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Monday, October 17, 2016

हम सिर्फ ट्रंप को देख रहे हैं और मैडम हिलेरी को कतई नहीं देख रहे हैं। हम यह भी नहीं देख रहे हैं कि अमेरिका परमाणु युद्ध की तैयारी में है और भारत उनके लिए सिर्फ बाजार है।इस बाजार पर कब्जे के लिए वह कुछ भी करेगा। मुश्किल है कि हमारी राजनीति जितनी अंध है ,उससे कुछ कम हमारी राजनय नहीं है।हम दुनिया को अमेरिकी नजर से देख रहे हैं और हमारी कोई दृष्टि है ही नहीं।हमें अमेरिकी कारपोरेट हितों की �


हम सिर्फ ट्रंप को देख रहे हैं और मैडम हिलेरी को कतई नहीं देख रहे हैं।

हम यह भी नहीं देख रहे हैं कि अमेरिका परमाणु युद्ध की तैयारी में है और भारत उनके लिए सिर्फ बाजार है।इस बाजार पर कब्जे के लिए वह कुछ भी करेगा।

मुश्किल है कि हमारी राजनीति जितनी अंध है ,उससे कुछ कम हमारी राजनय नहीं है।हम दुनिया को अमेरिकी नजर से देख रहे हैं और हमारी कोई दृष्टि है ही नहीं।हमें अमेरिकी कारपोरेट हितों की ज्यादा चिंता है,भारत या भारतीय जनता के हितों की हमें कोई परवाह नहीं है।

हम यमन पर अमेरिकी हमले पर चुप्पी साधे बैठे हैं तो दूसरी तरफ अमेरिकी ने परमाणु विश्वयुद्ध की तैयारी कर ली है और हम इसके लिए अभी से रूस और चीन को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं और फूलकर कुप्पा हैं कि हो न हो,ट्रंप राष्ट्रपित बन जायेंगे और इस्लाम का नमोनिशां मिट जायेगा कि ट्रंप भी हिंदू हो गये हैं।

पलाश विश्वास

किसी कारपोरेट कंपनी का सीईओ चाहे कोई हो,उस कंपनी के कारोबारी हित जैसे नहीं बदलते ,वैसे ही उसकी नीतियों में कोई परिवर्तन नही होता।मौजूदा विश्वव्यवस्था कारपोरेट कंपनी जैसी है और उसका सर्वेसर्वा मुखिया अमेरिकी साम्राज्यवाद शत प्रतिशत कारपोरेट है।कारपोरेट हितों के लिए दोस्ती दुश्मनी नहीं,मुनाफासूली सर्वोच्च प्राथमिकता होती है जिसके लिए कारपोरेट कंपनी वह कुछ भी कर सकती है।अमेरिकी राष्ट्र का कोरपोरेट चरित्र न भारत के हित में है और न मनुष्यता के हित में है।हम यमन पर अमेरिकी हमले पर चुप्पी साधे बैठे हैं तो दूसरी तरफ अमेरिकी ने परमाणु विश्वयुद्ध की तैयारी कर ली है और हम इसके लिए अभी से रूस और चीन को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं और फूलकर कुप्पा हैं कि हो न हो,ट्रंप राष्ट्रपित बन जायेगें और इस्लाम का नमोनिशां मिट जायेगा कि ट्रंप भी हिंदू है।

हम सिर्फ ट्रंप को देख रहे हैं और मैडम हिलेरी को कतई नहीं देख रहे हैं।

हम यह भी नहीं देख रहे हैं कि अमेरिका परमाणु युद्ध की तैयारी में है और भारत उनके लिए सिर्फ बाजार है।इस बाजार पर कब्जे के लिए वह कुछ भी करेगा।

मुश्किल है कि हमारी राजनीति जितनी अंध है ,उससे कुछ कम हमारी राजनय नहीं है।हम दुनिया को अमेरिकी नजर से देख रहे हैं और हमारी कोई दृष्टि है ही नहीं।हमें अमेरिकी कारपोरेट हितों की ज्यादा चिंता है,भारत या भारतीय जनता के हितों की हमें कोई परवाह नहीं है।

