इस बार अपने निजी जीवन की वजह से चर्चा में हैं। खबरें हैं कि वह अपनी कनाडाई पत्नी से तलाक के बाद एक कश्मीरी ब्यूटीशियन से शादी करने की योजना बना रहे हैं।
थरूर (54) के करीबी सूत्रों ने इन खबरों पर टिप्पणी करने से इनकार किया और मीडिया से आग्रह किया कि वह उनकी निजता का सम्मान करे। सूत्रों ने कहा, ''जब उन्हें (थरूर) कुछ कहना होगा, तो जो भी होगा वह इस बारे में घोषणा करेंगे।''
मीडिया में आई खबरों के अनुसार थरूर ने सुनंदा को शादी का प्रस्ताव दिया है, जो एक कश्मीरी परिवार की लड़की है। ब्यूटीशियन के रूप में प्रशिक्षित सुनंदा एक स्पा चलाती है और वह दुबई में रह चुकी है।
कहा जा रहा है कि मंत्री अपनी दूसरी पत्नी क्रिस्टा गिलेस से अलग होने की कानूनी प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, जो एक कनाडाई नौकरशाह हैं और निरस्त्रीकरण के मुद्दे पर अमेरिका के साथ काम करती हैं। थरूर ने इससे पहले शिक्षाविद् तिलोत्तमा मुखर्जी से शादी की थी, जिन्हें वह स्कूल के दिनों से जानते थे।


परमाणु सुरक्षा शिखर बैठक से ऐन पहले अमेरिका ने रविवार को कहा कि परमाणु सामग्री के आतंकवादियों के हाथ में पड़ने के आसार 'सबसे बड़ा खतरा' है और वह दुनिया में 'भयानक तबाही' मचाने के इरादे से परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश कर रहे अलकायदा जैसे दहशतगर्द संगठनों की तरफ दुनिया का ध्यान खींचना चाहता है।

भारतीय वायुसेना प्रमुख पीवी नाइक ने सोमवार को कहा कि वायुसेना नक्सलियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन इस बारे में कोई भी निर्णय केंद्र सरकार को लेना है।वामपंथी उग्रवाद देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है और आंतरिक सुरक्षा के प्रति खतरों से निपटने के लिए केन्द्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है।

 इलाहाबाद स्थित वायु सेना के मध्य कमान मुख्यालय में स्टेशन कमांडरों के सम्मेलन में शामिल होने आए नाइक ने संवाददाताओं से कहा कि नक्सलियों के खिलाफ वायुसेना के प्रयोग का फैसला केंद्र सरकार को लेना है। उन्होंने कहा कि फिलहाल नक्सलियों के खिलाफ किसी भी तरह का अभियान शुरू करने के संबंध में वायु सेना को निर्देश नहीं मिला है। वायु सेना प्रमुख ने कहा देश की आंतरिक सुरक्षा से निपटने के लिए वायु सेना पूरी तरह से सक्षम है।
नाइक ने जोर दिया कि नक्सलियों के खिलाफ एक स्पष्ट रणनीति होनी चाहिए ताकि कम से कम नुकसान हो। नक्सलियों के खिलाफ वायुसेना के प्रयोग के बारे में उनकी व्यक्तिगत राय क्या है, इस सवाल के जवाब में नाइक ने कहा कि उन्हें लगता है कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सेना की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सुरक्षा बल नक्सलियों से निपटने के लिए सक्षम हैं।

दंतेवाड़ा हमले के बाद एक बार फिर सीआरपीएफ ने उस इलाके की छानबीन शुरू कर दी है, लेकिन इस बार इस छानबीन की कमान कमांडो के हाथ में है। सीआरपीएफ की स्पेशल एक्शन फोर्स के कमांडो उस इलाके में जा रहे हैं, जिस इलाके में यह हमला हुआ था।
इन जवानों को खासतौर पर नक्सली इलाकों में लड़ाई की ट्रेनिंग मिली हुई है। दंतेवाड़ा के चिंतलनार के पास सुरक्षाबलों का जमावड़ा लगातार बढ़ रहा है। गुरिल्ला युद्ध के लिए खासतौर पर तैयार की गई कोबरा फोर्स, जिसे अब एसटीएफ कहा जाता है, यहां उतर चुके हैं। साथ ही स्थानीय आदिवासियों की मदद से बनाए गए स्पेशल पुलिस अफसर भी यहां उतर चुके हैं।
जाहिर है नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज होगा, तो उसकी मार आदिवासियों पर भी पड़ सकती है। चिंतलनार में जवानों की ह्त्या के बाद यहां सन्नाटा है। यहां की बस्ती उजड़ चुकी है और लोग घर-बार छोड़कर भाग गए हैं। आदिवासी इस डर से भाग गए हैं कि सुरक्षाबलों और नक्सलियों के संघर्ष में कहीं वे पिस न जाए।

  1. हमनें किया था दंतेवाड़ा में हमला ...


    दैनिक भास्कर - 3 घंटे पहले
    जगदलपुर (छत्तीसगढ़)दंतेवाड़ा जिले में 6 अप्रैल को सीआरपीएफ के जवानों पर हमले की जिम्मेदारी तीन नक्सल कमांडरों ने ली है। हमले में 76 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। ...

  2. नक्सल मामले में अब सिर्फ गृह ...


    याहू! जागरण - 11 मिनट पहले
    लिहाजा, अब नक्सल मुद्दे ही नहीं संपूर्ण आंतरिक सुरक्षा के मसले पर बोलने के लिए भी सिर्फ गृहमंत्रालय अधिकृत कर दिया गया है। कैबिनेट सचिव ने सभी केंद्रीय मंत्रियों, ...
    नक्सलवाद पर अब सिर्फ गृह मंत्रालय ...‎ - IBNKhabar
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  3. उल्फा के रास्ते पर चलकर निकलेगा ...


    दैनिक भास्कर - 18 घंटे पहले
    एक अन्य जानकार वेंकट साइलस का कहना है कि नक्सली विचार के मूलमंत्र में किसी को मारना नहीं था। शुरुआती कोशिश थी कि आदिवासी हितों की लड़ाई लड़ते हुए अपने विचारों से लोगों को सहमत ...

  4. बातचीत से संभव नहीं नक्सल समस्या का ...


    प्रभात खबर - 7 घंटे पहले
    इसलिए इस दिशा में सबसे पहले नक्सली संगठनों को हिंसा का रास्ता छोड़ना होगा. अध्यक्ष बनने के बाद पहली बाद यहां आए श्री गडकडी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि नक्सलियों को सबसे पहले ...
    नक्सल मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं ...‎ - यूनिवार्ता
    नक्सल मुद्दे पर भाजपा केन्द्र के साथ ...‎ - प्रभात खबर
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  5. राममोहन की जांच के बाद तय होगी नक्सल ...


