Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Friday, October 4, 2013

सांसत में हैं राज्य सरकार के कर्मचारी, न बकाया डीए मिलेगा और न आंदोलन की इजाजत है

सांसत में हैं राज्य सरकार के कर्मचारी, न बकाया डीए मिलेगा और न आंदोलन की इजाजत है

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


मां माटी मानुष की सरकार के सत्ता संभालने के बाद आम लोगों को कितनी राहत मिली है, हाल के पंचायत चुनावों और पालिका चुनावों में जनादेश को और मजबूती मिलने से इस बारे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कोई शक है नहीं। विपक्षी खेमे में नेतृत्व का अभाव है और बिखराव उससे ज्यादा। सबसे बुरा हाल कर्मचारी संगठनों का है।पहले से अटठाइस फीसद डीए बकाया है। अब केंद्र ने दस फीसद मंहगाई भत्ता बढ़ा दिया है। उसे जोड़ें तो बकाया अड़तीस फीसद बनता है क्योंकि वेतनमान केंद्र समान है। दीदी ने टका सा जवाब दे दिया है कि फिलहाल कर्मचारियों को बकाया डीए देने लायक पैसे राजकोष में हैं ही नहीं।


हंसें कि रोयें

लोकसभा चुनाव के पहले केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को सौगात देने का फैसला किया । पूजा के पहले ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों के डीए में 10 फीसदी की वृद्धि कर दी गयी। राज्य कर्मचारियों को बढ़ा हुआ क्या तो खाक, पुराना बकाया के लाले पड़ रहे हैं।बहरहाल केंद्र सरकार का यह फैसला राज्य सरकार के लिए नयी आफत बन गयी है। आर्थिक तंगी से जूझ रही यह सरकार केंद्र के इस फैसले से काफी नाराज है। दरअसल, राज्य के सरकारी कर्मचारी पिछले कई वर्षो से डीए बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।दीदी ने साप साफ कहा है कि चाहे जितना चिल्लाओ, चीख पुकार से डीए नहीं मिलने वाला। पूजा औरत्योहारी माहौल में खर्च का अग्रिम बजट बना चुके कर्मचारी समझ ही नहीं पा रहे कि हंसें कि रोयें।


काम का हिसाब मांगा जा रहा है


कर्मचारी संगठनों की चूं करने की गुंजाइश नही ंहै। सरकारी नौकरी में कुर्सियां जो लोग तोड़ रहे थे, उनसे उनके कामकाज का हिसाब मांगा जा रहा है। जो लोग नौकरी में हैं, वे तो बुरे फंसे हैं बल्कि जो रिटायर हो गये और पेंशन उठा रहे हैं,उनकी भी नाक में दम है। उनसे उनकी नौकरी के दौरान किये कामकाज की कैफियत ली जा रही है। जवाब संतोषजनक न हुआ तो रिटायरमेंट बेनेफिट निलंबित हो सकता है।


दीदी का डंडा

सर्विस डिसकंटीन्यू का ऐसा फंडा दीदी ने डंडा बनाया हुआ है कि सांकेतिक विरोध दर्ज करने की हिम्मत भी नहीं है किसी को। गुड बुक से एकदफा बाहर हुए तो किसी की खैर नहीं। अब कर्मचारी संघठनों पर तो वामपंथियों का वर्चस्व रहा है और खासकर कोआर्डिनेशन कमिटी से जुड़े रहे हैं अधिकांश सरकारी कर्मचारी।सत्ता परिवर्तन के बाद पाला बदलने के बावजूद हालात बदल नही रहे हैं।


खाल बचाने को कोई नहीं


पुराना इतिहास भूगोल खंगाला जा रहा है । सक्रिय लोग अब शुतुरमुर्ग बनकर तूफान गुजर जाने का इंतजार कर रहे हैं। कोई यूनियन कहीं नहीं है जो कर्मचारी की खाल बचाने को तैयार हो। फिर बकाया डीए के मुद्दे पर बोलने की वामपंथियों की हिम्त ही नहीं पड़ रही है क्योंकि वाममोरचा कार्यकाल के दौरान राज्य के सरकारी कर्मचारियों का 16 फीसदी डीए बकाया था, जो अब बढ़ कर 28 फीसदी हो गया है। केंद्र सरकार की घोषणा के बाद राज्य के सरकारी कर्मचारियों का बकाया डीए बढ़ कर 38 फीसदी हो गया है और राज्य सरकार की यह स्थिति नहीं कि वह एक बार में इतनी राशि भुगतान नहीं कर पायेगी। बकाया खाता जो वाम जमाने में शुरु हुआ, वह इतनी जल्दी जमा खाता में बदलने से रहा। बोलेंगे तो अब कर्मचारी ही वाम नेताओं की गरदन दबोच लेंगे।