ताजा खबर यह है कि पश्चिम के देश भी सीरिया मुद्दे पर अमेरिका के साथ हैं। वे लगातार सीरिया में रुस की भूमिका की आलोचना कर रहे हैं। हाल ही में पुतिन फ्रांस जाने वाले थे लेकिन उन्होने दौरा रद्द कर दिया क्योंकि फ्रांस के राष्ट्रपति ने रुस पर यह आरोप लगाया था कि रुस सीरिया में युद्द अपराधों में शामिल है।

इन्ही जटिल युद्ध परिस्थितियों में मजा यह है कि जैसे भारत में हिंदुत्व खेमा ट्रंप को राष्ट्रपति देखने के लिए बेताब है वैसे ही रूसी दक्षिणपंथी भी ट्रंप के दीवाने हैं। अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप को वोट दें या फिर परमाणु युद्ध के लिए तैयार रहें। यह कहना है रूस में व्लादिमीर पुतिन के दक्षिणपंथी सहयोगी व्लादिमीर झिरीनोवस्की का। उनके अनुसार ट्रंप अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जो रूस और अमेरिका के बीच का तनाव कम कर सकते हैं। जबकि उनकी डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटन दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध में झोंक देंगी।

गौरतलब है कि झिरीनोवस्की की लिबरेशन डेमोक्रेटिक पार्टी सितंबर में हुए रूस के संसदीय चुनाव में तीसरे स्थान पर आई थी। बहुत से रूसी झिरीनोवस्की को गंभीरता से नहीं लेते।इन्हीं झिरीनोवस्की के हवाले से पुतिन को परमाणु युद्ध के लिए मोर्चाबंद दिखाने की कोशिश रतभअमेरिका के साथ सात भारत में भी हो रही है लेकिन अमेरिका के यमन पर हमले और सीरिया में आतंकवादी संगठनों के अमेरिकी और इजराइली मदद और मध्यएशिया के तेल कुँओं पर उनके कब्जे पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।

खाड़ी युद्ध के बुश पिता पुत्र,वियतनाम युद्ध के रिचर्ड निक्सन,क्यूबा के खिलाफ बिल क्लिंटन और मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा में बुनियादी फर्क कुछ भी नहीं है चूंकि अमेरिका पूरी तरह एक कारपोरेट राष्ट्र है।अमेरिकी अर्थव्यवस्था कारपोरेट है तो यह मुक्तबाजार भी कारपोरेट है।

इसलिए चाहे डोनाल्ड ट्रंप जीते या फिर मैडम हिलेरी,युद्ध और गृहयुद्ध का अमेरिकी कारोबार बंद नहीं होने जा रहा है।

नस्ली और स्त्रीविरोधी बयानों और ग्लोबल हिंदुत्व के समर्थन के मुद्दों को किनारे पर रखें तो यह समझना शायद आसान हो सकता है कि तमाम सबूत चीख चीखकर बता रहे हैं कि दुनियाभर के आतंकवादी संगठनों को अमेरिकी मदद के पीछे मैडम हिलेरी का प्रत्यक्ष हाथ हैं और वे इजराइल और अमेरिकी जायनी कारपोरेट सत्ता वर्ग के ट्रंप से कहीं ज्यादा मजबूत प्रतिनिधि हैं।

हम भारत में फासिज्म के राजकाज को डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन,ग्लोबल हिंदुत्व के साथ उनके संबंध और मुसलमानों और आप्रवासियों,शरणार्थियों के खिलाफ उनकी नस्ली घृणा के मद्देनजर मैडम हिलेरी का असली चेहरा देखने से परहेज करें तो यह भारी गलती होगी।क्योंकि मैडम हिलेरी का नजरिया ट्रंप से कतई अलग नहीं है,जो दरअसल अमेरिकी कारपोरेट विश्वव्यवस्था का जायनी रंगभेदी नजरिया है।

