Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Tuesday, June 3, 2014

সময় আছে,ছাইড়্যা দ্যান কর্তা,কমরেডরা ক্ষ্যাইপ্যা লালে লাল,লাল ঝান্ডা থাকুম না হাতে! भारत में वामपंथ को बचाना है तो छीन लेंगे लालझंडा बेशर्म नेतृत्व से,वक्त का तकाजा मुखर होने लगा! সিপিএমে জেলা-বিদ্রোহ, নাম না করে বুদ্ধ-বিমানকে সরে যাওয়ার বার্তা, তোপের মুখে কারাটও

সময় আছে,ছাইড়্যা দ্যান কর্তা,কমরেডরা ক্ষ্যাইপ্যা লালে লাল,লাল ঝান্ডা থাকুম না হাতে!
भारत में वामपंथ को बचाना है तो छीन लेंगे लालझंडा बेशर्म नेतृत्व से,वक्त का तकाजा मुखर होने लगा!

সিপিএমে জেলা-বিদ্রোহ, নাম না করে বুদ্ধ-বিমানকে সরে যাওয়ার বার্তা, তোপের মুখে কারাটও


এক্সকেলিবার স্টিভেনস বিশ্বাস

সময় আছে,ছাইড়্যা দ্যান কর্তা,কমরেডরা ক্ষ্যাইপ্যা লালে লাল,লাল ঝান্ডা থাকুম না হাতে।পার্টি সদরে কামানের গোলাতেও নেতৃত্বের ঘুম ভাঙ্গেনি।ক্ষমতা থেকে বেদখল হলে কি,ক্ষমতার খেঁউড় থেকে গেছে

লোকলজ্জা থাকেই না নির্লজ্জদের
মতাদর্শের দোহাই দিয়ে,ধর্মনিরপেক্ষতার জিগির তুলে ক্ষমতার দালালি ত খূব হল,পার্টিটার বারোটা বাজল,মার খেতে খেতে দেওয়ালে পিঠ নিচুতলার কর্মিরা যারা আবার সভাই পদ্মপ্রলয়ে পালাবে না,যারা আবার মার খেয়েও পার্টিটা দাঁড় করাতে মরিয়া,তাঁদের হাতে রেহাই নেই

পদ আঁকড়ে বসে থাকলে রেহাই নেই কারাত ইয়েচুরিদের,কর্মিরা বলছেন,পার্টি কারও বাপের নয়

ভারতের লোকসভা নির্বাচনে ব্যাপক বিপর্যয়ের শিকার বাম দলের নেতৃত্ব বদলের দাবি উঠেছে৷ দলের বিভিন্ন স্তর থেকে এই দাবি উঠেছে৷

ভারতের মূলত পশ্চিমবঙ্গ, কেরালা ও ত্রিপুরা—এই তিন রাজ্যে বাম দলের আধিপত্য রয়েছে। ত্রিপুরার দুটি আসনই পেয়েছে তারা। আর কেরালায় ২০টি আসনের মধ্যে জিতেছে সাতটি৷ পশ্চিমবঙ্গে ৪২টি আসনের মধ্যে জিতেছে মাত্র দুটি।

বাম জোট বা বামফ্রন্টের প্রধান শরিক সিপিএমের ভেতরেই নেতৃত্ব বদলের দাবি বেশি জোরদার হচ্ছে। সিপিএমের সাধারণ সম্পাদক প্রকাশ কারাট, রাজ্য সম্পাদক ও পলিটব্যুরো সদস্য বিমান বসু, পলিটব্যুরো সদস্য বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য প্রমুখ নেতাকে দ্রুত সরিয়ে নতুন নেতৃত্ব আনার দাবি উঠেছে। সিপিএমের বহিষ্কৃত নেতা আবদুর রেজ্জাক মোল্লা, লক্ষ্মণ শেঠ, এমনকি সোমনাথ চ্যাটার্জির মতো প্রবীণ নেতারাও এমন দাবি তুলেছেন৷

সিপিএমের নেতা ও লোকসভার সাবেক স্পিকার সোমনাথ চ্যাটার্জি বলেছেন, সিপিএম নেতৃত্ব এখন গোটা দেশে জনবিচ্ছিন্ন হয়ে পড়েছে। এই পরিস্থিতিতে দলের নেতৃত্ব দ্রুত পরিবর্তন দরকার। তরুণ প্রজন্মের হাতে এখনই নেতৃত্ব দেওয়া উচিত৷ বাম আন্দোলন এখন দিশাহীন৷ কীভাবে মানুষের সমস্যা নিয়ে লড়াই করতে হয়, তা তারা ভুলে গেছে।
भारत में वामपंथ को बचाना है तो छीन लेंगे लालझंडा बेशर्म नेतृत्व से,वक्ता का तकाजा मुखर होने लगा!जबकि  पश्चिम बंगाल और केरल विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद,और लोकसभा चुनावं में करारी शिकस्त के जमीनी हकीकत को सिरे से नजरअंदाज करते हुए माकपा ने नेतृत्व में किसी बदलाव की संभावना से लगातार इनकार किया है।माकपा नेतृत्व संकट से जूझ रहा है। माकपा में 35 वर्षो से विधायक मंत्री रहे अब्दुर्रज्जाक मोल्ला ने कहा है कि पार्टी में नेता व कैडर नहीं हैं बल्कि अब मैनेजर व कुछ कर्मचारी रह गए हैं।

