Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Saturday, May 24, 2014

सबकुछ तो सत्ता के लिए है,जनता के लिए क्या है,फिर फिर वही कारपोरेट राज। अंबेडकर पचवीता येत नसेल तर,कधी दलीतवादाचया तर कधी महारवादाचया उलटया करा.महनून तुमही अंबेडकरीच राहा अंबेडकरवादी होवु नका!

सबकुछ तो सत्ता के लिए है,जनता के लिए क्या है,फिर फिर वही कारपोरेट राज।


अंबेडकर पचवीता येत नसेल तर,कधी दलीतवादाचया तर कधी महारवादाचया उलटया करा.महनून तुमही अंबेडकरीच राहा अंबेडकरवादी होवु नका!


पलाश विश्वास


तुमही बरोबर लिहिले श्रीमन सुदत्त वानखेड़े साहब,अंबेडकरीच राहा अंबेडकरवादी होवु नका!


यानी अंबेडकरी बने रहो,अंबेडकर विचारधारा से कोई मतलब नहीं।अंबेडकर भुनाते रहो।अंबेडकर के विचारों को पचा नहीं सकते तो अंबेडकर का नाम जापते रहो।दलितवाद और महारवाद चलाते रहो। यानी अंबेडकरी दुकानदारों के अंध भक्त बने रहो।


अंबेडकर पचवीता येत नसेल तर,कधी दलीतवादाचया तर कधी महारवादाचया उलटया करा.महनून तुमही अंबेडकरीच राहा अंबेडकरवादी होवु नका. संपर्क ९८९२४५०४५६


हालांकि अंबेडकर का दलितवाद क्या है,अंबेडकरी विचारों में इसकी खोज की जानी चाहिए।


अंबेडकर ने डिप्रेस्ड क्लास की बात की है,जाति उन्मूलन का एजंडा दिया है और मेहनतकश तबके के दो दुश्मन बताये हैं,ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद।


अंबेडकर को हम दूसरों की तरह पंक्ति दर पंक्ति वामपंथी तर्ज पर मार्क्स लेनिन माओ उद्धरणों की तरह उद्धृत नहीं कर सकते।


लेकिन यह सही है कि अंबेडकरी आंदोलन जाति उन्मूलन मार्फत  वृहत्तर  बहुजन समाज के उत्थान और उनके मुक्तिकामी जनसंघर्ष के अंबेडकरी लक्ष्य के विपरीत अब जाति को ही मजबूत करता रहा है।


कुल मिलाकर प्रतियोगिता ही है अंबेडकरी,अपनी अपनी जाति को मजबूत बनाने की।


अंबेडकर के बाद अंबेडकरी आंदोलन का यही हश्र मुकम्मल जाति प्रतियोगिता ,जाति संघर्ष सिवाय जाति उन्मूलन की किसी भी तरह की किसी प्रचेष्टा के।


महाराष्ट्र के महार जैसे अंबेडकरी विरासत के दावेदार हैं ,उसी तरह बंगाल में अंबेडकरी आंदोलन का कोई वजूद जमीन पर न होने के बावजूद मजबूत दलित जाति नमोशूद्र ही अंबेडकरी आंदोलन के झंडेवरदार हैं।


कहीं चमार तो कहीं जाटव।


मतलब यह कि अंबेडकरवादी कोई है ही नहीं,सारे के सारे अंबेडकरी हैं, अपनी अपनी जाति के हितरक्षक।


इस लिहाज से देखें,तो सत्तावर्ग में शामिल जातियां कोई गलत नहीं कर रही हैं क्योंकि वे भी अपनी अपनी जाति के हित साध रहे हैं।फिर जिसकी जितनी ताकत,वह उतना तो हासिल करेगा ही।


2014 के निर्वाचनी साफल्य कोई आकस्मिक वज्रपात है नहीं,इसे समझने और स्वीकराने में लोग अब भी चूक रहे हैं।या मरुआंधी में रेत में सर छुपाये हैं शुतुरमुर्ग प्रजाति के बहुजन बुद्धिजीवी,नेता,कार्यकर्ता। और बाकी लोग।


भारत में असंख्य राजनीतिक दल पंजीकृत हैं,जो चुनाव मैदान में थे।दस साल तक सत्ता में रही कांग्रेस के ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी है।


