Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Saturday, November 9, 2013

टाटा से रिश्ते सुधरने लगे तो क्या सिंगुर की गुत्थी सुलझ जायेगी? এবার তবে টাটার সঙ্গে যুদ্ধ শেষ!

टाटा से रिश्ते सुधरने लगे तो क्या सिंगुर की गुत्थी सुलझ जायेगी?

এবার তবে টাটার সঙ্গে যুদ্ধ শেষ!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


टाटा से रिश्ते सुधरने लगे तो क्या सिंगुर की गुत्थी सुलझ जायेगी? गौरतलब है कि टाटा समूह के सर्वेसर्वा रतन टाटा ने बार बार बंगाल में निवेश करने का संकल्प ही नहीं दोहराया है ,बल्कि सिंगुर में टाटा मोटर्स के प्रस्तावित कारखाने की जमीन पर अपना दावा नहीं छोड़ा है। यह सही है कि सिंगुर जमीन आंदोलन से ही बंगाल में ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लिए सत्ता का दरवाजा खुला।लेकिन लंबी कानूनी लड़ाई से अब तक यह साफ हो गया है कि अदालती लड़ाई से सिंगुर की गुत्थी सुलझने से तो रही।दीदी ने सत्ता में आते ही सिंगुर के अनिच्छुक किसानों को जमीन दिलाने के लिए नया कानून बना दिया, पर वे अपने चुनावी वायदे के मुताबिक न किसानों को जमीन वापस दिला पा रही हैं और न सिंगुर में कोई उद्योग धंधा शुरु कर पा रही हैं। टाटा का नैनो कारखाना गुजरात के सानंद में स्तानांतरित करने से पहले टाटा मोटर्स ने जो निवेश सिंगुर में कर दिया और राज्य में अन्यत्र अपने व्यवसायिक हितों के मद्देनजर राज्य सरकार की किसी भी किस्म की पहल का तहेदिल से रतन टाटा स्वागत करेंगे,यह मौजूदा परिप्रेक्ष्य है।दोनों पक्षों के हित इसी में है कि लेदेकर इस मसले का कोई समाधान अदालत से बाहर निकाल लिया जाये।बंगाल की ार्थिक बदहाली के लिए उद्योग और कारोबार में निवेश बढ़ाना जरुरी है,लेकिन जबतक सिंगुर मसले का कोई हल निकल नहीं जाता,तब तक जमीन के मसले पर राज्यसरकार और सत्तादल कोई अड़ंगा फिर नहीं डालेगी,निवेशकों को यह यकीन दिलाना मुश्किल है।


लगता है कि दोनों पक्षों के बीच बर्फ गलने लगा है।राजारहाट में टाटा समूह की परियोजना को किसानों के विरोध के बावजूद तृममूल कांग्रेस ने हरी झंडी दे दी है।जाहिर है कि दीदी की इजाजत के बिना यह असंभव है।यह समझौता प्रकिरिया की शुरुआत का संकेत है तो इसे आप क्या कहेंगे कि पश्चिम बंगाल के सिंगुर में टाटा नैनो प्लांट पर विवाद के पांच साल बाद पहली बार बंगाल के उद्योग मंत्री  व तृणमूल के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी टाटा प्लांट पहुंच गए। यह करिश्मा भी दीदी की हरी झंडी के बिना असंभव है।

तृणमूल कांग्रेस से मंत्री चटर्जी ने शुक्रवार को टाटा-हिताची के खड़गपुर स्थित प्लांट पर खोदाई श्रृंखला का उद्घाटन किया। 2008 में हुई सिंगुर घटना के बाद तृणमूल सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


पिछले ढाई साल से बाहैसियत उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी उद्योग जगत की आस्था जीतने के लिए जी तोड़ कोशिस कर रहे हैं लेकिन सिंगुर का भूत न उनका और न दीदी का पीछा छोड़ रही है।निवेश की गाड़ी सरकार की जनमीन नीति संबंधी उलझन और बेहतर कहें तो सिंगुर के जंगी इतिहास की वजह से अटकती रही है।अब अगर कोई यह कह दें कि उद्योग मंत्री टाटा प्लांट गये थे सिंगुर का भूत उतारने तो कोई अतिशयोक्ति न होगी।


