Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Thursday, May 17, 2012

बेपरदा न कर सकोगे हुस्न को !

बेपरदा न कर सकोगे हुस्न को !



मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

संसद में हंगामा तो बरपा पर इससे सौंदर्य प्रसाधन बाजार की मार्केटिंग के आक्रामक तेवर बदलने की उम्मीद कम है। हालांकि सौंदर्य उद्योग के लिए बुरा समय है। महिलाओ को केद्रित कर उन्हे उपभोग की वस्तु की रूप मे दिखाए जाने वाले विज्ञापनो और उन्हे प्रसारित करने वाले टीवी चैनलो पर गाज गिर सकती है। 

लोकसभा मे मंगलवार को हर ओर से ऐसे विज्ञापनो के खिलाफ आवाज उठी। टीवी पर आपत्तिजनक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए विभिन्न दलों की राय ली जाएगी। इसके लिए सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। सूचना-प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने लोकसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल में यह जानकारी दी। सोनी ने बताया कि इस संबंध में मंत्रियों का एक समूह बनाया गया है। यह समूह सभी पहलुओं पर विचार कर रहा है। इससे पहले विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस बैठक का सुझाव दिया था। उनके मुताबिक विपक्षी दल इस बैठक में न केवल अपनी राय देंगे बल्कि सरकार को सहयोग भी करेंगे। सोनी ने कहा कि ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए 15 कानून मौजूद हैं। लेकिन इस बारे में कोई सख्त कानून नहीं होने से उनका मंत्रालय इन्हें पूरी तरह नहीं रोक पा रहा। इसलिए इस दिशा में सही निर्णय लेने के लिए संसद के सभी सदस्यों का सहयोग चाहिए। अंबिका सोनी ने कहा है कि अश्लील विज्ञापनों और सामग्री पर रोक लगाने के लिए मीडिया को खुद भी प्रयास करने चाहिए। टीवी चैनलों पर महिलाओं के अश्लील विज्ञापनों का लोकसभा की महिला सदस्यों ने एकजुट होकर विरोध किया और उन्हें बंद कराने की मांग की। पार्टी लाइन से हटकर महिला सदस्यों ने सरकार से इस मामले में कड़ा रुख अपनाने की मांग की। महिला सदस्यों के तेवरों को देखते हुए सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर चैनल नहीं मानें तो उन्हें केबल नेटवर्क से हटाने से भी सरकार गुरेज नहीं करेगी।

महिलाओं ने अश्लील विज्ञापनों के विरोध में गोरा बनाने के विज्ञापनो का खास विरोध करते हुए कहा है कि यह रंगभेद है। सही भी है। पर​ ​ भारत में सौंदर्य प्रसाधन उदोग के ग्राहक सिर्फ महिलाएं नहीं हैं। राष्ट्रीय व्यापार संगठन जैसे भारतीय उद्योग महासंघ के अनुसार बीस प्रतिशत की अनुमानित वार्षिक वृद्धि की विकास दर से, भारत में सौन्दर्य प्रसाधन उद्योग प्रति वर्ष तीन बिलियन डॉलर की है। आंकड़े बताते हैं कि पुरूष भी पीछे नहीं हैं, इसके बावजूद कि पुरूषों के सजने- संवरने के उत्पादों की संख्या में अभी तक अधिक वृद्धि नहीं हुई है।महिलाओं को गोरा बनाने की मुहिम के साथ पुरुषों को गोरा बनाने की मुहिम कम खतरनाक नहीं है। बल्कि पुरुषों को लक्षित ऐसे विज्ञापनों में कहीं अश्लीलता कहीं ज्यादा है। प्रसाधन सामग्री के इस्तेमाल करन वाले पुरुषों के प्रति औरतें कैसे फिदा होती हैं, इसे दिखाने के लिए हर सीमा ​​तोड़ दी जाती है। हर चैनल पर ऐसे विज्ञापन दिन दहाड़े दिखाये जाते हैं जिनके माडल अक्सर लोकप्रिय सितारे होते हैं। दरअसल, पुरुषों की सेहत के साथ ही सूरत के निखार का बाजार पिछले एक दशक में विकसित हुआ है। बरसों से गंजापन रोकने, चेहरा गोरा करने और पिंपल्स हटाने के बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं।

