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Monday, May 14, 2012

मंहगाई पर लगाम नही आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह घिरी सरकार!इस पर तुर्रा यह कि एलआईसी समेत बैंकों की रेटिंग भी घट गयी है!

मंहगाई पर लगाम नही आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह घिरी सरकार!इस पर तुर्रा यह कि एलआईसी समेत बैंकों की रेटिंग भी घट गयी है!

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

आर्थक मोर्चे पर बुरी तरह घिरी सरकार! सब्जी, मीट, दूध तथा दाल की कीमतों में उछाल के बीच आम आदमी के लिए बुरी खबर है। महंगाई ने एक बार फिर रंग दिखाना शुरू कर दिया है।छह महीने बाद खाद्य महंगाई एक बार फिर दहाई अंकों में पहुंच गई और अप्रैल में यह 10.49 फीसदी रही। सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक महंगाई दर पिछले महीने के मुकाबले आधा फीसदी बढ़ गई है। महंगाई बढ़ने के साथ ही, ब्याज दरों में गिरावट की उम्मीद भी खत्म हो गई है।एक ओर भारतीय रिजर्व बैंक धीमी पड़ती आर्थिक विकास दर को गति देने और बढ़ती महंगाई को काबू पाने की कोशिश कर रहा है लेकिन इसका असर आंकड़ों पर फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है।जाहिर है कि महंगाई के मोर्चे पर एक बार फिर सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं।इस पर तुर्रा यह कि एलआईसी समेत बैंकों की रेटिंग भी घट गयी है।अब रिजर्व बैंक के सामने मौद्रकि नीतियों में सख्ती बरतने के सिवाय को ई चारा नहीं है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने खाद्य मुद्रास्फीती में आई तेजी पर चिंता जताते हुए आज कहा कि सरकार इसे नियंत्रित करने के हर संभव उपाय करेगी।मुखर्जी ने खाद्य मंहगाई में आई इस तेजी पर कहा बढती मंहगाई गंभीर चिंता का विषय है इसे नियंत्रित करने के लिए अनाजों की भंडारण सुविधा बढाने के साथ ही आपूर्ति  व्यवस्था सुधारने की जरूरत होगी। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष सी रंगराजन ने कहा अपैल में अपेक्षा से अधिक रही खाद्य मुद्रास्फीती दर से भारतीय रिजर्व बैंक पर आगे नीतिगत दरों में कटौती का दबाव बनेगा।औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में आई गिरावट पर निराशा जताते हुए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि वैश्विक मांग और निवेश में कमी से आईआईपी के आंकड़े प्रभावित हुए हैं।मार्च 2012 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक आंकड़े में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आ गई है, जबकि पिछले साल मार्च महीने में इसमें 9.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी।समाप्त वित्त वर्ष 2011.12 में पूरे वित्त वर्ष में सालाना आधार पर औद्योगिक उत्पादन वृद्धि मात्र 2.8 प्रतिशत रही, जबकि 2010-11 में 8.2 फीसदी रही थी।

