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Wednesday, May 2, 2012

डीटीसी के पत्ते खुलने लगे, नौकरीपेशा लोगों पर गिरने वाली है गाज!

डीटीसी के पत्ते खुलने लगे, नौकरीपेशा लोगों पर गिरने वाली है गाज!

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

आयकर संशोधन को लेकर जब निवेशकों के हितों की हिफाजत के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी अपने बाल नोंचने में लगे हैं और जबर्दस्त कारपोरेट लाबिइंग को आवाज देने वाले मीडिया आम आयकरदाताओं पर पड़नेवाल इसके असर पर लगभग खामोश हैं, तब डीटीसी के पत्ते खुलने लगे हैं। नौकरीपेशा लोगों पर गिरने वाली है गाज। क्योंकि केंद्र सरकार ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए स्रोत पर कर कटौती यानी टीडीएस पर निशाना साधा है। टीडीएस का गलत विवरण देने और फाइलिंग में गलती पर दस हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। यह प्रावधान एक जुलाई से अमल में आ जाएगा। टीडीएस रिटर्न हर तिमाही जमा किया जाता है। इसमें आमतौर पर स्थाई खाता संख्या [पैन], काटी गई राशि और उसका ब्योरा गलत होता है।विभिन्न हलकों के दबाव के बावजूद सरकार आय कर अधिनियम में संशोधन (पिछली तारीख से) पर अडिग है, क्योंकि 2007 में हुए 11 अरब डॉलर के वोडाफोन-हच सौदे की तरह उसकी नजर ऐसे विभिन्न सौदों से 35,000-40,000 करोड़ रुपये की संभावित कर वसूली पर लगी हुई है। विभिन्न अदालतों में विलय एवं अधिग्रहण के कई सौदे लंबित हैं जिनमें 15 करोड़ डॉलर का आइडिया सेल्युलर-एटीऐंडटी, 50 करोड़ डॉलर की जीई-जेनपेक्ट, सेसा गोवा में 98.1 करोड़ डॉलर का मितुसी-वेदांत, 2006 का सैबमिलर-फोस्टर्स सौदा और 77 करोड़ डॉलर का सनोफी एवेंतिस-शांता बायोटक सौदा प्रमुख रूप से शामिल हैं। विस्तृत ब्योरा देने से इनकार करते हुए अधिकारियों ने कहा कि अन्य सौदों की भी जांच की जा रही है। आय कर विभाग ने अनुमान लगाया है कि वोडाफोन जैसे मामलों से उसे 35,000-40,000 करोड़ रुपये के बीच रकम करों के रूप में हासिल होगी, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह महज अनुमानित आंकड़ा है। उन्होंने कहा कि यदि पूर्वव्यापी संशोधन नहीं किए जाते हैं तो इन आय कर दावों का क्या होगा।

जानकारों के मुताबिक जीएएआर और व्यापार घाटा बढ़ने की वजह से एफआईआई निवेश घटा है, जिससे रुपये में कमजोरी आई है। रुपये पर दबाव जारी रह सकता है और रुपया 54.2 के स्तर तक गिरने की भी आशंका है।अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे गिरकर 52.95 पर बंद हुआ है। सोमवार को रुपया 52.73 के स्तर पर पहुंचा था।मजबूती के साथ खुलने के बाद रुपये में लगातार कमजोरी दिखी। कारोबार के दौरान रुपया 53 के स्तर के नीचे चला गया था, जो 4 महीनों का सबसे निचला स्तर है। इसके पहले 5 जनवरी को रुपये ने 53 का स्तर तोड़ा था।वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का कहना है कि डॉलर की मांग बढ़ने और डॉलर के मुकाबले दूसरी मुद्राओं में कमजोरी का असर रुपये पर पड़ा है।

आयकर संयुक्त आयुक्त [टीडीएस] एके डे ने कोलकाता में बताया कि वित्ता विधेयक में प्रस्तावित संशोधन के पारित होने के बाद जुर्माना लगाया जा सकेगा। फिलहाल रिटर्न दाखिल करने में कोई गलती होने अथवा गलती सुधारने के लिए नए रिटर्न में भी दोष रह जाने पर जुर्माना लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। वैसे, देरी से रिटर्न भरने के लिए दंड का प्रावधान किया जा चुका है।