भारत में नब्वे के दशक में उदारीकरण शुरू होते न होते, बाजार खुलते न खुलते विश्व सुंदरियों की बाढ़ लगी गयी।तबसे सौंदर्य प्रसाधन उद्योग की दिन दूनी रात चौगुणी प्रगति हो रही है। आईपीएल और चियरिन संसकृति की चकाचौंध और रियेलिटी शो ने भी इस उद्योग की आक्रामक मार्केटिंग को नये आयाम दिये। रंगबेद का भावुक मसला उठाकर संसद में बैठी विदुषियों ने इस मुद्दे का अति सरलीकरण कर दिया है। बाजार के खिलाफ उन्होंने कभी कुछ इतनी एकजुटता से कही हो, याद नहीं आता।19 नवंबर 1994 वह दिन था, जब करोड़ों ‍हिन्दुस्तानी टीवी के आगे आँखें लगाए बैठे थे। ये सारी आँखें उस बिल्लौरी आँखों वाली लड़की को ढूँढ रही थीं, जिसने अपने अद्वितीय सौंदर्य से हर किसी को अचंभित कर दिया था। दक्षिण अफ्रीका के सनसिटी में आयोजित मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के आयोजक ऐश्वर्या राय नामक भारतीय सुंदरी के विलक्षण रूप पर हतप्रभ थे। यह नवयौवना स्पर्धा के आरंभिक चरण में मिस फोटोजनिक का खिताब जीत चुकी थी और ज्यादातर विश्लेषकों का मत था कि प्रतियोगिता का मुख्‍य खिताब वही जीतेगी। इसीलिए निर्णायकों ने जब विश्व सुंदरी स्पर्धा की विजेता के बतौर ऐश्वर्या राय का नाम लिया तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ, सिवाय खुद 20 साल की उस तरुणी के, जो हाथों में अपना चेहरा छुपाए खुशी के आँसू छलका रही थी। आम हिन्दुस्तानी यह देखकर अ‍चंभित था कि एक ही वर्ष में दो भारतीय बालाएँ सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने में कैसे सफल हो गईं। तीन दशक बाद कोई भारतीय लड़की विश्व सुंदरी का ताज पहनने में कामयाब हुई थी। यह पल हर देशवासी के लिए गर्व का भी अवसर था और हैरत का भी।कुछ राजनीतिक, सामाजिक विश्लेषकों ने कयास लगाया ‍कि यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा भारत के विशाल प्रसाधन बाजार में सेंध लगाने की सा‍जिश है। 

रात 11 बजे के बाद का स्लॉट ए सर्टिफिकेट प्राप्त फिल्मों के लिए माना जाता है। पुरुषों के परफ्यूम हों या फिर मोबाइल फोन, बच्चों के कपड़े हों या साबुन, टीवी पर इन उत्पादों के कई विज्ञापनों को अश्लील मानते हुए पिछले एक साल में कई शिकायतें हुई हैं। एएससीआई (विज्ञापन इंडस्ट्री द्वारा गठित आत्म नियंत्रण से जुड़ी संस्था) ने संबंधित विज्ञापनदाताओं को विज्ञापन हटाने की अपनी सलाह दी है और सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने ऐसे विज्ञापनों के प्रसारण करने वाले चैनलों को कारण बताओ नोटिस भेजे हैं।हाल में टीवी पर सबसे अधिक दिखने वाले डियोडरेंट के विज्ञापनों को सबसे अधिक अश्लील मानते हुए देश भर से व्यक्तियों और समूहों या संगठनों ने सरकार और एएस सीआई के सामने एक्स इफैक्ट, जटक, सेट वेट, किलर डिओ, वाइल्ड स्टोन डिओ, एक्स्ट्रा स्ट्रांग एक्स जैसे कई उत्पादों के टेलीविजन विज्ञापनों को बंद करने से जुड़ी शिकायतें भेजी हैं जिनमें महिलाओं को आपत्तिजनक तरीके से पेश करने के कारण इन्हें अश्लील माना गया है।एएससीआई ने कई विज्ञापनदाताओं को इन विज्ञापनों में संशोधन करने या इन्हें हटाने के निर्देश दिए हैं लेकिन इनमें से कई विज्ञापन हर चैनल पर बाकायदा जारी हैं। ऐसी कुछ शिकायतों को इसने सही नहीं ठहराया और उन विज्ञापनों को जारी रखने की सलाह भी दी है । इनमें आयडिया थ्री जी मोबाइल, मेनफोर्स कंडोम , लिलिपुट किड्सवेयर आदि से जुड़े टीवी विज्ञापन थे। हाल में जिस एक उत्पाद के टीवी विज्ञापन (क्लीन एंड ड्राइ इंटिमेट वाश) को निहायत ही अश्लील माना गया है, उसके विज्ञापनदाताओं को एएससीआई ने सलाह दी कि वे या तो विज्ञापन को सुधार लें या फिर इसे हटा लें। सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने भी हाल में इस विज्ञापन का प्रसारण करने वाले चैनलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

प्रश्नकाल के दौरान सुस्मिता बाउरी ने अश्लील विज्ञापनों का मामला उठाते हुए कहा कि ऐसे विज्ञापनों से महिलाओं की प्रतिष्ठा कम होती है। यही नहीं, काया गोरी करने के नाम पर जिस तरह से विज्ञापनबाजी होती है, उससे भी नस्लभेद को बढ़ावा मिलता है इसलिए सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। जयश्री बेन पटेल, डॉ. रत्ना सिंह, मीना सिंह और सुषमा स्वराज ने पूरक सवालों के जरिए सरकार से कहा कि वह अश्लील विज्ञापनों के मामले में कड़ी कार्रवाई करे। 

