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Monday, July 4, 2016

#DHAKA ATTACK आतंक के राजनीतिक फर्जीवाड़ा का खुलासा मारे गये हमलावर सभी बेगुनाह लोग बताये जा रहे हैं और आावामी लीग के नेता का बेटा लिस्ट में होने के बावजडूद उसकी लाश नजर नहीं आ रही है। बांग्लादेश में जो हो रहा है,वह इस महादेश के लिए बेहद खतरनाक है।ढाका के राजनयिक इलाका गुलशन के लोकप्रिय रेस्तरां में आतंकवादी हमला का यह ड्रामा भयंकर सत्ता संघर्ष है।यह मामला गुजरात और यूपी के फर्जी मुठभेड़

#DHAKA ATTACK आतंक के राजनीतिक फर्जीवाड़ा का खुलासा

मारे गये हमलावर सभी बेगुनाह लोग बताये जा रहे हैं और आावामी लीग के नेता का बेटा लिस्ट में होने के बावजडूद उसकी लाश नजर नहीं आ रही है।


बांग्लादेश में जो हो रहा है,वह इस महादेश के लिए बेहद खतरनाक है।ढाका के राजनयिक इलाका गुलशन के लोकप्रिय रेस्तरां में आतंकवादी हमला का यह ड्रामा भयंकर सत्ता संघर्ष है।यह मामला गुजरात और यूपी के फर्जी मुठभेड़ और मालेगांव धमाकों की तरह है।


मारे गये हमलावर सभी बेगुनाह छात्र युवा  बताये जा रहे हैं और बताया जा रहा है कि वे पुलिस हिरासत में थे।वारदात को अंजाम देने के बादउन्हें मारकर आंतंकवादी बना दिया गया।


अगर हम इसे आईएस का हमला मान भी लें तो सवाल यह है कि ढाका में भारतीय दूतावास मेहमाननवाजी और दावतों के सिवाय क्या कर रहा था जो उसे भनक तक नहीं पड़ी क्योंकि बांग्लादेश की सीमा पाकिस्तान सीमा की तरह बंद नहीं है और समूचे पूर्वोत्तर, बंगाल,बिहार,असम और त्रिपुरा में बांग्लादेश से भारी संख्या में शरणार्थी सैलाब के साथ साथ भारतविरोधी तत्वोंकी ऐसी घुसपैठ संभव है जिसे हम पाकिस्तान सीमा की तर्ज पर निबटा नहीं सकते।

इससे खतरनाक बात यह है कि अब तक भारतीय महादेश में विदेशी सैन्य हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं बनी है,जो अब बन रही है बहुत तेजी से।मसलन बांग्लादेश में अगर अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप हुआ तो अंजाम भारत के लिए इराक और अफगानिस्तान से बहुत बुरा होगा।सीरिया से जैसे शरणार्थी सैलाब ने यूरोप कब्जा लिया है,वैसा बी नहीं होगा।सारे शरणार्थी भारत आयेंगे और तेलकुंओं की आग से भारत को बचाना असंभव होगा।


सुबह भारत के मंत्रिमंडल में फेरबदल होने जा रहा है और नये चेहरे भी शामिल होने है तो थोड़ी बहुत छंटनी भी होनी है।यह कवायद कोई राजकाज या राजधर्म के हिसाब से नहीं होने जा रहा है।यह यूपी का चुनाव जीतने का विशुध हिंदुत्व है।ढाका का मतलब भी वही है।


पलाश विश्वास

सेफ को आंतंकवादी बताने के खिलाफ सोशल मीडिया में यह पोस्ट वाइरल है,जो गुलशन कांड में आतंक के राजनीतिक फर्जीवाड़ा का खुलासा करता है।

"ক্ষমা করে দিও মা, তোমার প্রশ্নের জবাব আমার কাছে নাই" রেস্টুরেন্টের নিহত প্রধান শেফকে জঙ্গী বানানো হয়েছে। জাতির চোখে আর কত ধুলা দেয়া হবে ? জাতি কি অন্ধ ?? আসলে কি হচ্ছে এসব ??? প্রিয় স্বদেশের নাটক কি আর শেষ হবে না ????? ~ জাহিদ এফ সরদার সাদী ‪#‎dhakaattack‬

"ক্ষমা করে দিও মা, তোমার প্রশ্নের জবাব আমার কাছে নাই"

রেস্টুরেন্টের নিহত প্রধান শেফকে জঙ্গী বানানো হয়েছে। জাতির চোখে আর কত ধুলা দেয়া হবে ? জাতি কি অন্ধ ?? আসলে কি হচ্ছে এসব ??? প্রিয় স্বদেশের নাটক কি আর শেষ হবে না ????? ~ জাহিদ এফ সরদার সাদী

‪#‎dhakaattack‬

Zahid F Sarder Saddi - জাহিদ এফ সরদার সাদী's photo.