    दैनिक भास्कर - 1 दिन पहले
    दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार में 76 जवानों के शहीद होने के बाद केंद्र सरकार ने नक्सल मामले में नए सिरे से रणनीति पर विचार शुरू कर दिया है। संकेत हैं कि घटना के जांच अधिकारी बनाए ...
    राष्ट्रद्रोह का मुकाबला‎ - याहू! जागरण
    हमारे हथियारों से ही मारा हमारे ...‎ - Patrika.com
    सभी 4 समाचार लेख »

  6. नक्सली हिंसा से भारी तबाही


    दैनिक भास्कर - 23 घंटे पहले
    नक्सली चाहते हैं कि आदिवासी बच्चे शिक्षा से वंचित रहें, इसलिए वे स्कूल नहीं लगने देते। नक्सलियों ने बस्तर संभाग में 74 स्कूल भवन और 29 आश्रम शालाओं को विस्फोट से उड़ा दिया है। ...
  7. मंत्रालय ही करेगा आंतरिक सुरक्षा पर ...


    वेबदुनिया हिंदी - 45 मिनट पहले
    दंतेवाड़ा में नक्सली हमले के एक दिन बाद गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने नक्सल विरोधी अभियान में वायुसेना के शामिल किए जाने की संभावना जताई थी, जबकि वायुसेना प्रमुख पीवी नाइक ने उसी ...
  8. नक्सल विरोधी अभियान के नेपोलियन


    visfot.news - 10 घंटे पहले
    चिदंबरम भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों की खातिर पहले उनके लिए अवरोध मुक्ति, फिर पूर्ण नियंत्रण और अंत में निर्माण की नीति पर काम करना चाहते ...

  9. छग पुलिस के शहीदों के आश्रितों भी 15 ...


    देशबन्धु - 10 घंटे पहले
    छत्तीसगढ सरकार ने नक्सल हिंसा में शहीद होने वाले राज्य के पुलिस अधिकारियों ... इस प्रकार अब नक्सल हिंसा में राज्य पुलिस के जवानों और अधिकारियों के शहीद होने की स्थिति में ...
    शहीद के आश्रितों को अब 25 लाख‎ - दैनिक भास्कर
    शहीद जवानों के लिए 11 लाख रूपए का अंशदान‎ - जोश 18
    सभी 3 समाचार लेख »


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टेनिस स्टार सानिया मिर्जा (23) का सोमवार को यहां पाक क्रिकेटर शोएब मलिक (28) से निकाह हो गया। इस हाईप्रोफाइल शादी के रास्ते में लगातार पेश आ रही रुकावटों को देखते हुए दोनों के परिजनों ने 15 अप्रैल को तय कार्यक्रम तीन दिन पहले ही संपन्न करा लिया। निकाह से पहले स्थानीय पुलिस से बाकायदा अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया था । सानिया और शोएब दोनों ही निकाह के इस खास अवसर पर बेहद दिलकश नजर आ रहे थे।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पिछले सप्ताह के आखिर में अपनी बेटी का फुटबॉल मैच देखने के लिए व्हाइट हाउस के प्रेस पूल को चकमा दे दिया। प्रेस पूल को सूचित किए बिना ही वह अपनी बेटी का खेल देखने चले गए। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकि़स्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी से मुलाक़ात के दौरान यह खुलासा किया। ओबामा ने कहा 'जाहिर तौर पर मैंने कुछ समस्या खड़ी कर दी।'अमेरिकी राष्ट्रपति ने गिलानी से कहा 'वे इससे काफी निराश थे।

देश के औद्योगिकी उत्पादन में वृद्धि की दर फरवरी माह में थो़डा गिरकर 15.1 प्रतिशत रही। जनवरी में औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की दर 16.7 प्रतिशत थी। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा सोमवार को जारी आंक़डों के अनुसार फैक्टरी उत्पादन मापने वाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अप्रैल 2009 से फरवरी 2010 के बीच 10.1 प्रतिशत पर रहा। वर्ष 2008-09 की समान अवधि में यह सूचकांक तीन प्रतिशत पर था।सरकार ने शिक्षा ऋण पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर कर छूट का दायरा बढ़ा दिया है। अब आर्ट्स और कामर्स की पढ़ाई के लिए लिए गए शिक्षा ऋण पर दिए जाने वाले ब्याज पर भी कर से छूट मिलेगी। यह छूट अब तक केवल इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट में स्नातक व स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वालों तथा गणित व सांख्यिकी सहित विज्ञान की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए ही उपलब्ध थी।

वर्ल्ड बैंक ने भारत में गरीबी के बारे जो आंकड़े पेश किए हैं, वे आंखें खोलने वाले हैं। विश्व संस्था के आकलन के अनुसार, गरीबी
रेखा से नीचे रहने वाली आबादी के प्रतिशत के लिहाज से भारत की स्थिति केवल अफ्रीका के सब-सहारा देशों से ही बेहतर है। बैंक की ग्लोबल इकनॉमिक प्रॉस्पेक्टस फॉर 2009 शीर्षक से जारी रिपोर्ट भारत के 'शाइनिंग इंडिया' के पीछे की हकीकत दिखाती है :

* बैंक ने अनुमान जताया है कि 2015 तक भारत की एक तिहाई आबादी बेहद गरीबी (1.25 डॉलर, यानी करीब 60 रुपये प्रति दिन से कम आय) में अपना गुजारा कर रही होगी। इसमें चीन के लिए यह आंकड़ा 6.1 प्रतिशत और सब-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र के लिए 37.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। गणना 2005 में डॉलर की क्रय शक्ति के आधार पर की गई है।

* 1990 में गरीबी के मामले में भारत की स्थिति चीन से बेहतर थी। उस वक्त चीन में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली जनसंख्या 60.2 प्रतिशत और भारत में 51.3 प्रतिशत थी। लेकिन 15 साल बाद 2005 में चीन में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली जनसंख्या घटकर 15.9 प्रतिशत रह गई और भारत में बढ़कर 41.6 प्रतिशत हो गई।

* भारत में अत्यंत गरीबी में जीवन गुजारने वाले लोगों की तादाद 1990 में 43.6 करोड़ (51.3 फीसदी) और 2005 में 45.6 करोड़ (41.6 फीसदी) थी, जो 2015 में 31.3 करोड़ (25.4 फीसदी) रहने का अनुमान है।
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12 Apr 2010, 2325 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम  
डेकन चार्जर्स हैदराबाद ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 13 रन से हरा दिया है। इस जीत के साथ ही उसकी सेमिफाइनल की उम्मीदें कायम हैं...
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अदालत में यूलिप!

