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Saturday, January 22, 2011

Fwd: बंधुवर परेशान हैं !



---------- Forwarded message ----------
From: Nikhil Anand <nikhil.anand20@gmail.com>
Date: 2011/1/22
Subject: बंधुवर परेशान हैं !


बंधुवर परेशान हैं !
निखिल आनंद

See the Link: http://mediamorcha.co.in/?p=1138


अबतक सियासी किस्सागोई और बहस का कारण बंधुवर बनते रहे हैं। लेकिन नवलेश की गिरफ्तारी के बाद इन दिनों बंधुवर ही खासे चर्चे में हैं। बंधुवर करना तो बहुत कुछ चाहते हैं लेकिन ज्यादा बोले तो डरते हैं कि अगला नंबर उनका न हो। अब बंधुवर नौकरी बचाये की आंदोलन बचाये दुविधा में पड़े हैं। हालत ये है की अब तो राह चलते लोग मजाक उड़ाने लगे हैं कि जैसे पत्रकार न हुए कोई अपराध हो गया। अब कुछ दिनों पहले की ही बात है बंधुवर हाईकोर्ट गये प्रतिक्रिया लेने कुछ वकीलों की। मामला था सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की निचली अदालतों की कार्यप्रणाली सुधारने के बारे में टिप्पणी की थी।  प्रतिक्रिया लेते उससे पहले ही वकीलों ने बंधुवर से पूछ लिया कि भाईजी का क्या हाल है। बंधुवर पहले तो समझे ही नहीं, तो वकील साहब ने कहा- अरे वही भाई आपके नवलेश भाई। देखिये खबर आपलोग बहुत छापते हैं। जरा संभल के रहियेगा की अगला नंबर आप ही का मत हो। दूसरे वकील साहब ने कहा की बंधुवर मणीपुर की खबर पता है न 30 दिसम्बर 2010 की एक संपादक की गिरफ्तारी हुई तो मणीपुर में अखबार ही नहीं छपा। बंधुवर को खबर का पता ही नहीं था तो भौचक रह गए। वकील साहब ने कहा की 'गुगल' पर जाकर खोजिये मिल जायेगा। बंधुवर फजीहत होते देख कहते हैं- ऐसा नहीं है जनाब, हमारे साथियों ने पूर्णिया और फतुहा में विरोध प्रदर्शन किया है। वकील साहब ने कटाक्ष किया- भाई बिहार की पत्रकारिता  की धुरी पटना से हैंडल होती है। ये तो गजब हो गया है कि पटना में नवलेश के मसले पर विरोध और सड़क पर उतरना तो दूर, कोई लिखने को भी तैयार नहीं है। लगता है कि आपलोग भी भोंपू बनते जा रहे हैं। बंधुवर ने वकीलों को लाख गणेश दत्तजी, हजारी प्रसाद द्विवेदी से लेकर इंमरजेन्सी आंदोलन में पत्रकारों का इतिहास- भूगोल बता डाले।  लेकिन ये वकील भी पता नहीं किस जनम का बैर मिटा रहे थे। वकीलों ने फिर बंधुवर को धर- लपेटा की भाई! हमारे वकालत में छेद देखने आये हैं। अपने दुकान में देखिये, ये आपही लोग हैं जनाब जो छोटी कुर्सियों को सत्ता का केन्द्र बनाते हैं। सत्ता से गठजोड़ कर सदन पहुँचने की कला आपही लोग बेहतर जानते हैं। जान बचते न देख बंधुवर थोडा आदर्शवादी होकर कहते हैं- अब पहले वाली बात नहीं है, लोकतंत्र के सभी खम्बे नैतिकता के मसले पर सवालों के घेरे में हैं। वकील साहब गुस्साए- अब अपना छेद छुपाने के लिए सबको मत लपेटिये। मुखौटे के पीछे क्या है सब पता है l सत्ता की चाटुकारिता और चापलूसी से गावों में ठेकेदारी कराने के किस्से भी मशहूर हैं। और नीरा राडिया के बहाने तो  दलाली में शामिल आपके मिडिया के मठाधिशो के चेहरे पहले ही बेनकाब हो चुके है । बाप-रे-बाप, जिंदगी में इतनी फजीहत किसी लंगोटिया दोस्त और खानदानी दुश्मन ने भी बंधुवर की नहीं की थी ।   वकीलों के व्यंग-बाण से घायल बंधुवर सोचने लगे की नवलेश के मसले पर वाकई सब चुप हैं। एक दिन बंधुवर ने जोश में अपने सहयोगियों को फोन किया की भाई ये तो गजब हो गया है। अब तो पत्रकारों पर भी शामत आ गई है। हमें कुछ करना चाहिये सो कल 2 बजे बैठक में आइयेगा। नवलेश के मसले पर आंदोलन खड़ा करना है। बंधुवर पहुँचे तो बैठक स्थल पर अकेले पहले आदमी थे। दो घंटे बैठे तो कुल जमा 4 लोग पहुँचे। अब बंधुवर ने थक कर कहा कि चलिये अपने बड़े श्रमजीवी बंधुओं से मुलाकात कर एक प्रेस रिलीज निकालते हैं। तब तक सी.बी.आई. इन्क्वारी की खबर आई तो बड़े बंधु ने फोन किया की बंधुवर अब तो खुशी मनाईये, आपकी बात मान ली गई है। बंधुवर ने पूछा कौन सी भईया । तो महोदय ने खुशी से उछलते हुए कहा बंधुवर नीतीशजी ने सी.बी.आई. इन्क्वारी की घोषणा कर दी है। अब तो आप खुश हैं न...अब तो प्रेस रिलीज निकालने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। फोन कट चुका था और बंधुवर हाथ में रिसीवर पकड़ कर झुनझुने की तरह हिला रहे थे।



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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