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Thursday, September 13, 2012

योजना आयोग नौ प्रतिशत विकास दर का राग​ ​ अलाप रहा है डीजल और रसोई गैस में जनता को शिक कबाब बनाते हुए!

योजना आयोग नौ प्रतिशत विकास दर का राग​ ​ अलाप रहा है डीजल और रसोई गैस में जनता को शिक कबाब बनाते हुए!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए फिर आम आदमी की गरदन रेंती जा रही है।पेट्रोलियम मंत्रालय ने डीजल के दामों में भारी बढ़ोतरी की है। सरकार ने डीजल के दाम 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए हैं। बढ़े दाम आज आधी रात से लागू होंगे। इतना ही नहीं रसोई गैस पर कोटा सिस्टम भी लगा दिया गया है। आर्थिक सुधारों का अश्वमेध संसदीय मानसून सत्र ​​की बलि के बाद अब असली रंग में है। चुनावी राजनीति और राजनीतिक बाध्यताओं के बावजूद. घोटालों से घिरी सरकार कारपोरेट रिमोट से एक के बाद एक जनविरोधी कार्रवाई को अंजाम देकर जनसंहार की संस्कृति के नये नये आयाम खोलने में लगी है। युवराज की तोजपोशी खतरे में​​ पड़ गयी है और मनमोहिनी माया के बादल छंटने लगे हैं। शेयर बाजार के सांड़ के आक्रामक तेवर ही बताता है कि मुक्त अर्थ व्यवस्था के ​​क्या इंद्रधनुषी रंग हो सकते हैं सर्वव्यापी सर्वनाश के। अरब वसंत की उलटमार का असर अफ्रीका और मध्यपूर्व में पड़ने लगी है। आयातित अमेरिकी लोकतंत्र धार्मिक उग्र राष्ट्रवाद को बढ़ावा देकर स्थापित किया जा सकता है। तालिबान और अल कायदा के पड़ावों से होकर कारपोरेट ​​साम्राज्यवाद अब इस्लामी ब्रदरहुड की शरण में है। तेल कारोबारी जार्ज बुश ने जो तेल युद्ध शुरू किया, उसकी बलि चढ़ गया यूरोप का नक्शा और सोवियत संघ। चीन और भारत के एशियाई बाजार अमेरिका के लिए खुल गये। मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व, दक्षिण एशिया एक मुश्त इस्लामी ​​और हिंदू राष्ट्रवाद के कब्जे में है और राष्ट्र इजराइली यहूदी राष्ट्रवाद के यहां बरास्ते अमेरिकी मुक्त बाजार प्रणाली गिरवी है। अमेरिका आतंक विरोधी युद्ध में लहूलुहान है और हम उलीके नक्शेकदम पर अपने देश में खून की होली का आनंद उठा रहे हैं। इसी रणनय के तहत विकास गाथा लिखी​​ जा रही है। औद्योगिक विकास दर शून्य और कृषि विकास दर तीन फीसद से कम पर योजना आयोग नौ प्रतिशत विकास दर का राग​ ​ अलाप रहा है डीजल और रसोई गैस में जनता को शिक कबाब बनाते हुए।कांग्रेस के नरम हिंदुत्व के विकल्प बतौर देश कारपोरेट रणनीति के तहत उग्र हिंदुत्ववाद का विकल्प चुनने के लिए मजबूर हो रहा है तो दूसरी ओर दूसरे चरण के सुधार लागू किये जा रहे हैं संसद और संविधान की हत्या करते हुए।राजनीति दिखावे के लिए विरोध की रस्म जरूर निबाह रही है, पर आम आदमी के इस चौतरफा विपर्यय में बच निकलने के सारे रास्ते​ ​ अब बंद है। नदियां और समुद्र जल सत्याग्रह में निष्णात भी हो जायें, इस नियति से बचना मुश्किल है।अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के दृष्टि से एक साहसिक निर्णय करते हुए सरकार ने गुरुवार को डीजल के दामों में 5 रुपये प्रति लीटर की बड़ी वृद्धि की और रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी को प्रति परिवार प्रति वर्ष छह सिलेंडर तक सीमित कर दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (सीसीपीए) की बैठक में पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क में 5.30 पैसे की कमी करने का भी फैसला किया गया।सरकार नकदी संकट से जूझ रही विमानन कंपनियों में विदेशी विमानन कंपनियों को 49 फीसद तक हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति देने के संबंध में शुक्रवार को फैसला कर सकती है। सूत्र बता रहे हैं कि सरकार ने इस बारे में अनुमति देने का मन बना लिया है।