पिछले तीन-चार दिनों से यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (यूलिप) को लेकर सेबी और इरडा के बीच छिड़ा महाभारत वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी के

बीच-बचाव से कुछ देर के लिए थम गया है। यथास्थिति बरकरार रखते हुए और गेंद को अदालत के पाले में डालते हुए उन्होंने कहा है कि यूलिप को लेकर उठे अधिकार क्षेत्र संबंधी विवाद का फैसला अब वहीं हो सकता है।

जीवन बीमा के लिए यूलिप का रास्ता अपनाने वाले लाखों लोगों में छाई दहशत इससे काफी कम हो गई है। शेयर बाजारों की नियामक संस्था सेबी एक अर्से से कहती आ रही है कि बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों को यूलिप भले ही बीमा पॉलिसी के रूप में बेच रही हों, लेकिन हकीकत में यह एक किस्म का म्यूचुअल फंड ही है। एक लाख रुपये के सालाना प्रीमियम में अगर जीवन बीमा के मद में सिर्फ 450
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रुपये जाते हैं और औसतन करीब 10 हजार रुपये विक्रय और प्रबंधन खर्चों के नाम पर बीमा कंपनियों की जेब में चले जाते हैं तो इन पॉलिसियों को जीवन बीमा पॉलिसी कहने की कोई खास वजह नहीं बचती।

यह भी कि म्यूचुअल फंड कंपनियों को अगर अपने ग्राहकों से बस नाम मात्र की फीस वसूलने की छूट मिली हुई है तो बीमा कंपनियां इसी काम के लिए 10 प्रतिशत कैसे वसूल कर सकती हैं? ऐसा भी नहीं है कि यूलिप में अपना पैसा लगाकर ग्राहकों को बाजार के जोखिम से कोई राहत मिलती हो। बाजार चढ़ने पर उन्हें इसका पूरा फायदा नहीं मिलता, लेकिन इसके गिरने पर नुकसान पूरा का पूरा उनके ही सिर जाता है। इसलिए सेबी ने बीमा कंपनियों से साफ तौर पर कहा कि उनको अगर यूलिप का धंधा जारी रखना है तो सेबी में अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और उन सभी नियमों का पालन करना होगा, जो म्यूचुअल फंड चलाने वाली कंपनियों के लिए जरूरी हैं।

इस समझ के तहत 14 गैर-सरकारी बीमा कंपनियों को दो चेतावनियां देने के बाद बीते शुक्रवार को सेबी ने इन कंपनियों के यूलिप कारोबार पर रोक लगा दी थी। लेकिन बीमा कंपनियों की नियामक संस्था इरडा ने इसके जवाब में कोई सफाई देने जरूरत नहीं महसूस की और बीमा कंपनियों से कहा कि सेबी की परवाह किए बगैर वे अपना सारा कारोबार पहले की ही तरह जारी रखें। दरअसल, भारत के सिमटे हुए बीमा बाजार में एलआईसी से हिस्सेदारी हथियाने के लिए गैर-सरकारी बीमा कंपनियों ने यूलिप को एक अचूक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है, लेकिन विशेषज्ञ शुरू से कहते आ रहे हैं कि सरकार को इनमें पारदर्शिता कायम करने के लिए पहले कुछ सख्त कदम उठाने चाहिए। अच्छा होता कि वित्त मंत्रालय समय से इस बारे में खुद ही कुछ दिशा-निर्देश जारी करता। लेकिन पानी जब सिर से ऊपर चला गया तो हारे को हरिनाम की तरह उसे यूलिप को अदालत ले जाना ही सही लगा।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/5788606.cms
 कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि भाजपा अपने नेता गोपीनाथ मुंडे द्वारा महिला आरक्षण विधेयक पर लालू प्रसाद और मुलायम सिंह यादव की भाषा बोलने से बेचैन हो गयी है।राजस्थान सरकार और गुर्जर आन्दोलनकारियों के बीच आरक्षण विवाद के समाधान को लेकर जयपुर में सोमवार को हुई वार्ता बेनतीजा समाप्त हो गई. राजस्थान गुर्जर आरक्षण समिति के प्रवक्ता डॉ. रूप सिंह ने वार्ता समाप्त होने के बाद कहा कि सरकार बेवजह इस मुद्दे को लंबा खींचना चाहती है और सोमवार की वार्ता बेनतीजा समाप्त हो गई है. उन्होंने कहा कि उन्होंने इस वार्ता के संदर्भ में समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को अवगत करा दिया है. ..लगभग एक दशक पहले भारतीय जनता पार्टी .भाजपा. से नाता तोड चुके राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक के. एन. गोविंदाचार्य ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को वाणी संयम की नसीहत देते हुये आज कहा कि उनकी पार्टी में वापसी की कोई रचि नहीं है1 श्री गोविंदाचार्य ने श्री नितिन गडकरी के नाम लिखे खुले पत्र में कहा..मेरी भाजपा में कोई रूचि नही है1पार्टी की गुटबाजी में मुझे न घसीटें1 मुझे बख्श दें1.

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने राष्ट्रीय एकता परिषद का पुनर्गठन करते हुए इसमें केंद्रीय मंत्री एके एंटनी, ममता बनर्जी, वीरप्पा मोइली और कपिल सिब्बल जैसे नए चेहरों को शामिल किया है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस समिति में अंबिका सोनी, दयानिधि मारन और सलमान खुर्शीद केंद्रीय मंत्री के रूप में तथा भाजपा नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली क्रमश: लोकसभा तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में शामिल किए गए हैं। राष्ट्रीय एकता परिषद में अब 147 सदस्य हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी, माकपा के महासचिव प्रकाश करात, भाकपा के महासचिव एबी वर्धन राष्ट्रीय पार्टी के नेता के रूप में एनआईसी के सदस्य होंगे।

क्षेत्रीय पार्टियों से फारूक अब्दुल्ला, अजीतसिंह, सुखबीरसिंह बादल, एन. चंद्रबाबू नायडू, मुलायमसिंह यादव, लालू प्रसाद, शरद यादव, महबूबा मुफ्ती को एनआईसी में शामिल किया गया है। सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, दिल्लीClick here to see more news from this city तथा पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री तथा राष्ट्रीय आयोगों के अध्यक्ष एनआईसी के सदस्य होंगे।

जिन लोगों को इस समिति से हटा दिया गया है उनमें रामविलास पासवान, एस. जयपाल रेड्डी, गुलाम नबी आजाद और अर्जुनसिंह शामिल हैं। उद्योगपति वेनु श्रीनिवासन, अजीम प्रेमजी और नंदन निलेकणि को इस समिति में जगह दी गई है।

एनआईसी की महिला सदस्यों में इला आर. भट्ट, वी मोहिनी गिरी, अन्नी राजा और नीरजा चौधरी शामिल हैं। मीडिया के प्रतिनिधियों में एमके राजदान, एन. रवि, मैमन मैथ्यू, शोभना भरतिया, पी. साईंनाथ, कुमार केतकर, शशिशेखर, श्रवण गर्ग शामिल हैं।

कोच्चि फ्रेंचाइजी को 333.33 मिलियन डॉलर (लगभग 1533 करोड़ रुपए) में रांदेयू स्पोर्ट्स वर्ल्ड ने खरीदा। मोदी ने अपने ट्विटर पेज पर लिखा है कि इस फ्रेंचाइजी में जो लोग हिस्सेदार हैं उनमें किसन शैलेंदर और पुष्पा गायकवाड़, सुनंदा पुष्कर, पूजा गुलाटी, जयंत कोटालवार, विष्णु प्रसाद और संदीप अग्रवाल शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट में कहा कि थरूर ने कश्मीरी लड़की सुनंदा पुष्कर के सामने शादी का प्रस्ताव रखा है। वह ब्यूटीशियन हैं और दुबई में स्पा चलाती हैं।

मोदी ने लिखा है कि कोच्चि टीम के हिस्सेदारों और उससे संबंधित कई बातें की जा रही थी। मैं जल्द ही नोट तैयार कर रहा हूँ और शीघ्र ही आधिकारिक विज्ञप्ति जारी कर दूँगा।

आईपीएल प्रमुख ने संकेत दिए कि उन पर रांदेयू से जुड़े लोगों के नामों का खुलासा नहीं करने का दबाव था। इस खुलासे से थरूर नये विवाद में पड़ सकते हैं।

