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Memories of Another day

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While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

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Partition of India - refugees displaced by the partition

Sunday, December 12, 2010

Fwd: Hastakshep.com | News Letter



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From: Hastakshep.com | News Letter <noreply@hastakshep.in>
Date: 2010/12/12
Subject: Hastakshep.com | News Letter
To: palashbiswaskl@gmail.com


Sunday, December 12 ,2010
नवीनतम प्रकाशित लेख
साहित्य में नव्य उदारतावादी ग्लोबल दबाव
हमारे साहित्यकार यह मानकर चल रहे हैं अमरीकी नव्य उदार आर्थिक नीतियां बाजार,अर्थव्यवस्था,राजनीति आदि को प्रभावित कर रही हैं लेकिन हिन्दीसाहित्य और साहित्यकार उनसे अछूता है। असल में यह उनका भ्रम है। इन दिनों हिन्दीसाहित्य और साहित्यकार पूरी तरह नव्य उदार नीतियों की चपेट में आ गया है।इन दिनों विभिनà  Read...
बदलते दौर में कांग्रेस की मुश्किल
 कांग्रेस की सबसे बड़ी मुसीबत क्‍या है। स्पेक्ट्रम घोटाला। कारपोरेट घरानों का फंसना। सीवीसी की नियुक्ति पर अंगुली उठना। कॉमनवेल्थ से लेकर आदर्श सोसायटी का घपला, कांग्रेसी नेताओं की अगुवाई में होना। आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी का बगावत करना। करुणानिधि का चेताना कि गठबंधन का टूटना दोनों के लिये घातक हà  Read...
हेमंत करकरे की ह्त्या से राजनीतिक लाभ लेने की दिग्विजय सिंह की कोशिश
अगर यह सच है तो बहुत बुरा है . मुंबई पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते के मुखिया ,बहादुर , जांबाज़ और वतनपरस्त अफसर हेमंत करकरे की शहादत के दो साल से भी ज्यादा वक़्त के बाद कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने जो बात दिल्ली की एक सभा में कही ,वह किसी के भी होश उड़ा सकती है . आपने फरमाया कि अपनी हत्या के करीब दो घंट  Read...
छात्र राजनीति-लोक तंत्र की गर्भनाल
 छात्र राजनीति जिसने आजादी के महासमर में अपना अस्मरणीय योगदान दिया। देश के प्रत्येक भाग से बड़ी संख्या में युवा छात्र क्रान्तिकारियों ने उक्त स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों में अपनी प्रबल भागीदारी से फिरंगियों के दॉत खट्टे कर दिये। देश आजाद हो गया। आजादी से पहले छात्र राजनीति जिस लक्ष्य से प्रेरित à  Read...
. . . .बदनाम हुई किसके लिए?
कौन हुआ बदनाम किसके लिए...डेमोक्रेसी बदनाम हुई ,भृष्टाचार तेरे लिए .रादिया बदनाम हुई ,कार्पोरेट तेरे लिए ..द्रुमुक बदनाम हुई , ए. राजा तेरे लिए .बरखा बदनाम हुई , लोबिंग तेरे लिए ..नेनो बदनाम हुई ,सिंगूर तेरे लिए .ममता बदनाम हुई ,माओवाद तेरे लिए ..अरुंधती बदनाम हुई ,अभिव्यक्ति तेरे लिए .  Read...
जो हमने दास्तान अपनी सुनाई ... तो आप क्यों रोए ?
