लोकतारिणी गंगा इस साल खतरे का कारण बनी है
प्रवीण भट्ट
सप्ताह भर पहले तक देहरादून से 20 किमी दूर सहस्त्रधारा के निकट कारलीगाड़ गांव हरे भरे लहलहाते खेतों के बीच बसा दो सौ की आबादी वाला एक सम्पन्न गांव था। गांव के किनारे बहने वाली बुलड़ी नदी ने अब उसे बड़े-बड़े पत्थरों और मलबे के ढेर में बदल दिया है। 22 अगस्त को ग्रामीण जन्माष्टमी का जश्न मना रहे थे। देर रात पास के सरोना गांव में बादल फटने के बाद बुलड़ी नदी में आई भयंकर बाढ़ से कारलीगाड़ गांव में एक घर ध्वस्त हो गया, जिसमें पांच लोग जिंदा दफन हो गये। गांव की 50 बीघा से अधिक कृषि भूमि भी तबाह हो गई। दिनेश सिंह चौहान ने जिन्दगी भर पाई-पाई जोड़कर 12 कमरों का जो मकान बनाया था, वह गृह प्रवेश से पहले ही जमींदोज हो गया। तीन बीघा जमीन भी पूरी तरह से बर्बाद हो गयी। गांव के दो पंचायत घर, एक जलागम सामुदायिक केन्द्र, तीन पुल, एक पक्का मकान व एक बारात घर भी ध्वस्त हो गये हैं। पानी की लाईन व बिजली के खंबे भी उखड़ गये हैं। गांव से देहरादून के लिए आने वाली सड़क भी पूरी तरह से टूट गई है। मारे गये पाचों लोग पंचायत घर में सोए हुए बिहार और मध्य प्रदेश के मजदूर थे।
टिहरी जिले में जौनपुर विकासखंड के मौलधार गांव में भी 12 अगस्त की रात बादल फटने से पाँच लोगों की मलबे में दबने से मौत हो गई, जिनमें चार लोग एक ही परिवार के थे। 57 वर्षीय गबरू लाल के साथ उसकी दो पुत्रियाँ उर्मिला और मीला भी मकान के मलवे में दबकर मारी गईं। गबरू की पत्नी शांति गंभीर हालत में जिंदा बच गई।
राज्य आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केन्द्र के कंट्रोल रूम प्रभारी मेजर राहुल जुगरान के मुताबिक इस साल 1 जून से 24 अगस्त तक आई आपदाओं में 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 43 लोग गंभीर रूप से घायल हुए है। अब तक 290 आवासीय भवन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए और 3,000 मकानों को आंशिक क्षति हुई है। यह रपट लिखने के समय राज्य की 348 आंतरिक सड़कें पूरी तरह से बंद हैं। चार जिलों, हरिद्वार, देहरादून, उधमसिंह नगर और पौड़ी को छोड़कर शेष नौ जिलों के लगभग सभी आंतरिक व राष्ट्रीय राजमार्ग क्षतिग्रस्त हैं। चारधाम यात्रा एक माह से बाधित है। हजारों तीर्थयात्री इस साल यात्रा में छोड़कर लौट गए हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग बीते पखवाड़े भर से छह से अधिक स्थानों पर बंद है। जबकि बद्रीनाथ और केदारनाथ मार्ग सिरोबगढ़ में लगातार पत्थर गिरने से बाधित है। सैकड़ों यात्री गंगोत्री मार्ग बंद होने के कारण हफ्ता भर से अधिक उत्तरकाशी में फँसे रहे, जिन्हें बाद में वैकल्पिक मार्गों से निकाला गया। 7 अगस्त से गंगोत्री धाम में भी सन्नाटा पसर गया है।
सड़क बंद होने के कारण उत्तरकाशी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्यान्न का संकट पैदा हो गया है। राज्य आपदा परिचालन केन्द्र के मुताबिक अब भी राज्य के अधिकांश जिलों का संपर्क कटा हुआ है। सीमांत जनपद पिथौरागढ़ को अल्मोड़ा व टनकपुर से जोड़ने वाली सड़कें बंद हैं। अल्मोड़ा- पिथौरागढ़ को जोड़ने वाली सड़क कुलागाढ़, छड़, ध्याड़ी व मकड़ाऊ में बंद है, जबकि पिथौरागढ़-टनकपुर राष्ट्रीय राजमार्ग भी कई स्थानों पर बंद है। इन दो सड़कों के अलावा पिथौरागढ़ की जनता के पास तराई में आने का कोई विकल्प नहीं है, अतः लोगों को कई किमी पैदल चल कर सफर तय करना पड़ रहा है। अल्मोड़ा-हल्द्वानी, अल्मोड़ा-पनार घाट, देवीधुरा-चंपावत, धारचूला-तवाधाट के साथ ही नैनीताल जिले का ज्योलीकोट-भवाली मोटर मार्ग भी बन्द है। गढ़वाल मंडल में सबसे डराने वाली स्थिति बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिरोबगढ़ में बनी हुई है। गंगा नदी और टिहरी झील का लगातार बढ़ता जलस्तर परेशानी पैदा कर रहा है, जो खतरे के निशान के आसपास ही है। खतरे का निशान 820 मीटर पर है, जबकि इन दिनों झील का जलस्तर 815 मीटर तक पहँुच रहा है। टिहरी झील में 21056 क्यूसेक पानी जमा हो गया है। हरिद्वार में गंगा लगातार खतरे के निशान के आसपास ही बह रही है। 22 अगस्त को हरिद्वार में गंगा का जलस्तर 293 मीटर मापा गया जबकि खतरे का निशान 294 पर है। ऋषिकेश व हरिद्वार में बाढ़ जैसे हालात हैं। 21 अगस्त को रुड़की में इसी साल 5 करोड़ की लागत से बनाया गया तटबंध भी टूट गया और रुड़की व नारसन के 25 गांव जलमग्न हो गये। भारी तबाही मची। 17 अगस्त को हुई भारी बारिश के बाद यमुना नदी में आये उफान से विकासनगर विकासखंड के निचले क्षेत्रों में तबाही मची। भट्टावाला गांव में देर रात अचानक आई बाढ़ की जद में आए 20 मकानों के सभी लोगों को तो किसी तरह बचा लिया गया, लेकिन लोगों का ज्यादातर सामान बाढ़ की भेंट चढ़ गया। अनाज भी सुरक्षित नहीं बचा। यमुना का पानी उतरते-उतरते दो दिन लग गये। अब गांव के लोग डरे सहमे घरों को लौट रहे हैं। तराई क्षेत्रों में, काशीपुर में गौला नदी के बहाव के कारण 50 एकड़ से अधिक कृषि भूमि बही। बाढ़ ने हल्द्वानी-लालकुआँ रेलवे लाईन को भी नहीं छोड़ा। रेलवे लाइन टूट जाने के कारण एक सप्ताह से अधिक समय तक सारी ट्रेनें काठगोदाम के बदले लालकुआँ से चलीं।
राज्य में लगातार आ रही आपदाओं और सरकार की तैयारियों के सवाल पर मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक' का कहना है कि सरकार राज्य के आपदाग्रस्त व संवेदनशील क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त गांवों को पुनर्वासित करने के लिए नीति लागू कर दी है। राज्य में 211 गांव आपदा की दृष्टि से संवेदनशील चिन्हित किया गया है।
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