Zahid F Sarder Saddi - জাহিদ এফ সরদার সাদী's photo.

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"ক্ষমা করে দিও মা, তোমার প্রশ্নের জবাব আমার কাছে নাই"

রেস্টুরেন্টের নিহত প্রধান শেফকে জঙ্গী বানানো হয়েছে। জাতির চোখে আর কত ধুলা দেয়া হবে ? জাতি কি অন্ধ ?? আসলে কি হচ্ছে এসব ??? প্রিয় স্বদেশের নাটক কি আর শেষ হবে না ????? ~ জাহিদ এফ সরদার সাদী

‪#‎dhakaattack‬




बांग्लादेश में जो हो रहा है,वह इस महादेश के लिए बेहद खतरनाक है।ढाका के राजनयिक इलाका गुलशन के लोकप्रिय रेसतरां में आतंकवादी हमला का यह ड्रामा भयंकर सत्ता संघर्ष है।यह मामला गुजरात और यूपी के फर्जी मुठभेड़ और मालेगांव धमाकों की तरह है।


मारे गये हमलावर सभी बेगुनाह लोग बताये जा रहे हैं और आावामी लीग के नेता का बेटा लिस्ट में होने के बावजडूद उसकी लाश नजर नहीं आ रही है।


आतंक  के इस राजनीतिक फर्जीवाड़े का खुलासा इसलिए भी बेहद जरुरी है कि राजनयिक पहल के तहत समस्या का सथाई समाधान करने के लिए भारत के सत्तावर्ग की कोई दिलचस्पी नहीं है और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के मामले का राजनीतिक इस्तेमाल के तहत पश्चिम बंगाल में उग्र हिंदुत्व के तहत सत्ता हासिल करने तक यह मामला सीमाबद्ध नहीं है।


इसके साथ ही मुजीबउर रहमान की आवामी लीग का अंध समर्थन करते रहने की अंध विदेशनीति की वजह से भारतीय जनता और भारतीय राजनीति और भारत सरकार के लिए वहां पक रही खिचड़ी का जायजा लेना असंभव है।


संबसे गंभीर आरोप यह है कि यह वारदात अंजाम देने में आतंकी हमलावर नहीं बल्कि बांग्लादेश की पुलिस और रैब का हाथ है और ट्विटर पर आतंकी संगठनों के नाम जिम्मेदारी लेने वाले पोस्ट करने वाले भी बांग्लादेश के सरकारी सर्वोच्च सत्र के अफसर हैं।


इसके अलावा जिन आतंकवादियों पर हमले की जिम्मेदारी डाली गयी है,उनमें से एक आवामी लीग के बड़े नेता का बेटा है और छह हमलावरों में उसकी लाश गायब है।


जो आधिकारिक चित्र इस वारदात के जारी किये गये हैं,उनकी प्रामाणिकता को भी चुनौती दी जा रही है।

मसलनः


আনসার আল ইসলামের নামের টুইটগুলি ঢাকা থেকে করেন মনিরুল- সিটিটিসির কর্মকর্তার তথ্য।

आरोप है कि अंसार अल इस्लाम के नाम पर सारे ट्विट सिटीटीसी के अफसर मणिरुल ने जारी किये।


इसी सिलसिले में Qamrul Islam ने लिखा है।हस्तक्षेप पर यह पोस्ट साझा किया जा  चुका है।जो बेहद खतरनाक है और अगर सच है तो पूरे महादेश के आतंक के फ्रजीवाड़े के खुल्ला खेलफर्रूखाबादी का खुलासा है।बेहतर हो कि इनआरोपों को गंभरता से लेकर बारत सरकार भारत के हितों के मद्देनजर इसके सच की जांच पड़ताल भी कर लें.इस पोस्त में कमारुल इस्लाम ने लिखा हैः

নাম না প্রকাশ করে ডিএমপির কাউন্টার টেররিজম অ্যান্ড ট্রান্সন্যাশনাল ক্রাইম সেলের এসপি পর্যায়ের এক অফিসার জানিয়েছেন, আর্টিজানের ঘটনাটি কোনো আইএস অ্যাটাক নয়। আইএস হামলা হলে প্রধানমন্ত্রী শেখ কোনো অবস্থাতেই ফোর লেইন উদ্বোধন করতে বাইরে যেতেন না। এধরনের বড় ঘটনা ঘটলে প্রধানমন্ত্রীর নিরাপত্তা আরও জোরদার করা হয়, আউটডোর প্রোগ্রামের তো কোনো প্রশ্নই ওঠে না।