इतिहास गवाह है कि पूंजीवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ जंगी विचारधारा का मेनतकशखून रंगा लाल झंडा उठाये लोगों ने भारत में मुक्ताबाजारी कायाकल्प के मध्य देश के कारपोरेट जायनवादी अमेरिकी उपनिवेश बनाने के साझा उपक्रम में सत्तासुख का छत्तीस व्यंजन परिपूर्ण भोग लगाते हुए पिछले सात दशकों क दरम्यान सर्वस्वहारा बहुसंख्य बहिस्कृत भारतीय जनगण की पीठ पर निरंतर छुरा भोंका है।इतिहास गवाह है कि वर्गसंघर्श की हुंकार लगाते हुए वामपंथ नेतृत्व लगातार सत्तावर्ग का पालतू बनकर पूंजीवादी सामंती कारपोरेट अमेरिकी जायनवादी हित साधते हुए विचारधारा के पाखंड के घटाटोप में भारतीय लोकतंत्र को अस्मिता राजनीति कारोबार में केसरिया रामराज में तब्दील करने में मनुस्मृति राज बहाल करने के अपने वर्ग हित ही साधे हैं।तेलंगाना ढिमरीब्लाक मरीचझांपी सिंगुर नंदीग्राम लालगढ़ तक अंसख्य सिसिला है लालफौज के नस्ल गेस्टापो बन जाने के निर्मम कथाक्रम का।इतिहास गवाह है कि मजदूर आंदोलन और मजदूर संगठनं पर सार्वभौम वर्चस्व के बावजूद मजदूरों के हक हकूक की लड़ाी से हमेशा गैरहाजिकर रहे कामरेड। किसानसभा में करोड़ों की सदस्यता के बावजूद खेतों को सेज,इंफ्रास्ट्रक्चर के बहाने प्रमोटरों बिल्डरों की रियल्टी में बदल देने का कमीशन कारपोरेटफंडिंग की क्रांति को अमली जामा पहनाते रहे कामरेड।इतिहास गवाह है कि भारत में क्रयशक्ति में तब्दील हो रही अनिवार्य सेवाओं को बहाल रखने की कोई लड़ाई नहीं लड़ी कामरेडों ने।भूमि सुधार का एजंडा बंगाल की खाड़ी में विसर्जित करके अवसरों और संसाधनों के न्यायपूर्ण बंटवारे जरिये समता सामाजिक न्याय के बदले वर्गहित विपरीत वर्ग शत्रुओं के साथ सत्ता सौदागरी में तब्दील कर दी विचारधारा और जाति क्षेत्रीय अस्मिताओं के मध्य विसर्जित कर दिया पार्टी संगठन और जनाधार समूचे देश में।जिस बंगाल लाइन के मनुस्मृति राज की बहाली के लिए भारतीय वामपंथ को तिलांजलि देदी वाम नेतृत्व ने,उस बंगाल में चहुंदिसा में वाम कार्यकर्ता नेता पिटते पिटते केसरिया हुआ जाये क्योंकि तीसरे विकल्प के झूठ का पर्दापास होने,सच्चर  रपट से मुसलमानों के खिलाफ साजिशाना धोखाधड़ी धर्मनिरपेक्षता के नाम अब खुल्ला तमाशा है और मुसलिम वोट बैंक के भरोसे ,बिना विचारधारा महज सत्तासमीकरणी वोटबैंक साधो राजकाज के जरिये बिना कुछ किये 35 साल तक सत्ता में रहने के बाद ढपोरशंखी वाम सत्ताबाहर है।

दो लोकसभा सीटों में सिमट जाने के बाद वाम जनाधार गुब्बारे की तरह हवा हवाई है और नेतृत्व पर वर्ण वर्चस्व नस्ली वर्चस्व बेनकाब है। यूपीए की जनसंहारी नीतियों को जारी रखने के खेल में जल जंगल जमीन की लड़ाई में कहीं नहीं थे कामरेड।सत्ता की राजनीति करते हुए शूद्र ज्योति बसु को प्रधाननमंत्री बनने से रोकने वाले नेतृत्व ने भारत अमेरिकी परमाणु संधि का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के बाद जनपधधर धर्मनिरपेक्ष पाखंड का मुलम्मा बचाने के लिए विचारधारा की दुहाी देकर सोमनाथ चटर्जी की बलि दे दी,तो पार्टी की शर्मनाक हार के लिए पार्टी नेतृत्व से पदत्याग और संघठन में सभी व्रगों,तबकों प्रतिनिधित्व देने की मांग करने वाले किसान सभा के राष्ट्रीय नेता रज्जाक मोल्ला समेत हर आवाज उठानेवाले शख्स को बाहर का दरवाजा दिखा दिया।

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब गली गली शोर है कि कामरेड चोर है। गली गली नारे लगने लगे कि पार्टी हमारी है,पार्टी तुम्हारी है,पार्टी किसी के बाप की नहीं है।नेताओं को भगाओ और वामपंथ को बचाओ।पार्टी जिला महकमा दफ्तरं से लेकर फेसबुक तक पोस्टरबाजी होने लगी तो आत्मालोचना के बजाय कामरेडों ने बहिस्कार निष्कासन का खेल जारी रखा और बेशर्मी से विचारधारा बखानते रहे।प्रकाश कारत सीताराम येचुरी के इस्तीफे के साथ साथ बंगाल के राज्य नेतृत्व को बदलने के लिए बंगाल माकपा मुख्यालय में जुलूस निकलने लगा तो भी कामरेडों को होश नहीं आया।

अब मदहोश माकपा नेतृत्व पर गाज गिर ही रही है।लाल झंडा बेशर्म कबंधों से छीनने का चाकचौबंद इंतजाम होने लगा है।

कामरेड प्रकाश कारत,कामरेड सीताराम येचुरी और कामरेड माणिक सरकार की मौजूदगी में राज्य कमिटी के अधिकांश सदस्यों ने खुली बगावत करते हुए राज्यऔर पोलित ब्यूरो तक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर दी है और साफ साफ बता दिया कि धर्मनिरपेक्ष तीसरा विकल्प झूठ और प्रपंच की  सत्ता सौदागरी के अलावा कुछ भी नहीं है।