उन्होंने कहा क‍ि मुझसे यह नहीं बताने के लिए कहा गया था कि रांदेयू में किसका हिस्सा है विशेषकर सुनंदा पुष्कर के बारे में।

परमाणु सुरक्षा शिखर बैठक से ऐन पहले अमेरिका ने रविवार को कहा कि परमाणु सामग्री के आतंकवादियों के हाथ में पड़ने के आसार 'सबसे बड़ा खतरा' है और वह दुनिया में 'भयानक तबाही' मचाने के इरादे से परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश कर रहे अलकायदा जैसे दहशतगर्द संगठनों की तरफ दुनिया का ध्यान खींचना चाहता है।भारत के 1400 सिख बैसाखी मनाने रविवार को लाहौर पहुंचे. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के तीर्थ स्थलों की देखरेख और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित कराने वाले सरकारी ट्रस्ट के प्रमुख सैयद आसिफ हाशमी और पाकिस्तानी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख सरदार शाम सिंह ने वाघा स्टेशन पर इन यात्रियों और श्रद्धालुओं का स्वागत किया. लाहौर से ये भारतीय सिख रावलपिंडी के लिए रवाना हुए जहां 14 अप्रैल को बैसाखी का मुख्य समारोह होगा. ...माओवादी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' ने कहा कि भारत के साथ पासपोर्ट छपाई से संबंधी समझौते को रद्द करने पर प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल के सहमत हो जाने के बाद हम फिलहाल हड़ताल वापस लेते हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर कायम है। प्रचंड ने कहा कि प्रधानमंत्री को त्यागपत्र देकर सरकार गठन के लिए पहल करनी चाहिए।


अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि परमाणु सुरक्षा के मुद्दे पर राष्ट्रपति बराक ओबामा की पहल पर बुलाई गई दो दिवसीय शिखर बैठक में परमाणु सामग्री को आतंकवादियों के हाथों में पड़ने से रोकने के मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह समेत 47 देशों के प्रतिनिधियों की सहभागिता वाली यह दो दिवसीय बैठक सोमवार को शुरू होगी।

हिलेरी ने एबीसी न्यूज से साक्षात्कार में कहा कि परमाणु सुरक्षा शिखर बैठक का एक मकसद परमाणु आतंकवाद से खतरे पर ध्यान केन्द्रित करना है। परमाणु सामग्री का आतंकवादियों के हाथ लगना हमारी सबसे बड़ी चिंता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में परमाणु हमला होने का खतरा कम हो गया है, जबकि एटमी आतंकवाद का खतरा बढ़ा है।

हिलेरी ने कहा कि हम दुनिया का ध्यान वहाँ केन्द्रित कराना चाहते हैं, जहाँ इस वक्त होना चाहिए। अलकायदा तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के दुनिया में तबाही मचाने के लिए परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश के मद्देनजर इस दिशा में तुरंत जागरूक होना बहुत जरूरी है।

हिलेरी ने परमाणु शिखर बैठक, अमेरिका और रूस के बीच हुई नई स्टार्ट संधि तथा अफगानिस्तान पर अपने देश का रुख भी स्पष्ट किया।

उन्होंने कहा कि हमें उत्तर कोरिया और ईरान के बर्ताव को लेकर डर है। उत्तर कोरिया के पास पहले से ही परमाणु हथियार हैं, जबकि ईरान ऐसे हथियार हासिल करने की फिराक में है लिहाजा इन दोनों देशों के व्यवहार को लेकर हम सशंकित हैं।

हिलेरी ने कहा कि उत्तर कोरिया और ईरान का इसराइल तथा खाड़ी में अपने अन्य पड़ोसी देशों के प्रति बर्ताव ठीक नहीं है। यही रवैया इन दोनों मुल्कों को खतरनाक बनाता है।

परमाणु सुरक्षा शिखर बैठक का जिक्र करते हुए अमेरिकी विदेशमंत्री ने कहा कि हम एक समझौता करने और हर देश द्वारा अपनी परमाणु सामग्री को सुरक्षित रखने की सबसे अच्छी कोशिश करने की कार्ययोजना तैयार करने पर ध्यान दे रहे हैं।


युवराज को मजबूर नहीं कर सकते

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किंग्स इलेवन पंजाब के प्रबंधन ने कहा कि यदि युवराज सिंह ने इस साल इंडियन प्रीमियर लीग के बाद टीम छोड़ने का मन बना लिया है तो उसे रूकने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

कप्तानी छिनने के बाद युवराज सिंह के टीम छोड़ने का मन बनाने की अटकलों पर किंग्स इलेवन पंजाब के सह मालिक अमित बर्मन ने कहा कि यदि युवराज ने तय कर ही लिया है तो प्रबंधन कुछ नहीं कर सकता।

बर्मन ने कहा कि यदि उसने ऐसा संकेत दिया है तो मैं क्या कर सकता हूँ। उन्होंने कहा कि सत्र पूरा होने के बाद मैं उससे बात करूँगा, लेकिन आप किसी को ऐसे किसी काम के लिए मजबूर नहीं कर सकते जो वह नहीं करना चाहता हो।

गौरतलब है कि हाल ही एक बड़े नक्सल हमले में सीआरपीएफ के 75 जवान मारे गए थे। छत्तीसगढ़ पुलिस के एक उच्चपदस्थ सूत्र के मुताबिक 'इस हमले ने बस्तर में सीआरपीएफ के लोगों को हिला दिया है।' जब सीआरपीएफ के अधिकारी से इस बारे में बात करने के लिए जगदलपुर फोन किया गया तो उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
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उन्होंने कहा,'मैं न तो हां कह सकता हूं और न ही ना। आप दिल्ली में हमारे लोगों से बात कर सकते हैं।'

छत्तीसगढ़ पुलिस के सूत्रों ने बताया कि हमारे लोग बस्तर के इलाकों में अब भी नक्सलियों की तलाशी की मुहिम जारी रखे हुए हैं लेकिन अब सीआरपीएफ से अब उस मुहिम को मदद नहीं मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक '75 सीआरपीएफ जवानों के मारे जाने का माओवादी विरोधी मुहिम पर गहरा असर पड़ा है। फिलहाल वे कैंपों में हैं। जंगल में सीआरपीएफ का कोई अभियान नहीं चल रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही सीआरपीएफ इस झटके से उबरेगा और पुलिस के साथ मिलकर जंगलों में नक्सल विरोधी अभियान तेज करेगा।'
नेपाली मंत्री के वाहन पर माओवादी हमला  
 
माओवादी कार्यकर्ताओं ने रविवार को नेपाल के एक जिले में ऊर्जा राज्यमंत्री चंद्रसिंह भट्टराई के वाहन पर हमला किया, लेकिन वे बाल-बाल बच गए।

यह घटना तब हुई जब वे काठमांडू के उत्तर में रसुआ जिले में एक जलविद्युत परियोजना का निरीक्षण करने के लिए गए हुए थे। घटना में मंत्री बाल-बाल बच गए।

पुलिस के अनुसार माओवादियों से मान्यता प्राप्त यंग कम्युनिस्ट लीग के कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय धनच्छे से 27 किलोमीटर दूर ढाईबंग गाँव के कालिकास्थान में भट्टराई के वाहन पर पथराव किया।