পুলিশ কতৃক প্রকশিত ৫ হত্যাকারীর ছবির মধ্যে চার জন মুবাশ্বির, নিব্রাস, আন্দালিব, মিনহাজ পরস্পর বন্ধু। কয়েকমাস আগে সন্দেহজনকভাবে এদেরকে পুলিশ আটক করে কাস্টডিতে রেখেছিল। এদের নিখোঁজ থাকা নিয়ে কয়েকটি জিডিও হয়ছে। সম্প্রতি উত্তরার অস্ত্র উদ্ধার নাটকের স্টোরি ফাঁস হয়ে যাওয়ায় পুলিশের ভাবমুর্তি দারুনভাব ক্ষুন্ন হয়। দরকার পরে আরেকটি সাংঘাতিক ঘটনার। তখনই আর্টিজান হামলা প্রোগ্রাম হাতে নেয় ডিজি র‌্যাব ও সিটিটিসির এডিশনাল কমিশনার। এই হামলার প্লটটি তৈরী করে সেটা বিশ্বাসযোগ্য করানোর জন্য পুলিশের সাথে গুলি বিনিময় ঘটানো হয়, তবে দুর্ভাগ্যজনকভাবে দু'জন কর্মকর্তাকে প্রাণ দিতে হয়। বিপি লাগানো থাকার পরেও গলায় আঘাত লেগে তারা মারা যায়। আর্টিজানের বিষয়টাকে জিইয়ে রাখা হয় ইচ্ছা করেই, চাইলে রাতের মধ্যে নিস্পত্তি করে ফেলা যেতো। কিন্তু সিভিয়ারিটি বাড়ানোর জন্য লম্বা সময় নিয়ে বেছে বেছে বিদেশী হত্যা করা হয়, আবার সেই ঘুরে ফিরে ইতালি ও জাপানীজ। যাতে করে আন্তর্জাতিক মিডিয়ায় গুরুত্ব পায়।

आरोप है कि हमलावर बतौर मारे गये युवक महीनों से लापता थे और उनके लापता होने की रपट लिखायी गयी थी लेकिन उन्हें खोजने की कोशिश ही नहीं हुई।आप भारत में होने वाले फर्जी मुढभेड़ के मामलो से ऐसे तथ्यों की जांच कर लें।


फिर महज कुछ महीनों में विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले मेधावी छात्र जो सोशल मीडिया में भी खासे  सक्रिय थे,इतने जुनूनी कैसे हो गये कि उनने इस भयंकर वारदात को अंजाम जबकि इस वारदात में अभी विदेशी हाथ कहीं दीख नहीं रहा तो इस घरेलू हिंसा की तैयारियों से पुलिस और खुफिया विभाग अनजान कैसे थे,इसपर कोई सफाई नहीं है।


इससे भी ज्यादा गंभीर आरोप यह कि हमलावर बताये जा रहे युवक पुलिस हिरासत में थे और वारदात को उन्हें मारकर आतंकवादी उन्हें सजाया जा रहा है।


खतरनाक बात यह भी है कि  भारत के हिंदुत्ववादी सत्तावर्ग और भारतीय मीडिया पर बांग्लादेश में 1971 की तर्ज पर सैन्य हस्तक्षेप की तैयारी हसीना की मिलीभगत से करने का आरोप है और इस दुष्प्रचार के जरिये इस्लामी राष्ट्रवाद न सिर्फ गैर मुसलमान दो करोड़ की आबादी पर निशाना बांध रहा है,उसके निशाने पर बांग्लादेश में सक्रिय धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतें भी हैं।


भारत विरोधी इस अभियान में पक्ष विपक्ष की राजनीति पूरी तरह शामिल है और भारतीय राजनय को इसकी काट नहीं है।


सुंदरवन को भारत की निजी कंपनियों के हवाले कर देने के बारत बांग्लादेश सहयोग जैसे द्विपक्षीय संबंध से आम जनता में भी इस दुस्प्रचार की साख पर कोई संदेह नही है।


घटना के बाद हम लगातार बांग्लादेश के हालात पर नजर रखे हुए हैं।आधिकारिक बयानों के अलावा विभिन्ऩ सूत्रों से मिली जानकारी हम लगातार टुकड़ा टुकड़ा मूल बांग्ला में शेयर करते रहे हैं जो बांग्लादेश के मीडिया और सोशल मीडिया में दहक रहे हैं लेकिन भारतीय मीडिया भारत सरकार या विदेश मंत्रालय को भोंपू बना हुआ है। जो सिर्फ हसीना सराकार के आधिकारिक बयान का समर्थन कर रहा है।