जिस अमेरिका के नक्शकदम पर चलतकर सेवाओं को कृषि और उद्योगों के मुकाबले तरजीह दी जा रही है, वहां आम आदमी और मध्यवर्ग का हाल बेहाल है।अमेरिका में पिछले साल करीब चार करोड़ 46 लाख लोग गरीबी में जीवन बिताने के लिए विवश रहे जो वहां की आबादी का 15 प्रतिशत है। यह घोषणा बुधवार को अमेरिका के जनगणना ब्यूरो ने की। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक गरीबी की यह दर उससे पिछले साल के मुकाबले सांख्यिकीय तौर पर अलग नहीं थी। जनगणना के मुताबिक साल 2011 के मध्य में परिवारों की आय 50054 डॉलर थी, जो 2010 के मध्य के मुकाबले 1.5 प्रतिशत कम था।साथ ही यह लगातार दूसरी वार्षिक गिरावट थी।अमेरिका में स्वास्थ्य बीमे के दायरे में न आने वाले लोगों की संख्या साल 2010 में जहां पांच करोड़ थी वहीं 2011 में घटकर यह 4.86 करोड़ हो गई। यानी साल 2010 के 16.3 पर्सेंट के मुकाबले 2011 में घटकर 15.7 पर्सेंट हो गई थी।'न्यू अमेरिका फाउंडेशन' में असेट बिल्डिंग प्रोग्राम के निदेशक रीड क्रैमर का कहना है कि मंदी के बाद गरीबी की दर में आई तेजी समाप्त होने के बावजूद गरीबी ऐतिहासिक और अवांछित स्तर पर पहुंच गई है।उन्होंने कहा कि नया आंकड़ा यह संकेत दे रहा है कि कैसी व्यापक आर्थिक कठिनाई पैदा हो गई है। इसने व्यवहार्य और मजबूत सामाजिक सुरक्षा को बनाए रखने के महत्व को भी रेखांकित किया है।

विनिर्माण, खनन और पूंजीगत उत्पाद क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जुलाई में 0.1 फीसदी दर्ज हुई जिससे आर्थिक गतिविधि में नरमी के संकेत मिलते हैं। महंगाई, भ्रष्टाचार और अमन-चैन कायम रखने में नाकाम सरकार के प्रधानमंत्री ने एक बार फिर मीडिया को संयमित रहने की नसीहत दी है। चौतरफा आलोचनाओं में घिरे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मीडिया से सनसनीखेज रिपोर्टिग से बचने को कहा है। खासतौर से उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द के मुद्दे पर पत्रकारों से ज्यादा संवेदनशीलता की अपेक्षा की है।दूसरी ओर, 12वीं पंचवर्षीय योजना [2012-17] के मसौदा दस्तावेज में भी आयोग ने चेताया है कि नीतिगत फैसलों में सुस्ती की वजह से विकास दर पांच फीसद पर सिमट सकती है। 12वीं योजना में आयोग ने विकास की दर 8.2 फीसद रखने का लक्ष्य रखा है। आयोग ने पहले 12वीं योजना में नौ फीसद विकास दर के लक्ष्य का प्रस्ताव रखा था मगर ग्लोबल और घरेलू संकट को देखते हुए इसमें कटौती कर दी गई।विदेशों में आर्थिक नरमी के चलते अगस्त में देश का निर्यात 9.7 प्रतिशत घटकर 22.3 अरब डॉलर पर आ गया। यह लगातार चौथा महीना है जब निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। घरेलू अर्थव्यवस्था में नरमी के अलावा अगस्त, 2012 में आयात भी 5.08 प्रतिशत घटकर 38 अरब डॉलर पर आ गया जो अगस्त, 2011 में 40 अरब डॉलर था। इससे देश का व्यापार घाटा 15.7 अरब डॉलर रहा। हालांकि, वाणिज्य सचिव एसआर राव ने कहा कि अगस्त में गिरावट इससे पिछले महीने की तुलना में कम है।