पुलिस ने बताया कि हमले में भट्टराई की कार की खिड़कियों के शीशे चकनाचूर हो गए, लेकिन उन्हें चोट नहीं आई। इलाके में तनाव के बाद राज्यमंत्री ने जिले में सुरक्षा शिविर में आश्रय लिया। (भाषा)

नेपाल ने भारत के साथ पासपोर्ट डील रद्द की
12 Apr 2010, 1720 hrs IST,पीटीआई  
 प्रिन्ट  ईमेल Discuss शेयर  सेव कमेन्ट टेक्स्ट:
काठमांडू ।। नेपाल सरकार ने सरकारी सिक्युरिटी प्रेस से मशीन से पढ़े जा सकने वाले पासपोर्ट (एमआरपी) की प्रिंटिंग के लिए भारत के साथ

विवादास्पद करार को रद्द कर दिया है। इसके बाद माओवादियों ने अपनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल वापस ले ली।

सरकार का यह फैसला देश की शीर्ष अदालत के इस मामले पर सुनवाई करने से कुछ ही घंटों पहले आया। इस फैसले की घोषणा संचार मंत्री और सरकार के प्रवक्ता शंकर पोखरेल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद की। ऐसा जान पड़ता है कि सरकार माओवादियों के दबाव के आगे झुक गई। माओवादियों ने सरकार के इस कदम को भारत के समक्ष घुटने टेकना बताया था।

पोखरेल ने कहा कि इस मामले की जांच करने वाली संसदीय समिति की सलाह को मानने का फैसला किया गया है। सरकार का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा करार को रोकने का आदेश दिए जाने के चार दिन बाद आया है। कोर्ट ने प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और उपप्रधानमंत्री सुजाता कोइराला से स्पष्टीकरण देने को कहा था। नए अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नियमों के अनुसार नेपाल को नए आवेदकों को एक अप्रैल तक मशीन से पढ़े जा सकने वाले नए पासपोर्ट जारी करने थे।

नेपाल सरकार ने द्विपक्षीय बातचीत के जरिए हाल में ही एमआरपी की सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट चार डॉलर प्रति कॉपी की दर से भारतीय सिक्युरिटी प्रेस को सौंपने का फैसला किया था। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ने उसे हस्तलिखित पासपोर्ट जारी करने पर रोक लगाने को कहा था। आदेश को रद्द करने का फैसला तब किया गया जब माओवादियों ने सरकार की योजना के खिलाफ सोमवार को हड़ताल करने की घोषणा की।


नेवी के अफसर की रूसी महिला के साथ 'आपत्तिजनक' फोटो मिला
12 Apr 2010, 2300 hrs IST,नवभारत टाइम्स  
 प्रिन्ट  ईमेल Discuss शेयर  सेव कमेन्ट टेक्स्ट:
विशेष संवाददाता ।। नई दिल्ली
रूस से विमानवाहक पोत ऐडमिरल गोर्शकोव की खरीद प्रक्रिया के दौरान इसके आधुनिकीकरण का काम देख

ने के लिए मॉस्को भेजे गए एक नौसैनिक अधिकारी के खिलाफ नौसेना मुख्यालय ने जांच के आदेश दे दिए हैं। यहां नौसैनिक प्रवक्ता ने इस आशय की रिपोर्ट की पुष्टि की। रिपोर्ट के मुताबिक कमोडोर सुखजिंदर सिंह पर अनैतिक हरकत के आरोप हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि नौसेना इन आरोपों की जांच कर यह पता लगाएगी कि क्या इन अनैतिक हरकतों की वजह से आरोपी अधिकारी ने अपनी आधिकारिक ड्यूटी से कोई समझौता किया? असल में इस नौसैनिक अधिकारी की आपत्तिजनक हालत में रूसी महिला के साथ एक तस्वीर नौसेना मुख्यालय को भेजी गई है। अब इस मामले की जांच नौसेना के वाइस ऐडमिरल रैंक के एक अधिकारी करेंगे।

नौसैनिक अधिकारियों का कहना है कि आरोपी अधिकारी के खिलाफ जांच कुछ दिनों में पूरी हो जाएगी। इस मामले से रक्षा मंत्री को अवगत करा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक आरोपी कमोडोर को सेवा मुक्त किया जा सकता है। कमोडोर सिंह फिलहाल नौसेना के गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय में तैनात हैं।

वह गोर्शकोव पोत की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित मूल्य निर्धारण समिति के सदस्य भी बनाए गए थे। सूत्रों के मुताबिक कमोडोर सिंह 2005 से 2007 तक गोर्शकोव की खरीद योजना के प्रभारी होने की वजह से मॉस्को में तैनात थे। वह ऐडमिरल गोर्शकोव पोत के लिए युद्धपोत प्रॉडक्शन सुपरिंटेंडेंट की हैसियत से वहां नौसेना के प्रतिनिधि थे। रूस से लौटने के बाद भी उन्हें ऐडमिरल गोर्शकोव परियोजना से जोड़े रखा गया और उन्हें विमानवाहक पोत परियोजना का प्रधान निदेशक नियुक्त किया गया। वह दिल्ली से ही परियोजना की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

उल्लेखनीय है कि भारत ने रूसी प्रधानमंत्री व्लादिमिर पुतिन के पिछले भारत दौरे में ही गोर्शकोव के लिए 2.33 अरब डॉलर का सौदा मंजूर किया था। 2004 में इस पोत को 97.4 करोड़ डॉलर में लेने का सौदा किया गया था पर बाद में करीब 3 अरब डॉलर के भुगतान की मांग की गई।

पाक मंत्री शोएब और सानिया को देंगी सोने का मुकुट
12 Apr 2010, 1250 hrs IST,भाषा
लाहौर ।। पाकिस्तान की जनसंख्या कल्याण मंत्री फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि वह शादी के बाद क्रिकेटर शोएब मलिक और टेनिस स्टार सानिया मि

र्जा को यहां पहुंचने पर सोने का मुकुट गिफ्ट स्वरूप प्रदान करेंगी।

अवान संसद में शोएब के गृह नगर सियालकोट का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा कि वह 15 अप्रैल को हैदराबाद में इन दोनों की शादी में शिरकत करने की योजना बना रही हैं।

उन्होंने कहा कि 14 अप्रैल को शोएब और सानिया की शादी में भाग लेने के लिये भारत जाऊंगी। अवान ने कहा, मैं सियालकोट में भी एक समारोह आयोजित करूंगी और शोएब और सानिया के सिर पर सोने का मुकुट पहनाऊंगी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/opinion/general/6_3_6329033.html

सरकार ही काट रही पीडीएस की जड़ें

खाद्य सुरक्षा कानून कितने गरीबों को दिया जाएगा? उनकी संख्या क्या है? जिस सार्वजनिक वितरण प्रणाली जरिये अनाज दिया जाना है वह तो ध्वस्त हो चुकी है। यह कहना है योजना आयोग के पूर्व सचिव व गरीबों की संख्या के आंकलन के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर एनसी सक्सेना का। उनकी रिपोर्ट में देश की आधी ग्रामीण आबादी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है। वह कहते हैं कि योजना का संचालन करने वाला खाद्य मंत्रालय खुद इसकी जड़े काटने में जुटा है। बढ़ती खाद्य सब्सिडी वित्त मंत्रालय की आंखों में खटकती है। प्रस्तुत है डा. सक्सेना से दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता सुरेंद्र प्रसाद सिंह की बातचीत के अंश।

गरीबों के आकलन के लिए गठित दूसरी कमेटियों से आपकी रिपोर्ट बिल्कुल अलग क्यों है?