वामपंथ के दुर्भेद्य गढ़ कहे जाने वाले पश्चिम बंगाल में 34 साल के शासन का अंत और फिर 16वीं लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार। यही वजह है कि अब मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर विरोधी सुर तेज होने लगे हैं। कोलकाता में माकपा की राज्य कमेटी की बैठक के दौरान कमेटी के सदस्यों ने नेतृत्व परिवर्तन की मांग की।

इतना ही नहीं, माकपा नेताओं ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के लिए पार्टी महासचिव प्रकाश करात के गलत राजनीतिक फैसलों को जिम्मेदार बताया।

1960 के दशक से चुनाव मैदान में आई माकपा का प्रदर्शन इस लोकसभा चुनाव में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। जिसके चलते पिछले कुछ दिनों से अयोग्य नेतृत्व को बदलने की मांग तेज होने लगी है।

राज्य कमेटी के नेताओं ने पार्टी के बड़े नेताओं प्रकाश करात, प्रदेश सचिव विमान बोस, पोलित ब्यूरो के सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भंट्टाचार्य और प्रदेश में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा पर चुनाव के दौरान बेहतर नेतृत्व नहीं दे पाने का आरोप लगाया।
इस बैठक में करात के साथ साथ त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार और पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी भी मौजूद थे।

पश्चिम बंगाल में 2011 में तृणमूल कांग्रेस ने वाम मोर्चा के 34 साल के शासन का अंत किया था। जिसके बाद इस लोकसभा चुनाव में 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सिर्फ दो सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाई। जबकि 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 15 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। राज्य समिति के एक नेता ने कहा कि क्षेत्रीय दलों के साथ मिल कर बने तीसरे मोर्चे ने 2009 की तरह कोई कमाल नहीं दिखाया। उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व की गलत नीतियों की वजह से ही तीसरा मोर्चा यूपीए सरकार के विकल्प के रुप में अपने आप को साबित नहीं कर पाई।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में माकपा के निराशाजनक प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में पार्टी के पूर्व दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी ने सबसे पहले कहा कि पार्टी नेतृत्व में तत्काल बदलाव होना चाहिए।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि माकपा का मौजूदा नेतृत्व लंबे समय से है और इसे तत्काल हट जाना चाहिए। उन्होंने साफ साफ कहा कि पार्टी दिग्गज वामपंथी नेता ज्योति बसु की उस सलाह का अनुसरण करने में विफल रही है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी को हमेशा जनता के साथ संपर्क में रहना चाहिए।
चटर्जी ने कहा कि ज्योति बसु अक्सर पार्टी नेताओं से कहा करते थे कि वे जनता के साथ निरंतर संपर्क में रहें, लेकिन माकपा नेतृत्व लोगों से दूर हो गये और ज्वलनशील मुद्दों पर कोई एक आंदोलन भी नहीं खड़ा कर पाये। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के पीछे की एक वजह यह भी है कि वाम पक्ष ने देश में ज्वलनशील मुद्दों पर आवाज बुलंद नहीं की। साल 2008 में संसद के भीतर भारत-अमेरिका परमाणु करार को लेकर विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान के बाद माकपा ने श्र चटर्जी को निष्कासित कर दिया था। उस वक्त सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे।
मालूम हो कि जुलाी 2013 में ही तृणमूल कांग्रेस पर पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के तीसरे चरण में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए माकपा नेता अब्दुर रज्जाक मुल्ला ने अपनी पार्टी के नेतृत्व के पुनर्गठन का आह्वान किया।

दक्षिण 24 परगना जिले में मतदान जारी रहने के बीच एक टीवी चैनल से मुल्ला ने कहा कि पूरी तरह गड़बड़ी हो रही है। सुबह से ही मुझे बमों की आवाजें सुनाई दे रही हैं। मैं नहीं मानता कि मेरे समय में गड़बड़ी हुई होगी, हां कुछ एवजी मतदान (दूसरों की जगह मतदान) हुए होंगे।

तब कोलकाता के तीन निकटवर्ती जिलों -उत्तरी 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और हावड़ा- में शुक्रवार को मतदाता ग्राम परिषदों के करीब 13000 प्रतिनिधियों का चुनाव हो रहा था। राज्य में पांच चरणों में होने वाले चुनाव के तीसरे चरण में करीब एक करोड़ मतदाता 12,656 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे थे।

लेकिन पार्टी नेतृत्व ने नेतृत्व परिवर्तन की मांग से आजिज आकर आखिरकार मोल्ला को पार्टी से बाहर निकाल दिया।

तभी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ताओं और लाल झंडे की गैरहाजिरी के बारे में पूछे जाने पर मोल्ला ने सत्ता में आने के लिए पार्टी को पुन: संगठित और पुनर्गठित किए जाने का आह्वान किया।

मोल्ला ने कहा था कि नेतृत्व को पुन:संगठित और पुनर्गठित किए जाने की जरूरत है, केवल ऐसा करने पर ही पार्टी अपनी लहर को वापस पा सकती है।

पूर्व की वाम मोर्चा सरकार में भूमि सुधार मंत्री रहे मुल्ला पार्टी नेतृत्व के एक धड़े का असमय विरोध करने के कारण राजनीतिक गलियारे में ढुलमुल माने जाते रहे हैं। उनके निशाने पर खास तौर से पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और पूर्व उद्योग मंत्री निरुपम सेन रहे हैं।
गौरतलब है कि अपने मंत्रित्व काल में मोल्ला ने हुगली जिले के सिंगूर में टाटा मोटर्स के नैनो कार संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया का खुलकर विरोध किया था।

সিপিএমে জেলা-বিদ্রোহ, নাম না করে বুদ্ধ-বিমানকে সরে যাওয়ার বার্তা, তোপের মুখে কারাটও