अंबेडकरी की बनायी पार्टी रिपब्लिकन हजार धड़ों में महारवादी वर्चस्व आत्मघात में लिप्त हैं तो मान्यवर कांशीराम जी के बोल पचासी,मायावती के तिलक तराजू तलवार मारो जूते चार, नारों के बहुजन हिताय को सर्वजन हिताय में बदलने वाली बहुजनपार्टी भी कांशीराम और मायावती की जातियों के वर्चस्व को बरकरार रखने खातिर ब्राह्मणों के समर्थन पाने के लिए उन्हीं के द्वारा संचालित संयोजित एढ़ी चोटी का जोर लगाती रही है।


इसीतरह पासी,चमार,लोध,गुज्जर,बनजारा,कुर्मी, यादव,जाट,मीणा,मराठा,लिंगायत जैसी मजबूत जातियां अपनी अपनी पहचान के लिए राजनीति करते हुए एक दूसरे के खिलाफ लामबंद हैं।


खटिक कोई मजबूत जाति नहीं है,लेकिन उनकी दावेदारी भी उदितराज बजरिये पेश हो ही गयी।


अपनी ही जाति का वर्चस्व बनाये रखने के नाम पर अपने ही कुनबे का हित साधने वाले अंबेडकरी झंडेवरदार अंबेडकर घोषित दोनों प्रमुख शत्रुओं ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद को गला लगाने और उन्हें ही आत्मसात करने की अंधी चूहादौड़ में इसतह शामिल हो गये कि बसपा को चार फीसद वोट मिलने के बावजूद एक भी सीट नहीं मिली।


यूपी में नमोलहर रोकने के दूसरे दावेदार मुलायम राज्य में अपनी सरकार होने के बावजूद अपने कुनबे से बाहर किसी को जीता नहीं पाये।


संघ पार्टनर बने अठावले की चमक शिवसेना और मनसे के आगे फीकी है।



पप्पु यादव और उनकी पत्नी की जीत लेकिन राबड़ी और मीसा की हार के जरिये अकेले भगवा आंधी रोकने का ताल ठोंक रहे लालू अब नीतीश का सहारा बनने को मजबूर हो गये तो बेचारे नीतीश कुर्सी से ही अलहदा हो गये।


शरद यादव तो बाहुबलि पप्पू यादवा का ही मुकाबला नहीं कर पाये,नमो सुनामी का मुकाबला कैसे करते।जाति समीकरण के अलावा उनके पास कोई औषधि नहीं है,ऐसे वैद्य हैं वे और तमाम अति महत्वाकांक्षी क्षत्रप।जखम गहरा है,प्राण संशय में है और जातनाम जापने का इलाज है।वाह।


महादलित जीतन मांझी का मुख्मंत्रित्व का स्वागत है,लेकिन विडंबना यह है कि बिहार में भाजपा सरकार रोकने के लिए यह एक नायाब सोशल इंजीनियरिंग के अलावा कुछ भी नहीं है।


इससे मुसहरों और बिहार के महादलितों और पसमंदा मुसलमानों का क्या कल्याण होगा राम जाने।


उदित राज और राम विलास के तो दोनों हाथों में लड्डू हैं और सर कड़ाही में।नई शेरवानी भी सिल चुकी होगी।


मतलब यह कि अब तक जाति उन्मूलन के एजंडे को विपरीत जाति को ही मजबूत करने की जो बहुजन राजनीति चल रही थी,तो संघ परिवार ने ओबीसी कार्ड खेलकर जवाबी तुरुप फेंककर पहचान राजनीति का खेल तमाम कर दिया तो हारी हुई बाजी जीतने के लिए फिर वहीं दांव सोशल इंजीनियरिंग का।


संघ परिवार के राजग के संयोजक रहे शरद यादव और चारा घोटाले में जेल गये लालू यादव मायावती और मुलायम को किनारे रखकर न जाने किस किसको लेकर केसरिया कायाकल्प का जहरमोहरा बनायेंगे।


दूसरी ओर,आज ही इकोनामिक टाइम्स के संपादकीय पेज पर अजय छिब्बर ने कि दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों की नई केसरिया कारपोरेट सरकार की सर्वच्च प्राथमिकता का खुलासा करते हुए लिखा है कि मोदी पर भारत का दस ट्रिलियन डालर का दांव है।


जाहिर है भारत से मतलब उनका बाजार ही है।


Poke Me: India's $10 trillion bet on a Modi-led government


Read more at:

http://economictimes.indiatimes.com/articleshow/35474947.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst


साफ साफ ऐलान चुनाव प्रचार के दौरान ही हो गया था कि गुजरात माडल पूरे भारत में लागू होना है।


गुजरात माडल को भाइयों ने धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता कुरुक्षेत्र मान लिया और जाहिर है कि खेत रहे।


गुजरात माडल का असली मतलब है मुकम्मल कारपोरेट राज।


मतलब सीईओ सीएम के बदले सीईओ पीएम।


कारपोरेट तौर तरीके से चलेगी केसरिया कारपोरेट सरकार।


लोकतांत्रिक और संवैधानिक प्रावधानों के बगैर।


अटल जमाने में जो अरुण शौरी विनिवेश अभियान के विश्वबैंकीय सिपाहसालार थे,उनका महिमामंडित प्रत्यावर्तन हो रहा है केसरिया सुब्रह्मण्यम स्वामी और गुजरात माडल के विशेषज्ञ अमित के साथ।


जोर का झटका धीरे से लगे,इसके लिए भाषाई करतब खूबै  है।


मुकम्मल कारपोरेटराज को अच्छे दिनों के सपने में तब्दील करने वाले सौदागरों की भाषिक कौशल सुधारों के शैशव में ही निजीकरण को विनिवेश बना देने में क्लासिक उत्कर्ष छू चुका है।


अब राष्ट्रपति शैली की एकलवर्चस्वी चुनावी जीत का सेहरा बांधने के लिए एकमेव वक्ता प्रवक्ता कर्ता धर्ता नमो नमो।


पीएमो ही कैबिनेट,पीएमो ही मंत्रिमंडल,पीएमो ही विशेषज्ञ,पीएमो ही नीति निर्धारक,पीएमो ही संसद,पीएमो ही कार्यपालिका,पीएमो ही प्रशासक।


यानी नमो दायबद्धता पर ही तीन ट्रिलियन डालर का दांव बाजार का।


यानी राष्ट्रहित में संसाधनों की फिर वही खुली लूट,फिर वहीं निरंकुश जल जंगल जमीन और नागरिकता से बेदखली।


खुल्ला नारा रहा है नमो मार्केटिंग,बहुत हुआ मानवाधिकार,अबकी बार नमो सरकार।


मध्य प्रदेश में मतदान के बाद हम भोपाल पहुंचे थे।लौटते हुए इल्युमिनेटी पर खास अध्ययन करने वाले प्रोफेसर वासनिक के घर नागपुर में एकदिन ठहरे थे।


देश के हालात,अर्थव्यवस्था,राजनीति और जमनांदोलन के बारे में उनसे लंबा विचार विमर्श हुआ।


हम लौटने लगे तो हमारे इंजीनियर मित्र रामटेके भी वहां पहुंचे तो प्रोफेसर वासनिक ने कहा कि सत्ता समीकरण साधने के आंदोलन का नतीजा जीरो रहेगा।क्योंकि जमीन पर कोई प्रतिरोध आंदोलन खड़ा करने का जोखिम उठा ही नहीं सकते सफेदपोश बुद्धिजीवी,सामाजिक कार्यकर्ता,जनपक्षधर लोग,वामपंथी और अंबेडकरी मलाईदार  महाजन।


प्रोफेसर वासनिक ने कहा कि  सबकुछ तो सत्ता के लिए है,जनता के लिए क्या है,फिर फिर वही कारपोरेट राज।


प्रोफेसर वासनिक ने कहा कि  बेहद सख्ती से कहा कि आप जो वैचारिक बहस करते हैं,आयडियोलाजी पेलते हैं,उसमें हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है।वामपंथी लगातार ऐसा करते रहे हैं।जनांदोलनो से विश्वासघात के सिवा हासिल हुआ क्या है।बामसेफ राष्ट्रीय आंदोलन का जनज्वार मं लगा रहा,कहां है जनांदोलन वह?