कोयला मंत्रालय ने आईएमजी की सिफारिशों को मंजूर कर लिया है। कोयला मंत्रालय ने मोनेट इस्पात समेत 4 कंपनियों को आवंटित 4 कोल ब्लॉक्स रद्द कर दिए हैं।कोयला मंत्रालय ने डोमको स्मोकलेस फ्यूल्स के कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द करने का फैसला किया है। वहीं कैस्ट्रॉन एंड फील्ड माइनिंग को आवंटित ब्लॉक भी रद्द कर दिया है। मेसर्स फील्ड माइनिंग को आवंटित कोयला ब्लॉक भी रद्द किया गया है। साल 2005 में ये कोल ब्लॉक आवंटित हुए थे।

इसी बीच तमाम उपायों के बावजूद औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार नहीं बढ़ती देख केंद्र अब राज्यों की मदद चाहता है। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में विकास की गति बढ़ाने के लिए केंद्र ने राज्यों से लैंड बैंक तैयार करने को कहा है। इससे राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग जोन स्थापित करने में देरी से बचा जा सकेगा। केंद्र भी इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने वाली नीतियों की जल्द घोषणा कर सकती है।मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की घटती रफ्तार ने सरकार को औद्योगिक क्षेत्र के विकास पर पूरा जोर दे रही है। इसीलिए राज्य के मुख्य सचिवों और उद्योग सचिवों की बैठक बुलाकर अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र की अहमियत बताई गई। राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग प्रतिस्पद्र्धा परिषद [एनएमसीसी] की इस बैठक का उद्घाटन वाणिज्य, उद्योग व कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने किया। इसमें परिषद के चेयरमैन वी कृष्णमूर्ति, योजना आयोग के सदस्य अरुण मायरा और उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

ग्लोबल अनिश्चितता और घरेलू सुस्ती को देखते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी अब मानने लगे हैं कि चालू वित्त वर्ष में विकास की दर पांच फीसद के आसपास रहेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2012-13 की दूसरी छमाही में हालात सुधरेंगे। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि विकास दर इससे नीचे नहीं जाएगी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में मोंटेक ने यह बात कही। संकट में घिरी भारतीय अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने तगड़ा झटका देते हुए चेतावनी दी है कि यदि भारत आर्थिक सुधार नहीं करता और अपनी आर्थिक विकास दर बेहतर नहीं करता तो वह पूंजी निवेश से संबंधी इनवेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग को गंवा सकता है। गौरतलब है कि अप्रैल में स्टैडर्ड एंड पूअर्स ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को सामान्य से घटाकर निगेटिव कर दिया था। एजेंसी ने वर्ष 2007 में भारत की क्रेडिट रेटिंग बढ़ाकर इसे इनवेस्टमेंट ग्रेड में डाला था जिससे भारत के बांड और कर्ज में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ा था।

मोंटेक ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के कई कदम उठा रही है। उम्मीद है कि इससे अर्थव्यवस्था की चुनौतियां कम होंगी।

शनिवार को पूर्ण योजना आयोग की बैठक होने वाली है। इसमें 12वीं योजना को मंजूरी दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि विकास दर के इस लक्ष्य को पाने के लिए सरकार को अहम फैसले लेने होंगे और आर्थिक सुधारों को रफ्तार देनी होगी। इसके अभाव में 8.2 फीसद के लक्ष्य को भी पाना मुश्किल होगा। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही [अप्रैल-जून] में देश की विकास दर 5.5 फीसद रही है। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के आठ फीसद के मुकाबले काफी कम है।

उधर, आर्थिक थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी [सीएमआइई] ने अपने विकास दर अनुमान को घटाकर 6.3 फीसद कर दिया है। पहले इसने चालू वित्त वर्ष के लिए 6.7 फीसद विकास का अनुमान लगाया था। मैन्यूफैक्चिरिंग और सेवा क्षेत्र में कमजोरी को देखते हुए संगठन ने अनुमान में यह कटौती की है।

उद्योग मंडल सीआईआई ने डीजल की कीमतें बढ़ाने के सरकार के निर्णय का यह कहते हुए स्वागत किया कि डीजल मूल्यवृद्धि आवश्यक थी।सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, 'डीजल की कीमतें बढ़ाने और एलपीजी (छह सिलेंडरों तक सीमित करने) पर सरकार का निर्णय आवश्यक था। सीआईआई इस तरह के निर्णय की आर्थिक मजबूरी समझता है।'उन्होंने कहा कि ईंधन सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने राजकोषीय स्थिति मजबूत करने के लिहाज से आवश्यक है और इसलिए सीआईआई इस साहसिक निर्णय के लिए सरकार को बधाई देता है।

