Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Tuesday, February 12, 2013

आजादी के तुरंत बाद से यह परंपरा अटूट है कि सत्तादल के चुनाव खर्च रक्षा खाते से जरुर आने चाहिए।भ्रष्टाचार का जिन्न एक बार फिर इटली से बोतल तोड़ कर निकला!

आजादी के तुरंत बाद से यह परंपरा अटूट है कि सत्तादल के चुनाव खर्च रक्षा खाते से जरुर आने चाहिए।भ्रष्टाचार का जिन्न एक बार फिर इटली से बोतल तोड़ कर निकला!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

देश में अर्थ व्यवस्था के संकट के सिलसिले में रक्षा सौदों की चर्चा कभी नहीं होती।भुगतान संतुलन और  राजकोषीय  घाटा में रक्षा सौदों और ​​घोटालों की चर्चा करना देशद्रोह का अपराध माना जाता है। बोफोर्स सौदे को लेकर इतना हंगामा हुआ, फिर वहीं ठाक के तीन पात। प्रतिरक्षा और​ आंतरिक सुरक्षा के नाम राष्ट्र के सैन्यीकरण , देशज जनता के किलाफ युद्ध और सशस्त्र सैन्यबल विशेषाधिकार कानून की चर्चा हमारे लोकतंत्र में​​ नहीं होती। हर वक्त युद्धोन्मादी धर्मराष्ट्रवाद का माहौल इतना चाकचौबंद होता है कि देशभक्ति की आड़ में अंतरराष्ट्रीय युद्ध कारोवारियों और​  शस्त्र विक्रेताओं के एजेंट बन गये हैं सत्ता में बैठे लोग और हमारा गणतंत्र उन पर उंगलियां उठाने की इजाजत नहीं देता। बाहरी सूत्रों से मामले का खुलासा होता है तो फिर युद्धोन्माद का अचूक रामवाण! मसलन आज हैलीकाप्टर घोटाला की खबर ब्रेक होते न होते देश के प्रधानमंत्री पाकिस्तान को चुनौती देने में लगे हैं।भारतीय सेना में भ्रष्टाचार का जिन्न एक बार फिर बोतल तोड़ कर निकला। इटली के एक बड़े रक्षा सौदागर को गिरफ्तार किया गया. उस पर हेलिकॉप्टर बेचने के लिए भारतीयों को पैसे खिलाने के आरोप हैं। भारत और इटली के बीच एक और रक्षा सौदे को लेकर घमासान मच गया है। आज इटली में फिनमैकेनिका नाम की कंपनी के सीईओ को वहां की जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया। इस कंपनी ने भारत के साथ 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की डील की थी।फिनमैकेनिका कंपनी में इटली सरकार की भी 30 फीसदी हिस्सेदारी है। इटली में इसी महीने चुनाव भी होने वाले हैं और इस केस के वहां और तूल पकड़ने की उम्मीद है। दूसरी तरफ भारत सरकार ने भी इटली से इस केस में जानकारी मांग ली है। जाहिर है कि  हर देशभक्त नागरिक रक्षा घोटाले के बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा को तरजीह देगा और शत्रु को धूल चटाने के हर इंतजाम की मांग करेगा।यह खेल काफी पहले से चला आ रहा है। आजादी के तुरंत बाद से यह परंपरा अटूट है कि सत्तादल के चुनाव खर्च रक्षा खाते से जरुर आने चाहिए।आरोप है कि करीब 3600 करोड़ रुपये के सौदे को हथियाने के लिए भारत में साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की रिश्वत बांटी गई। संसद सत्र से पहले उजागर हुए इस मामले ने सरकार की परेशानी खासी बढ़ा दी है। इसके बाद विपक्षी भाजपा के आक्रामक तेवरों से घबराई सरकार ने तुरंत मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही फिलहाल इन हेलीकॉप्टरों की अगली खेप भी न लेने का मन बना लिया है।इटली में अगले हफ्ते चुनाव होने हैं और इससे पहले वहां भ्रष्टाचार के बड़े बड़े मामले सामने आ रहे हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व चाहता है लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा सिर काट दिये जाने की हालिया घटना ''सभ्य अंतरराष्ट्रीय व्यवहार के मानकों के खिलाफ'' और ''अस्वीकार्य'' है।
राज्यपालों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनमोहन ने कहा कि इस बात को समझने की आवश्यकता है कि भारत के पड़ोस में अस्थिरता एवं अनिश्चितता बढ़ रही है। सशस्त्र बलों एवं पुलिस की क्षमताओं को निरतंर मजबूत किया जा रहा है ताकि सभी तरह की सुरक्षा चुनौतियों से निपटा जा सके।उन्होंने कहा, ''हम अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए प्रतिबद्ध है। बहरहाल, हम अपने देश के लिए किसी चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के अपने संकल्प को लेकर भी काफी दृढ़ हैं।'' जम्मू कश्मीर में एक भारतीय सैनिक का पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा सिर कलम किये जाने की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ''पिछले माह नियंत्रण रेखा पर हुई घटना जैसे मामले स5य अंतरराष्ट्रीय व्यवहार के मामलों के खिलाफ हैं और हमें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं।'' पाकिस्तानी सैनिकों ने आठ जनवरी को नियंत्रण रेखा पार कर दो भारतीय सैनिकों को मार डाला और एक का सिर काट दिया। इसके बाद से भारत उस सैनिक के सिर को वापस करने की मांग लगातार कर रहा है।


भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है और उसके कायदे कानूनों के तहत भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी में शामिल कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है। यानी उनके उत्पाद फिर कभी नहीं खरीदे जाते। अगर भारत फिनमेकानिका का सौदा रद्द करता है, तो कंपनी भारी मुश्किल में पड़ सकती है क्योंकि ब्रिटेन, अमेरिका और दूसरे देशों ने भी रक्षा बजट में कटौती का एलान किया है।

रक्षा सौदों में घोटालों की फेहरिस्त में एक नया घोटाला जुड़ गया है। इटालियन मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, भारत सरकार के साथ हुए 4000-करोड़ रुपये के एक हेलीकॉप्टर सौदे में भ्रष्टाचार और गबन के आरोप में रक्षा मामलों से जुड़े सौदे करने वाली इटली की कंपनी फिनमेकानिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गिसेप ओरसी को गिरफ्तार किया गया है।रक्षा एवं वैमानिकी कंपनी 'फिनमेक्कानिका' के सीईओ की गिरफ्तारी के बाद इटली के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार 'कंपनी से भ्रष्ट तत्वों को दूर करने के लिए' हर संभव कदम उठाने को तैयार है। इस कड़ी में अक्टूबर 2012 में स्विट्जरलैंड पुलिस ने गुइडो राल्फ हाशके नामक 62 वर्षीय कंसल्टेंट को भी गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में उसे छोड़ दिया गया था। करीब डेढ़ साल से इटली सरकार फिनमैकेनिका के खातों को भारत के साथ हुए इस सौदे में दलाली की पड़ताल के लिए खंगाल रही है। मामले पर भारत अप्रैल और अक्टूबर में इटली से जानकारी देने का आग्रह कर चुका है। साथ ही सौदे को लेकर ब्रिटेन से भी मदद मांगी गई थी। प्रवक्ता के अनुसार इटली सरकार का कहना है कि जांच अभी न्यायिक निगरानी में है। इस कारण इटली सरकार फिनमैकेनिका कंपनी से जुड़ी जांच पर जानकारियां साझा नहीं कर सकती।

कभी बोफोर्स सौदे से भारत सरकार हिल चुकी है। आरोप लगे कि राजीव गांधी के प्रधानंमत्री रहते हुए स्विट्जरलैंड की बोफोर्स कंपनी से सौदा करने के बदले भारत के बड़े नेताओं ने भारी भरकम घूस खाई। इस मामले की एक अहम कड़ी इटली से जुड़ी है। इतालवी नागरिक ओत्तावियो क्वात्रोकी पर आरोप है कि उसने बोफोर्स सौदे की दलाली की। क्वात्रोकी भारत में वांछित है लेकिन लंबा अर्सा गुजर जाने के बाद भी कानून की पहुंच में नहीं आ पाया है।सन् १९८७ में यह बात सामने आयी थी कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। स्वीडन की रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया। इसे ही बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स काण्ड के नाम से जाना जाता हैं।आरोप था कि राजीव गांधी परिवार के नजदीकी बताये जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की ने इस मामले में बिचौलिये की भूमिका अदा की, जिसके बदले में उसे दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला। कुल चार सौ बोफोर्स तोपों की खरीद का सौदा 1.3 अरब डालर का था। आरोप है कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारत के साथ सौदे के लिए 1.42 करोड़ डालर की रिश्वत बांटी थी।काफी समय तक राजीव गांधी का नाम भी इस मामले के अभियुक्तों की सूची में शामिल रहा लेकिन उनकी मौत के बाद नाम फाइल से हटा दिया गया। सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गयी लेकिन सरकारें बदलने पर सीबीआई की जांच की दिशा भी लगातार बदलती रही। एक दौर था, जब जोगिन्दर सिंह सीबीआई चीफ थे तो एजेंसी स्वीडन से महत्वपूर्ण दस्तावेज लाने में सफल हो गयी थी। जोगिन्दर सिंह ने तब दावा किया था कि केस सुलझा लिया गया है। बस, देरी है तो क्वात्रोक्की को प्रत्यर्पण कर भारत लाकर अदालत में पेश करने की। उनके हटने के बाद सीबीआई की चाल ही बदल गयी। इस बीच कई ऐसे दांवपेंच खेले गये कि क्वात्रोक्की को राहत मिलती गयी। दिल्ली की एक अदालत ने हिंदुजा बंधुओं को रिहा किया तो सीबीआई ने लंदन की अदालत से कह दिया कि क्वात्रोक्की के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं हैं। अदालत ने क्वात्रोक्की के सील खातों को खोलने के आदेश जारी कर दिये। नतीजतन क्वात्रोक्की ने रातों-रात उन खातों से पैसा निकाल लिया।
2007 में रेड कार्नर नोटिस के बल पर ही क्वात्रोक्की को अर्जेन्टिना पुलिस ने गिरफ्तार किया। वह बीस-पच्चीस दिन तक पुलिस की हिरासत में रहा। सीबीआई ने काफी समय बाद इसका खुलासा किया। सीबीआई ने उसके प्रत्यर्पण के लिए वहां की कोर्ट में काफी देर से अर्जी दाखिल की। तकनीकी आधार पर उस अर्जी को खारिज कर दिया गया, लेकिन सीबीआई ने उसके खिलाफ वहां की ऊंची अदालत में जाना मुनासिब नहीं समझा। नतीजतन क्वात्रोक्की जमानत पर रिहा होकर अपने देश इटली चला गया। पिछले बारह साल से वह इंटरपोल के रेड कार्नर नोटिस की सूची में है। सीबीआई अगर उसका नाम इस सूची से हटाने की अपील करने जा रही है तो इसका सीधा सा मतलब यही है कि कानून मंत्रालय, अटार्नी जनरल और सीबीआई क्वात्रोक्की को बोफोर्स मामले में दलाली खाने के मामले में क्लीन चिट देने जा रही है।यह ऐसा मसला है, जिस पर 1989 में राजीव गांधी की सरकार चली गयी थी। विश्वनाथ प्रताप सिंह हीरो के तौर पर उभरे थे। यह अलग बात है कि उनकी सरकार भी बोफोर्स दलाली का सच सामने लाने में विफल रही थी। बाद में भी समय-समय पर यह मुद्दा देश में राजनीतिक तूफान लाता रहा। इस प्रकरण के सामने-आते ही जिस तरह की राजनीतिक हलचल शुरू हुई, उससे साफ है कि बोफोर्स दलाली आज भी भारत में बड़ा राजनीतिक मुद्दा है।