सरकार के कुल प्रत्यक्ष कर में टीडीएस का 40 प्रतिशत तक योगदान होता है। आयकर विभाग का मानना है कि रिटर्न में गलत जानकारियां काफी होती हैं। इनमें से ज्यादातर मामले ऐसे होते हैं, जिनमें गलती जानबूझकर छोड़ दी जाती है। डे ने यहां भारत चैंबर ऑफ कामर्स की बैठक में टीडीएस पर हुई परिचर्चा में कहा कि इस मामले में ब्याज आय 10,000 रुपये से कम रहने पर 15जी और 15एच फॉर्म जरूरी नहीं होता है। यह अलग बात है कि कई बैंक ब्याज आय इससे कम रहने पर भी इसी फॉर्म पर जोर देते हैं।

इस बीच नई दिल्ली में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ने भारतीय दूरसंचार कंपनी हचिसन एस्सार में एचिसन की हिस्सेदारी खरीदते समय आयकर विभाग की सलाह को नजरअंदाज किया था। आयकर विभाग ने उस समय वोडाफोन को बताया था कि उसका यह अधिग्रहण सौदा भारत में कर योग्य है।

वोडाफोन समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विट्टारियो कोलाओ ने भारत द्वारा पिछली तारीख से कर कानून में संशोधन के मसले पर मंगलवार को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से मुलाकात कर अपनी चिंता जताई थी। उसके बाद आज वित्त मंत्रालय का यह बयान आया है।
वित्त मंत्रालय की कर संग्रहण इकाई केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा कि वोडाफोन यह नहीं कह सकती कि उसे इस सौदे पर भारत में कर लगने के बारे में नहीं बताया गया था। उसने इस सलाह को नजरअंदाज किया था। उसे कहा गया था कि वह खुद या हचिसन टेलीकम्युनिकेशन इंटरनेशनल लि़ भारत में कर देनदारी के बारे में आकलन अधिकारी से संपर्क करें।

जनरल एंटी एवायडंस रूल्स (जीएएआर) को लेकर विदेशी निवेशक भी चिंता जताने लगे हैं। जाने माने विदेशी निवेशक और इमर्जिंग मार्केट ग्रुप के एक्जिक्यूटिव चेयरमैन मार्क मोबियस ने कहा है कि भारत में प्रस्तावित टैक्स सरकार की एक बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है।विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) को ताजा नीतिगत कदम रास नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि भारतीय शेयरों में उनकी खरीदारी की रफ्तार धीमी पड़ी है।

मार्क मोबियस के मुताबिक इससे भारत पर विदेशी निवेशकों का भरोसा घटेगा और अब ये निवेश के लिहाज से पसंदीदा जगह नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा है कि इससे विदेशी निवेशकों को बहुत बड़ा झटका लगा है और इसका असर शेयर बाजार में गिरावट के तौर पर दिख सकता है।

जीएएआर और सरकार की नीतियों पर अनिश्चित्तता बनी रहने से विदेशी निवेशकों को भारत से दूर कर दिया है। जनवरी-मार्च में भारी निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में 600 करोड़ रुपये की बिकवाली की है।

जनवरी में विदेशी निवेशकों ने 11000 करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी की थी। फरवरी में एफआईआई निवेश बढ़कर 25000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा था। मार्च में भी एफआईआई ने 7.75 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी।

इसके अलावा खबरें हैं कि न्यूयॉर्क के हेज फंड ओच-जिफ ने ने भारतीय शेयर बाजार में निवेश पूरी तरह बंद कर दिया है। ओच-जिफ के फंड की कीमत 30 अरब डॉलर से ज्यादा है। ओच-जिफ भारत में पी-नोट्स के जरिए निवेश कर रहा था।