কলকাতা: সিপিএমের অন্দরে বিদ্রোহ৷ রাজ্য কমিটির বৈঠকে কড়া সমালোচনার মুখে আলিমুদ্দিন ও এ কে গোপালন ভবনের নেতারা৷ নাম না করে বুদ্ধ-বিমানের সরে দাঁড়ানোর দাবি বর্ধমানের জেলা সম্পাদক অমল হালদারের৷ প্রকাশ কারাট-সহ কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের তীব্র সমালোচনায় সরব মানব মুখোপাধ্যায়, জীবেশ সরকার-সহ জেলার একাধিক নেতা৷ কারাটের তৃতীয় বিকল্পের ডাকের সমালোচনায় সরব হন তাঁরা৷
সোমবার সিপিএমের রাজ্য কমিটির বৈঠকের শুরুতেই নিজের বক্তব্য পেশ করতে গিয়ে বর্ধমানের সম্পাদক অমল হালদার সুর চড়িয়ে বলেন, দলের নেতৃত্ব যে ভাবে চলছে, তাতে নীচুতলার কর্মীদের কাছে ভুল বার্তা যাচ্ছে৷ দরকার হলে আমাকে সরিয়ে দিন৷ আপনারাও সরে যান৷ সরাসরি কারও নাম না করলেও এই মন্তব্য করে অমল হালদার আদতে বুদ্ধ-বিমানের চেয়ার ছাড়ার দাবিই জানান বলেই মনে করছে সিপিএম নেতৃত্বের একাংশ৷
এ দিনের বৈঠকে  কারাটের সামনেই তাঁর এবং দলের কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের সমালোচনাতে সরব হন একাধিক নেতা৷ মানব মুখোপাধ্যায় বলেন, প্রতিবার লোকসভা ভোটের আগে কখনও থার্ড ফ্রন্ট, কখনও তৃতীয় বিকল্পের যে স্লোগান দেওয়া হয়, তা মানুষের কাছে বিশ্বাসযোগ্য হয় না৷ দিশাহীন এই রাজনৈতিক লাইন ভোটে দলের বিপর্যয়ের পিছনে বড় কারণ৷
একই সুরে দলীয় নেতৃত্বের সমালোচনায় সরব হন কোচবিহারের তারিণী রায়, দার্জিলিঙের জীবেশ সরকাররা৷ দলের সাংগঠনিক একাধিক ত্রুটি-বিচ্যুতি এবং লোকসভা ভোটের প্রচারে মানুষকে দিশা দেখাতে না পারার অভিযোগে দলের রাজ্য ও কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের বিরুদ্ধে আঙুল তোলেন মুর্শিদাবাদের মৃগাঙ্ক ভট্টাচার্য৷
জেলার একাধিক নেতার দাবি, ২০০৪ সালের লোকসভা ভোটে সিপিএম বিপুল সাফল্য পাওয়ার পরেও কেন্দ্রীয় সরকারে যোগ না দেওয়া ভুল হয়েছিল৷ তারপর, ২০০৮ সালে ইউপিএ সরকারের উপর থেকে সমর্থন প্রত্যাহার ছিল আরও বড় ভুল৷ জেলা নেতৃত্বের একাংশের অভিযোগ, নেতৃত্বের লাগাতার ভুল সিদ্ধান্তের জেরে দলের বিশ্বাসযোগ্যতা ক্ষতিগ্রস্ত হয়েছে৷ একটা বড় অংশের মানুষের মনে হয়েছে, লোকসভা নির্বাচনে সিপিএমকে ভোট দিয়ে কোনও লাভ হবে না৷
রাজনৈতিক মহলের মতে, জেলার নেতারা এ দিন যেভাবে সরব হয়েছেন, তাতে অস্বস্তি বেড়েছে সিপিএমের রাজ্য ও কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের৷ এই প্রেক্ষিতে তারা, মঙ্গলবার রাজ্য কমিটির বৈঠকের শেষ দিনে কী জবাব দেন, সেদিকেই এখন নজর৷