इसके अलावा भारत के पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह का दावा है कि स्लोवाकिया की टाट्रा कंपनी ने भारत को अपने ट्रक बेचने के लिए उन्हें करोड़ों रुपये के घूस की पेशकश की थी। सिंह के इस बयान के बाद काफी हंगामा मचा. हालांकि बाद में पूरा मामला दब गया।ओरसी के खिलाफ एक साल से भी ज्यादा से जांच चल रही है लेकिन उन्होंने कुछ गलत करने से इनकार किया है।
कंपनी ने इस घटना के बाद एक बयान जारी कर कहा है कि वह ओरसी का समर्थन करती है। इस मामले के सामने आने के बाद से ओरसी पर इस्तीफा का दबाव बढ़ रहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनके अलावा तीन और लोगों से पूछताछ की गई है।


कंपनी के सीईओ जिउसेप्पे ओरसी को भारत के साथ हुए 12 हेलीकॉप्टरों के सौदे के दौरान रिश्वत खोरी के मामले में अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार की जांच के सिलसिले में सोमवार को गिरफ्तार किया गया।बारह 'अगस्तावेस्टलैंड' वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों में से तीन पहले ही भारत पहुंच चुके हैं, जबकि भारतीय वायु सेना को शेष हेलीकॉप्टर अगले साल के मध्य तक मिल जाने थे।फिनमेकनिका की सहायक कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के प्रमुख ब्रूनो स्पैगनेलेनी को भी इटली की कोर्ट ने नजरबंद करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद यहां डिफेंस मिनिस्ट्री ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश जारी करते हुए बाकी 9 हेलिकॉप्टरों की डील स्थगित कर दी।इन वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों के लिए भारत ने फिनमेकनिका कंपनी के साथ फरवरी 2010 में डील साइन की थी। इसके तहत करीब 3600 करोड़ रुपये में 12 एडब्ल्यू-101 हेलिकॉप्टर खरीदे जा रहे हैं। तीन की डिलीवरी हो चुकी है, जिन्हें वायुसेना के संचार स्क्वॉड्रन को सौंप दिया गया है, जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य बड़ी हस्तियों को हेलिकॉप्टर के जरिए लाने-ले जाने की जिम्मेदारी संभालती है। बाकी हेलिकॉप्टर अगले साल के मध्य तक मिलने थे।

पुलिस मिलान शहर के पास ओरसी के घर और उस इकाई की तलाशी ले रही है, जहां वह काम करते थे. कानूनी सूत्रों ने बताया कि कंपनी के मिलान दफ्तरों में भी तलाशी ली गई है। इटली में फिएट के बाद फिनमेकानिका सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाली कंपनी है। इटली में पिछले दिनों का यह तीसरा बड़ा स्कैंडल है। इससे पहले कर्ज देने वाला बैंक बांका मोंटे डी पाशी और तेल कंपनी एनी भी घोटाले से घिर चुका है। फिनमेकानिका के मामले की राजनीतिक गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री मारियो मोंटी ने कहा है कि सरकार इसके प्रबंधन पर नजर रखेगी, "फिनमेकानिका को चलाने में फिलहाल समस्या आ रही है और हम इसका सामना करने को तैयार हैं।"

दूसरी तरफ भारत सरकार आए दिन भ्रष्टाचार के बादल में घिरती जा रही है। रक्षा सौदों पर भी सरकार पर कई आरोप लगे हैं।ताजा मामला सामने आने के बाद सरकार ने इसकी सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है। भारतीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कार ने बताया, "इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए गए हैं और विस्तार से जानकारी जल्द ही दी जाएगी।"