ओच-जिफ के पहले मैक्वायरी ने भी भारत में अपने एक फंड में नई शॉर्ट पोशिशन बनाने पर रोक लगाई थी। सीएलएसए ने भी विदेशी निवेशकों को नए पी-नोट्स जारी करने बंद कर दिए हैं।

बिजनैस स्टैंडर्ड के मुताबिक जनवरी-मार्च तिमाही में जब विदेशी निवेशक भारतीय कंपनियों के शेयरों की खरीदारी कर रहे थे, तब प्रमुख कंपनियों के प्रवर्तक जोरशोर से बिकवाली कर रहे थे। प्रवर्तक दिसंबर, 2011 के निचले स्तर से कंपनियों के शेयरों में आई तेजी को भुनाने की रणनीति के तहत बिकवाली कर रहे थे।जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान टाटा मोटर्स, टाटा कन्सल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस), महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, हाउसिंग डेवलपमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. (एचडीआईएल), यूनिटेक और जयप्रकाश एसोसिएट्स सहित बीएसई-500 सूचकांक में शामिल 50 प्रमुख कंपनियों ने खुले बाजार में अपने शेयरों में बिकवाली की।शेयरधारिता व्यवस्था के मुताबिक, 50 कंपनियों के प्रवर्तकों ने 1,700 करोड़ रुपये के 14.7 करोड़ शेयरों की बिकवाली की। यह आंकड़ा तिमाही के दौरान औसत बाजार मूल्य पर आधारित है।

टाटा समूह ने खुले बाजार में अपनी टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाइटन इंडस्ट्रीज और वोल्टास जैसी प्रमुख कंपनियों के 400 करोड़ रुपये के 95 लाख शेयरों की बिकवाली की। टाटा एआईजी लाइफ इंश्योरेंस ने 226 करोड़ रुपये में टीसीएस के 19.2 लाख शेयरों की बिकवाली की। टाटा इंटरनैशनल, टाटा एआईजी लाइफ इंश्योरेंस और टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस ने तिमाही के दौरान कुल मिलकर टाटा मोटर्स के 73 लाख शेयर और टाइटन इंडस्ट्रीज के 49.6 लाख शेयर बेचे। इस अवधि में इन दोनों कंपनियों के शेयर अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच गए थे।

मुश्किलों से जूझ रही सोना के बदले कर्ज देने वाली कंपनी मणप्पुरम फाइनैंस ने मणप्पुरम एग्रो फाम्र्स के बकायों के पुनर्भुगतान के लिए अपने 4 करोड़ शेयर बेचने पड़े। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी के संस्थापक वी पी नंदकुमार ने अपनी 4.75 फीसदी हिस्सेदारी 180 करोड़ रुपये में बेयरिंग प्राइवेट इक्विटी और सेक्वॉया सहित तीन बड़े फंडों को बेची।

सीएनआई रिसर्च के प्रमुख किशोर ओस्तवाल ने कहा, 'काफी हद तक संभव है कि प्रवर्तक सेवाओं की अनिश्चितता के कारण ज्यादा कर्ज जुटाने से डरे हुए हों और/या महंगे कर्ज के पुनर्भुगतान के लिए शेयरों पर भरोसा कर रहे हों।'

यूनिटेक, लैंको इन्फ्राटेक, एचडीआईएल, यूनाइटेड स्प्रिट्स, जीटीएल और जयप्रकाश पावर वेंचर्स जैसी कर्ज के बोझ से दबी कंपनियों के संस्थापकों ने भी हिस्सेदारी घटाकर पूंजी जुटाना मुनासिब समझा।

रूपर्ट मर्डोक की अगुआई वाली वैश्विक मीडिया कंपनी न्यूज कॉर्प ने अपनी प्रवर्तक इकाई हैथवे केबल की 17.5 फीसदी हिस्सेदारी 358 करोड़ रुपये में दो विदेशी फंडों के हाथों बेच दी।

आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बीएसई-500 में शामिल कंपनियों में 8.5 अरब डॉलर (45,385 करोड़ रुपये) का निवेश किया और औसतन सूचकांक की तीन में से दो कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी में इजाफा किया।

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