নেতৃত্ব বদলের দাবি সিপিএমের অন্দরে

Date : Monday 2 June 2014 09:38 PM
ত্রয়ণ চক্রবর্তী
শীর্ষ নেতৃত্বের উপস্থিতিতে বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য,বিমান বসুদের পদত্যাগ দাবি করল সিপিএম জেলা নেতৃত্ব। আর তাই নিয়ে উপ্তত্ত হয়ে উঠল সিপিএম রাজ্য কমিটির প্রথমদিনের বৈঠক।বর্ধমানের জেলা সম্পাদক অমল হালদার থেকে শুরু করে কোচবিহারের তারিণী রায় প্রত্যেকে একই সুরে নেতৃত্ব বদলের দাবি করেন। বৈঠকে উপস্থিত ছিলেন দলের সাধারণ সম্পাদক প্রকাশ কারাত,সীতারাম ইয়েচুরি,মানিক সরকার। সুত্রে খবর,শুরুতেই অমল হালদার নাম না করে আক্রমণ করেন রাজ্য সম্পাদক বিমান বসু ও বুদ্ধদেব ভট্টাচার্যকে। তিনি বলেন,রাজ্য নেতৃত্ব কর্মীদের দিশা দেখাতে ব্যর্থ। তাদের এখনই সরে যাওয়া উচিত। আমাকেও জেলা সম্পাদকে দায়িত্ব থেকে সরিয়ে দেওয়া হোক। এরপরও নেতৃত্ব সরে গিয়ে নতুনদের জায়গা না করে দিলে জনমানসে ভুল বার্তা যাবে। একইভাবে দার্জিলিং জেলা সম্পাদক জীবেশ সরকার,কোচবিহারের তারিণী রায়ও নেতৃত্ব বদলের ডাক তোলে। তাঁরা বলেন এইভাবে চললে পার্টি বাঁচবে না। এখনই দল ছাড়ার হিড়িক পড়ে গিয়েছে।
অন্যদিকে এর থেকে একধাপ এগিয়ে প্রকাশ কারাত,সীতারাম ইয়েচুরির সামনে  রাজ্য নেতৃত্বের পাশাপাশি  কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের বদলের দাবি তোলেন। সিপিএম সুত্রের খবর,মানব মুখোপাধ্যায় তৃতীয় বিকল্পের যে কথা বলা হয়েছে তার সমলোচনা করে বলেন, এই উদ্যোগ মানুষের কাছে বিশ্বাসযোগ্য হয়নি। মানুষ বিশ্বাস করেন না সিপিএম কেন্দ্রে সরকার গড়তে পারে।মানুষ চায় কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের বদল হোক। বৈঠকের পর বিবৃতিতেও স্বীকার করে নেওয়া হয়েছে তৃতীয় বিকল্পের ডাক জনমানসে কোনও রকম ছাপ ফেলতে পারেনি।  অন্যান্য জেলার প্রতিনিধিরাও প্রায় একইভাবে নেতৃত্ব বদলের দাবিতে সরব হন।
সেইসঙ্গে নির্বাচনি ফলাফল বিশ্লেষন করে দেখা গিয়েছে  পূর্ব মেদিনীপুরে সবথেকে ভালো ফল করেছে। শতাংশের হিসাবে ওই জেলায় সিপিএম ভোট পেয়েছে ৩৭.০৫ শতাংশ। সবথেকে খারাপ ফল হয়েছে দার্জিলিং জেলায়, সেখানে ভোট প্রাপ্তির হার হল ১২.১ শতাংশ। তারপরে রয়েছে কলকাতা ১৯.২ শতাংশ। দলের সংগঠনে যে ক্ষয় ধরে গিয়েছে তাও কার্যত স্বীকার করা হয়েছে বিবৃতি। সভায় সভাপতিত্ব করেন সূর্যকান্ত মিশ্র।
চিত্রগ্রাহকঃ অনিন্দ্য

পদ ছাড়তে বার্তা বুদ্ধ-বিমানকে, বিপাকে কারাটও
cpm
নেতৃত্ব বদলের যে দাবিতে এতদিন সোচ্চার ছিলেন নিচুতলার কর্মীরা, এবার দলের সাধারণ সম্পাদক প্রকাশ কারাট ও ত্রিপুরার মুখ্যমন্ত্রী মানিক সরকারের উপস্থিতিতে সেই দাবি উঠল সিপিএম রাজ্য কমিটির বৈঠকে৷ নির্বাচনী বিপর্যয়ের জন্য নেতাদের সরে যাওয়ার আহ্বান জানালেন রাজ্য কমিটির চার সদস্য৷ সরে যাওয়ার স্পষ্ট বার্তা দেওয়া হল, প্রকাশ কারাত, বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য এবং বিমান বসুদের৷

একদল সদস্য যখন নেতৃত্ব বদলের পক্ষে সওয়াল করলেন, তখন হুড়োহুড়ি করে নেতৃত্ব বদল না করে নেতৃত্বর কর্মপদ্ধতি উন্নত করার পক্ষে পালটা সওয়াল করলেন রাজ্য কমিটির তিন হেভিওয়েট সদস্যও৷ রাজ্য কমিটির সভায় নেতৃত্ব বদল নিয়ে এই নজিরবিহীন মতপার্থক্য প্রকাশ্যে এলেও দলের রাজনৈতিক লাইনের ব্যর্থতা নিয়ে কমবেশি সহমত সকলেই৷ নরেন্দ্র মোদীকে ঠেকানোর জন্য তৃতীয় বিকল্প সরকার গঠনের স্লোগান জনমানসে কোনও দাগ কাটেনি তা এই বিকল্পর প্রধান হোতা প্রকাশ কারাটের সামনেই খোলাখুলি বললেন রাজ্য কমিটির সংখ্যাগরিষ্ঠ সদস্য৷ বিমান বসুর পেশ করা লোকসভা নির্বাচনের খসড়া পর্যালোচনা রিপোর্টেও উল্লেখিত হল তা৷ সোমবার থেকে শুরু হয়েছে সিপিএমের দু-দিনের রাজ্য কমিটির বৈঠক৷ দলের সাধারণ সম্পাদক প্রকাশ কারাট ছাড়াও মানিক সরকার, সীতারাম ইয়েচুরি সহ পলিটব্যুরোর ছয় সদস্য উপস্থিত রয়েছেন রাজ্য কমিটির এই বৈঠকে৷