वैसे तो इस डील में कथित रिश्वतखोरी की खबरें पिछले साल इटली की मीडिया में आई थीं। एक भारतीय और एक ब्रिगेडियर का नाम भी सामने आया था। टाइम्स नाउ ने भी इसे प्रमुखता से उठाया था। लेकिन, भारत सरकार इटली सरकार से पूरी जानकारी न मिलने की बात कहकर इसे नजरअंदाज करती रही। अब इटली पुलिस की कार्रवाई के बाद यहां रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमने इटली और यूके की सरकारों से जानकारी मांगी थी, लेकिन आरोप साबित करने लायक खास डिटेल न मिलने पर सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया है।रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कार के मुताबिक इस सौदे की जांच में प्राप्त जानकारियों को लेकर बार-बार आग्रह के बावजूद इटली और ब्रिटेन सरकार की ओर से नई दिल्ली को कोई जानकारी नहीं दी गई है। लिहाजा मंत्रालय ने इसकी जांच सीबीआइ को देने का फैसला किया है। भारत ने 2010 में फिनमैकेनिका की सहयोगी अगस्ता-वेस्टलैंड [यूके] के साथ 12 हेलीकॉप्टरों की खरीद का सौदा किया था।सूत्रों के मुताबिक इस सौदे पर सीबीआइ जांच शुरू होने के बाद जब तक तस्वीर स्पष्ट नहीं होती भारत के लिए मार्च, जून और सितंबर 2013 में कुल नौ एडब्ल्यू-101 वीवीआइपी हेलीकॉप्टरों की पावती टालने के सिवा चारा नहीं है। जनवरी 2013 में रक्षा मंत्रालय तीन हेलीकॉप्टर इतालवी कंपनी से हासिल कर चुका है जो पालम वायुसेना स्टेशन पर खड़े हैं। हालांकि अभी तक किसी अतिविशिष्ट व्यक्ति ने इनका इस्तेमाल नहीं किया है। इस सौदे में गड़बड़ी साबित हुई तो इसके छींटे प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार एसपीजी और वित्त मंत्रालय पर भी आएंगे। अभी तक इस सौदे के लिए भारत में रिश्वत पाने को लेकर किसी का नाम सामने नहीं आया है। वैसे रक्षा मंत्रालय इंटेग्रिटी पैक्ट का हवाला देते हुए कह चुका है कि अगर गड़बड़ी पाई गई तो सौदा रद्द हो सकता है।

भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र का दावा है कि इस सौदेबाजी में भारतीय अफसरों को चार करोड़ रुपये तक की रिश्वत दी गई है। सौदा कोई 40 अरब रुपये का बताया जा रहा है।करार के तहत इतालवी कंपनी को इस साल के शुरू से ही हेलिकॉप्टरों की सप्लाई करनी थी। लेकिन भारत में भी अगले साल चुनाव होने हैं और सरकार पहले से ही भ्रष्टचार के मामलों से घिरी है।
ऐसे में आखिरी मिनट में सौदा रद्द भी किया जा सकता है। हेलिकॉप्टरो का सौदा दिसंबर, 2010 में हुआ था।




इस गिरफ्तारी का असर भारत में दिखा है। भारत सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस हेलीकॉप्टर सौदे में उनकी जांच से किसी भी प्रकार की आर्थिक गड़बड़ी उजागर नहीं हुई है, और प्रधानमंत्री सहित अन्य महत्वपूर्ण लोगों की यात्रा के लिए किए गए इन एक दर्जन हेलीकॉप्टरों के सौदे पर इटली में हुई इस गिरफ्तारी का कोई असर नहीं पड़ेगा। इस सौदे के तहत पहला हेलीकॉप्टर भारत में आ भी चुका है।रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की  29 अक्तूबर, 2012 को हुई बैठक में थलसेना और वायुसेना के लिए करीब एक अरब डॉलर की लागत से 197 लाइट हेलिकॉप्टरों की खरीद पर फैसला टाल दिया गया। रक्षा मंत्री ए के एंटनी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं के आला अधिकारियों ने भाग लिया, जिसमें तीनों सेनाओं के लिए छह हजार करोड़ रुपये की लागत वाले दूसरे रक्षा उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी गई।उल्लेखनीय है कि यह बैठक 197 हेलिकॉप्टरों की खरीद पर अंतिम मुहर लगाने के इरादे से ही बुलाई गई थी, लेकिन इटली की अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से हेलिकॉप्टरों की खरीद में थलसेना के एक ब्रिगेडियर द्वारा 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोपों के बाद रक्षा मंत्रालय ने खरीद के बारे में फै सला टाला है। मंत्रालय ने इस बारे में इटली की सरकार से पूरी जानकारी मांगी है। बैठक में रक्षा मंत्री ने तीनों सेना प्रमुखों से कहा कि हथियारों की खरीद के दौरान तकनीकी परीक्षण में पूरी पारदर्शिता बरतें।उल्लेखनीय है कि 197 हेलीकाप्टरों की खरीद में रूसी और यूरोपीय हेलिकॉप्टर होड़ ले रहे हैं। अगस्ता हेलिकॉप्टर को पहले ही तकनीकी आधार पर होड़ से बाहर कर दिया गया था, लेकिन यह सौदा जीतने के लिए भारी लॉबिइंग चल रही थी।

भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि वह पिछले एक साल से इतालवी कंपनी के साथ वीवीआईपी हेलीकाप्टर सौदे में वित्तीय अनियमितताओं का मुद्दा उठा रही है। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार कथित अनियमितताओं के बारे में स्पष्टीकरण दे।भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने संवाददाताओं से कहा कि वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाले के सिलसिले में इटली में कार्रवाई हुई है। कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन यहां (भारत में) कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिस देश का इस सौदे से फायदा होता, उसने तो कार्रवाई कर दी लेकिन जिस देश का नुकसान हुआ, उसने कुछ नहीं किया।इस प्रतिक्रिया के बाद सरकार ने 12 वीवीआईपी हेलीकाप्टर खरीद सौदे की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। ये हेलीकाप्टर सौदा मेसर्स फिनमेक्केनिका के साथ किया गया जो ब्रिटेन की मेसर्स आगस्ता वेस्टलैंड की इतालवी मूल कंपनी है। जावडेकर ने कहा कि सरकार को इस मसले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने राज्यसभा में भी इसे लेकर सवाल उठाया था जिस पर सरकार ने 12 दिसंबर 2012 को जवाब दिया था।अपने जवाब में रक्षा मंत्री एके एंटनी ने स्वीकार किया था कि रक्षा मंत्रालय के संज्ञान में कुछ ऐसी खबरें आई हैं, जिनमें कहा गया है कि इटली के अभियोजकों ने मेसर्स फिनमेक्केनिका के साथ हुए कथित अनैतिक सौदे की जांच शुरू की है।