जैसा कि सुबह हमने लिखा है कि गुलशन कांड कोई आतंकवादी हमला नहीं है,उसीके मुताबिक सारे तथ्य आहिस्ते आहिस्ते सामने आ रहे हैं।


हमलावर बताये जा रहे युवाओं का महीनों से लापता रहना और अचानक हमलावरों की लाश में तब्दील हो जाना बांग्लादेश को हजम हो नहीं हो रहा है।


जिस रेस्तरां में यह वीभत्स हत्याकांड हुआ,उसके बेगुनाह सेफ को आतंकवादी के बतौर पेश करना खबरों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।


सारी रात इंतजार करके मुठभेड़ को पुलिस और रैब के मातहत अंजाम देना और भोर में सेना के हवाले करने से बड़ी संख्या में विदेशियों की हत्या हो जाना बेहद रहस्यजनक है और हसीना सरकार के पास इसका कोई साफ जवाब नहीं है।


सेना को बुलाने के लिए इतनी देर क्यों की गयी और सेना के ढाका में मौजूदगी के बावजूद दो दो पुलिस अफसरों के मारे जाने के हालात में हमलावरों को विदेशी नागरिकों का कत्लेआम करने की छूट क्यों दी गयी है,हसीन सरकार के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है।मीडिया पर सेंसर लगू कर देने की वजह से उनकी साख भी दांव पर है।


मसलन पूछा जा रहा है कि आवामी लीग के नेता  के बेटे रोहन इम्तियाज जिंदा है कि मुठभेड में मारा गया।हमलावरों की लाशों की जो तस्वीरें जारी की गयी है,उनमें रोहन की लाश नहीं है।


मसलन पूछा जा रहा है कि क्या आवामी लीग के नेता  के बेटे रोहन इम्तियाज  को बचाने की कवायद में बेगुनाहों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।


हमलावरों में शामिल कर दी गयी रेस्तरां के सेफ सेफुल इस्लमाम  की लाश की तस्वीर जारी होने के बाद यह सवाल और तीखा बनकर उभरा है।


इसके अलावा कुल कितने हमलावर थे और सरकार की तरफ से जारी उनकी तस्वीरों की प्रामाणिकता के क्या सबूत हैं,यह सवाल भी पूछा जा रहा है।सरकार या आवामी लीग के नेता बता नहीं रहे हैं कि रोहन का क्या हुआ।वह जिंदा है या मार दिया गया।मारा गया है तो उसकी लाश कहां हैः

গুলশানে নিহত দুজনের ছবি নিয়ে প্রশ্নঃ তার মানে আওয়ামী লীগ নেতার ছেলে রোহান ইমতিয়াজ কি বেঁচে আছে বা রোহানকে বাঁচাতেই কি রেস্তোরাঁর বাবুর্চি সাইফুলকে জীবন দিতে হলো? নতুবা রোহানের লাশ কই?

রাজধানীর গুলশানের রেস্তোরাঁয় হামলাকারী সন্ত্রাসীর সংখ্যা ও তাদের ছবি নিয়ে প্রশ্ন উঠেছে। হামলায় একটি রাজনৈতিক দলের নেতার ছেলে রোহান ইমতিয়াজ হত্যাযজ্ঞে অংশ নিলেও অভিযোগ উঠেছে, সন্ত্রাসীদের লাশের সারির ছবিতে তিনি নেই। সেই ছবিতে রয়েছে রেস্তোরাঁর বাবুর্চি সাইফুল ইসলাম চৌকিদারের মরদেহ। সাইফুলের স্বজনদের দাবি, সাইফুল ওই রেস্তোরাঁয় কাজ করতেন। তিনি সন্ত্রাসী হামলায় জড়িত নন। অন্যদিকে রোহান ইমতিয়াজের বাবার বক্তব্য জানতে একাধিকবার চেষ্টা করা হলেও তিনি ফোন ধরেননি। তার মানে আওয়ামী লীগ নেতার ছেলে রোহান ইমতিয়াজ কি বেঁচে আছে বা রোহানকে বাঁচাতেই কি রেস্তোরাঁর বাবুর্চি সাইফুলকে জীবন দিতে হলো? নতুবা রোহানের লাশ কই?