जो हमने दास्तान अपनी सुनाई ... तो आप क्यों रोए ? द्वतीय महायुध्य  के बाद दुनिया दो खेमों में बट गई थी .एक का नेत्रत्व अमेरिका के पास था .दूसरे का सोविएत संघ पैरोकार था .दोनों का अपना विशिष्ठ दर्शन था .अमेरिका को उसके पूंजीवादी अर्थतंत्र में विकाश कि सफलताएं मिलती जा रहीं थीं .उधर सोवियत रूस ,चीन , क्यूबा ,वियेतन�¤  Read...
विपक्ष की भूमिका में मीडिया से उम्मीदें ?
बिहार में विकास की तीव्र आकांक्षा ने नीतीश कुमार को सरकार चलाने का एक मौका और दिया है। उनकी जीत को विकास के लिए जनादेश बताया जा रहा है। हालांकि यह बहस का मुद्दा हो सकता है कि पिछले कार्यकाल में नीतीश कुमार ने किसका 'विकास' किया। बावजूद इसके आम जनता ने सही मायने में विकास के लिए उन्हें एक तरफा वोट दिया है। विà  Read...
श्रम की गांठ से उपजी कविताएं
अपनी पीढ़ी के एक कवि की चर्चा धूमिल की पंक्ति से शुरू करने के लिए विज्ञजन से क्षमा की आशा रखता हूं। 'कविता भाषा में आदमी होने की तमीज है।' मैं इसे थोड़ा सुधारकर कहना चाहता हूं कि 'आदमी' होना कविता लिखे जाने की पहली और अनिवार्य शर्त है। व्यक्तित्व के फ्रॉड से 'बड़ी' कविता नहीं लिखी जा सकती। बड़ी कविता से मे  Read...
कैसे सधे सुर
जिंदगी में लगातार बढ़ती टेलीविजन की दखल से सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों में आ रहे नकारात्मक बदलावों को लेकर आवाजें उठनी अब नई बात नहीं रही। इस सिलसिले में अगर कुछ नया है तो वह है क्लासिकल संगीत की दुनिया से उठती मुखर आवाज। प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह से ऑल इंडिया म्यूजिशिन ग्रुप की मुलाकात की अहमियत  Read...
जल है तो कल है
रोज अखबारों में कहीं न कहीं खबर छपती है कि आज फलां जगह पर पानी के लिए लड़ाई हुई। पिछले 17 अप्रैल को मुंबई के कुलावा में पानी को लेकर हुई मार पीट में एक व्यक्ति की जान चली गई। राजस्थान में तो औरतें पानी के लिए तीन से चार किलोमीटर तक पैदल चलकर गड्ढों, तालाबों, बावड़ियों तक पहुंचती हैं। इसके बावजूद भी उन्हें गंदा पा�¤  Read...
खोखली बुनियादें
संस्कृति, परंपरा, आदर्श, तहजीब, रीति रिवाज़ और शरियत जैसे बड़े वज़नदार शब्द सुनने में बड़े अच्छे लगते हैं। और ये भी कि इनको शिद्दत से मानना चाहिए और इनका पालन करना चाहिए जिससे समाज में कोई बुराई जड़ न कर जाए। मगर यही शब्द कभी कभार जड़ता का रूप लेेकर इंसानी ज़िंदगी में सड़ांध पैदा करने लगते हैं और इन शब्दों की आवाज़ तब इ  Read...
सेना का प्रयोग या मानवाधिकारों की हत्या
पिछले दिनों भारत में कनाडा के उच्चायोग्य ने कई सैन्य व खुफिया सेवा के अधिकारियों को अपने देश का वीजा देने से मना कर दिया। उच्चायोग्य का कहना था कि कुछ भारतीय सैन्य, अर्द्धसैन्य व खुफिया एजेंसियां मानवाधिकारों के हनन व चुनी सरकारों के खिलाफ काम कर रही हैं। उच्चायोग्य की इस टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय ने कड़ी   Read...
विकीलिक्स से शुरू हो रही है असली वैश्विक पत्रकारिता