मोंटी ने इतालवी टीवी चैनल से कहा, ''वर्तमान में फिनमेक्कानिका के प्रशासन में समस्याएं हैं और हम इसे ठीक करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'' फिएट के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी फिनमेक्कानिका में सरकार का 30 प्रतिशत मालिकाना हक है।

इटली की डिफेंस कंपनी फिनमेक्कनिका के सीईओ ग्युसिपे ओरसी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कई महीनों से चल रही थी। उन्होंने 2010 में हुए भारत के साथ 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर के सौदे में किसी प्रकार की धांधली से इनकार किया था। हालांकि उनकी गिरफ्तारी के बाद एक और रक्षा सौदे पर सवाल उठने लगे हैं।

फिनमेक्कनिका के सीईओ पर 350 करोड़ रुपये घूस देने के आरोप है। वहीं इटली के मजिस्ट्रेट ने अगस्तावेस्टैलंड कंपनी के चीफ ब्रुनो स्पैगनॉलनी को घरबंद करने का आदेश दिया है।

इटली की समाचार एजेंसी अंसा ने अपनी खबर में कहा, 'इतालवी रक्षा एवं वैमानिकी कंपनी 'फिनमेक्कानिका' के प्रमुख जिउसेप्पे ओरसी को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार की जांच के सिलसिले में सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर भारत सरकार को 'फिनमेक्कानिका' की अनुषंगी इकाई 'अगस्तावेस्टलैंड' द्वारा निर्मित 12 हेलीकॉप्टर बेचे जाने के संबंध में रिश्वत देने के मामले में शामिल होने का संदेह है।'

इतालवी मीडिया में सौदा हासिल करने के लिए रिश्वत देने के मामले में यूरोप में दो कथित बिचौलियों की गिरफ्तारी की खबरों के बाद 2010 में हुआ यह सौदा एक साल से अधिक समय से जांच के दायरे में है।

बारह 'अगस्तावेस्टलैंड' वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों में से तीन पहले ही भारत पहंच चुके हैं, जबकि भारतीय वायु सेना को शेष हेलीकॉप्टर अगले साल के मध्य तक मिल जाने की उम्मीद है।

सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय रोम से ब्यौरा मिलने की प्रतीक्षा कर रहा है और इसके बाद तदनुसार कार्रवाई की जाएगी। गिरफ्तारी के बाद इतालवी कंपनी ने एक बयान में कहा, 'फिनमेक्कानिका अपने अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी के प्रति समर्थन व्यक्त करती है। इसने न्यायाधीशों में पुन: अपना विश्वास व्यक्त करते हुए उम्मीद व्यक्त की कि सच्‍चाई जल्द सामने आएगी।'

रक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को ऐंग्लो इतालवी कंपनी अगस्टा वेस्टलैंड के साथ हुए करीब 3,700 करोड़ रुपये के सौदे की जांच करने का आदेश दिया है। इस सौदे के तहत भारत को इस कंपनी से उच्च सुरक्षा वाले 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने थे लेकिन आरोप है कि कंपनी ने यह ठेका हासिल करने के लिए भारतीय दलाल को रिश्वत दी है। इतालवी मीडिया में छपी खबरों के अनुसार मंत्रालय से यह ठेका हासिल करने के लिए कंपनी ने 5.1 करोड़ यूरो रिश्वत दी है।

पिछले साल इतालवी मीडिया में सबसे पहले खबर छपी थी कि इटली की जांच एजेंसियां फिनमेकैनिका के मामलों की जांच कर रही हैं और उन्होंने इसके दायरे में भारत के साथ किए गए हेलीकॉप्टर सौदे को भी शामिल कर लिया है। अगस्टा वेस्टलैंड, फिनमेकैनिका की सहायक इकाई है। इस बारे में रक्षा मंत्रालय तब से यही कहता रहा है कि उसने रोम से जानकारी तलब की है। लेकिन आज इटली में फिनमेकैनिका के मुख्य कार्याधिकारी जूजेपे ओर्सी और दो इतालवी दलालों की गिरफ्तारी के बाद रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने सीबीआई को मामले की जांच के आदेश दे दिए।

मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, 'विदेश मंत्रालय के जरिये रक्षा मंत्रालय ने इटली और ब्रिटेन की सरकार से इस बारे में जानकारी मांगी है। हालांकि अभी तक इन आरोपों को सही साबित करने के लिए कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है। दोनों सरकारों से पुख्ता जानकारी नहीं मिलने के कारण रक्षा मंत्रालय ने मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया है।'
फरवरी 2010 में प्रधानमंत्री समेत देश के शीर्ष नेताओं के लिए 12 हेलीकॉप्टर खरीदने का करार किया गया था। बेहद भरोसेमंद इस हेलीकॉप्टर में तीन इंजन है और यह आधुनिक उपकरणों से लैस हैं, जो खतरे को भांपकर उसे समाप्त करने में सक्षम है।
भारतीय वायु सेना को पहले तीन अगस्टा वेस्टलैंड एडब्ल्यू-101 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति की जा चुकी है। अगर इस सौदे में कंपनी द्वारा रिश्वत देने या दलाल इस्तेमाल करने की बात सामने आती है तो 'ईमानदारी के अनुच्छेद' के तहत भारत कंपनी पर जुर्माना लगा सकता है।