अमेरिका में राहत पैकेज और पेट्रोल-डीजल की कीमत पर फैसला होने से पहले बाजार छोटे दायरे में दिखे। हालांकि, सेंसेक्स 18000 के ऊपर बंद होने में कामयाब रहा। कारोबार के दौरान निफ्टी 5400 के ऊपर बना रहा।

सेंसेक्स 21 अंक चढ़कर 18021 और निफ्टी 2 अंक चढ़कर 5433 पर बंद हुए। दिग्गजों के मुकाबले छोटे और मझौले शेयरों में ज्यादा बिकवाली नजर आई। निफ्टी मिडकैप 1 फीसदी से ज्यादा टूटा। बीएसई स्मॉलकैप में 0.3 फीसदी कमजोरी आई।

एफएमसीजी, आईटी, पीएसयू, कैपिटल गुड्स शेयरों में 0.7-0.3 फीसदी की तेजी आई। ऑयल एंड गैस, तकनीकी, बैंक शेयर में हल्की मजबूती रही।

हेल्थकेयर शेयर 1.25 फीसदी टूटे। रियल्टी, ऑटो, मेटल, पावर, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, पावर शेयर 0.8-0.2 फीसदी गिरे। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शेयरों में सुस्ती रही।

सरकार ने डीजल कीमतों में वृद्धि तथा रसोई गैस प्रति परिवार साल में छह सीमित करने का आज महत्वपूर्ण फैसला किया। मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति के फैसले की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:

-डीजल का दाम 5 रुपए प्रति लीटर बढ़ाया गया।
-इस मूल्यवृद्धि में मूल्य वर्धित कर (वैट) शामिल नहीं।
-प्रति परिवार प्रति वर्ष सब्सिडीयुक्त एलपीजी सिलेंडर सिर्फ छह।
-प्रति परिवार एलपीजी की सीमा तय होने से चालू वित्त वर्ष में तेल कंपनियों की कमाई में संभावित नुकसान में 5,300 करोड़ रुपए की कमी होगी।
-डीजल की कीमत में वृद्धि से तेल कंपनियों की संभावित राजस्व में नुकसान करीब 15,000 करोड़ रुपए कम होगा।
-पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क मौजूदा 14.78 में 5.50 रुपए प्रति लीटर की कटौती। इससे तेल कंपनियों को राहत मिलेगी।
-केरोसीन के मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं।
-इन उपायों से सरकारी तेल कंपनियों को 20,300 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त होगी और उनकी संभावित कमाई का नुकसान चालू वित्त वर्ष में 1.87 लाख करोड़ रुपए से घटकर 1.67 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान।

लंबी ऊहापोह और कई बार हाथ खींचने के बाद आज आखिरकार केंद्र सरकार ने डीजल की कीमत बढ़ा ही दी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय समिति ने देर शाम डीजल की कीमत 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने को हरी झंडी दे दी।

प्रधानमंत्री आवास पर हुई इस बैठक में हुए फैसलों पर चुनावी जोड़-तोड़ का असर भी दिखा क्योंकि केरोसिन और रसोई गैस की कीमत के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई। अलबत्ता रसोई गैस के सिलिंडरों की सीमा जरूर तय कर दी गई। इसके मुताबिक अब किसी भी उपभोक्ता को रियायती दर पर साल भर में केवल 6 रसोई गैस सिलिंडर मिलेंगे। इसके बाद उसे बाजार मूल्य के मुताबिक भुगतान कर सिलिंडर लेना होगा। सरकार ने पेट्रोल उपभोक्ताओं को राहत दी है। पेट्रोल की कीमत 6 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए जाने का प्रस्ताव था लेकिन सरकार ने उस पर उत्पाद शुल्क 5.50 रुपये प्रति लीटर घटाकर मूल्य वृद्घि की गुंजाइश खत्म कर दी।

