From: हिंदी समय <hindisamaydotcom@gmail.com>
Date: 2012/5/5
Subject: हिंदीसमय पर नया क्या है
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मित्रवर,
इस बार हिंदीसमय के माननीय पाठकों के लिए हम कुछ विशेष उपहार लाए हैं।
पिछले कई दशकों से हिंदी की नई पीढ़ी धर्मवीर भारती का लोकप्रिय उपन्यास 'गुनाहों का देवता' पढ़ कर ही
जवान होती रही है। । यह इस उपन्यास का तिरसठवाँ संस्करण है। भारती जी का बेजोड़ प्रयोगधर्मी
उपन्यास 'सूरज का सातवाँ घोड़ा' हिंदीसमय पर पहले से मौजूद है।
निर्मल वर्मा के गद्य का वैभव उनकी कहानियों की तरह उनके निबंधों में भी
दिखाई पड़ता है। प्रस्तुत है उनका महत्वपूर्ण निबंध संग्रह 'ढलान से उतरते हुए'। निर्मल जी का
प्रसिद्ध कहानी संकलन 'कव्वे और काला पानी' हाल ही में
हिंदीसमय के साहित्य भंडार में दाखिल हुआ है।
इस बार देवीशंकर अवस्थी पुरस्कार से सम्मानित आलोचक शंभुनाथ ने
शमशेर बहादुर सिंह के काव्य-तत्व पर अपनी खास शैली में विचार किया है अपने
निबंध 'शमशेर : कौतुक से अधिक' में। कुछ दिन पहले अज्ञेय की आधुनिकता पर शंभुनाथ के सहृदय विवेचन
को हम हिंदीसमय पर प्रकाशित कर चुके हैं।
दो दिन बाद यानी 7 मई को रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म दिन है। टैगोर की कहानी 'पत्नी का पत्र' को कहानी जगत में क्लासिक का
दर्जा हासिल है। यह अब हिंदीसमय पर उपलब्ध है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी और विद्यानिवास मिश्र की परंपरा के निबंधकार कुबेरनाथ राय को पाठक तो बहुत
मिले, पर आलोचना जगत में वह स्थान नहीं मिल पाया जिसके वे सहज ही हकदार हैं। हिंदीसमय पर प्रस्तुत उनके
दोनों निबंध - 'कुब्जा सुंदरी' और 'सनातन नदी बनाम अनाम धीवर' - अवश्य पठनीय हैं।
सुधा अरोड़ा ने हिंदी कथा साहित्य में स्त्री विमर्श को आगे बढ़ाया है। उनकी ई-पुस्तक
'एक औरत की नोटबुक' इसका एक उल्लेखनीय साक्ष्य है।
दिविक रमेश की कविताएँ प्रस्तुत करते हुए हमें खुशी हो रही है। वे हाल ही में हमारे विश्वविद्यालय के अतिथि थे। यहाँ के कुछ अनुभवों को उन्होंने
अपनी 'महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में टहलते हुए' शीर्षक कविता में सँजोया है।
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कथाकार शिवमूर्ति को तीसरा लमही सम्मान प्रदान करने की घोषणा हुई है। अगले हफ्ते आप हिंदीसमय पर इनकी ताजा कहानी 'ख्वाजा, ओ मेरे पीर!' पढ़ने का सुख पा सकेंगे।
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पहले की ही तरह, आपकी प्रतिक्रियाओं, टिप्पणियों और सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी।
साथ ही, यह निवेदन भी कि आप इस मेल को जितने अधिक साहित्य प्रेमियों को फारवर्ड कर सकें, उतना ही अच्छा रहेगा।
सविनय,
राजकिशोर
वर्धा - 442 001
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