भारतीय वायु सेना ने 2000 की शुरुआत में वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की जरूरत बताई थी, जिसके मानक वायु सेना ने तय किए थे। वरिष्ठï वायु सेना सूत्रों के अनुसार नई निविदा में अमेरिका का सिकोरस्काई और अगस्टा वेस्टलैंड के उत्पाद ही मानकों पर खरे उतरते थे। हालांकि तकनीकी परीक्षण के दौरान वायु सेना ने सिकोरस्काई के हेलीकॉप्टर खारिज कर दिए गए थे।

सरकार की चुप्पी पर सवाल
इटली की पुलिस ने इस डील में रिश्वतखोरी की पिछले साल अप्रैल में जांच शुरू कर दी थी। उसके बाद वहां मीडिया में इस सौदे में दलाली की खबरें आई थीं। लेकिन, उस समय रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी समेत अन्य अधिकारियों ने यह कहकर टालने की कोशिश की थी कि इटली सरकार से जानकारी मांगी गई है।

प्रभावशाली हस्ती का दबाव?
इस दलाली के कई तार उस वक्त भारत में जुड़े नजर आए थे, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने फिनमेकनिका कंपनी के भारतीय संपर्कों से जानकारी लेने की जरूरत नहीं समझी। आरोप है कि इस सौदे में भारत की एक प्रभावशाली हस्ती के जुड़े होने की आशंका के कारण सरकार ने देश में जांच शुरू नहीं करवाई। सरकार का कहना था कि इटली सरकार से डिटेल मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

ब्रिगेडियर से पूछताछ नहीं
इटली की अदालत में इस केस की सुनवाई के दौरान एक भारतीय संजीव कुमार त्यागी के कथित तौर पर जुड़े होने का आरोप लगा था। थलसेना के एक ब्रिगेडियर का नाम भी सामने आया था। लेकिन, रक्षा सूत्र बताते हैं कि इनके नाम इटली की मीडिया में आने के बावजूद भारत सरकार ने अब तक इन लोगों से पूछताछ की जरूरत नहीं समझी।

प्रणव ने कर दिए थे रिजेक्ट
इन हेलिकॉप्टरों को खरीदने के लिए इनमें मौजूद वीवीआईपी सुविधाओं और बेहतर सिक्युरिटी फीचर्स का हवाला दिया गया था, लेकिन तब प्रणव मुखर्जी की अगुवाई वाले वित्त मंत्रालय ने इसे महंगा सौदा बताकर नामंजूर कर दिया था। बाद में, रक्षा मंत्रालय, एसपीजी और अन्य विभागों में हेलिकॉप्टरों की सख्त जरूरत की बात कहकर डील की गई।

तकनीकी जरूरतें बदली गईं
सूत्रों के मुताबिक, फिनमेकनिका के एक एजेंट ने इटली की कोर्ट में आरोप लगाए थे कि कंपनी से डील करने के लिए भारतीय वायुसेना ने हेलिकॉप्टर की तकनीकी जरूरतें तक बदल दी थीं। एजेंट का कहना था कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अगस्ता वेस्टलैंड के हेलिकॉप्टर टेंडर की शर्तों के अनुरूप नहीं थे।

इटली में भारतीय राजदूत ने इटली के अधिकारियों से इस सिलसिले में जानकारी मांगी थी लेकिन उनका कहना था कि इस पर इटली की कोर्ट में सुनवाई चल रही है, इसलिए वे इसकी डिटेल कोर्ट के बाहर नहीं दे सकते।

रक्षा बजट में करोड़ों की कटौती से मुश्किल
Jan 7, 2013
रक्षा बजट में 10 हजार करोड़ रुपये की कटौती का असर सेनाओं के आधुनिकीकरण की योजनाओं पर पड़ेगा। वित्त मंत्रालय के इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन. ए. के. ब्राउन ने कहा कि वह सरकार के सामने यह मसला उठाएंगे।

जोधपुर के पास फालोदी वायुसैनिक अड्डे पर नए हेलिकॉप्टर बेड़े का उद्घाटन करने के बाद वायुसेना प्रमुख ने कहा कि वायुसेना का आधुनिकीकरण कार्यक्रम तेजी से चल रहा है। यह सरकार की ओर से उदार वित्तीय प्रावधान की वजह से हो सका है। लेकिन रक्षा बजट में ताजा कटौती का असर वायुसेना की तैयारी पर पड़ेगा। इस मसले का हल निकालने के लिए वह सरकार से बात करेंगे।

पिछले साल रक्षा बजट 1.93 लाख करोड़ रुपये था। वित्त मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय को इसमें से पांच फीसदी राशि काट लेने के फैसले के बारे में बताया है। अब वायुसेना के लिए 126 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला अगले वित्तीय वर्ष के लिए टल जाने की आशंका है। ब्राउन ने कहा कि 2022 तक वायुसेना का आधुनिकीकरण पूरा हो जाने की उम्मीद है। फालोदी में मीडियम लिफ्ट एमआई-17-वी5 के पांचवें बेड़े का वायुसेना प्रमुख ने उद्घाटन किया। इस हेलिकॉप्टर के छठे बेड़े की तैनाती पूर्व वायुसैनिक कमांड में असम के हाशीमारा वायुसैनिक अड्डे पर होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे 59 और हेलिकॉप्टरों को शामिल करने का ऑर्डर दिया गया है।

अपाचे हेलिकॉप्टर्स से ऑपरेशनल प्लानिंग में मदद: ब्राउन
वायुसेना प्रमुख एन ए के ब्राउन ने कहा कि अपाचे जैसे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों के आने से सेना को ऑपरेशनल प्लानिंग में मदद मिलेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र में चीन की सीमा के पास सेना एक नयी हमलावर कोर तैयार कर रही है।