इससे पहले दिन में वित्त मंत्रालय ने रसोई गैस की कीमत में 100 रुपये प्रति सिलिंडर इजाफा करने का प्रस्ताव रखा था। डीजल की कीमत में भी 4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की बात कही जा रही थी। डीजल की कीमत बढ़ाने के कठिन फैसले के संकेत सरकार पहले से दे रही थी। इस बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के प्रमुख घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि इस फैसले से वह नाखुश है। प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्र्टी ने सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की।
इस बढ़ोतरी से पहले सरकारी तेल विपणन कंपनियों को डीजल की बिक्री पर 19 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा था। इसी तरह केरोसिन की बिक्री पर तकरीबन 32.7 रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस पर 347 रुपये प्रति सिलिंडर का घाटा इन कंपनियों को सब्सिडी के कारण  उठाना पड़ रहा है।

केन्द्र में सत्तारुढ़ गठबंधन के घटक दल और विपक्ष ने गुरुवार रात डीजल मूल्यवृद्धि के लिए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इससे आम आदमी पर बोझ और बढ़ जाएगा तथा इसे फौरन वापस लेने की मांग की। संप्रग के दूसरे सबसे बड़े घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि पार्टी इससे नाखुश है और वह इसे वापस लेने की मांग करती है।
तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, 'हम अप्रसन्न हैं। हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे और हम इसे वापस लेने की मांग करते हैं।' एक अन्य तृणमूल नेता एवं रेल मंत्री मुकुल रॉय ने कहा, 'इस बारे में हमारे साथ विचार विमर्श नहीं किया गया।'

भाजपा के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, 'यह देश के आम आदमी के साथ क्रूर मजाक है। इससे धान बुवाई के मौसम में किसानों पर बुरी मार पड़ेगी। हम इस मूल्यवृद्धि को स्वीकार नहीं करेंगे। हम सरकार को इस तरह आम आदमी को लूटने की इजाजत नहीं दे सकते।'

भाजपा नेता यशवन्त सिन्हा ने कहा कि डीजल मूल्य बढ़ने से पूरी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। कीमतें पहले से ही काबू में नहीं है। इसके कारण मुद्रास्फीति बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में दुश्वारियां पैदा हो जाएंगी। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा ने इस निर्णय को पीछे ले जाने वाला और जन विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे जो पहले से काफी उंचे हैं। इससे आम आदमी की मुश्किलें और बढ़ेंगी। सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा ''यह एजेंडे में सूचीबद्ध है।'' आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) कल इस मामले पर चर्चा कर सकती है।

सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय और नागर विमानन मंत्रालय ने विमानन क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़े दिशा-निर्देश में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कुछ अन्य मंत्रालयों की इस पर मंजूरी मिलनी बाकी है। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने इस संबंध में मंत्रिमंडल नोट जारी किया है।

फिलहाल भारत में विमानन क्षेत्र से बाहर के विदेशी निवेशकों को घरेलू विमानन कंपनियों में 49 फीसद तक हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी है लेकिन विदेशी विमानन कंपनियों को इसमें निवेश की मंजूरी नहीं है।

नकदी संकट से जूझ रहे विमानन उद्योग की मांग के मद्देनजर सरकार ने जनवरी में यह प्रक्रिया शुरू की थी। विदेशी विमानन कंपनियों को घरेलू विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी मिलने से किंगफिशर एयरलाइन्स को फायदा पहुंचने की उम्मीद है जिस पर 7,000 करोड़ रुपये के ऋण का बोझ है।

औद्योगिक वृद्धि में गिरावट के बीच सरकार ने गुरुवार को कहा कि नरमी रोकने और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतिगत पहल की जाएगी। कैबिनेट सचिव अजित सेठ ने यहां विनिर्माण पर हो रही उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि निवेश के माहौल को सुधारने के लिए कई नीतिगत पहल होने वाली है।

यह बैठक विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन घटने के मद्देनजर यह बैठक हुई थी। विनिर्माण क्षेत्र में संकुचन के चलते जुलाई में देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में सिर्फ 0.1 फीसद की वृद्धि हुई जबकि पिछले साल इसी माह औद्योगिक वúद्धि 3.7 फीसद थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक :आईआईपी: में सबसे खराब प्रदर्शन विनिर्माण क्षेत्र का रहा जिसका सूचकांक में 75 फीसद का योगदान है और जुलाई में इसमें 0.7 फीसद की गिरावट हुई जबकि अप्रलै से जुलाई की चार महीने की अवधि में 0.9 फीसद की गिरावट दर्ज हुई।