विकीलिक्स ने मुख्यधारा की पत्रकारिता को निर्णायक रूप से बदलने की जमीन तैयार कर दी है. हम-आप आज तक पत्रकारिता को जिस रूप में जानते-समझते रहे हैं, विकीलिक्स के बाद यह तय है कि वह उसी रूप में नहीं रह जायेगी. अभी तक हमारा परिचय और साबका मुख्यधारा की जिस कारपोरेट पत्रकारिता से रहा है, वह अपने मूल चरित्र में राष्ट्�¤  Read...
मानवाधिकार बोर्ड केवल शोपीस
फतेहपुर :यूं तो मानवाधिकार आयोग ने लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिएसख्त दिशा निर्देश दे रखे हैं। हर माह डीएम- एसपी द्वारा आयोग को संयुक्तरिपोर्ट भी भेजी जाती है, जिसमें मानवाधिकार के नियमों के अनुपालन की बात कही जाती हैं। लेकिन सच्चाई कुछ और भी है। हुसेनगंज थाना क्षेत्र के पहनी गांव के 40 वर्षीय सूरजबल�¥  Read...
किसान स्वराज यात्रा
जयपुर, 09.12.2010''किसान स्वराज यात्रा का मुख्य उद्देश्य कृषि व खाद्य में 'स्वराज  है व तीन मांगे है - (1) किसान को सरकार द्वारा आय में सहयोग, (2) खेती इस रूप की हो जिससे पर्यावरण का नाश ना हो-जैविक खेती की दिशा ले (3) किसान का नियंत्रण पानी, जमीन, वन एवं बीज इत्यादि -सभी संसाधनों पर हो न की कम्पनियों के,'' यह मांगे आज जय  Read...
पुरातत्ववेत्ता प्रोफेसर मण्डल का कथन अयोध्या उत्खनन के सम्बन्ध में
अयोध्या के विवादित पुरास्थल का उत्खनन आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इण्डिया (ए0एस0आई0) द्वारा 2002-2003 में किया गया। यह उत्खनन लगभग पाँच महीनें में सम्पन्न हो गया।उत्खनन के लगभग समाप्ति के दिनों में 10 जून से 15 जून 2003 तक तथा दूसरी बार ए0एस0आई0 की अन्तिम रिपोर्ट जमा हो जाने के बाद 27 सितम्बर से 29 सितम्बर 2003 तक धनेश्वर मण्डल, à  Read...
हथौड़ा : बहुत हुआ अब सरकार को लताड़ना बंद करें
अभी मेरी कलम और शब्द सोए हुए हैं। मौका हाथ आ गया है। इसलिए सरकार और मंत्रियों के बचाव में मैं अपने दिली जज्बात आपके समक्ष रख रहा हूं। अच्छा लगे या बुरा यह आप ही तय कर लें।घपलों-घोटालों की मारी बेचारी सरकार और हमारे नेकनियत नेता। हर कहीं से मुसिबत में आन फंसे हैं। न विपक्ष चैन लेने दे रहा है न मीडिया। à  Read...
उसका पसंदीदा देश
उसे वह देश बहुत ज्यादा पसंद था. वह इसे अपनी खुशकिस्मती मानता था कि वह उसी देश में पैदा हुआ था। इसके पीछे बहुत सटीक कारण भी था। उस देश में पूरी आजादी थी और पूरा न्याय। खास कर के आजादी। हर चीज़ की आज़ादी और हर आदमी को आज़ादी। यहाँ तक कि हर संस्था, संगठन, इकाई को भी पूरी स्वतंत्रता। यानि कि जिसकी जो इच्छा हो वह बके. जिसà  Read...
कुछ बातें बेमतलब : अमीर – गरीब
बहुत मुश्किल है गरीब होना । यह नहीं कि सुबह जग कर कद्दु प्रसाद ने तय कर दिया कि हे मां , मेरा दोस्त फद्दु प्रसाद गरीब है । मां का मन दान पुण्य से भरा था । बचपन में उनकी अम्मा ने सिखाया था कि भगवान गरीब में ही बसते हैं । मां तो फद्दु प्रसाद को घर में ही रखना चाहती थी कि उनके बहाने भगवान प्रसाद भी घर में ही रहें । लेकà  Read...
एक कवि एक शाम
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Palash Biswas
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