सुषमा स्वराज ने कहा कि अगर सरकार ऐसे विज्ञापन रोकने के लिए खुद को असहाय महसूस कर रही है तो वह सर्वदलीय बैठक बुलाए, हम उसे ताकत देंगे और सुझाव भी देंगे। हालांकि बाद में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि न वे असहाय हैं और न ही उनकी सरकार कमजोर है। उन्होंने सदस्यों को आश्वासन दिया कि इस मामले में वह कड़े कदम उठाएंगी। उन्होंने आंकड़े देकर बताया कि सरकार पहले भी कार्रवाई करती रही है लेकिन अगर जो चैनल इसके बावजूद अश्लीलता परोसेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सदस्यों को आश्वासन दिया कि सरकार सर्वदलीय बैठक भी बुलाएगी। 

कुछ समय पहले ही मशहूर फैशन हाउस क्रिश्चियन ल्यूबूटिन ने कॉस्मेटिक मार्केट में उतरने का ऐलान किया था और अब बारी है वर्जिन एंटलांटिक की। वर्जिन एटलांटिक को ज्यादातर लोग एयरलाइंस के रुप में ही जानते हैं लेकिन इस कंपनी का दखल अन्य क्षेत्रो में भी है। लेकिन अब वर्जिन ने रे़ड हॉट धमाका कर दिया है। वर्जिन एटलांटिक ने ब्यूटी प्रोडक्ट मार्केट में उतरने के लिए एक बड़े ब्रांड बेयर मिनरल्स से हाथ मिलाया है। वर्जिन का पहला ब्यूटी प्रोडक्ट एक लिपस्टिक है जिसे 'Upper Class Red' के नाम से जाना जा रहा है।लाल रंग एक आर्कषक रंग माना जाता है पुरुष और स्त्री के बीच लाल रंग सेक्स अपील को बढ़ाता है वर्जिन एटलांटिक की सभी एयर होस्टेस भी लाल रंग से नहाई रहती है।कंपनी द्वारा लॉन्च लिपस्टिक का प्रयोग उनकी एयर होस्टेस करेंगी। यात्रियों के लिए भी यह लिपस्टिक 16 डॉलर (871 रुपए) में उपलब्ध रहेगी। यह लिपस्टिक वर्जिन एटलांटिक के हीथ्रो, गेटविक और जेएफके हवाई अड्डों स्थित क्लब हाउस से मिलेंगी।

अब बच्चों को 'एडल्ट' विज्ञापनों से बचाने की कवायद शुरू हो गई है। विज्ञापनों पर नजर रखने वाली संस्था 'एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया' (एएससीआई) ने ऐसे कई टीवी विज्ञापनों का प्रसारण रात 11 बजे से सुबह 6 बजे के बीच करने की सिफारिश की है।सूचना व प्रसारण मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। काउंसिल की यह सिफारिश विशेषकर 'फास्ट ट्रैक' (इसमें एक पुरुष और स्त्री को एक कार में आपत्तिजनक अवस्था में दिखाया गया था), 'वाइल्ड स्टोन डिओ' (कार में पुरुष और स्त्री आपत्तिजनक अवस्था में), 'टाटा डोकोमो' जैसे विज्ञापनों के संदर्भ में दी गई। इन विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों को हालांकि काउंसिल ने सही नहीं ठहराया। 

पिछले कुछ दशकों में सौंदर्य प्रसाधन उद्योग ने भी देखा बदलाव। प्राकृतिक और जैविक कॉस्मेटिक उत्पादों की दिशा में एक क्रमिक बदलाव किया गया है। आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग की बदौलत तेजी से बढ़ रहे भारतीय सौंदर्य प्रसाधन उद्योग की विकास दर सात फीसदी से ज्यादा रहने की संभावना है। देश में ज्यादातर उपभोक्ता, रासायनिक उत्पादों के मुकाबले आयुर्वेदिक उत्पादों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन ने आईएएनएस से कहा, "पिछले 10 साल में भारतीय सौंदर्य प्रसाधन उद्योग की वृद्धि दरअसल आयुर्वेदिक उत्पादों की वजह से हुई है। इस दौरान सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों की मांग ज्यादातर प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उत्पादों के क्षेत्र में रही है।"

शहनाज ने दुनिया को सबसे पहले आयुर्वेदिक सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों का तोहफा दिया था, उन्होंने 1970 में अपना पहला आयुर्वेदिक उत्पाद बाजार में उतारा था।

अब भारतीय सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में आयुर्वेदिक उत्पाद बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं, फॉरेस्ट एसेन्शियल्स, बुटीक, हिमालया, ब्लॉसम कोचर, वीएलसीसी, डाबर, लोटस और कई अन्य ब्रांड इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इस क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक त्वचा, बाल, रंग आदि की श्रेणियों में विभाजित इस उद्योग का कुल कारोबार 2008 में 2.5 अरब डॉलर अनुमानित किया गया था। इसकी विकास दर सात प्रतिशत रहने के आसार हैं। तेल बनाने वाली कंपनी तथास्तु की अधिकारी दिविता कनोरिया कहती हैं कि लोग अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए हमेशा रासायनिक उत्पादों की जगह हर्बल उत्पादों का विकल्प तलाशते रहते हैं।

No comments:

Post a Comment