इसीतरह मारे जाने वाले तेरह विदेशी नागरिकों की मौत तक इंतजार करने के लिए  के लिए हसीना सरकार को जिम्मेदार बताया जा रहा है और अलग से पोस्ट भी डाले जा रहे हैं कि दरअसल हसीना को भारतीय सेना के पहुंचने का इंतजार था।

গত শুক্রবার রাত পৌনে ৯টার দিকে একদল অস্ত্রধারী গুলশানের হলি আর্টিজান বেকারি নামের রেঁস্তোরায় ঢুকে দেশি-বিদেশি অতিথিদের জিম্মি করে। জিম্মিদের উদ্ধার করতে গিয়ে সন্ত্রাসীদের গুলি ও গ্রেনেড হামলায় নিহত হন বনানী থানার ভারপ্রাপ্ত কর্মকর্তা (ওসি) সালাউদ্দিন আহমেদ খান ও গোয়েন্দা পুলিশের সহকারী কমিশনার (এসি) রবিউল ইসলাম। এ ছাড়া আহত হন অনেক পুলিশ সদস্য। প্রায় ১২ ঘণ্টা পর শনিবার সকালে সেনাবাহিনীর নেতৃত্বে 'অপারেশন থান্ডারবোল্ট অভিযান' চালিয়ে রেস্তোরাঁর নিয়ন্ত্রণ নেওয়া হয়। সেখান থেকে ১৩ জন জিম্মিকে জীবিত এবং ২০ জনের মৃতদেহ উদ্ধার করা হয়। নিহতদের মধ্যে ১৭ জনই বিদেশি বলে আন্তঃবাহিনী জনসংযোগ পরিদপ্তর (আইএসপিআর) জানায়।

सेना और प्रशासन के आधिकारिक बयान को चुनौती जा  रही है।मसलनः

নিবার দুপুরে 'অপারেশন থান্ডারবোল্ট' অভিযানের বিষয়ে সংবাদ সম্মেলনে মিলিটারি অপারেশনসের পরিচালক ব্রিগেডিয়ার জেনারেল নাঈম আশফাক চৌধুরী বলেন, অভিযানে সাত সন্ত্রাসীর মধ্যে ছয়জন নিহত হয়। আহত হন আইনশৃঙ্খলা বাহিনীর ২০ সদস্য। একজনকে গ্রেপ্তার করা হয়।

এদিকে হামলার পর জঙ্গিগোষ্ঠী ইসলামিক স্টেট (আইএস) গুলশানের রেস্তোরাঁয় হামলাকারী উল্লেখ করে পাঁচ তরুণের ছবি প্রকাশ করে। শনিবার রাতে ওই ছবিগুলো প্রকাশ করা হয় বলে জানিয়েছে জঙ্গিগোষ্ঠীর ইন্টারনেটভিত্তিক তৎপরতা নজরদারিতে যুক্ত যুক্তরাষ্ট্রভিত্তিক সাইট ইন্টেলিজেন্স গ্রুপ।

ছয় সন্ত্রাসী নিহতের কথা বলা হলেও পুলিশ সদর দপ্তর রেস্তোরাঁয় হামলাকারী উল্লেখ করে পাঁচজনের লাশের ছবি প্রকাশ করে। পুলিশ তাদের নামও জানায়, আকাশ, বিকাশ, ডন, বাঁধন ও রিপন। তবে আরেক সন্ত্রাসীর ছবি ও নাম-পরিচয় প্রকাশ করেনি তারা।

প্রশ্ন উঠেছে, পুলিশের পাঠানো লাশের ওই ছবি ও নাম নিয়ে। পুলিশ তাদের নাম জানায় আকাশ, বিকাশ, ডন, বাঁধন ও রিপন। আর টেররিজম মনিটরের টুইটার অ্যাকাউন্টে ওই তরুণদের ছবি দিয়ে তাদের নাম উল্লেখ করা হয়েছে- আবু উমায়ের, আবু সালাম, আবু রাহিক, আবু মুসলিম ও আবু মুহারিব।

सोशल मीडिया और मीडिया में कम से कम चार हमलावर निर्बास इस्लाम,मीर साबेह मुवास्वेर,रोहन इम्तियाज राइयान नियाज के चित्र हमलावर बतौर छापे गये हैं लेकिन अभी तक रोहन की लाश की तस्वीर नहीं मिली और न कोई आधिकारिक खुलासा हैः


তবে সামাজিক যোগাযোগ মাধ্যম ফেসবুক ও সংবাদমাধ্যমে আসা খবরে জানা যায়, হামলাকারীদের চারজনের নাম নিব্রাস ইসলাম, মীর সাবিহ মুবাশ্বের, রোহান ইমতিয়াজ ও রাইয়ান মিনহাজ।