इस बैठक के मौके पर सेठ ने संवाददताओं से कहा कि वृद्धि और निवेश निश्चित तौर पर होगा। उन्होंने कहा कि हम देखेंगे कि चीजें यहां से आगे बढ़ेंगी। भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी तत्वों की मजबूती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूछने पर कि क्या एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में 100 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी देने के लिए घरेलू आपूर्तिकर्ताओं से कच्चा माल लेने अनिवार्यता के संबंध में मंत्रिमंडल नोट जारी किया गया है सेठ ने कहा ''मैं मंत्रिमंडल के किसी फैसले के बारे में पहले अंदाजा नहीं लगा सकता लेकिन सरकार आने वाले समय ऐसे सभी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है जो आवश्यक समझे जाएंगे।

देश की कर प्रणाली में प्रस्तावित बदलाव के बारे में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वित्त मंत्री के छह अगस्त से संदेश से स्पष्ट पता चलता है कि सरकार किस दिशा में सोच रही है।

कोयला आवंटन पर बने अंतर मंत्रालयी समूह यानी आईएमजी ने प्राइवेट कंपनियों को मिले 4 कोल ब्लॉक वापस लेने की सिफारिश की है। यही नहीं 3 अन्य कंपनियों की बैंक गारंटी जब्त करने की भी सिफारिश आईएमजी ने की है। एक कंपनी को बैंक गारंटी जमा करने को कहा जाएगा। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने तय वक्त पर काम शुरू नहीं किया। कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम जाहिर ने किए जाने की शर्त पर यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा,' समूह ने बुधवार को 8 मामलों की समीक्षा की थी और उसने 4 खानों का आवंटन रद्द करने की सिफारिश की है। कहा जा रहा है कि अब इस मामले में सिर्फ औपचारिकता भर बाकी है। इनमें से दो खानें निजी फर्म फील्ड माइनिंग ऐंड इस्पात को आवंटित हैं।' फील्ड माइनिंग ऐंड इस्पात समेत 58 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। फील्ड माइनिंग ऐंड इस्पात ने महाराष्ट्र में शिनोरा तथा वारोरा सदर्न पार्ट कोयला खान का विकास समय पर नहीं किया।

कैग की रिपोर्ट के बाद कोयला खानों के आवंटन को लेकर शुरू हुए विवाद में मंत्रालयी समूह की यह पहली सिफारिश है। समूह ने बुधवार को 8 घंटे लंबी बैठक में 8 मामलों की समीक्षा की थी। समूह ने 6, 7 व 8 सितंबर को कुल मिलाकर 29 कोयला खान आवंटियों का पक्ष सुना था। इस बीच कोयला मंत्राल श्रीप्रकाश जायसवाल ने उम्मीद जताई है कि मंत्रालयी समूह 17 सितंबर तक अपनी पहली रिपोर्ट दे देगा। इसके लिए 15 सितंबर की अंतिम तारीख तय की गई थी।

गौरतलब है कि हाल ही में आई सीएजी की रिपोर्ट में निजी कंपनियों को आवंटित कोल ब्लॉक के मामले में करीब एक लाख 86 हजार करोड़ के नुकसान का आकलन किया गया था। इस रिपोर्ट के आने के बाद से विपक्ष ने पीएम का इस्तीफा और आवंटन रद्द करने की अपनी मांग को लेकर संसद ठप रखी।

एचएसबीसी ने चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया है। पहले एचएसबीसी ने देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।

एचएसबीसी की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर सुस्ती तथा सुधारों की धीमी गति की वजह से वृद्धि दर के अनुमान को कम किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संसद का मानसून सत्र निराशाजनक रहने के बाद अब निकट भविष्य में ढांचागत सुधारों को लेकर अर्थपूर्ण प्रगति की उम्मीद कम है।

इसके अलावा, इस साल मानसून सामान्य से कम रहने की वजह से भी अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर प्रभावित होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य कमजोर होने की वजह से व्यापार, वित्त और भरोसे पर असर पड़ेगा।

शोध रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमने 2012-13 के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 6.2 प्रतिशत से घटाकर 5.7 फीसदी कर दिया है। इसी तरह वित्त वर्ष 2013-14 के लिए वृद्धि दर के अनुमान को पूर्व के 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.9 फीसदी किया गया है।'

इससे पहले इसी महीने मॉर्गन स्टेनले ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 5.8 प्रतिशत से घटाकर 5.1 फीसदी किया था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5.5 प्रतिशत पर आ गई है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 8 फीसदी रही थी। पिछले महीने कई वैश्विक और घरेलू ब्रोकरेज फर्मों मसलन मूडीज, सीएलएसए, क्रिसिल, सिटीग्रुप और अन्य ने देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर लगभग 5.5 फीसदी कर दिया था।