सिंगुर से टाटा की नैनो परियोजना हटने के बाद ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और आंदोलन में उनके सहयोगी अब वहाँ नई औद्योगिक परियोजना चाहते हैं,लेकिन जमीन का मसला जबतक नहीं सुलझता यह यकीनन असंभव है। टाटा से राज्य सरकार के समझौते से ही यह गुत्थी सुलझ सकती है।


गौरतलब है कि इससे पहले  उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने पिछले 28 अक्तूबर को  यह भी कह दिया कि सिंगुर में अब बंद पड़ चुके टाटा मोटर्स कार संयंत्र के लिए जमीन का चयन ही गलत था और आशा की कि अदालत लोगों का पक्ष सुनेगी।


चटर्जी नेकोलकाता में  एक कार्यक्रम में इस विवाद का ठिकरा वाम शासन पर फोड़ते हुए  कहा, ''जिस तरह से सिंगुर की जमीन चिह्नित की गई वह गलत था। (पिछली वाम मोर्चा) सरकार द्वारा गलती की गई। ''


पिछली वाममोर्चा सरकार ने नैनो कार संयंत्र के लिए सिंगुर में 1000 एकड़ जमीन की पहचान की थी लेकिन किसानों की बहुफसलीय जमीन बेचने की अनिच्छा 34 साल से सत्तासीन वाममोर्चा की हार की वजह बनी।


एक कार्यक्रम में चटर्जी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार अनिच्छुक किसानों को जमीन लौटाने का फैसला किया जिसे टाटा ने चुनौती दी है।


उन्होंने कहा, ''हालांकि मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है लेकिन अब भी मुझे उम्मीद है कि जो लोग अनिच्छुक हैं, उन्हें उनकी जमीन वापस मिल जानी चाहिए। हमने एक कानून बनाया। यह अब उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है और हमें आशा है कि अदालत जनता की आवाज के साथ इंसाफ करेगी। ''


तृणमूल कांग्रेस द्वारा उपयोग में नहीं आयी जमीन टाटा से वापस लेने पर टाटा मोटर्स के अदालत में पहुंचने का जिक्र करते हुए पार्थ ने कहा, ''बंगाल में समस्या जमीन नहीं बल्कि बुनियादी ढांचा है। हम बंद फैक्ट्रियों की जमीन का उपयोग कर सकते हैं। हमारे पास बंद उद्योगों की 20,000 एकड़ से अधिक जमीन हैं।''


उन्होंने कहा, ''अब सभी वाणिज्यमंडल निश्चय करें कि यदि राज्य बंद पड़ी फैक्ट्रियों की जमीन वापस लेकर उसे अन्य उद्योगों को देने का प्रयास करेगा तो उनका कोई भी सदस्य अदालत नहीं जाएगा।''


अब टाटा प्लांट पहुंचने से उनके कहे का असली तात्पर्य सामने आया है कि राज्य सरकार सिंगुर विवाद के लिए टाटा समूह को नहीं,बल्कि पूर्ववर्ती वाम सरकार को जिम्मेदार ठहराकर टाटा से समझौता करने की राह पर है।



इसीतरह रघुनाथपुर में किसानों के आंदोलन के बावजूद ताप बिजली घर बनाने में डीवीसी की मुश्किल आसान करने के लिए राज्य सरकार पहल कर रही है। पार्थ बाबू ने न सिर्फ सभी पक्षों से बात करके विवाद खत्म करने की कोशिश करते रहे,बल्कि विवादित मुद्दों को सुलझाने को लिए नाराज किसानों और क्षेत्रीय नेताओं रघुनाथपुर विकास कमिटी भी बना आये हैं।


टाटासमूह से समझौता हो गया तो बंगाल में उद्योग व कारोबार के सारे दरवाजे नये सिरे से खुल जायेंगे,इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है।मुद्दे की बात तो यह है कि शायद दीदी भी वक्त का तकाजा समझ रही है।उद्योग और कारोबार जगत से निरंतर युद्धरत रहने से निवेश का माहौल नहीं बनता,ढाई साल में दीदी ने कभी तो यह महसूस किया ही होगा।