তবে সাইট ইন্টেলিজেন্সের টুইটারে ছবি প্রকাশের পর সংবাদমাধ্যমের কাছে পুলিশের পাঠানো হামলাকারীদের লাশের ছবিতে রোহান ইমতিয়াজের ছবি নেই।

রোহান ইমতিয়াজের বাবা ইমতিয়াজ খান বাবুল সদ্য বিলুপ্ত অবিভক্ত ঢাকা মহানগর আওয়ামী লীগের যুব ও ক্রীড়া সম্পাদক ছিলেন। একই সঙ্গে তিনি সাইক্লিং ফেডারেশনের সাধারণ সম্পাদক এবং বাংলাদেশ অলিম্পিক অ্যাসোসিয়েশনের উপমহাসচিব।

ফেসবুকে প্রকাশিত আরেকটি ছবিতে দেখা যায়, হলি আর্টিজান বেকারি প্রাঙ্গণে পাঁচজনের মরদেহ পড়ে আছে। সেখানে কোনো মরদেহের গায়ে সাদা পোশাক ছিল না। অথচ পুলিশের পাঠানো ছবিতে দেখা যায়, বাবুর্চির সাদা পোশাক পরা সাইফুল চোখ বন্ধ করে চিরনিদ্রায় শুয়ে আছেন।

এদিকে জিম্মি ঘটনার পরপর বাবুর্চি সাইফুলের বোন তাঁর ছবি নিয়ে ওই রেস্তোরাঁর সামনে যান। ভাইয়ের ছবি হাতে বোনের ছবিটি বিভিন্ন সংবাদমাধ্যম এবং টেলিভিশনে প্রচারিত হয়। সে সময় নিখোঁজ ছবি হাতে সাইফুলের বোন সেলিনা জানিয়েছিলেন, তাঁদের বাড়ি শরীয়তপুরে নড়িয়া উপজেলার কলুকাঠি গ্রামে। সেলিনার দাবি, তাঁর ভাই হলি আর্টিজানে পিৎজা তৈরির বাবুর্চি হিসেবে কাজ করেন।

সাইফুলের গ্রামের বাড়ির সদস্যরা জানান, কলুকাঠি গ্রামের মৃত আবুল হাসেম চৌকিদারের পাঁচ সন্তানের মধ্যে সাইফুল দ্বিতীয়। তাঁর ছোট ভাই বিল্লাল মালয়েশিয়া থাকেন। তিন বোন সবার বিয়ে হয়ে গেছে। দীর্ঘ ১০ বছর সাইফুল জার্মানিতে থাকার পর দেশে ফিরে আসেন। দেড় বছর আগে তিনি হলি আর্টিজান রেস্তোরাঁয় কাজ নেন।

এদিকে নিহতদের ছবি নিয়ে বিভ্রান্তির ব্যাপারে পুলিশ সদর দপ্তর ও ঢাকা মহানগর পুলিশের জনসংযোগের দায়িত্বে থাকা একাধিক কর্মকর্তার বক্তব্য জানতে এনটিভি অনলাইনের পক্ষ থেকে কথা বলা হলেও তাঁরা বক্তব্য দিতে রাজি হননি। নাম প্রকাশে অনিচ্ছুক পুলিশ সদর দপ্তরের জনসংযোগ শাখার এক কর্মকর্তা বলেন, 'ছবির কথা ভুলে যান। পুলিশ নিহতদের ছবি কাউকে সরবরাহ করেনি।'

এর আগে পুলিশের মহাপরিদর্শক (আইজিপি) এ কে এম শহীদুল হক গতকাল শনিবার সাংবাদিকদের জানান, হলি আর্টিজান বেকারিতে হামলাকারী নিহত ছয়জনই বাংলাদেশি। এদের মধ্যে পাঁচজন জেএমবি সদস্য এবং তাদের খোঁজা হচ্ছিল।



अगर हम इसे आईएस का हमला मान भी लें तो सवाल यह है कि ढाका में भारतीय दूतावास मेहमाननवाजी और दावतों के सिवाय क्या कर रहा था जो उसे भनक तक नहीं पड़ी क्योंकि बांग्लादेश की सीमा पाकिस्तान सीमा की तरह बंद नहीं है और समूचे पूर्वोत्तर, बंगाल,बिहार,असम और त्रिपुरा में बांग्लादेश से भारी संख्या में शरणार्थी सैलाब के साथ साथ भारतविरोधी तत्वोंकी ऐसी घुसपैठ संभव है जिसे हम पाकिस्तान सीमा की तर्ज पर निबटा नहीं सकते।