डर के मारे ढीला हुए जाते हैं



कर्मचारी राइटर्स और कोलकाता छोड़कर कही जाना नहीं चाह रहे थे। हावड़ा में राइटर्स स्तानांतरण के खिलाफ आंदोलन की तैयारी भी थी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। विपक्षी नेताओं की बोलती बंद है। वामपंथियों की गज गजभरलंबी जुबान तो जैस कट ही गयी। नेताओं की फट रही हो तो आम कर्मचारी किस भरोसे विरोध दर्ज कराये। अब दीदी के नवान्न पहुंचने से पहले वहां तक पहुंचने की मारामारी है।इसी फेर में दिनचर्या का समायोजन करने लगे हैं कर्मचारी। जो चतुर सुजान है, वे नये राइटर्स में अपना जुगाड़ भिड़ाने की जुगत में हैं। बाकी बोका जनता डर के मारे ढीला हुए जाते हैं।


केंद्र के खिलाफ दीदी का जिहाद

दीदी के केंद्र विरोधी जिहाद और निरंतर राज्य की आर्थिक बदहाली से वामपंथी यूनियनों की हालत और पतली है। दीदी के बयान के मुताबिक इस हालत के लिए वामपंथी ही जिम्मेदार हैं। टीवी के परदे पर बयानबाजी करनेवाले नेता हैं, लेकिन इस हालत की वजह से जो भुगतान रुक रहा है, उसके मद्देनजर वम नेता कहीं नजर ही नहीं आ रहे हैं। दीदी का सुर लेकिन रोज तीखा से तीखा होता जा रहा है। मसलन आर्थिक भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। ममता ने कहा कि जब लेफ्ट की सरकार सत्ता में थी तो उन्हें लोन लेने की आजादी थी। आपने (केंद्र) लेफ्ट सरकार को लोन लेने की आजादी दी, जिसका अंजाम हमें भुगतना पड़ रहा है। आप हमें एक पैसा नहीं दे रहे। मुझे खुशी है कि आप दूसरे राज्यों की मदद कर रहे हैं, लेकिन आप बंगाल को मिलने वाले फायनेंसेज क्यों रोक रहे हैं? ममता के मुताबिक, राज्य सरकार केंद्र से काफी वक्त से लोन रिपेमेंट के रिस्ट्रक्चरिंग की मांग कर रही है। ममता ने कहा कि यह उनकी आखिरी 'अपील' है और वह अब दिल्ली में 1 करोड़ लोगों के साथ प्रदर्शन करेंगी।


पुराना पापों की धुलाई


स्थानंतरण के बहाने पुराना पाप धोने की तरकीब भी निकाल रहे हैं लोग। माल आसबाब के साथ मंत्रालयों और विभागों के सारे दस्तावेज और तमाम फाइलें नवान्न रवाना हो गयी हैं। इसी आवाजाही में पुराने मामलात रफा दफा किये जाने की आशंका है। बताया जाता हैकि पीछे छूट गये कागजात मे ंवित्त मंत्रालय तक के जरुरी दस्तावेज हैं , जो राइटर्स में फिलहाल लावारिश हैं और जिन्हें जल्द ही ठिकाने लगा दिया जायेगा।पश्चिम बंगाल प्रशासन का कार्यालय राइटर्स बिल्डिंग से हटा कर हावड़ा में नयी 15 मंजिली एचआरबीसी इमारत में स्थानांतरित किया जा रहा है।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार से नवान्न में ही बैठ रही हैं।नयी इमारत को नीले और सफेद रंगों से पेंट किया गया है और इसका नाम 'नबन्न' रखा गया है। हुगली नदी के किनारे इस इमारत की 14वीं मंजिल पर सरकारी कार्यालय होंगे।ख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) का फर्नीचर राइटर्स बिल्डिंग से नए भवन में स्थानांतरित कर दिया गया है।



No comments:

Post a Comment