जैसा कि इन दिनों यह धारणा सुनामी की तरह फैलायी जा रही है कि पाकिस्तान को रुस और चीन से भारत के खिलाफ युद्ध में मदद मिलने वाली है और युद्ध हो या आतंकवाद के खिलाफ युद्ध हो,अब अमेरिका भारत के साथ रहेगा।इसके विपरीत हकीकत की जमीन पर कूटनीतिक बयानों के अलावा भारत अमेरिकी परमाणु समझौते के बाद अश्वेत राष्ट्रपति बाराक ओबामा के लगातार  दो दो कार्यकाल में अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत के हक में अब तक कोई कार्रवाई लेकिन नहीं की है।

हिंदुत्व के झंडेवरदार अगर समझते हों कि डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाने के बाद मुसलमानों के खिलाफ अमेरिका बाकायदा धर्मयुद्ध छेड़ देगा और पाकिस्तान को मटियामेट कर देगा,यह ख्याली पुलाव के अलावा कुछ और नहीं है।

भारत में वोट बैंक समीकरण साधने के लिए जैसे हिंदुत्व का एजंडा है वैसे ही अमेरिका का प्रेसीडेंट बनने के लिए रंगभेदी श्वेत वर्चस्व डोनाल्ड ट्रंप का कारपोरेट एजंडा है और वे अरबपति हैं तो कारपोरेट समर्थन के लिए मैडम हिलेरी के जायनी लिंक और उनको इजराइली समर्थन के मद्देनजर मुसलमानविरोधी तेवर अपनाना उनका अपना चुनावी समीकरण है ,जो शायद बुरीतरह फेल हो सकता है क्योंकि अमेरिकी मीडिया मैडम हिलेरी के पक्ष में हैं और वे ट्रंप की धज्जियां बिखेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।जैसे उग्र हिंदुत्व के बिना भारतीय राजनीति की अब कल्पना नहीं की जा सकती ,वैसे ही उग्र इस्लाम विरोध अब अमेरिकी चुनावी समीकरण है।

अपने देशी मीडिया के युद्धोन्माद और कारपोरेट हितों के जलवे को देखते हुए खाड़ी युद्ध में विश्व जनमत बदलने के अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया की भूमिका के मद्देनजर गौर करने वाली बात यह है कि ट्रंप और मैडम हिलेरी की नूरा कुस्ती की आड़ में अमेरिका ने तीसरे विश्वयुद्ध और परमाणु युद्ध की पूरी तैयारी कर ली है और पश्चिमी मीडिया इसके लिए सीरिया संकट के बहाने रूस और चीन को जिम्मेदार ठहराने की मुहिम उसीत रह  शुरु कर दी है जैसे तेलयुद्ध के लिए सद्दाम हुसैन को महिषासुर बना कर उनका वध कर दिया गया।

जाहिर है कि हम ट्रंप पर जरुरत से ज्यादा चर्चा कर रहे हैं और काफी हद तक धर्मनिरपेक्षता के तहत मैडम हिलेरी का समर्थन करने लगे हैं।जबकि दोनों में से किसी के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से भारत को कोई फर्क पड़नेवाला नहीं है।दोनों मनुष्यता के खिलाफ युद्ध अपराधी हैं।विडंबना यह है कि हमारे यहां लोग अभी अभी जो अमेरिकी नौसेना ने यमन पर हमला कर दिया है ,उसे पाकिस्तान में आतंकवादी अड्डों को तहस नहस करने की कथित सर्जिकल स्ट्राइक की तरह जायज मानकर अमेरिकी कार्रवाई के तहत इसे भी जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।