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की विदेशी मुद्रा बीमा वित्तीय मजबूती रेटिंग बीएए2 से घटाकर बीएए3 कर दी है। रेटिंग का अनुमान अब स्थिर है। इसके साथ ही एजेंसी ने ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक की स्टैंडअलोन बैंक फाइनैंशियल स्टे्रंथ रेटिंग 'सी-' से घटाकर 'डी+' कर दी है।जल्द ही ऑइल कंपनियां पेट्रोल के दाम बढ़ाने वाली हैं। कंपनियां इस महीने खत्म होने वाले संसद के बजट सत्र के बाद कीमतों में इजाफा करने का प्लान बना रही हैं। यही नहीं, 5000 करोड़ रुपए के पुराने नुकसान की भरपाई करने के लिए वे हर पखवाड़े कीमतों को रिवाइज भी करेंगी।सूत्रों के मुताबिक ऑयल मार्केटिंग कंपनियां अगर पहले पेट्रोल महंगा करती हैं, तो संसद की कार्यवाही पर असर पड़ेगा। 22 मई को बजट सत्र के दूसरा चरण खत्म होने वाला है।सूत्रों का कहना है कि सरकार कंपनियों को आंशिक तौर पर ही कीमतें बढ़ाने का इजाजत देगी। पेट्रोल की कीमतें 7-8 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए जाने की संभावना नहीं है।इंडियन ऑयल, एचपीसीएल, बीपीसीएल को फिलहाल पेट्रोल पर 7-8 रुपये प्रति रुपये की अंडररिकवरी हो रही है। कंपनियों ने वित्त मंत्रालय से पेट्रोल पर ड्यूटी घटाने की मांग की है। यूरोप के ऋण संकट को लेकर बढ़ती चिंता के बीच एशियाई कारोबार में तेल की कीमत में सोमवार को गिरावट दर्ज की गई। न्यू यॉर्क का मुख्य अनुबंध वेस्ट टेक्सैस इंटरमीडिएट क्रूड की कीमत जून डिलीवरी के लिए 84 सेंट्स घटकर 95.29 डॉलर प्रति बैरल रही। वहीं ब्रेंट नार्थ सी क्रूड की कीमत जून डिलीवरी के लिए 41 सेंट्स घटकर 111.85 डालर प्रति बैरल दर्ज की गई।   

पहले से ही बिदके निवेशकों को महंगाई के बढ़ते आंकड़ों ने और भड़का दिया। उन्होंने रिलायंस की अगुआई में चुनिंदा शेयरों में बिकवाली की। इससे सोमवार को लगातार पांचवें सत्र में गिरावट बनी रही। सोमवार को देश के बीएसई और एनएसई दोनों शेयर बाजारों में गिरावट रही। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 77.14 अंकों की गिरावट के साथ 16,215.84 पर और निफ्टी 21.10 अंकों की गिरावट के साथ 4,907.80 पर बंद हुआ।बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 25.38 अंकों की तेजी के साथ 16,318.36 पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक निफ्टी 5.45 अंकों की तेजी के साथ 4,934.35 पर खुला।बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट रही। मिडकैप 59.76 अंकों की गिरावट के साथ 5,888.95 पर और स्मॉलकैप 80.81 अंकों की गिरावट के साथ 6,314.57 पर बंद हुआ।अप्रैल में मुद्रास्फीति की दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक के लिए ब्याज को सस्ता करना मुश्किल हो गया है। औद्योगिक उत्पादन में नरमी के चलते उद्योग जगत कर्ज को सस्ता करने की मांग कर रहा है। गिरावट की दूसरी वजह सेंसेक्स में सबसे ज्यादा वजन रखने वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों का टूटना रहा। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली इस कंपनी के शेयर 2.32 प्रतिशत टूटे।

इस बीच ट्राई ने 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी पर संशोधित सिफारिशें टेलिकॉम मंत्रालय को भेज दी हैं। ट्राई ने सभी श्रेणियों के स्पेक्ट्रम की नीलामी इसी साल करने को कहा है। साथ ही, नीलामी एक ही चरण में सभी कंपनियों के लिए करने की सिफारिश है।ट्राई ने 800 और 900 मेगा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम की रीफार्मिंग तुरंत करने की सिफारिश की है। नई कंपनियां 1.25 मेगा हर्ट्ज के 4 ब्लॉक के लिए बोली लगा सकती हैं।कंपनियों के भारी विरोध के बावजूद ट्राई ने स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए ऊंची दरें कायम रखी हैं। 1800 मेगा हर्ट्ज बैंड के लिए 3,622 करोड़ रुपये प्रति मेगा हर्ट्ज के बेस प्राइस रखे जाने की सिफारिश है।मौजूदा कंपनियों को ज्यादा स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के लिए अतिरिक्त भुगतान करना होगा। ट्राई का मानना है कि स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज को 1 फीसदी से बढ़ाकर 3 फीसदी किया जाए।