बीपीएल की पहचान के तरीके बताने के लिए सक्सेना कमेटी बनाई गई थी, लेकिन बाद में गरीबों की संख्या का अनुमान लगाने को भी कह दिया गया। बहुत विस्तार में जाने के बजाय मैंने भारत सरकार के 1975 में बनाए मानक पर ही अमल किया। इसके मुताबिक 2400 कैलोरी से कम खाने वाले ग्रामीणों को गरीबी रेखा से नीचे माना गया है। इस मानक के आधार पर तीन चौथाई ग्रामीण बीपीएल वर्ग में हैं।

50 फीसदी आबादी को गरीबी रेखा से नीचे वाला बताने के पीछे का क्या आधार है?

ग्रामीण क्षेत्रों के बॉटम गरीबों की 30 फीसदी आबादी में अनाज की खपत साढ़े आठ किलो मासिक है, जबकि टॉप 20फीसदी ग्रामीणों में अनाज की खपत 11.50 किलो मासिक है। बॉटम गरीबों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिसके लिए उन्हें जरुरी प्रोटीन नहीं मिलता। बराबरी पर लाने के लिए 50 फीसदी इन गरीबों को बीपीएल का लाभ मिलना चाहिए।

गरीबों की संख्या को लेकर 60 सालों में भी कोई राय नहीं बन पाई। इस बारे में राज्यों की भूमिका क्या है?

ऐसा नहीं है। हर पांच साल बाद गरीबों की संख्या का निर्धारण होता है। 2005 में गरीबों की संख्या 27.5 फीसदी थी, जिसे सही नहीं माना जा सकता। योजना आयोग तेंदुलकर रिपोर्ट के आधार पर इसे बढ़ाकर 42 फीसदी मानने की बात कर रहा है। राज्यों के आंकड़ों को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश में बांदा में उतने ही गरीब हैं, जितने मेरठ में हैं। अंतर जिलों की भिन्नता को नकार दिया गया है। तेंदुलकर रिपोर्ट को मानें तो उड़ीसा में गरीबों की संख्या 65 फीसदी हो जाएगी, लेकिन यह सभी जिलों पर लागू नहीं होगी।

केंद्र सरकार जिस राशन प्रणाली को ध्वस्त मानती है उसी तंत्र के मार्फत बहुचर्चित खाद्य सुरक्षा कानून लागू होना है। यह कैसे संभव है?

पीडीएस सभी राज्यों में ध्वस्त नहीं हुई है। तमिलनाडु, केरल, आंध्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में अच्छी चल रही है। राशन प्रणाली जहां बहुत खराब है वे राज्य हैं, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली। हैरानी है कि केंद्र ने इसे सुधारने का कोई कारगर कदम नहीं उठाया है। योजना आयोग की 2004 की रिपोर्ट के मुताबिक पीडीएस में 58 फीसदी लीकेज है। तब से सालाना 29 हजार करोड़ रुपये पानी में जा रहा है।

राशन प्रणाली की निगरानी का केंद्र का तंत्र क्यों विफल है?

फेल तो तब हो जब कोई निगरानी तंत्र हो। केंद्र की बाकी योजनाओं की सघन निगरानी होती है, सिर्फ पीडीएस को छोड़कर। दरअसल यह पीडीएस को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश है, जिसमें खाद्य मंत्रालय शामिल है। मंत्रालय के अधिकारी खुद इसे बंद कराना चाहते हैं। अंदर-अंदर सभी इसकी जड़े काट रहे हैं। कृषि व वित्त मंत्रालय को तो पीडीएस फूटी आंख नहीं सुहाती। कृषि मंत्रालय का जोर जहां किसानों को फसलों के अच्छे मूल्य देने पर होता है वहीं वित्त मंत्रालय खाद्य सब्सिडी बढ़ने से परेशान है। दोनों मंत्रालयों का उपभोक्ताओं के हितों से कोई लेना देना नहीं है।

गरीबों को सस्ता अनाज देने के लिए पीडीएस जरूरी है, पर इसमें सुधार के क्या उपाय हैं?

जिन राज्यों में पीडीएस अच्छा चल रहा है, उनका मॉडल दूसरे राज्यों में लागू करें। सस्ते गल्ले की दुकानें निजी डीलरों की जगह पंचायत, सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को दी जानी चाहिए। तमिलनाडु, आंध्र , कर्नाटक, छत्तीसगढ़ में ऐसा ही किया गया है। छत्तीसगढ़ में 70 फीसदी, तमिलनाडु व कर्नाटक में 100 फीसदी लोगों को राशन दुकानों से अनाज मिलता है। विकलांग, विधवाओं, सेवानिवृत्त फौजियों व प्रभावशाली लोगों को दुकानों का आवंटन बंद होना चाहिए। हमारा सिस्टम बिल्कुल उल्टा है। इस योजना का मकसद उपभोक्ताओं का हित होना चाहिए।

पीडीएस को अनाज कूपन व बायोमीट्रिक प्रणाली से चलाने का क्या असर होगा?

कूपन का चलन आंध्र और बिहार है। इसके मार्फत गरीब अनाज उठाते हैं, लेकिन यह पीडीएस का विकल्प नहीं बल्कि एक अंग है। इसे शत प्रतिशत लागू किया गया तो कूपन तेलगी पैदा हो जाएगा। इससे सही आदमी की पहचान भर हो सकेगी। कर्नाटक व आंध्र में थंब इंप्रेशन का प्रयोग शुरु किया गया है। हरियाणा में बायोमीट्रिक सिस्टम शुरू होने वाला है जिसे पायलट आधार पर तो चलाया जा सकता है, लेकिन फिलहाल यह विकल्प नहीं बन सकता है।

गरीबों की संख्या और अनाज की मात्रा बढ़ाकर खाद्य सुरक्षा कानून लागू हुआ तो इतना अनाज कहां से आयेगा?

पर्याप्त अनाज है। देश की 60 फीसदी जनता को खाद्यान्न वितरित करना संभव है। प्रत्येक परिवार को 35 किलो के हिसाब से अनाज देने पर कुल चार करोड़ टन अनाज चाहिए। जबकि सरकारी खरीद 4.5 करोड़ टन होती है। समूची खाद्य व्यवस्था गंभीर कुप्रबंधन की शिकार है। समन्वित रुप से सोचने की जरूरत है।

खाद्य सुरक्षा कानून में कुछ कड़े प्रावधान भी हैं। वे कितने कारगर साबित होंगे?