गौरतलब है कि अमरीकी सेना ने यमन में तीन रडार ठिकानों पर हमला किया है। इस हमले से पहले अमरीकी नौसेना के युद्धपोत पर यमन की तरफ से एक मिसाइल दाग़ी गई है। अमरीकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन के मुताबिक़ मिसाइल हमले में शामिल तीन रडार ठिकानों को तबाह कर दिया गया है। पेंटागन का कहना है कि ये ठिकाने ईरान समर्थक हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाक़े में थे। पेंटागन का ये भी कहना है कि राष्ट्रपति ओबामा ने इन हमलों के लिए मंज़ूरी दी थी.अमेरिका के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से स्वीकृति मिलने के बाद यूएसएस विध्वंसक द्वारा दागे गए टॉमहॉक क्रूज मिसाइल से यमन के लाल सागर तट पर हुथी के नियंत्रण वाले क्षेत्र में हमला किया गया।वहीं यूएस नेवी के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर जानकारी दी है कि यूएस नेवी के डेस्‍ट्रॉयर नीट्ज ने गुरुवार को सुबह करीब चार बजे टॉकहॉक क्रूज मिसाइल यमन पर दागी है। इस अधिकारी के मुताबिक लाल सागर पर जब अमेरिकी शिप पर हमला हुआ तो यह रडार सक्रिय थे और तभीहमले की असफल कोशिश की गई। इस अधिकारी के मुताबिक जिन जगहों पर हमले हो रहे हैं वहां पर आबादी नहीं है। ऐसे में जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है।

इधर भारतीय मीडिया में भी रूस के आक्रामक रवैये की वजह से परमाणु युद्ध और तीसरे विश्वयुद्ध के हालात पर अमेरिकी और पश्चिमी मीडिया की तर्ज पर प्रचार अभियान शुरु हो गया जैसे तेल युद्ध के दौरान,अफगानिस्तान को रौंदने के दौरान और मध्यपूर्व एशिया और अफ्रीका के देशों में अमेरिकी लोकतंत्र के अरब वसंत के पक्ष में भारतीय मीडिया अमेरिकी कारपोरेट हितों के तहत अमेरिकी मीडिया को भोंपू बना हुआ था।

अमेरिका ने इस बीच अपने नागरिको को सीरिया संकट संभावित परमाणु युद्ध के लिए आगाह कर दिया है लेकिन भारतीय मीडिया ने रूस की इसी तरह की चेतावनी के मद्देनजर ऐसे किसी परमाणु युद्ध या तीसरे विश्वयुद्ध से पहले ही उसके लिए रूस के राष्ट्रपति को सद्दाम हुसैन बनाना शुरु कर दिया है।

भारतीय मीडिया में अमेरिकी स्वर है।मसलन सीरिया संकट पर रूस और अमेरिका के बीच का तनाव विश्व युद्ध में बदल सकता है। रूस की मिलिटरी तैयारियां साफ तौर पर इसके भयावह संकेत दे रही हैं। पुतिन काफी आक्रामक फैसले लेते दिख रहे हैं। सूत्रों के हवाले से अभी खबर आई कि पुतिन ने रूस के उच्च अधिकारियों, राजनेताओं और उनके परिवार को घर (होमलैंड) लौटने को कहा है। इसी क्रम में रूस ने बुधवार को अंतरमहाद्वीपीय बलिस्टिक मिसाइलों का भी परीक्षण किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस की सेना ने जापान के उत्तर में तैनात अपनी सबमरीन से न्यूक्लियर वॉरहेड ढोने की क्षमता वाले एक रॉकेट का परीक्षण किया है।

भारत अमेरिका परमाणु संधि के परमाणु हथियारों के साथ साथ भारतीय रक्षा,प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा अमेरिका के हवाले हो जाने की वजह से,आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में भारत के पार्टनर बन जाने से अमेरिका के भारत विरोधी रवैये में कोई बुनियादी फर्क आया हो या बांग्लादेश युद्ध के वक्त हिंद महासागर में सातवां नौसैनिक बे़ड़ा भेजने वाला अमेरिका सोवियत संघ की तरह भारत का मित्र हो गया हो,यह वैसा ही मिथक है जैसे हम यह मानते हैं कि हमारे कल्कि अवतार का दीवाने खास अमेरिका का व्हाइट हाउस है।उसी तरह ट्रंप का हिंदुत्व दावा भी वोट बैंक साधने का उपक्रम है।ट्रंप भी उसीतरह मोदी के दोस्त हैं,जैसे ओबामा रहे हैं।