प्रोफेसर वासनिक ने कहा कि आप असल में जनता के मध्य क्या ऐक्शन प्लान लेकर जा रहे हैं,बुनियादी सवाल यही है।


प्रोफेसर वासनिक ने कहा कि आप जो भी कुछ कर रहे हैं,वह इसी स्थाई बंदोबस्त को बहाल रखने की कवायद है।इससे बेहतर है कि आप अपने ही परिवार के लिए कुछ करो।


प्रोफेसर वासनिक ने कहा कि जिन पर आपको भरोसा है,वे कुछ भी करने वाले नहीं हैं।अपनी अपनी खाल बचाकर माल बटोरने के फिराक में है यह सफेदपोश जमात।


प्रोफेसर वासनिक ने कहा कि स्थानीय स्तर पर आपकी कोई हरकत भी नहीं है और राष्ट्र की सत्ता बिसात पर आपका दांव है।


रामटेके को और मुझे उनका मंतव्य बेहद बुरा लगा।


लेकिन अब मुझे यह कहने में कोई दुविधा नहीं है कि वासनिक साहब सच कह रहे थे।


बुनियादी गलती,संघपरिवार के दशकों की तैयारी को नजरअंदाज करने की है।


बुनियादी गलती ध्रूवीकरण के जाल में फंसने की है।


बुनियादी गलती हिंदू राष्ट्रवाद की काट जाति अस्मिता समझने की है।


बुनियादी गलती संघी ऐमबुश मार्केटिंग में अंधा होकर चुनाव को व्यक्तिकेंद्रित बनाकर सारे अहम मुद्दों को किनारे करने की है।


बुनियादी मुद्दा आर्थिक सुधारों के नाम पर जारी जनसंहारी एजंडे पर मौकापरस्त खामोशी है और अलग से विकास का राग अलाप कर सड़क,पेयजल,निकासी ,स्कूल, अस्पताल,लैंपपोस्ट पर वोट डालने की मजबूरी है।

बुनियादी गलती जनविरोधी कांग्रेस के हक में ढाल बन जाने की है।


बुनियादी गलती कांग्रेस की जनसंहारी नीतियों के लिए उसे कटघरे में खड़ा न कर पाने की है।


बुनियादी गलती आर्थिक नीतियों की निरंतरता और कारपोरेट राज पर खामोशी है।


बुनियादी गलती कारपोरेटजिहाद छेड़ने के लिए वैश्विक पूंजी के झंडेवरदारों की जमात को खुल्ला मैदान छोड़ने की है।


बुनियादी गलती है कि अल्पसंख्यकों को असुरक्षाबोध से लबालब भरकर उनके वोट से नमो सुनामी की बिसात सजाने की है।


इन गलतियों से किसी ने कोई सबक लिया हो,ऐसा नहीं लगता।


मीडिया दिग्गज अपनी भविष्यवाणी सच होने से सत्ता मलाई बटोरने में तल्लीन है और सूचना वंचित जनता के मध्य हारे हुए योद्धाओं और महायोद्धाओं की हवाई तलवार बाजी है।जैसे कि वे इस देश पर संघ मुख्यालय और देशी विदेशी के साझा राजकाज को ही झुठला देंगे।


अब पहचान अस्मिता जाति पार्टियां ईवीएम फर्जीवाड़े को लेकर मुखर है।देश भर में लड़कर हर सीट पर जमानत गँवाने वाली पार्टी भी नाराज कार्यकर्ताओं को उल्लू बनाने के लिए ईवीएम घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं तो वामपंथी भी संत्रास संत्रास चिल्ला रहे हैं बंगाल लाइन के बूमरैंग हो जाने के बाद भी।


सवाल पूछने वाले तमाम लोग जिस पार्टी में भी हैं,निकाल पेंके जा रहे हैं।वाम दक्षिण किसी भी पार्टी में संघ परिवार की तरह बुनियादी एजंडे,आब्जेक्टिव और विचारधारा के लिए बेरहमी से नेतृत्व बदल देने की कोई औकात नहीं है।


सत्तासुख के परेंदे कड़ी धूप से बचने के लिए थोक भाव से केसरिया छांव का विकल्प खोज रहे हैं तो लाल हरी नीली जमीन पर लहलहाने लगी है कमल की फसल।


फेल नेताओं के पुनरुत्थान के लिए सत्ता समीकरण की बिसात नये सिरे से सजाने की हलचल के अलावा इस देश में जनपक्षधर लोग भी नहीं सोच रहे हैं कि चौतरफा तबाही से आम बहुसंख्य जनता को बचाने के लिए क्या करना चाहिेए और जनता के बीच जाने लायक साख भी तो नहीं बची है।



  • 1

  • 2

  • 3

Design activism for larger than just good appreances

Design activism for larger than just good appreances

Division of labour and the loss of the individual spirit has been a subject of fierce debate amongst the art and design community ever since.

