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Saturday, January 22, 2011

Fwd: [Right to Education] School lobby to meet today(saturday 22 jan) to...



---------- Forwarded message ----------
From: Priya Singh <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/1/22
Subject: [Right to Education] School lobby to meet today(saturday 22 jan) to...
To: Palash Biswas <palashbiswaskl@gmail.com>


School lobby to meet today(saturday 22 jan) to sort out the EWS seat isssue  प्रमुख संवाददाता ॥ नई दिल्ली प्राइवेट स्कूलों की बड़ी संस्था एक्शन कमिटी की शनिवार को एक मीटिंग हो रही है, जिसमें नर्सरी एडमिशन और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के मसले पर चर्चा की जाएगी। जिस तरह से नर्सरी एडमिशन को लेकर विवाद शुरू हो गए हैं, उसे देखते हुए यह मीटिंग काफी अहम हो गई है। खास बात यह है कि दिल्ली के बड़े स्कूलों मंे ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के एडमिशन का प्रोसेस शुरू हो चुका है लेकिन स्कूलों की एक संस्था दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट असोसिएशन ईडब्ल्यूएस कोटे को मानने से इनकार कर रही है। ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को लेकर स्कूलों की राय में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट असोसिएशन के अध्यक्ष आर. सी. जैन का कहना है कि ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को स्कूलों पर थोपा नहीं जा सकता और सरकार के दबाव में स्कूल नहीं आएंगे, वहीं प्राइवेट स्कूलों की दूसरी संस्था नैशनल प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस (एनपीएससी) के पूर्व चेयरमैन एस. एल. जैन कहते हैं कि ईडब्ल्यूएस कोटा राइट टु एजुकेशन एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक दिया जा रहा है और यह एक्ट संसद में पास हुआ है। हालांकि स्कूलों की कुछ संस्थाओं ने इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी को मान्य होगा लेकिन अभी स्कूलों को एक्ट के प्रावधानों को मानना ही होगा। वह कहते हैं कि ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के तहत स्कूलों को एडमिशन करने चाहिए। कर्नल सत्संगी किरण मेमोरियल पब्लिक स्कूल, सतबड़ी महरौली भी ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को एडमिशन देने के पक्ष में है। स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. एस. एस. जैमन का कहना है कि स्कूल पिछले 25 सालों से गरीब बच्चों की मदद करता आया है और उन्हें पढ़ाता आया है। आगे भी स्कूल अपना दायित्व निभाता रहेगा। वहीं कुछ स्कूलों के प्रिंसिपलों का कहना है कि गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत रिजर्व सीटें बहुत ज्यादा हैं। स्कूलों का कहना है कि पिछले सालों तक स्कूल गरीब बच्चों के लिए 15 प्रतिशत सीटें रिजर्व रखते थे और इसमें पांच प्रतिशत स्टाफ कोटा भी होता था लेकिन अब 15 प्रतिशत के बदले 25 प्रतिशत सीटें बहुत ज्यादा हैं और इसमें स्टाफ वॉर्ड को भी शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले बाकी बच्चों की फीस बढ़ानी पड़ेगी और एक नया विवाद पैदा होगा। बहरहाल ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के एडमिशन को लेकर जिस तरह से स्कूलों की राय देखने को मिल रही है, उससे पैरंट्स काफी परेशान हैं। वैसे भी पैरंट्स शिकायत करते रहे हैं कि उन्हें ईडब्ल्यूएस कैटिगरी का फॉर्म नहीं मिला था। हालांकि सरकार ने यह साफ कहा है कि हर स्कूल को गरीब बच्चों को एडमिशन देना ही होगा। http://www.facebook.com/l/97ef6RU3zS2LFOxVv0Eqf-9pe9g;navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7335893.cms
Priya Singh 8:35am Jan 22
School lobby to meet today(saturday 22 jan) to sort out the EWS seat isssue

प्रमुख संवाददाता ॥ नई दिल्ली
प्राइवेट स्कूलों की बड़ी संस्था एक्शन कमिटी की शनिवार को एक मीटिंग हो रही है, जिसमें नर्सरी एडमिशन और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के मसले पर चर्चा की जाएगी। जिस तरह से नर्सरी एडमिशन को लेकर विवाद शुरू हो गए हैं, उसे देखते हुए यह मीटिंग काफी अहम हो गई है। खास बात यह है कि दिल्ली के बड़े स्कूलों मंे ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के एडमिशन का प्रोसेस शुरू हो चुका है लेकिन स्कूलों की एक संस्था दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट असोसिएशन ईडब्ल्यूएस कोटे को मानने से इनकार कर रही है।
ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को लेकर स्कूलों की राय में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट असोसिएशन के अध्यक्ष आर. सी. जैन का कहना है कि ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को स्कूलों पर थोपा नहीं जा सकता और सरकार के दबाव में स्कूल नहीं आएंगे, वहीं प्राइवेट स्कूलों की दूसरी संस्था नैशनल प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस (एनपीएससी) के पूर्व चेयरमैन एस. एल. जैन कहते हैं कि ईडब्ल्यूएस कोटा राइट टु एजुकेशन एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक दिया जा रहा है और यह एक्ट संसद में पास हुआ है। हालांकि स्कूलों की कुछ संस्थाओं ने इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी को मान्य होगा लेकिन अभी स्कूलों को एक्ट के प्रावधानों को मानना ही होगा। वह कहते हैं कि ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के तहत स्कूलों को एडमिशन करने चाहिए। कर्नल सत्संगी किरण मेमोरियल पब्लिक स्कूल, सतबड़ी महरौली भी ईडब्ल्यूएस कैटिगरी को एडमिशन देने के पक्ष में है। स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. एस. एस. जैमन का कहना है कि स्कूल पिछले 25 सालों से गरीब बच्चों की मदद करता आया है और उन्हें पढ़ाता आया है। आगे भी स्कूल अपना दायित्व निभाता रहेगा।
वहीं कुछ स्कूलों के प्रिंसिपलों का कहना है कि गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत रिजर्व सीटें बहुत ज्यादा हैं। स्कूलों का कहना है कि पिछले सालों तक स्कूल गरीब बच्चों के लिए 15 प्रतिशत सीटें रिजर्व रखते थे और इसमें पांच प्रतिशत स्टाफ कोटा भी होता था लेकिन अब 15 प्रतिशत के बदले 25 प्रतिशत सीटें बहुत ज्यादा हैं और इसमें स्टाफ वॉर्ड को भी शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले बाकी बच्चों की फीस बढ़ानी पड़ेगी और एक नया विवाद पैदा होगा। बहरहाल ईडब्ल्यूएस कैटिगरी के एडमिशन को लेकर जिस तरह से स्कूलों की राय देखने को मिल रही है, उससे पैरंट्स काफी परेशान हैं। वैसे भी पैरंट्स शिकायत करते रहे हैं कि उन्हें ईडब्ल्यूएस कैटिगरी का फॉर्म नहीं मिला था। हालांकि सरकार ने यह साफ कहा है कि हर स्कूल को गरीब बच्चों को एडमिशन देना ही होगा। http://www.facebook.com/l/97ef6RU3zS2LFOxVv0Eqf-9pe9g;navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7335893.cms
ईडब्ल्यूएस सीटों पर स्कूलों की राय जुदा - Navbharat Times
navbharattimes.indiatimes.com
प्राइवेट स्कूलों की बड़ी संस्था एक्शन कमिटी की शनिवार को एक मीटिंग हो रही है, जिसमें नर्सरी एडमिशन और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के मसले...

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Palash Biswas
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