এবার লোকসভা ভোটে সিপিএম যে বিপর্যয়ের মুখোমুখি হয়েছে পার্টির জন্মের ৫০ বছরে তার নজির নেই৷ আবার নির্বাচনী বিপর্যয়ের কারণে রাজ্য কমিটির বৈঠকে নেতৃত্ব বদলের দাবি তোলার নজিরও খুব একটা নেই৷ কারণ, কমিউনিস্ট পার্টি যৌথ নেতৃত্বে বিশ্বাস করে৷ বস্ত্তত কমিউনিস্ট পার্টিতে মতাদর্শগত বিরোধেই তেমন দাবি উঠে থাকে৷ যেমন, ইন্দিরা গান্ধী ও জরুরি অবস্থাকে সমর্থন সিপিআই এসএ ডাঙ্গেকে বহিষ্কার করেছিল৷ ১৯৭৭-এর নির্বাচনী বিপর্যয়ের পর এই সিদ্ধান্ত হয়ে থাকলেও শাস্তিমূলক ব্যবস্থা নেওয়া হয়েছিল মতাদর্শগত কারণেই৷ কিন্ত্ত এবার নির্বাচনে ভরাডুবির পর থেকেই নেতৃত্ব বদলের দাবি এতটাই জোরালো হয়েছে যে ভোট পরবর্তী পলিটব্যুরোর বৈঠকে বিমান বসু নৈতিক দায় নিয়ে সরে যাওয়ার প্রস্তাব দেন৷ তবে তা খারিজ করে পলিটব্যুরো৷ লোকসভা নির্বাচনে ঐতিহাসিক বিপর্যয়ের জন্য নেতৃত্ব বদলের দাবিতে কয়েক দিন আগে আলিমুদ্দিন স্ট্রিটে সিপিএম রাজ্য দপ্তর মুজফফর আহমেদ ভবন থেকে ঢিল ছোঁড়া দূরত্বে প্রকাশ্যে বিদ্রোহ করেছিলেন নিচুতলার একদল নেতা কর্মী৷ নির্বাচনী বিপর্যয়ের দায় নিয়ে অবিলম্বে দলের শীর্ষ নেতৃত্ব সরে যাওয়া উচিত বলে প্রকাশ্যে সোচ্চার হয়েছিলেন আলিমুদ্দিন স্ট্রিট-মল্লিকবাজার লোকাল কমিটির সদস্যরা৷ নিচুতলার এই নেতা-কর্মীদের এই ক্ষোভের আঁচ এবার রাজ্য কমিটির সভায় বসে টের পেলেন প্রকাশ কারাট, বিমান বসু, বুদ্ধদেব ভট্টাচার্যর মতো সিপিএমের শীর্ষ নেতারা৷ রাজ্য কমিটির সভার প্রথম দিনেই বর্ধমানের জেলা সম্পাদক অমল হালদার, উত্তরবঙ্গের হেভিওয়েট নেতা অশোক ভট্টাচার্য, প্রাক্তন দুই সাংসদ শমীক লাহিড়ি ও মইনুল হাসান খোলাখুলি নেতৃত্ব বদলের পক্ষে সওয়াল করেন৷ তাত্‍পর্যপূর্ণ বিষয় অমল হালদার ছাড়া কোনও জেলা সম্পাদক কিংবা জেলাওয়াড়ি রিপোটিংর্‌ যে নেতারা করেছে তাঁদের কেউ নেতৃত্ব বদলের পক্ষে সওয়াল করেননি৷ জেলা সম্পাদকের দায়িত্বে না থাকা নেতারা মূলত সরব হয়েছেন নেতৃত্ব বদলের দাবিতে৷ যার কারণ ব্যাখ্যা করতে গিয়ে রাজ্য কমিটির এক সদস্যর যুক্তি, 'নেতৃত্ব বদলের পক্ষে জেলা সম্পাদকরা সওয়াল করলে নিজেদের জেলায় তাঁদেরও একই দাবির মুখে পড়তে হবে৷ তাই কৌশলগত কারণে জেলা সম্পাদকের পদে যে নেতারা নেই তাঁরা নেতৃত্ব বদলের পক্ষে সওয়াল করেছেন৷' এ দিনের সভায় এই পরিবর্তনের দাবিতে প্রথম সোচ্চার হন অমলবাবু৷ বর্ধমান জেলায় ফল খারাপ হওয়ার জন্য শাসক দলের রিগিংকে মুখ্যত দায়ী করার পাশাপাশি বিজেপি পক্ষে জনসমর্থনের চোরাস্রোত যে এতটা মারাত্মক ভাবে বইছে তা যে বোঝা যায়নি বলে মেনে নিয়েছেন তিনি৷ শাসক দলের রিগিং প্রতিরোধ করার কথা ভাবা হলেও তা শেষ পর্যন্ত বাস্তবায়িত করা যায়নি বলেও মেনে নেন তিনি৷ জেলা সম্পাদক হিসেবে নিজের এই ব্যর্থতার কথা মেনে নিয়ে অমলবাবু বলেন, 'এই বিপর্যয়ের জন্য প্রয়োজনে যদি আমাদের সরে যেতে হয় তা হলে তা করা বাঞ্ছনীয়৷' এখানেই থেমে না থেকে তিনি সরাসরি বিমান বসুকে আক্রমণ করেছেন৷ লোকসভা ভোটের ফল প্রকাশের দিন আলিমুদ্দিন স্ট্রিটে সাংবাদিক বৈঠক করতে গিয়ে অপ্রিয় প্রশ্নের মুখে বিমানবাবু যে ভাবে উত্তেজিত হয়ে সংবাদমাধ্যমকে আক্রমণ করেছিলেন তা দলের ভাবমূর্তিকে আরও নষ্ট করেছে বলে মন্তব্য করেন তিনি৷