मनरेगा में भी ऐसे कड़े प्रावधान हैं। खाद्य सुरक्षा कानून सामान्य तौर पर ठीक ही लगता है, लेकिन इसका संचालन करने वाले पीडीएस को कौन ठीक करेगा? मनरेगा में साल भर में सिर्फ 15 दिन काम पाने वालों की संख्या एक करोड़ है, लेकिन केवल 43 लोगों को बेरोजगारी भत्ता मिल पाया। दिल्ली में 8 फीसदी और मुंबई में 12 फीसदी गरीब सड़कों रहते हैं। इनके पास राशन कार्ड नहीं है, क्योंकि कार्ड के लिए स्थायी पता चाहिए। ऐसे गरीब विरोधी आदेशों को समाप्त करना होगा।

गरीबों के जीवन स्तर को जानने के लिए आपने पूरे देश का भ्रमण किया होगा। बदतर हाल कहां के हैं?

देश के 50 फीसदी लोगों का जीवन स्तर सुधरा है। पांच फीसदी लोगों के जीवन स्तर में उछाल आया है। बाकी घोर गरीबी में रह रहे हैं। गरीबी की हद उड़ीसा के कुछ इलाकों में है। महिलाओं के पास तन ढकने के कपड़े तक नहीं है। बांदा और चित्रकूट में गरीबी चरम पर है। बिहार, झारखंड में हालत ठीक नहीं। मेवात में भी गरीबी है।

[सार्वजनिक वितरण प्रणाली के ध्वस्त होने के पीछे केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार बता रहे हैं एनसी सक्सेना]


भूख के खिलाफ जंग

कोई और ऐसा देश नहीं है, जहां प्रचुरता की शर्मनाक विडंबना देखने को मिले। भारत में खाद्यान्न खुले में सड़ रहा है और करोड़ों लोग भुखमरी के शिकार हैं। साथ ही अगर किसी देश पर भुखमरी और कुपोषण का साया है तो वह प्रमुख उपजों का निर्यात नहीं करता। ऐसा केवल भारत में ही हो सकता है।

अमेरिका में, जहां से भारत आर्थिक नुस्खा प्राप्त करता है, खाद्यान्न को तभी निर्यात किया जा सकता है, जब यह सुनिश्चित हो जाए कि वहां की 30.9 करोड़ आबादी और 16.8 करोड़ कुत्ते और बिल्लियों के लिए पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध है। भारत में खाद्यान्न, जिसमें गेहूं, चावल, मक्का, दालें, फल-सब्जियां शामिल हैं, का निर्यात दस्तूर बना हुआ है और सरकार इस व्यापार से होने वाले घाटे की भरपाई के लिए अकसर अनुदान उपलब्ध कराती है। अमेरिका में, जहां हर छह नागरिकों में से एक आदमी भुखमरी का शिकार है, अमेरिका खाद्यान्न अनुदान के रूप में पांच साल में 205 अरब डालर की भारी-भरकम रकम मुहैया कराता है। भारत में, जहां विश्व की सबसे अधिक आबादी भूखी है, खाद्यान्न अनुदान बिल को 56 हजार करोड़ रुपए से कतरकर प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा बिल में 28 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है। ऐसा केवल भारत में ही संभव है।

भूख और कुपोषण से लड़ने में सरकारी योजना की विपुलता केवल कागजों पर ही प्रभावी नजर आती है। महिला और बाल विकास मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय और कृषि व खाद्य मंत्रालय भूख व गरीबी के उन्मूलन के लिए 22 योजनाएं चला रहे हैं। पहले से चल रही इन योजनाओं के इतने व्यापक फलक के बावजूद देश में अधिकाधिक गरीब भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। यूनिसेफ के अनुसार कुपोषण से भारत में हर साल पांच हजार बच्चे मौत के मुंह में समा जाते हैं। हर रोज 32 करोड़ से अधिक लोग भूखे सोते हैं। यह देखते हुए भी कि विद्यमान कार्यक्रम और योजनाएं गरीबी और भुखमरी में जरा भी सुधार करने में विफल रही हैं, यह सही समय है कि प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा बिल को उचित तरीके से इस्तेमाल किया जाए। अगर हम भूख से लड़ने में विद्यमान तौर-तरीकों में आमूलचूल परिवर्तन नहीं करते तो हम देश को विफल बना देंगे। सबसे पहले तो भूख से निपटने के संबंध में निर्णायक नौकरशाही और विशेषज्ञों तक सीमित बहस को राष्ट्र के बीच ले जाना चाहिए। इसकी शुरुआत के लिए मेरे पास कुछ सुझाव हैं।

सबसे पहले और सबसे जरूरी तो वास्तविक गरीबी रेखा का निर्धारित होना चाहिए। सुरेश तेंदुलकर समिति ने सुझाया है कि 37 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे रह रही है। इससे पहले, अर्जुन सेनगुप्ता समिति कह चुकी है कि 77 प्रतिशत जनता यानी 83.6 करोड़ लोग, रोजाना 20 रुपये से अधिक खर्च करने में सक्षम नहीं हैं। इससे अलावा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज डीपी वाधवा समिति ने अनुशंसा की थी कि सौ रुपये प्रतिदिन से कम कमाने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे माना जाना चाहिए। यह जानते हुए कि भारत में विश्व के सर्वाधिक गरीब लोग रहते हैं, दोषपूर्ण आकलन से असलियत में भूख को समाप्त नहीं किया जा सकता। भारत गरीबी और भुखमरी पर पर्दा नहीं डाल सकता। इसलिए भारत को भुखमरी और गरीबी में स्पष्ट विभाजक रेखा खींचनी होगी।

सुरेश तेंदुलकर समिति की 37 प्रतिशत आबादी के गरीबी रेखा के नीचे रहने की अनुशंसा वास्तव में नई भुखमरी रेखा के रूप में चिह्निंत की जानी चाहिए, जिसके लिए बेहद कम कीमत पर खाद्यान्न मुहैया कराया जाना चाहिए। इसके अलावा, गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों का अर्जुन सेनगुप्ता समिति द्वारा सुझाया गया 77 प्रतिशत का आंकड़ा नई गरीबी रेखा के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। इस वर्ग के लिए कम कीमत पर खाद्यान्न की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस प्रकार भुखमरी और गरीबी से निपटने में अलग-अलग तरीका अपनाया जाना चाहिए। ब्राजील की तरह भारत को भी शून्य भूख का लक्ष्य निर्धारित कर योजनाएं तैयार करनी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश को खाद्यान्न उपलब्ध कराने वाले छह लाख गांवों के निवासियों को भूखे सोना पड़े। इन गांवों को भूख-मुक्त बनाने के लिए समुदाय आधारित क्षेत्रीय खाद्यान्न बैंकों की स्थापना होनी चाहिए। इस प्रकार की परंपरागत व्यवस्था देश के अनेक भागों में पहले से जारी है।