Politicians and their plane truths

Two planes were kept for Modi during the election campaign as he used to return to Gandhinagar late night every day and fly out the next morning.

Why India needs Eurovision

Eurovision was created in 1956, a year before India's second national elections, in order to bring a riven continent together.

Poke Me: India's $10 trillion bet on a Modi-led g...

BLOGS

Parag ParikhParag Parikh

Why do IPOs come in Bull Markets?

The election results are out and the markets are rejoicing. The stock markets are in an upbeat mood. Sentiments have changed and the investors are excited about equities after a lull for over five...

Bindu DalmiaBindu Dalmia

The Last days of Empire, The fall of Congress and its aftermath Part 1

Would I have penned this column pre-May 16th? Frankly, only with trepidation, fearful of a well- known Congress trait of allegedly intimidating most who were inimical to the rulers. If my observations...

Manisha GuptaManisha Gupta

Ache din for Gold jewellery Industry

If you are getting married this year or you believe in accumulating the yellow metal, that's Gold, then its Ache din for you as even before Narendra Modi takes over as the PM of country which...

Raghu KrishnanRaghu Krishnan

Kejriwal: From the sublime to the ridiculous

Many, many years ago, when I was in a Kolkata convent school, we were taught a rhyme which went, "He who fights and runs away, lives to fight another day." In the case of Arvind Kejrwal, the rhyme...

Jaideep MishraJaideep Mishra

Innovative policy is the growth watchword

After a rather unprecedented electoral sweep, the incoming Narendra Modi government needs to frame and implement a set of innovative policies to boost investment, improve economic sentiment and...

Vikram DoctorVikram Doctor

Food Fables - Charoli Nuts for a Jaded Appetite

It is a rather bitter irony that so many expensive food ingredients come from poorer places. Birds nests for soup are scraped from cave walls in Southeast Asia (though now they build artificial caves...

Lubna KablyLubna Kably

We need to prepare more than annual budgets

Modi & Co have ended the coalition era and expectations from the new government are running high. Zenobia Aunty, being a hard task-master has set her expectations even higher than the...

Pavan DuggalPavan Duggal

Resurgent India's Proposed Cyber and IT Policies

India has seen history being made in the last few days. The Bhartiya Janta Party (BJP) has broken all its previous records in the 16th Loksabha Elections Results 2014. Its only after a couple of...

Nistula HebbarNistula Hebbar

How can the Congress find a Blair to Modi's Thatcher act?

These are difficult times for the Congress party, the party of the independence movement, of towering personalities who gave India most of its modern institutions and narratives. An electoral drubbing...

Vandana VasudevanVandana Vasudevan

Four embarrassing election victories

While in general, my respect for the Indian electorate has been profound at the decisive way it has chosen one party and ensured that a government with absolute majority could be formed; there are...

» More from Blogs

POLL OF THE DAY

Previous Polls »

SPIRITUAL ATHEIST

Lonely Species

24 May, 2014 04:00 AM IST

Go for an austere life, scale economy goes; learn some defence tricks, do away with society altogether. This is what these men did.

Spartan Strokes

23 May, 2014 04:10 AM IST

Psychologists say for such people criticism may actually be a stronger motivating factor than praise. It may serve to heat up the milksop into a more macho avatar.

» More from Spiritual Atheist

WIT & WISDOM

  • Quote by Margaret Smith

  • Quote by Josh Billings

  • Quote by Charles Baudelaire

  • Quote by WC Fields

  • Quote by Duke Ellington

  • Quote by Marcel Proust

  • Quote By Grucho Marx

  • Quote by Oscar Wilde

  • Quote by Jerry Seinfeld

  • Quote by Steve Martin

  • Quote by Mae West

  • Quote by Honoré de Balzac

  • Quote by Tim Allen

  • Quote by Terry Pratchett

  • Quote by Benjamin Franklin

» More from Wit & Wisdom

CITINGS

Managing & Talking

24 May, 2014 04:00 AM IST

The importance of conversation and communication as a leadership skill is something that can often go unexamined.

Managing Innovation

23 May, 2014 04:07 AM IST

Innovation isn't always strategic, but strategy making better be innovative. Strategy is about allocating resources today to secure abetter tomorrow.

» More from Citings

OPINION

That thin line between edgy and error of judgement

ET Bureau 24 May, 2014 04:00 AM ISTThat thin line between edgy and error of judgement

The offensiveness of depicting women bound and tied, and the implications of kidnap, rape and coercion just doesn't get across to the creatives who see only the edgy means to a trophy.