बहुत तेजी से नेपाल से भारत के रिश्ते राजनयिक दिवालियापन और हिंदुत्व के अंध एजंडे के कारण खराब होते गये और अब नेपाल में जो भी कुछ होना है,वह भारतीय हितों के मुताबिक नहीं होना है और नेपाल में भारत की दादागिरि हमेशा के लिए खत्म है।हूबहू बांग्लादेश में यही होने जा रहा है।


अगर बांग्लादेश में इस्लामी राष्ट्रवादा की इतनी भयंकर सुनामी है तो वहां दो करोड़ गैर मुसलमान देर सवेर भारत में शरणार्थी बनने को मजबूर होगे जैसा कि सन 1947 से लगातार होता रहा है और इस समस्या के समाधान में भारत के सत्तावर्ग की कोई दिलचस्पी नहीं रही है क्योंकि वह गिनिपिग की तरह शरणार्थियों के इस्तेमाल के लिए अभ्यस्त हैं और असंगठित शरणार्थी भी उनके खेल में शामिल हो जाते हैं।बंगाल से बाहर छितरा दिये जाने की वजह से भारत के हर राज्य में बंगाली शरणार्थी सत्तादल के वोटबैंक में तब्दील हैं और इसलिएकिसी भी राजनीतिक पहल की कोई संभावना नजर नहीं आती।


इससे खतरनाक बात यह है कि अब तक भारतीय महादेश में विदेशी सैन्य हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं बनी है,जो अब बन रही है बहुत तेजी से।मसलन बांग्लादेश में अगर अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप हुआ तो अंजाम भारत के लिए इराक और अफगानिस्तान से बहुत बुरा होगा।सीरिया से जैसे शरणार्थी सैलाब ने यूरोप कब्जा लिया है,वैसा बी नहीं होगा।सारे शरणार्थी भारत आयेंगे और तेलकुंओं की आग से भारत को बचाना असंभव होगा।


गौरतलब है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों नेहरु और इंदिरा गांधी से लेकर  अटल बिहारी वाजपेयी तक सभी प्रधानमंत्रियों ने पड़ोसियों के साथ संबंध बराबर बनाये रखने को प्राथमिकता दी है और महाशक्तियों के साथ गठबंधन से बचते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में उनके सैन्य हस्तक्षेप की कोई जमीन बनने नहीं दी।


आज का नेतृत्व जिस रेशमपथ पर चलने के बजाय रात दिन उड़ान के जरिये विश्वनेता बनने की मुद्रा में हैं,वह रेशम पथ इन्हीं नेताओं का बनाया हुआ है।क्योंकि ये तमाम लोग राजनेता के अलावा राष्ट्रनेता और राजनयिक दोनों थे।


अब बांग्लादेश की खतरनाक घटनाओं के मद्देनजर भारतीय सैन्य हस्तक्षेप संभव है या नहीं,वहां विदेशी सैन्य हस्तक्षेप के लिए जमीन तेजी से पक रही है।


गुलशन मुछभेड कांड का जो भी सच हो,इस कांड में बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक मारे जाने की वारदात सच है और भारत की राजनयिक नाकामी भी सच है।इसकी क्रिया प्रतिक्रिया के दुष्परिणाम बेहद दूरगामी होने हैं।


राजनेता राष्ट्रप्रधान या सरकार का मुखिया भले बन जाये,लेकिन भारी बहुमत और बारी लोकप्रियता के बावजूद वह तब तक राष्ट्रनेता बन नहीं सकता जबतक वह पार्टीबद्ध राजकाज में सीमाबद्ध रहता है और पार्टी के एजंडे से बाहर राष्ट्रहित में कदम उठाने का जोखिम वह उठा नहीं पाता।


इसके लिए छप्पन इंच का सीना उतना जरुरी नहीं है,बल्कि देश को जोड़ने की दक्षता और सभी तबकों के प्रतिनिधित्व करने की ईमानदारी बेहद जरुरी है।सहिष्णुता,बहुलता और लोकतंत्र में एकात्म राष्ट्रीयता अनिवार्य है।समता और न्याय भी।


सैन्य शक्ति और पारमानविक अंतरिक्ष हथियारों की अंधी दौड़ और विदेशी शक्तियों के साथ युगलबंदी से किसी राष्ट्र की एकता और अखंडता,प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा की गारंटी नहीं है जबतक सभी नागरिकों की जान माल की सुरक्षा की गारंटी न हो और राजनीति से ऊपर उठकर राजनयिक नेतृत्व का माद्दा नेतृत्व में न हो।आइने में अपना अपना चेहरा देख लें ,प्लीज।