इस बीच, बारिश की कमी की वजह से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने के आसार है, जिसका असर कुल महंगाई दर पर दिखाई देगा। डीजल और केरोसिन की कीमतों में यदि वृद्धि होती है, तो इससे भी महंगाई दर बढ़ेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आपूर्ति संबंधी समस्या की वजह से क्षमता पर दबाव है जिससे महंगाई को लेकर दबाव बढ़ रहा है। एचएसबीसी का मानना है इसके मद्देनजर अभी रिजर्व बैंक अपने मौद्रिक रुख में बदलाव नहीं करेगा। रिजर्व बैंक की मध्य तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा 17 सितंबर को आनी है।

तमिलनाडु में रूस की सहायता से निर्मित कुडनकुलम परमाणु संयंत्र में ईंधन नहीं भरे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों ने अब जल सत्याग्रह का रास्ता अख्तियार कर लिया है। सैकड़ों की संख्या में लोग मानव श्रृंखला बनाकर समुद्र में खड़े हो गए हैं। इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

तटरक्षक बलों ने प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा के लिए इदिंतकराई के पास अपने जहाजों को तैनात किया है। इसके अलावा एक डोर्नियर सर्विलांस विमान की भी व्यवस्था की गई है। किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए समुद्र किनारे रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और बड़ी संख्या में पुलिस जवानों को तैनात किया गया है।

मध्य प्रदेश में किसानों के जल सत्याग्रह से प्रेरित प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अपनी जीविका और पर्यावरण को बचाने के लिए जल सत्याग्रह के जरिए अपने प्राण त्यागने को तैयार हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनका इरादा 10 से 4 बजे तक विरोध करने का है। इसके बाद क्रमिक आधार यह सत्याग्रह अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगा।

कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के खिलाफ पिछले एक साल से लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। हाल ही में परमाणु संयंत्र में यूरेनियम ईंधन के भरे जाने की खबरें चलते लोगों का प्रदर्शन तेज हो गया है। सोमवार को पुलिस और परमाणु संयंत्र विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

पिछले एक साल से हो रहा है विरोध
भारत रूस की मदद से तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के कुडनकुलम में 1000 मेगावॉट के दो परमाणु रिएक्टर का निर्माण कर रहा है। पीपुल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी के संयोजक उदय कुमार के नेतृत्व में पिछले एक साल से स्थानीय लोग इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि परमाणु संयंत्र से यहां के पर्यावरण और मछुआरों की जीविका प्रभावित होगी। साथ ही भूकंप और सुनामी आने पर यहां भी जापान के फुकुशिमा परमाणु हादसे जैसे हालात हो सकते हैं। परमाणु संयंत्र विरोधी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई बार यहां संघर्ष भी हो चुका है।

ईंधन भरना अभी शुरू नहीं हुआ: बजाज
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र में ईंधन भरने के विरोध की खबरों के बीच परमाणु ऊर्जा नियायक बोर्ड (एईआरबी) के चेयरमैन एसएस बजाज ने कहा है कि संयंत्र में अभी ईंधन भरना शुरू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अभी पहले 1000 मेगावॉट परमाणु संयंत्र में ईंधन भरने को अंतिम मंजूरी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि सात सदस्यीय एईआरबी की टीम पहले संयंत्र की सुरक्षा इंतजाम की जांच करेंगी। इसके बाद रिपोर्ट मिलेगी और हम इसकी समीक्षा करेंगे। इसके बाद ही ईंधन भरने को मंजूरी दी जाएगी।

मध्य प्रदेश के ग्रामीणों ने दिखाई राह
मध्य प्रदेश के खंडवा और हरदा में सैकड़ों ग्रामीणों ने हाल ही में इंदिरा सागर बांध और ओंकारेश्वर बांध परियोजना में पानी के स्तर को कम करने और अपनी डूबी जमीन के बदले जमीन की मांग को लेकर जल सत्याग्रह शुरू किया था। खंडवा में बुजुर्ग, महिला लगातार 16 दिनों तक नर्मदा के पानी में खड़ी रहीं तब जाकर मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी मांगों को मानने का आश्वासन दिया।

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