টাটাদের কারখানায় শিল্পমন্ত্রী

ধ্রুবজ্যোতি প্রামাণিক, অমিত জানা, এবিপি আনন্দ

Saturday, 09 November 2013 10:31

গত আড়াই বছরে শিল্পমন্ত্রী হিসেবে অনেকবার ফিতে কেটেছেন পার্থ চট্টোপাধ্যায়৷ কিন্তু, শুক্রবার, শিল্পমন্ত্রীর ফিতে কাটাকে বিশেষ তাত্পর্যপূর্ণ বলেই মনে করছে রাজনৈতিক ও শিল্পমহল৷ কারণ, যে কারখানায় গিয়ে শিল্পমন্ত্রী ফিতে কাটলেন, সেটির সঙ্গে জড়িয়ে রয়েছে টাটাদের নাম৷

শুক্রবার খড়গপুরে, বিদ্যাসাগর ইন্ডাস্ট্রিয়াল পার্কে টাটা-হিতাচি কারখানায় যান শিল্পমন্ত্রী৷ একটি পণ্যের উদ্বোধন করেন৷ এই প্রথম তৃণমূল সরকারের কোনও মন্ত্রী টাটাদের কারখানায় ৷ কারখানাটির চল্লিশ শতাংশ মালিকানা টাটা মোটরসের৷ বাকি মালিকানা জাপানি সংস্থা হিতাচির৷

বাম আমলে ২০০৯ সালে টাটা-হিতাচিকে বিদ্যাসগর শিল্পতালুকে আড়াইশো একর জমি দেওয়া হয়৷ অনুসারি শিল্পের জন্য দেওয়া হয় আরও নব্বই একর জমি৷

খনি ও নির্মাণ শিল্পে ব্যবহৃত বিভিন্ন ধরনের গাড়ি ও যন্ত্র তৈরির জন্য ধাপে ধাপে কারখানায় ৬০০ কোটি টাকা বিনিয়োগ করা হয়েছে৷ টাটা-হিতাচির এই উদ্যোগকে স্বাগত জানিয়েই, শিল্পমন্ত্রীর বার্তা, রাজ্যের সামগ্রিক শিল্পোন্নয়ন প্রক্রিয়ায় টাটারাও স্বাগত৷

শিল্পমন্ত্রী এসেছেন৷ আড়াই বছরের অভিমান ভুলে টাটা-হিতাচি কর্তৃপক্ষের গলাতেও তাই ছিল উষ্ণতার ছোঁওয়া৷

আঠাশ অক্টোবর, কলকাতায় বণিক সভার একটি অনুষ্ঠানে টাটাদের সম্পর্কে ইঙ্গিতপূর্ণ বার্তা দেন শিল্পমন্ত্রী৷ তাত্পর্যপূর্ণ ভাবে বলেন, সিঙ্গুরের জমি বেছেছিল তত্‍কালীন বাম সরকার৷ ভুল তাদের হয়েছিল৷ টাটা গোষ্ঠী জমি বাছেনি৷

সিঙ্গুর আন্দোলন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে রাজনৈতিক ডিভিডেন্ড দিলেও তৃণণূলের সঙ্গে টাটার তিক্ততা চরমে ওঠে৷ কিন্তু, তারপর অনেকটা সময় কেটে গিয়েছে৷ টাটা গোষ্ঠার শীর্ষ পদে, রতন টাটার পরে এখন সাইরাস মিস্ত্রি৷ মুখ্যমন্ত্রী মমতাও নিজের শিল্পবান্ধব ভাবমূর্তি গড়ে তুলতে উদ্যোগী৷ আর সেই শিল্পযজ্ঞে টাটারাও যে ব্রাত্য নয়, শিল্পমন্ত্রীকে দিয়েই, ধীরে ধীরে, সেই বার্তা স্পষ্ট থেকে স্পষ্টতর করছে তৃণমূল সরকার৷ টাটা-হিতাচির কারখানায় পা রেখে সেই লক্ষ্যেই আসলে সরকারকে আরও এককদম এগিয়ে দিলেন শিল্পমন্ত্রী৷ শিল্প মহল অন্তত এমনটাই মনে করছে৷

http://www.abpananda.newsbullet.in/state/34-more/43367-2013-11-09-05-02-05


রঘুনাথপুরে তৃণমূলের শিল্পোন্নয়ন কমিটি

ধ্রুবজ্যোতি প্রামাণিক ও হংসরাজ সিংহ, এবিপি আনন্দ

Saturday, 09 November 2013 10:45

রঘুনাথপুরে ডিভিসি-র তাপবিদ্যুত্‍ প্রকল্পের জট কাটাতে এবার রাজনৈতিক উদ্যোগ নিল তৃণমূল৷ শিল্পমন্ত্রী ও ডিভিসি চেয়ারম্যানের বৈঠকের ২৪ ঘণ্টার মধ্যে শাসক দলের স্থানীয় নেতাদের নিয়ে গঠিত হল শিল্প উন্নয়ন কমিটি৷