आम आदमी पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ने लगी है। दूध, फल, सब्जियों और मांस-मछलियों के दाम बढ़ने से महंगाई दर में पिछले महीने के मुकाबले आधा फीसदी का इजाफा हुआ है। सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने महंगाई दर 6.89 फीसदी थी, जो बढ़कर 7.3 फीसदी तक पहुंच गई है। दूध की कीमतों में साढ़े 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि अनाज 5.68 फीसदी महंगा हुआ है। आम आदमी की सब्जी कहा जाने वाला आलू सबसे ज्यादा 53 फीसदी महंगा हो गया है। इसके अलावा अंडा, मांस और मछली की कीमतों में भी साढ़े 17 फीसदी का इजाफा हुआ है।

महंगाई बढ़ने से ब्याज दर में कमी आने की उम्मीदों को भी झटका लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने संकेत दिया है कि फिलहाल ब्याज दरों को कम करना मुमकिन नहीं होगा। पिछले एक साल में कम से कम दस बार महंगाई रोकने के लिए ब्याज दरों में हेरफेर किया गया है। महंगाई बढ़ने की खबर के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक और बुरी खबर आई है। रेटिंग एजेंसी मूडी ने देश की सबसे बड़ी निवेशक कंपनी एलआईसी की रेटिंग कम कर दी है। इससे आर्थिक जगत में चिंता बढ़ गई है।

दरअसल, पिछले साल दिसंबर से महंगाई दर में लगातार कमी आई थी और सरकार को लग रहा था कि कम से कम इस मोर्चे पर उसे जनता का गुस्सा नहीं झेलना पड़ेगा। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। विपक्ष मंगलवार को इस मुद्दे पर संसद में सरकार को घेरेन की तैयारी कर रहा है।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति पर चिंता जताते हुए कहा है कि कृषि उत्पाद विपणन क्षेत्र में संस्थागत सुधारों से कीमतों को काबू किया जा सकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे पर राज्यों के साथ विचार-विमर्श करेंगे।

थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई का आंकड़ा बढ़ने पर अपनी प्रतिक्रिया में मुखर्जी ने कहा कि खाद्य उत्पादों की कीमतों पर अंकुश भंडारण सुविधाएं विकसित कर पाया जा सकता है। इसके साथ ही कृषि विपणन क्षेत्र में संस्थागत सुधारों की जरूरत है। उन्हाेंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय है। खासकर तब जब यह दो अंक में पहुंच चुकी है। भंडारण और शीत श्रृंखला सुविधाओं का विकास कर खाद्य मुद्रास्फीति से निपटा जा सकता है। साथ ही कृषि विपणन क्षेत्र में संस्थागत सुधारों की जरूरत है।

वित्त मंत्री ने कहा कि इन दोनाें क्षेत्रों में राज्य सरकारों को उचित कदम उठाने होंगे। मैं इस पर उनसे बातचीत करूंगा। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 7.23 फीसद पर पहुंच गई है। इससे पिछले महीने यह 6.89 प्रतिशत पर थी। खाद्य मुद्रास्फीति की दर 10 फीसद से ऊपर चल रही है जो चिंता का विषय बनी हुई है।

महंगाई की दर में बढ़ोतरी सब्जियों, फलों मीट, दूध, दालों और अन्य उत्पादों के दाम बढ़ने की वजह से हुई है। वित्त मंत्री ने हालांकि मूल मुद्रास्फीति में कमी पर संतोष जताया। उन्हाेंने कहा कि मूल मुद्रास्फीति का रुख संतोषजनक है। विनिर्माण क्षेत्र की महंगाई में भी गिरावट का रुख है। मूल मुद्रास्फीति की गणना में ईधन और भारी उतार चढाव वाली कुछ वस्तुओं के मूल्य सूचकांक शामिल नहीं किए जाते।

