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Wednesday, May 9, 2012

सांस्‍कृतिक भड़ैती और फूहड़पन के विरुद्ध लोकरंग का आयोजन 12 से

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[LARGE][LINK=/index.php/dekhsunpadh/1351----------12-]सांस्‍कृतिक भड़ैती और फूहड़पन के विरुद्ध लोकरंग का आयोजन 12 से   [/LINK] [/LARGE]
Written by NewsDesk Category: [LINK=/index.php/dekhsunpadh]खेल-सिनेमा-संगीत-साहित्य-रंगमंच-कला-लोक[/LINK] Published on 09 May 2012 [LINK=/index.php/component/mailto/?tmpl=component&template=youmagazine&link=e7f864c9766cc32b221e03390e593ac3e3dbb48c][IMG]/templates/youmagazine/images/system/emailButton.png[/IMG][/LINK] [LINK=/index.php/dekhsunpadh/1351----------12-?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/youmagazine/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK]
लखनऊ। अपसंस्कृति के विरुद्ध तथा लोक संस्कृति के जन सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्द्धन के लिए पिछले 2008 से जन संस्कृति मंच के सहयोग से हिन्दी कथाकार सुभाष चन्द्र कुशवाहा के नेतृत्व में लोकरंग सांस्कृतिक समिति द्वारा सांस्कृतिक अभियान 'लोकरंग' का आयोजन पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के कुशीनगर के जोगिया जनूबा पट्टी, फाजिलनगर में किया जा रहा है। सांस्कृतिक भड़ैती व फूहड़पन के प्रभाव वाले इस क्षेत्र में लोकरंग के इस अभियान ने नई सांस्कृतिक बयार बहाई है, खासतौर से नौजवानों में नई संस्कृतिक चेतना पैदा की है और देश के संस्कृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। यही कारण है कि देश भर से संस्कृतिकर्मी, लेखक व कलाकार यहाँ जुटते हैं और इस लोक सांस्कृतिक अभियान में हर साल नया रंग भरते हैं।

इसी क्रम में इस साल 12 व 13 मई 2012 को दो दिवसीय 'लोकरंग-2012' का आयोजन हो रहा है, जिसमें विविध लोक कलाओं, लोकगीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन होगा। प्रमुख आलोचक व जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मैनेजर पाण्डेय इस पांचवें 'लोकरंग' का उदघाटन करेंगे तथा उन्हीं के द्वारा इस मौके पर प्रकाशित लोकरंग-2012 स्मारिका का लोकार्पण भी किया जायेगा।

लखनऊ में जसम द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में इस बार प्रस्तुत किये जाने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए वरिष्ठ कथाकार शिवमूर्ति, प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की उपाध्यक्ष ताहिरा हसन, कवि भगवान स्वरूप कटियार, लोकरंग सांस्कृतिक समिति के सुभाष चन्द्र कुशवाहा, जन संस्कृति मंच, लखनऊ के संयोजक कौशल किशोर ने कहा कि हमारी लोक संस्कृति की परम्परा काफी समृद्ध रही है। लोक संस्कृति और लोक कलाओं में जनता के दुख.दर्द, संघर्ष व सपने, प्रेम व करुणा, वीरता और त्याग, भाईचारा व समता, स्वाधीनता और सामूहिकता आदि की अभिव्यक्ति होती रही है। अपने इन्हीं मानवीय मूल्यों की वजह से आज भी लोक संस्कृति और लोक कला हमारे लिए प्रेरक व मूल्यवान हैं। लेकिन उपभोक्तावाद और बाजारवाद के बढते प्रभाव ने जहाँ लोक संस्कृति को बाजार की वस्तु बना दिया है, वहीं इसे भड़ैती व फूहड़पन का पर्याय बनाया जा रहा है। लोकरंग का आयोजन इसी के विरुद्ध तथा जनपक्षधर संस्कृति के संवर्द्धन के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस बार का 'लोक-रंग' लोक कवि व बिरहा गायक बिसराम की याद को समर्पित है।

पटना की प्रसिद्ध जन नाट्य संस्था 'हिरावल' इस बार अपने नये नाटकों के साथ लोकरंग के इस आयोजन में शामिल हो रही हैं। उनकी ओर से जनगीतों की प्रस्तुति के साथ दो नाटक भी प्रस्तुत किये जायेंगे। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कहानी का नाट्य रुपान्तरण 'भिखारिन' तथा पंजाब के प्रसिद्ध नाटककार गुरुशरण सिंह का मशहूर नाटक 'जंगीराम की हवेली' का मंचन हिरावल की ओर से होगा। बलिया की संस्था 'संकल्प' 'मैं नरक से बोल रहा हूँ' नाटक पेश करेगी, वहीं डिवाइन सोशल डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन, पटना की ओर से नाटक 'मेहरारु की दुर्दशा' का मंचन होगा।

लोकरंग के इस आयोजन में उत्‍तर प्रदेश की विविध लोककला रूपों तथा लोकगायन का प्रदर्शन होगा। जंतसार, सोहर, निर्गुन और भोजपुरी लोकगीत, पंवरिया व फरुवाही लोकनृत्य, बाकुम के कविता, सारंगी वादन, जोगी गायकी, इप्टा आजमगढ द्वारा जांघिया और धोबियाऊ नुत्य इस बार के लोकरंग के मुख्य आकर्षण होंगें। जहाँ 12 व 13 मई की रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, वहीं 13 को दिन में 'वैश्वीकरण में लोक संस्कृति का उजड़ना'' विषय पर वैचारिक गोष्ठी होगी। इसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध आलोचक मैनेजर पाण्डेय करेंगे तथा प्रसिद्ध कवि वीरेन डंगवाल, आलोचक शंभु गुप्त, प्रणय कृष्ण, योगेन्द्र अहूजा, सृजंय, सुरेश कांटक, पी डी मालवीय, जितेन्द्र रघुवंशी, दिनेश कुशवाहा, हृषिकेश सुलभ, सुभाष राय, हरेप्रकाश उपाध्याय, बजरंग बिहारी तिवारी, मदन मोहन, हरिनारायण, आनन्द प्रधान, केके पाण्डेय, डॉ तैयब हुसैन, मनोज सिंह आदि देश के जाने माने लेखक व कलाकार इकट्ठा होंगे तथा विषय पर अपने विचार प्रकट करेंगे।

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