নিজে থেকে জেলা সম্পাদকের পদ ছেড়ে দেওয়ার কথা বলে আদতে বিমান বসু, বুদ্ধদেব ভট্টাচার্যকে নেতৃত্ব থেকে সরে যাওয়ার জন্য কৌশলী চাপ তৈরি করেছেন বর্ধমানের এই দাপুটে নেতা৷ অমল হালদারের পথে হেঁটে পরপর আরও খোলাখুলি নেতৃত্ব বদলের দাবি করেন অশোক ভট্টাচার্য, মইনুল হাসান, শমীক ভট্টাচার্য৷ ঘুরিয়ে একই বার্তা দিয়েছেন মানব মুখোপাধ্যায়৷ এদের মধ্যে শমীক লাহিড়ি ও মইনুল হাসান দলের সাংগঠনিক সম্মেলন এগিয়ে এনে সর্বস্তরে র্যাংক অ্যান্ড ফাইলকে বদল করার কথা বলেন৷ একদা, একের পর এক রাজ্য কমিটির সভায় এই নেতৃত্ব বদলের পক্ষেসওয়াল করতেন রেজ্জাক মোল্লা৷ পরবর্তী সময়ে লক্ষ্মণ শেঠের মতো নেতারা রেজ্জাক মোল্লার সঙ্গে প্রকাশ্যে নেতৃত্ব বদলের পক্ষে করা শুরু করেন তিনি৷ যদিও তাঁদের সেই দাবিতে গ্রাহ্য করা হয়নি উল্টে বহিষ্কৃত রেজ্জাক ও লক্ষ্মণ শেঠ দু-জনে বহিষ্কৃত হয়েছেন৷ তাঁদের সেই দাবি এবার রাজ্য কমিটির সভায় ওঠায় রেজ্জাক মোল্লা এ দিন বলেন, 'আমি যখন নেতৃত্ব বদলের কথা বলতাম তখন অমলরা তাকে গ্রাহ্য করত না, নেতারা অবজ্ঞা করতেন৷ এখন ওরা ঠেকে শিখেছে৷ এর ফলে একটা ধাক্কা অন্তত দেওয়া যাবে৷' যদিও তাড়াহুড়ো করে নেতৃত্ব বদল করলে আদতে কোনও ফল হবে না বলে পালটা যুক্তি দিয়েছেন অসীম দাশগুপ্ত, বাসুদেব আচারিয়া, বিপ্লব মজুমদারের মতো কয়েক জন নেতা৷ এদের যুক্তি, নেতৃত্ব বদল করলে অবস্থার পরিবর্তন হবে এর কোনও বাস্তব ভিত্তি নেই৷ বরং নেতৃত্বর কর্মতত্‍পরতা আরও বাড়ানোর পক্ষে তাঁরা৷

নেতৃত্ব বদলের দাবির পাশে ভোটের মুখে জোড়াতালি নিয়ে তৃতীয় বিকল্প গঠনের রাজনৈতিক লাইন সম্পূর্ণ ভুল বলে সাফ জানিয়েছেন মানব মুখোপাধ্যায়৷ পরমানু চুক্তির মতো দুরূহ বিষয়ে সমর্থন তুলে নিয়ে তা আমজনতাকে বোঝাতে যেমন বেগ পেতে হয়েছিল তেমনই নির্বাচনী আঁতাত যে দলগুলির মধ্যে হয়নি তাদের নিয়ে তৃতীয় বিকল্প সরকার গড়ার ডাককে মানুষ কোনও গুরুত্ব দেয়নি বলে মন্তব্য করেছেন তিনি৷ একই ভাবে বিজেপি পক্ষে যে সমর্থনের চোরাস্রোত বইছে তা পুরোপুরি আঁচ করা যায়নি বলে একাধিক নেতা কবুল করেছেন৷ এই সমালোচনার মুখে আজ মঙ্গলবার রাজ্য কমিটির সভায় জবাবি ভাষণ দেবেন বিমান বসু, প্রকাশ কারাট ও বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য৷ নেতৃত্ব বদলের দাবির মুখে নেতৃত্ব কী বলেন সেই দিকে এখন তাকিয়ে রয়েছে সমগ্র সিপিএম৷

নেতা বদলের দাবি উঠল রাজ্য কমিটিতে

নিজস্ব সংবাদদাতা

কলকাতা, ৩ জুন, ২০১৪, ০৩:২২:১৭

1

রাজ্য কমিটির বৈঠকে প্রকাশ কারাট, মানিক সরকার, সীতারাম ইয়েচুরি এবং বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য। - নিজস্ব চিত্র