वित्त मंत्री ने कहा है कि मेरा मानना है कि 2012-13 में मुद्रास्फीति 6.5 से 7 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। कृषि विपणन राज्य का विषय है और ज्यादातर राज्यों के खुद के कृषि उपज विपणन समिति कानून हैं।

इस बीच सरकार एअर इंडिया में हड़ताल के मद्देनजर विमानन क्षेत्र को संकट से उबारने में बी फेल होल गयी है।एयर इंडिया के पायलटों के पिछले सात दिनों से लगातार हड़ताल पर बने रहने से विमानन कम्पनी को 100 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है। यह बात एक अधिकारी ने सोमवार को कही। पायलटों के सोमवार को भी सामूहिक रूप से चिकित्सा अवकाश पर रहने के कारण एयर इंडिया को 14 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को रद्द करना पड़ा। विमानन कम्पनी की किफायती अंतर्राष्ट्रीय सहायक इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस को भी चार उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।

सरकार के दबाव में ओएनजीसी में निवेश करना एलआइसी को काफी महंगा पड़ सकता है। दुनिया की प्रमुख रेटिंग एजेंसी मूडीज ने सोमवार को देश की इस सबसे बड़ी व एकमात्र सरकारी जीवन बीमा कंपनी की की रेटिंग घटा दी है। चूंकि रेटिंग में यह कमी विदेशी कारोबार से संबंधित हिस्से में की गई है, इसलिए कंपनी को बाहर से बिजनेस हासिल करने में मुश्किल हो सकती है। वैसे बतौर कंपनी एलआइसी की स्थाई रेटिंग बरकरार रखी गई है। कुछ दिन पहले एक संसदीय समिति भी ओएनजीसी में एलआइसी के निवेश की भ‌र्त्सना कर चुकी है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर की रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की साख को लेकर बढ़ती चिंता के कारण देश के तीन प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंकों आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक की रेटिंग सोमवार को घटा दी। एक साथ चार बड़े वित्तीय संस्थानों की रेटिंग का घटना देश के वित्तीय क्षेत्र की चुनौतियों की तरफ इशारा करता है। मूडीज से पहले स्टैंडर्ड एंड पुअर्स [एसएंडपी] ने जब भारत की रेटिंग घटाई थी, तब कई सरकारी कंपनियों की भी साख गिरा दी थी। जानकारों का कहना है कि तीन निजी बैंकों की रेटिंग घटने से ज्यादा एलआइसी की रेटिंग घटना चिंता का कारण है। एलआइसी में सबसे ज्यादा केंद्र सरकार की हिस्सेदारी है। यह कई जगह सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर भी काम करती है।

मूडीज ने भी कहा है कि एलआइसी का अधिकतर कामकाज घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। यह सरकार की तरफ से निवेश करती है। अगर भविष्य में भारत सरकार के समक्ष कर्ज अदायगी की कोई समस्या आती है तो इससे एलआइसी भी प्रभावित होगी। इसकी तरफ से सरकारी बैंकों व सरकारी तेल व गैस कंपनी [ओएनजीसी] में किए गए निवेश को लेकर रेटिंग एजेंसी ने गंभीर चिंता जताई है। यह भी कहा गया है कि एलआइसी ने इन क्षेत्रों में आवश्यकता से ज्यादा निवेश किया हुआ है।

सरकार ने अपनी विनिवेश नीति को सफल बनाने के लिए एलआइसी से ओएनजीसी में निवेश करवाया था। इसके बाद ओएनजीसी के शेयर काफी गिर चुके हैं और एलआइसी को नुकसान उठाना पड़ा है। इसके बाद कुछ सरकारी बैंकों में भी एलआइसी को निवेश करने के लिए बाध्य किया गया था। इन बैंकों को अतिरिक्त पूंजी की जरूरत थी, लेकिन केंद्र सरकार अपने खजाने से उन्हें पूंजी नहीं देना चाह रही थी। इसमें सिंडिकेट, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक की वित्तीय स्थिति अभी भी ठीक नहीं है।

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