ডিভিসির তাপবিদ্যুত্ প্রকল্পের জট কাটাতে বৃহস্পতিবার কলকাতায় রাজ্য শিল্পোনন্নয়ন নিগমে ত্রিপাক্ষিক বৈঠক ডাকেন পার্থ চট্টোপাধ্যায়৷ বৈঠক শেষ শিল্পমন্ত্রী জানান, দু-এক দিনের মধ্যেই সমস্যা মিটবে৷ শিল্পমন্ত্রীর আশ্বাসের পরই শুক্রবার প্রশাসনিক উদ্যোগের পাশাপাশি, রাজনৈতিকভাবে সমস্যার মোকাবিলায় সক্রিয় হল তৃণমূল৷

শুক্রবার শাসকদলের স্থানীয় নেতাদের নিয়ে গঠিত হল শিল্প উন্নয়ন কমিটি৷ কমিটির সভাপতি নিতুরিয়া ব্লকের প্রাক্তন তৃণমূল প্রধান গুড়ারাম গোপ৷ এছাড়াও কমিটিতে রয়েছেন স্থানীয় বিধায়ক পূর্ণচন্দ্র বাউড়ি, রঘুনাথপুর পুরসভার পুরপ্রধান সহ অন্যান্য তৃণমূল নেতারা৷

প্রথম দিনেই মহকুমা শাসককে চিঠি দিয়ে অনিচ্ছুক জমিদাতাদের মধ্যে ফের চেক বিলির প্রক্রিয়া শুরু করার আর্জি জালান শিল্প উন্নয়ন কমিটি৷ চিঠিতে তারা লিখেছেন, এলাকার মানুষের স্বার্থে ডিভিসির-র প্রকল্প হওয়া উচিত৷ প্রশাসন এই বিষয়ে প্রয়োজনীয় পদক্ষেপ করুক৷ কমিটি সবরকমের সহযোগিতা করতে প্রস্তুত৷ আগামী ১৩ ও ১৫ নভেম্বর অনিচ্ছুক জমিদাতাদের মধ্যে ফের চেক বিলির ব্যবস্থা করুক প্রশাসন৷

শুরু থেকেই জমিদাতাদের বিক্ষোভের জেরে বারে বারে থমকে গিয়েছে রঘুনাথপুরে ডিভিসির তাপবিদ্যুত্‍ প্রকল্পের কাজ৷ কখনও স্থায়ী চাকরির দাবিতে, কখনও বর্তমান বাজারদরে ক্ষতিপূরণের দাবিতে কাজ বন্ধ করে দিয়েছে দুটি আন্দোলনকারী সংগঠন৷ কিন্তু এতদিন রঘুনাথপুর প্রকল্প নিয়ে তৃণমূলের কোনও সক্রিয়তা ছিল না৷ প্রকল্পের কাজে যেমন বাধা দেয়নি শাসক দল, তেমনই কাজ শুরু করার বিষয়ে কোনও উদ্যোগও নেয়নি৷


সংশ্লিষ্ট মহলের ব্যাখ্যা, ডিভিসির চরমপত্রের পর তৃণমূল শীর্ষনেতৃত্ব বুঝতে পেরেছে, শুধুমাত্র প্রশাসনিক স্তরের উদ্যোগ যথেষ্ট নয়৷ জট কাটাতে রাজনৈতিক মোকাবিলারও প্রয়োজন৷ তাই শিল্পমন্ত্রী ও ডিভিসি চেয়ারম্যানের বৈঠকের ২৪ ঘণ্টার মধ্যে রঘুনাথপুরে শিল্প উন্নয়ন কমিটি গড়ল শাসক দল৷ যা যথেষ্ট ইতিবাচক বলেই মনে করছে বণিক মহল৷

http://www.abpananda.newsbullet.in/state/34-more/43368-2013-11-09-05-15-22


No comments:

Post a Comment