गौरतलब है कि अमेरिका के कई हिंदू संगठनों ने राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया है। ट्रंप ने भी कहा है कि अगर वे राष्ट्रपति बने तो भारत और अमेरिका के संबंध बेहद मजबूत होंगे। ट्रंप को समर्थन देने के लिए रिपब्लिकन हिंदू कोएलिशन की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें करीब पांच हजार लोगों ने ट्रंप की जम कर तारीफ की। इस कार्यक्रम में ट्रंप के अलावा बॉलीवुड की हस्तियों के साथ पांच हजार से ज्यादा भारतीय मूल के अमेरिकी शामिल हुए।

इस मौके पर  रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह भारतीयों और हिन्दुओं का बेहद सम्मान करते हैं। उन्होंने यह बात कही। एनडीटीवी को दिए गए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, 'मैं हिन्दुओं का बेहद सम्मान करता हूं, वे शानदार उद्यमी होते हैं... भारत का मैं बेहद सम्मान करता हूं'। आतंकवाद से निपटने की अपनी नीति को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा- हम चरम परीक्षण करके आतंकवाद से लड़ेंगे. (मुस्लिम जगत में) कुछ ऐसा चल रहा है जो सकारात्मक ताकत नहीं है।

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि राष्ट्रपति चुने गए तो वे भारत को अमेरिका को बेस्ट फ्रेंड बनाएंगे। ट्रंप की नजर यह दोस्ती दोनों देशों के लिए जरूरी है। वे हिंदूओं को बहुत मानते हैं! यदि वे राष्ट्रपति बन गए, व्हाइट हाउस पहुंच गए तो वह हिंदु समुदाय का अपना राष्ट्रपति होगा। भारत और अमेरिका के रिश्ते प्रगाढ़ होंगे। दोनों देश 'सबसे अच्छे दोस्त' होंगे। यह सब कहते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि यदि वे राष्ट्रपति बने तो नरेंद्र मोदी से उनकी खूब पटेगी। उनके राष्ट्रपति चुने जाने का अर्थ होगा कि व्हाइट हाउस में भारतीय और हिंदू समुदाय का सच्चा दोस्त है।

न्यू जर्सी में आतंकवाद से पीड़ित हिंदुओं के लिए हो रहे एक चैरिटी समारोह में ट्रंप पीड़ित, उनके परिवार और अन्य भारतीयों से मुलाकात के लिए पहुंचे। रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन यानी RHC नाम के संगठन ने अपने इस कार्यक्रम में खासतौर पर डॉनल्ड ट्रंप को बुलाया था। ट्रंप इस मौके पर भारत की संस्कृति के रंग में रंगे दिखे. ट्रंप ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की और जमकर हिंदू प्रेम भी दिखाया। चैरिटी समारोह में ट्रंप पीड़ित, उनके परिवार और अन्य भारतीयों से मुलाकात के लिए पहुंचे. रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन यानी RHC नाम के संगठन ने अपने इस कार्यक्रम में खासतौर पर डॉनल्ड ट्रंप को बुलाया था।

ट्रंप ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम करने का इंतजार कर रहा हूं। वह अर्थव्यवस्था और नौकरशाही को सुधारने में बेहद ऊर्जावान रहे हैं। शानदार व्यक्ति। मैं उनकी सराहना करता हूं।' यह पहली बार था जब ट्रंप ने इस चुनावी मौसम में भारतीय-अमेरिकियों के समारोह में शिरकत की। उन्होंने (मोदी) ने भारत में टैक्स प्रणाली को आसान किया है। भारत आज तेजी से विकास कर रहा है। यह बहुत अच्छा है, लेकिन हम यहां अमेरिका में विकास नहीं कर रहे हैं।

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