ब्राउन ने कहा, 'भारतीय वायुसेना में जो कुछ भी शामिल हो रहा है उससे सेना की ऑपरेशनल प्लानिंग को पूरी तरह मदद मिलेगी। अपाचे की तरह सभी हमलावर हेलिकॉप्टर सेना की योजनाओं को पूरी मदद देंगे।'

इस संबंध में पहले थलसेना ने प्रस्ताव भेजा था लेकिन सरकार ने इसे लौटा दिया था। सरकार ने तीनों सेनाओं से कहा था कि वे क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को मजबूत करने की योजनाओं के लिए मिलकर काम करें। ब्राउन ने कहा कि दिसंबर में संशोधित योजना रक्षा मंत्रालय को भेजी गई है।

भारतीय वायु सेना सूत्रों ने बताया कि वायुसेना अपने अतिरिक्त सी 130 परिवहन विमान और आसमान में ईंधन भरने वाले छह नये टैंकर विमानों सहित बेड़े में नये शामिल होने वाले विमानों को पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में नयी कोर के प्रस्तावित मुख्यालय में तैनात करने की योजना बना रहा है ताकि इस क्षेत्र में देश की रक्षा क्षमताओं में इजाफा किया जा सके।

वायुसेना की इस क्षेत्र में अमेरिका से हासिल किए जाने वाले 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों के बेड़े में आने से कुछ को तैनात करने की भी योजना है।

अब दिखेगी सुपर सुखोई की ताकत

वायुसेना के सबसे खतरनाक सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को सुपर सुखोई में बदलने का फैसला जल्द किया जाएगा। एयरो इंडिया रक्षा प्रदर्शनी में शामिल होने आए रूस के इरकुत कॉरपोरेशन के वाइस प्रेजिडेंट वोरोविच विताली ने बताया कि इसके तकनीकी पहलुओं को भारतीय वायुसेना अंतिम रूप दे रही है।

जल्द शुरू होगा काम : वोरोविच ने वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन. ए. के. ब्राउन से इस मुद्दे पर बात की। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही इस पर काम शुरू किया जाएगा। वोरोविच ने कहा कि सुपर सुखोई में न सिर्फ पहले से अधिक हथियार तैनात किए जा सकेंगे बल्कि इसमें नवीनतम किस्म के एयिवानिक्स भी लगाए जाएंगे।

सुखोई की ताकत बढे़गी : सुपर सुखोई विमान में न केवल भारत और रूस द्वारा साझा तौर पर बनाई गई ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल लगाई जाएगी बल्कि इसमें दुनिया के सबसे अत्याधुनिक आएसा रेडार भी लगाए जाएंगे। इस तरह यह विमान करीब पांचवीं पीढ़ी की क्षमता वाला विमान बन जाएगा। वोरोविच ने बताया कि आसमान से छोड़ी जाने वाली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के परीक्षण भारत में जल्द शुरू होंगे। ब्रह्मोस को विमान के पेट से लटकाया जाएगा जिसके लिए जरूरी उपकरण जोड़ने का काम हो चुका है। सुखोई विमान में लगा रेडार दुश्मन के इलाके में 300 किलोमीटर भीतर देखने की क्षमता रखता है। इससे निशाना हासिल कर ब्रह्मोस मिसाइल दुश्मन के इलाके में करीब 290 किलोमीटर भीतर तक सटीक मार कर सकेगी। यह विमान अपने सीमांत इलाके में उड़ान भरने के दौरान ही दुश्मन के ठिकानों को काफी भीतर तक नष्ट करने की क्षमता हासिल करेगा जिससे वायुसेना दुश्मन पर सामरिक श्रेष्ठता हासिल कर सकेगी।

लागत कितनी आएगी : सुखोई को सुपर सुखोई में बदलने की लागत क्या होगी, इस पर फैसला सभी अतिरिक्त प्रणालियों के चयन के बाद ही लिया जा सकेगा। लेकिन सूत्रों का कहना है कि हर सुखोई को सुपर सुखोई में बदलने में करीब दो करोड़ डॉलर (करीब सौ करोड़ रुपये) की लागत आ सकती है।

संख्या पर फैसला नहीं : वोरोविच ने बताया कि वायुसेना के बेड़े में कुल 270 सुखोई-30 एमकेआई विमान शामिल होने हैं जिनमें से करीब 150 शामिल हो चुके हैं। इसमें से कितने विमानों को सुपर सुखोई में बदला जाएगा, वायुसेना ने अभी तक इस बारे में फैसला नहीं किया है। हालांकि, यह काम विभिन्न चरणों में पूरा करने की योजना है।

मिग-29 भी बनेंगे खास : वायुसेना सुखोई के अलावा अपने बेड़े में मौजूद 60 मिग-29 विमानों को करीब 90 करोड़ डॉलर की लागत से आधुनिक बनवा रही है। ऐसा होने से इन विमानों की मारक क्षमता पहले से अधिक होगी और इनकी उम्र भी करीब 15 साल तक बढ़ जाएगी। रूसी मिग-आरएसी कंपनी के महानिदेशक मिखाइल टी. ग्लोबेन्को ने बताया कि भारतीय वायुसेना के पास मौजूदा मिग-29 विमान आसमान में श्रेष्ठता हासिल करने वाले विमान हैं, लेकिन नए स्वरूप में ये कई तरह के काम करने वाले वर्ग के विमान बन जाएंगे। ग्लोबेन्को के मुताबिक रूस ने किसी दूसरे देश के लिए इस तरह का प्रॉजेक्ट पहले कभी नहीं लिया है।