Narendra Modi is India's $10 trillion bet

Narendra Modi is India's $10 trillion bet

24 May, 2014 04:00 AM IST

The 800 million plus voters have pinned their hopes on Modi to deliver them real jobs, an end to inflation and efficient and clean delivery of services.

Two professors'crusade for justice

Two professors'crusade for justice

Reuters 23 May, 2014 11:00 AM IST

For decades, pro-business groups such as the US Chamber of Commerce have railed against shareholder class actions, both in Congress and in briefs at the Supreme Court.

Effective governance has a lot to do with officialdom

Effective governance has a lot to do with officialdom

ET Bureau 23 May, 2014 05:04 AM IST

Once one goes down that list of ministries, there is no logical reason why there should be more than 15 or 20 Cabinet ministers, with independent Ministers of State under them.

Narendra Modi disturbed the water and caught fish

ET Bureau 23 May, 2014 10:36 AM IST

Rajapaksa's decision to come will put paid to delusions by the likes of Vaiko in NDA stable from believing they can have a say in India's Lanka policy.

Vote share or market share, 31% is top dog

Vote share or market share, 31% is top dog

23 May, 2014 04:24 AM IST

Research analysts on Dalal Street will tell you that market share matters little if it's coming at the expense of profitability.

DATA WISE

  • Older adults are living longer

  • World Fisheries & Aquaculture

  • Poor powerful buyers

  • Internal displacement worldwide

  • Not all extremely poor under safety net

  • Maternity Benefits

  • Farm Census

  • An Expensive Stock Market

  • Open Shame

  • R&D Intensity

  • Poor Air Quality

  • Three billion netizens

  • Large-Screen Smartphones vs Tablets

  • Diesel Emissions

  • Gaining Currency

» More from Data Wise

Challenges on the economy

Challenges on the economy

22 May, 2014 10:18 AM IST

Ravi Venkatesan, former chairman of Microsoft India says that relative modest changes in the business climate can unleash tidal wave of investments.

Congress party: First family with a fifty percent chance

Congress party: First family with a fifty percent chance

22 May, 2014 05:21 AM IST

I have long argued that if one is a Congress supporter, one must learn to accept dynastic rule. It is appalling, but it is a reality.

Prime Ministers need in-house brand managers

Prime Ministers need in-house brand managers

22 May, 2014 04:56 AM IST

A strong argument against this premises could be that PS to PM is already over-burdened and can't be saddled with mundane matters like Public Relations.

Overcoming security concerns and moving to cloud

Overcoming security concerns and moving to cloud

21 May, 2014 08:49 PM IST

According to IDC, adoption rate of cloud computing in India is 67%. Experts estimate that Indian cloud market will touch $1.3 bn by 2017, growing at 33% per year.

Bangladesh's Narendra Modi dilemma

Bangladesh's Narendra Modi dilemma

21 May, 2014 04:00 AM IST

The "India factor" plays out very differently in Bangladesh and explains the way the two battling Begums have tried courting India's new PM.

A job for Narendra Modi and Barack Obama

A job for Narendra Modi and Barack Obama

21 May, 2014 03:06 AM IST

Almost six years ago, the city of Mumbai was attacked by 10 Pakistani terrorists in the most important terror strike since 9/11.

Modi's reference to parl as temple of democracy significant

Modi's reference to parl as temple of democracy significant

21 May, 2014 04:00 AM IST

Why does Narendra Modi still get moved emotionally by a personal moment and not a bigger social occurrence?

Onus now on Rahul Gandhi to reinvent himself

Onus now on Rahul Gandhi to reinvent himself

21 May, 2014 04:00 AM IST

The unavoidable question is: Can the Congress survive and revive itself with Rahul Gandhi? Does the 2014 defeat carry with it any sobering lessons for Rahul Gandhi?

We need to prepare more than annual budgets

We need to prepare more than annual budgets

ET Bureau 20 May, 2014 04:00 AM IST

New government must intensify efforts to make the budgetary mechanism more transparent and not merely focus on rationalisation and simplification of taxes.

Mahindra Group hopes for growth-focussed agenda

Mahindra Group hopes for growth-focussed agenda

20 May, 2014 04:00 AM IST

Govt should work towards improving biz climate, implementing agro reforms and getting infra projects on track in the first 100 days.

» More from Opinion



No comments:

Post a Comment