सुबह भारत के मंत्रिमंडल में फेरबदल होने जा रहा है और नये चेहरे भी शामिल होने है तो थोड़ी बहुत छंटनी भी होनी है।यह कवायद कोई राजकाज या राजधर्म के हिसाब से नहीं होने जा रहा है।यह यूपी का चुनाव जीतने का विशुध हिंदुत्व है।ढाका का मतलब भी वही है।


भारत में राजनीतिक सत्तासंघर्ष के अलावा मुक्तबाजार का कारोबार ही सत्तावर्ग की देशभक्ति है।मुंबई में अंबेडकर भवन तुड़वाने में अंबेडकरी आंदोलन में संघ परिवार की खुली घुसपैठ और शिवसेना का वर्चस्व काम आया और दलितों के सारे राम संबूक हत्या में लगे हैं।दूसरी तरफ बाबासाहेब के जाति उन्मूलन के एजंडे के तहत छात्र युवा वर्ग के आंदोलन से निबटने की चुनौती है।


अंबेडकर भवन के टूटने के बाद अंबेडकरी आंदोलन में कमसकम महाराष्ट्र में नये सिरे से ध्रूवीकरण की प्रक्रिया शुरु हुई है तो सामने यूपी का चुनाव है।


जाहिर है कि हिंदुत्व की पैदल फौजों को लामबंद करने के लिए आईएस खतरा बेहद घातक रसायन है जिसके तहत भारत में संदिग्ध आतंकवादी कहकर फिर मुसलमान युवाओं की गिरफ्तारी का सिलसिला हिंदुत्व ध्रूवीकरण के लिए आसान है।विभाजन पीड़ित हिंदू शरणार्थी बंगाल की कुल हिंदू आबादी से दो गुणा ज्यादा है और भारत भर में वे बिखरे हैं।उन्हें भी केसरिया सुनामी के शिकंजे में लेने की परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है।


ভারতীয় মিডিয়ার প্রশ্ন >> বাংলাদেশে জঙ্গী নিধনে ভারতীয় সেনাবাহিনীকে ডাকা হচ্ছে না কেন?

বিডিটুডে.নেট:ভারতীয় মিডিয়ার প্রশ্ন >> বাংলাদেশে জঙ্গী নিধনে ভারতীয় সেনাবাহিনীকে ডাকা হচ্ছ�

টুডে ডেস্ক কোলকাতা কেন্দ্রিক ভারতীয় অনলাইন পত্রিকা কোলকাতা২৪x৭ এর সম্পাদক নিখিলেশ রায় চৌধুরী প্রশ্ন করে লিখেছেন, বাংলাদেশে জজ্ঞী নিধনে ভারতীয় বাহিনীর সহায়তা নেয়া হচ্ছে না কেন?…

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Chef of Dhaka cafe among dead gunmen: Family

The family of a man, whose photo police have released as one of the Gulshan gunmen killed in rescue offensive, have claimed he was not a militant.

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Rampal contract signing likely on 11 July

Engineering, procurement and construction (EPC) contract signing of Rampal coal-fired power plant and Bangladesh's potential joint venture investment in power sector are likely to dominate the upcoming meeting of the joint steering committee (JSC) on…

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মেজর রাহাত's photo.

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মেজর রাহাত added 4 new photos.

Yesterday at 3:55am ·

গুলশানে হামলাকারীদের একজন আওয়ামীলীগ নেতা ইমতিয়াজ বাবুলের ছেলে..সে অনেক দিন ধরেই নিখোঁজ ছিল..গত 21 তারিখে ইমতিয়াজ বাবুল ছেলেকে ফিরে আসতে ফেসবুকে আহবান করেছিলেন...

‪#‎DhakaTerrorAttack‬ ‪#‎Gulshan‬ ‪#‎Bangladesh‬

মেজর রাহাত's photo.

মেজর রাহাত

Yesterday at 10:00am ·

গুলশানের আর্টিসান রেস্টুরেন্টের শেফকে জঙ্গি বানিয়ে দিলো পুলিশ। ঘাপলা ঠিক কোন জায়গায় ?




Report missing members: Rab DG

Rapid Action Battalion Director General Benazir Ahmed asks parents to inform law enforcement agencies if any of their children go missing.

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Japan, Italy outraged

Outraged at the killing of their citizens, Japan and Italy have sent high officials, counter-terrorism intelligence experts, response teams and victims' family members to Dhaka on special aircrafts.

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