बोफोर्स तोप सौदे में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का कोई हाथ नहीं था। इस बात का खुलासा स्वीडन के पूर्व पुलिस चीफ स्टेन लिंडस्ट्रॉर्म ने किया है। बोफोर्स घोटाले का पर्दाफाश करने वाले व्हिसल ब्लोअर का कहना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इस सौदे में रिश्वत लेने के सबूत नहीं हैं।

स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख और इस मामले की जांच से जुड़े रहे स्टेन लिंडस्ट्रोम ने यह कहकर कांग्रेस को राहत दी है कि पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी के खिलाफ रिश्वत लेने के साक्ष्य नहीं हैं। लेकिन यह कहकर उन्होंने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं कि राजीव ने इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की को बचाने की कोशिशों पर रोक नहीं लगाई और मामले की लीपापोती को लेकर किए जा रहे प्रयासों को लेकर मूकदर्शक बने रहे। वहीं,  लिंडस्ट्रोम के खुलासे से बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन को भी राहत मिली है। एक वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में लिंडस्ट्रोम ने यह भी कहा है कि अमिताभ का नाम इसमें भारतीय जांच अधिकारियों ने घसीटा।

इस घोटाले के 25 साल बाद इस व्यक्ति ने अपनी पहचान जाहिर की है। यह शख्स हैं स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रोम। स्टेन ने एक भारतीय पत्रकार चित्रा सुब्रह्मण्यम के साथ बातचीत में यह खुलासा किया है। स्टेन के मुताबिक उन्होंने ही इस घूसकांड के 350 से ज्यादा डॉक्यूमेंट भारतीय पत्रकारों को दिए थे और इसी से बोफोर्स डील में दलाली का खुलासा हुआ था।  उधर, मामले के 25 साल बाद लिंडस्ट्रोम के इस खुलासे पर विपक्ष को कांग्रेस के खिलाफ एक और मुद्दा मिल गया है। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से इस मुद्दे पर संसद में स्पष्टीकरण मांगा है।
लिंडस्ट्रोम ने ही 1980 के दशक के आखिरी वर्षो में बोफोर्स तोप सौदे में दलाली का खुलासा किया था। तब 64 करोड़ रुपये के इस घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सहित कई अन्य पर बोफोर्स एबी कम्पनी से रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। यह मुद्दा सुर्खियों में रहा था। इसे नवम्बर 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण माना जाता है।
'द हूट' को दिए साक्षात्कार में लिंडस्ट्रोम ने कहा कि इस बात के साक्ष्य नहीं हैं कि 1,500 करोड़ रुपये के सौदे में राजीव ने रिश्वत ली। लेकिन वह मामले की लीपापोती चुपचाप देखते रहे और उन्होंने कुछ नहीं किया। बहुत से भारतीय संस्थानों का बचाव किया गया, निर्दोष लोगों को सजा दी गई, जबकि दोषियों को जाने दिया गया। लिंडस्ट्रोम ने कहा कि क्वात्रोक्की के खिलाफ पुख्ता सबूत थे। फिर भी स्वीडन या स्विट्जरलैंड में किसी को उनसे पूछताछ की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने यह भी कहा कि मामले में अमिताभ का नाम स्वीडन पहुंचे भारतीय जांच अधिकारियों ने जबरन घसीटा। उनका दावा है कि जांचकर्ताओं ने पहले उनसे इस मामले में अमिताभ का नाम जोड़ने को कहा था। उनके इससे इंकार करने पर उन्होंने स्वीडन के समाचार पत्र 'दागेन्स नाइहीटर' के साथ यह उठाया। अमिताभ ने इस खुलासे पर खुशी जताई, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इन वर्षों में वह जिस पीड़ा से गुजरे उसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। अमिताभ ने लिखा, इस घटना ने बरसों तक मुझे बेहद पीड़ा दी।

उधर, विपक्ष इस खुलासे को लेकर हमलावर हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने लिंडस्ट्रोम के खुलासों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। स्वीडन के पुलिस प्रमुख स्टेन लिंदस्ट्रॉम की ओर से बोफोर्स के बारे में की गई ताजा टिप्पणियों से नया सियासी तूफान खड़ा हो गया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ओत्तावियो क्वात्रोची को बचाया था, जबकि कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर देश को गुमराह किया है। भाजपा संसदीय दल ने फैसला किया है कि बोफोर्स दलाली मामले को संसद में उठाया जाएगा क्योंकि पुलिस प्रमुख की ओर से नया खुलासा हुआ है कि राजीव गांधी ने क्वात्रोची को बचाया था।

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दिवंगत राजीव गांधी की पूरी सरकार क्वात्रोक्की को बचाने में जुटी हुई थी। सरकार और गांधी परिवार से आखिर क्वात्रोक्की का क्या रिश्ता था, जो पूरी सरकार उसे बचाने में जुटी हुई थी, यह एक गंभीर मामला है। इससे सहमति जताते हुए भाकपा नेता डी. राजा ने कहा कि सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इस खुलासे को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उन्हें इस पर जवाब देना होगा कि क्वात्रोक्की को कैसे भारत से निकलने का सुरक्षित रास्ता दिया गया।

गौर हो कि राजीव गांधी सरकार ने 1986 में स्वीडन की बोफोर्स एबी कंपनी से 400 तोपों का 1437 करोड़ रुपये में सौदा किया था। सौदे के साल भर बाद ही 1987 में अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' की पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम ने खुलासा किया कि इस सौदे में दलाली का खेल हुआ और इस खेल का सूत्रधार हथियारों का दलाल ओत्तावियो क्वात्रोकी था।





No comments:

Post a Comment