शहरी केंद्रों में और खाद्यान्न की कमी वाले इलाकों में लाभार्थियों की संख्या घटाने के बजाय सकल सार्वजनिक वितरण व्यवस्था जरूरी है। विद्यमान सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का कायाकल्प होना चाहिए और इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। इसके अलावा, सामाजिक और धामिक संगठनों को खाद्यान्न वितरण से जोड़ने की भी बेहद आवश्यकता है। इन संगठनों ने बेंगलूर जैसे शहरों में बेहतरीन काम किया है। साथ ही अगर हम स्वच्छ पेयजल और सीवर व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराते तो भूख से त्रस्त जनता को राहत नहीं मिल पाएगी। अकसर दलील दी जाती है कि सरकार प्रत्येक भारतीय नागरिक के भोजन का खर्च नहीं उठा सकती। यह सही नहीं है। अनुमानों के मुताबिक अगर सकल सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को लागू किया जाता है तो देश को अतिरिक्त छह करोड़ टन खाद्यान्न यानी प्रति परिवार 35 किलोग्राम, की जरूरत पड़ेगी। दूसरे शब्दों में देश का एक साल तक पेट भरने के लिए करीब 1.1 लाख करोड़ रुपयों की आवश्यकता होगी। भारत में खाद्यान्न और पैसे का कोई अकाल नहीं है। सर्वप्रथम, गेहूं और चावल के भंडारण की उचित व्यवस्था न होना महंगा पड़ रहा है। अगर खाद्यान्न की बर्बादी रोक दी जाए तो भारत में प्रत्येक परिवार के लिए प्रति माह 45 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध हो सकता है। गेहूं और चावल के अलावा खाद्यान्न वितरण में अन्य पौष्टिक मोटे अनाज और दालें भी शामिल की जानी चाहिए।

2010 के बजट में, प्रणब मुखर्जी ने घोषणा की थी कि उद्योग और व्यापार क्षेत्र के लिए करीब पांच लाख करोड़ रुपये की छूट दी गई है। यह लाभ बिक्री कर, उत्पाद कर, आय कर और अन्य करों में छूट के रूप में दिया गया है। वार्षिक बजट करीब 11 लाख करोड़ रुपये का है। जिसका मतलब है कि सरकार बजट में प्रावधान के अतिरिक्त करीब आधी रकम उद्योग को छूट के रूप में दे रही है। मेरा सुझाव है कि उद्योगों को दी जाने वाली इस छूट में से तीन लाख करोड़ रुपए तुरंत वापस ले लिए जाएं। इससे देश की भूखी जनता को भोजन उपलब्ध कराया जाए। साथ ही इससे स्वच्छ पेयजल भी उपलब्ध कराया जा सकेगा और देश भर में सीवर लाइन का जाल भी बिछ जाएगा।

किंतु यह तभी संभव है जब उन नीतियों को बदला जाए जो दीर्घकालीन टिकाऊ खेती पर जोर न देती हों और प्राकृतिक संसाधनों का निजीकरण और भूमि अधिग्रहण की पक्षधर हों। इनके स्थान पर ऐसी नीति लोगू की जाए जो सभी के लिए भोजन सुनिश्चित करे। इसी में सम्मिलित विकास निहित है। भूखी जनता आर्थिक भार है। प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा बिल भारत के आर्थिक नक्शे को इस तरह से पुनर्निर्धारित करने का अवसर प्रदान करता है कि भारत में भूख इतिहास बन जाए।

[देविंदर शर्मा: लेखक कृषि एवं खाद्य मामलों के विशेषज्ञ हैं]




लेखा-जोखा: सेबी, इरडा की जंग से घरेलू बाजार गिरे

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लुधियाना-राज्य में बिजली संकट विकराल रूप धारण कर चुका है। बिजली बोर्ड द्वारा लगाए जा रहे पावर कट छह-छह घंटे से लंबे समय के हो गए हैं। बोर्ड की ओर से औद्योगिक इकाइयों में साप्ताहिक नागा एक से दो दिन का कर देने से उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई है। इसके बावजूद बोर्ड को वर्तमान की नहीं, बल्कि भविष्य की चिंता सता रही है। गर्मी बढ़ने से बिजली की मांग प्रतिदिन 1200 लाख यूनिट से ऊपर हो गई और उत्पादन करीब 935 लाख यूनिट हो रहा है। ...
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कच्चा तेल 85 डालर प्रति बैरल से नीचे उतरा

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लंदन ! डालर के गिरने और चीन के कच्चे तेल के आयात में वृद्धि होने से आज इसके दाम 85 डालर प्रति बैरल के आसपास मंडराते रहे ! यूनान के रिण संकट के समाधान पर यूरोपीय देशों में सहमति बनने के कारण यूरो में मजबूती आयी जिससे डालर पर दबाव बना ! कारोबार के दौरान कच्चे तेल का मई वायदा 84.56 डालर प्रति बैरल रहा ! हालांकि कारोबार के दौरान 85.35 डालर प्रति बैरल तक भी गए ! डालर में गिरावट और चीन में कच्चे तेल का आयात बढने के आंकडे जारी होने से तेल ...
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दुबई के बाजार में उतरी रिलायंस कैपिटल

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मुंबई ।। अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप की कंपनी रिलायंस कैपिटल ने फाइनैंशल कंसल्टेंसी के कारोबार की शुरुआत के साथ दुबई के बाजार में कदम रखा है। कंपनी के बयान में कहा गया है कि उसकी ब्रिटेन स्थित रिलायंस कैपिटल ऐसेट मैनेजमेंट ने दुबई फाइनैंशल सर्विसेज अथॉरिटी से लाइंसेस मिलने के बाद यह कदम उठाया है। रिलायंस ऐसेट मैनेजमेंट क्षेत्र के पेशेवर निवेशकों और संस्थागत ग्राहकों को संपत्ति से लेकर निवेश तक सभी तरह की कंसल्टेंसी ...
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इंट्रासॉफ्ट में बनी रही तेजी

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इक्विटी फंडों में शुध्द प्रवाह 44 फीसदी घटा

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सस्ते चीनी उत्पादों का कारण कुशल श्रम

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ओबामा को परमाणु दायित्व विधेयक जल्द पारित होने की उम्मीद

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सपने साकार करने वाली वेबसाइट ला पपाया डॉट ओआरजी

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एशियाई शेयर बाजारों में आज मिला-जुला रुख रहा। इंडोनेशिया का जकार्ता कंपोजिट सूचकांक बढ़त के साथ खुला। फिर इस सूचकांक में एक सीमित दायरे में कारोबार होता रहा। आखिरकार यह सूचकांक 36 अंक यानी 1.3% की मजबूती के साथ 2881 पर बंद हुआ। जापान के निक्केई सूचकांक में 0.42%, ताइवान के ताइवान वेटेड सूचकांक में 0.32% और सिंगापुर के स्ट्रेट टाइम्स सूचकांक में 0.17% की मामूली बढ़त रही। दूसरी ओर, दक्षिण कोरिया के कॉस्पी सूचकांक में 0.82%, चीन के शंघाई ...

निफ्टी को 5300 पर सहारा: प्रकाश गाबा

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बीते शुक्रवार को हमारा अनुमान था कि निफ्टी जब तक 5290 के ऊपर टिकता है, तब तक बाजार इसकी दिशा ऊपर की ही रहेगी। आखिरकार शुक्रवार को निफ्टी इस महत्वपूर्ण स्तर के ऊपर टिकने में सफल रहा। शुक्रवार के लिए और पूरे हफ्ते के लिए निफ्टी में मजबूती ही रही। बीते हफ्ते के दौरान निफ्टी को 5400 पर अटकना पड़ा, लेकिन हफ्ते के दौरान इसने बढ़त ही हासिल की। पिछले हफ्ते की शुरुआत में हमारा अनुमान था कि तकनीकी रूप से रुझान अभी ऊपर का ही है, मगर बाजार ...
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