बाँदा – बीती 22 मार्च को राजधानी लखनऊ के एनेक्सी भवन, पंचम तल पर मुख्यमन्त्री उत्तर प्रदेश अखिलेश यादव के साथ नगर विकास मन्त्री मौ. आज़म खान, लोक निर्माण एवं सिचाई मन्त्री शिवपाल सिंह यादव, प्रमुख सचिव जावेद उस्मानी, विशेष सचिव श्रीप्रकाश सिंह के साथ बुंदेलखण्ड पेयजल समस्या को लेकर बनायी गयी एक्सपर्ट कमेटी के छ: सदस्यों की विचार – विमर्श / बैठक आयोजित हुयी।
इसके पूर्व बीती सात फरवरी को झाँसी में इसी पर एक परिचर्चा कैबिनेट मन्त्री मौ. आज़म खान की अगुवाई में हुयी थी सरकार का रुख बुंदेलखण्ड में पानी के भयावह संकट को लेकर संजीदा है, एक्सपर्ट कमेटी के सभी सदस्यों ने बुंदेलखण्ड के सातों जनपदों में प्राचीन तालाबों, जलाशयों को पुनर्जीवित करने की कार्य योजना बनाये जाने की माँग प्रमुखता से उठायी है, मुख्यमन्त्री ने शुरुआती पहल में बाँदा, महोबा और झाँसी के तालाबों का सुन्दरीकरण, उनको डिसिल्टिंग करने, पानी सुलभ कराने और पानी के बन्द स्रोतों के साथ उन पर दबंग – दादुओं के अवैध कब्जों को सख्ती से हटाये जाने के बैठक में निर्देश दिये हैं। इसी क्रम में अगली मीटिंग चार अप्रैल को प्रस्तावित है। बताते चलें कि बुन्देलखण्ड में करीब बीस हजार से अधिक तालाब हैं जिसमें अकेले बाँदा में 2006 की गणना के अनुसार 4540 तालाब रहे हैं। यहाँ सातों जनपदों में तालाबों के दस्तावेजीकरण की महती ज़रूरत है। विशेषज्ञ समिति के सदस्यों का एक ही मकसद है कि हर हालत में बुंदेलखंड को संसाधनों से परिपूर्ण करते हुए सतही विकास के स्थाई प्रोजेक्ट / योजनायें ही लागू की जायें और उनका मूल्याँकन भी किया जाये ताकि वे बुंदेलखण्ड पैकेज के करोड़ों रुपयों की तरह बुंदेलखण्ड में एक और अधूरे अध्धयन की नीति साबित होकर न रहे।
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