বিপর্যয়ের পরে বাইরে থেকে দলের সদর দফতরে কামান দাগা হচ্ছিল। এ বার দলের সদর দফতরের অন্দরেই গোলাগুলি বর্ষণ হল!
লোকসভা ভোটে বেনজির ভরাডুবির পরে সিপিএমের প্রথম রাজ্য কমিটির বৈঠকই সরগরম হল নেতৃত্বের বিরুদ্ধে লাগাতার তোপে। কেউ বললেন, 'প্রতিবন্ধী' রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীকে দিয়ে কাজ চালানো দুরূহ। কেউ বললেন, দিল্লিতে বিকল্প সরকারের জন্য জোড়াতালি দিয়ে তৃতীয় ফ্রন্ট গঠনের চেষ্টা বারবার ব্যর্থ হয় দেখেও একই পরীক্ষা-নিরীক্ষা চলে কেন? কেউ আবার আপৎকালীন পরিস্থিতিতে গোটা রাজ্য কমিটিই ভেঙে দেওয়ার প্রস্তাব দিলেন! সবাই সরাসরি নাম করে সমালোচনায় না গেলেও আক্রমণ থেকে রেহাই পেলেন না প্রকাশ কারাট, বিমান বসু, বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য বা সূর্যকান্ত মিশ্রদের কেউই।
পরাজয়ের পর্যালোচনার জন্য সোমবার থেকে আলিমুদ্দিনে দু'দিনের রাজ্য কমিটির বৈঠকে উপস্থিত আছেন দলের সাধারণ সম্পাদক কারাট ও আরও দুই পলিটব্যুরো সদস্য সীতারাম ইয়েচুরি ও মানিক সরকার। রয়েছেন এ রাজ্য থেকে নির্বাচিত সাংসদ তপন সেনও। তাঁদের সামনেই এ দিন রাজ্য কমিটির একের পর সদস্য সব স্তরের নেতাদের গ্রহণযোগ্যতা নিয়ে প্রশ্ন তুলেছেন। প্রয়াত জ্যোতি বসুকে প্রধানমন্ত্রী হতে না দেওয়ার প্রসঙ্গ টেনে আনেন। ভোটের প্রচারে কৌশল নির্ণয়ে ভুলের কথা বলেছেন। সিপিএম সূত্রের খবর, নেতৃত্বকে তোপ দাগার তালিকায় এ দিন প্রথম সারিতে ছিলেন তিন প্রাক্তন সাংসদ মইনুল হাসান, শমীক লাহিড়ী ও নেপালদেব ভট্টাচার্য, দুই প্রাক্তন মন্ত্রী অশোক ভট্টাচার্য ও মানব মুখোপাধ্যায়। বাদ যাননি বর্ধমানের জেলা সম্পাদক অমল হালদারও। আবার এর বিপরীতে নেতৃত্বের সমর্থনে উঠে দাঁড়িয়েছেন দুই পরাজিত প্রার্থী বাসুদেব আচারিয়া ও অসীম দাশগুপ্ত এবং দুই জেলা সম্পাদক সুমিত দে ও বিপ্লব মজুমদার।
বৈঠকের শেষ দিনে আজ, মঙ্গলবার জবাবি বক্তৃতা করার কথা রাজ্য সম্পাদক বিমানবাবু এবং কারাট, দু'জনেরই। মুখ খুলতে পারেন প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী বুদ্ধবাবুও। দিনভর আক্রমণের পরে নেতা-কর্মীদের আস্থা ফেরাতে তাঁরা কী বলেন, সেই দিকে নজর রয়েছে গোটা সিপিএম এবং বামফ্রন্টেরও। দলের রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর এক সদস্য অবশ্য বলেন, "ফলাফলের পর্যালোচনায় খোলাখুলি মতপ্রকাশকেই আহ্বান জানানো হয়। এতে নতুন কিছু নেই!"
তাৎপর্যপূর্ণ ভাবে, বৈঠকে এ দিন অমলবাবু ছাড়া জেলা সম্পাদকেরা কেউ বিশেষ রাজ্য বা কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের দিকে সরাসরি আঙুল তোলেননি। কারণ, লোকসভা ভোটের ফলাফলে সব জেলা একই রকম বিধ্বস্ত! জীবেশ সরকার বা কান্তি গঙ্গোপাধ্যায়ের মতো জেলা স্তরের প্রথম সারির নেতারা অবশ্য দলের ভুল লাইনের কথা বলেছেন। নেতৃত্ব নিয়ে তুলনায় বেশি সরব হয়েছেন সেই ধরনের নেতারা, যাঁরা নানা কারণে বেশ কিছু দিন ধরেই দলের কাজকর্মে ক্ষুব্ধ বা অভিমানী। দলীয় সূত্রের খবর, ব্যক্তিগত আক্রমণ সরিয়ে রেখে ঝাঁঝালো বক্তব্যে বিমানবাবুদের বেশি কোণঠাসা করে দেন মইনুলই। তাঁর যুক্তি, এখনকার রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর দুই সদস্য ইতিমধ্যে প্রয়াত। দু'জন অসুস্থ। আরও তিন জন নিজেরা প্রার্থী হওয়ায় তাঁদের কাজ সীমাবদ্ধ ছিল নিজেদের কেন্দ্রেই। বাকিদের মধ্যে বুদ্ধবাবু শারীরিক কারণে সব জায়গায় যেতেই পারেন না। এত প্রতিবন্ধী সম্পাদকমণ্ডলী নিয়ে কী লাভ? তার চেয়ে সব নতুন করে গড়লে এর চেয়ে খারাপ আর কী হবে? দলের সাধারণ সম্পাদককে ইঙ্গিত করে তিনি এ-ও বলেন, এ বারের বিপর্যয় প্রকাশ কারাট থেকে মইনুল হাসান সকলের বিশ্বাসযোগ্যতাকে প্রশ্নের মুখে দাঁড় করিয়ে দিয়েছে! অথচ নতুন মুখ তুলে আনার প্রয়াস হচ্ছে কই? কেন্দ্রীয় কমিটিতেই বা ক'টা তরুণ মুখ আছে?
এই সুরেই শমীক প্রশ্ন তোলেন রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর কার্যকারিতা নিয়ে। সম্পাদকমণ্ডলী ভেঙে দেওয়ার দাবিও তোলেন তিনি। অশোকবাবু সরব হন ভোটের ফলে বিপর্যয়ের দিনও রাজ্য সম্পাদকের সাংবাদিক সম্মেলনের ভঙ্গি নিয়ে। কলকাতার নেতা মানববাবু বলেন, আমার দায় না তোমার দায় এই নিয়ে বিতর্ক না বাড়িয়ে গোটা রাজ্য কমিটিটাই আপাতত ভেঙে দেওয়া হোক। পরে আবার তা নতুন করে নির্বাচিত হয়ে আসুক সম্মেলনে। বর্ধমানের  অমলবাবু কায়দা করে বলেন, প্রয়োজনে দল তাঁকে সরিয়ে দিক। সেই সঙ্গে সরে দাঁড়ান রাজ্য নেতৃত্বও। আর নেপালদেব দাবি করেন, বুথভিত্তিক মানুষের সঙ্গে কথা বলে তিনি দেখেছেন, বাঙালি সিপিএমকে দিল্লির জন্য বিশ্বাস করতে চাইছে না কেন্দ্রীয় স্তরে তেমন বাঙালি নেতা নেই বলে। বসু প্রয়াত, সোমনাথ চট্টোপাধ্যায়কে বহিষ্কার করা হয়েছে। তাঁর বক্তব্যের ইঙ্গিত ছিল স্পষ্টতই কারাটের দিকে। কারাট-বিমান-বুদ্ধের মতো না হলেও সমালোচনার তির এসেছে বিরোধী দলনেতা সূর্যবাবুর দিকেও। নির্বাচনী প্রচারে তৃণমূলের বিরুদ্ধে বেশি সরব হলেও বিজেপি-র বিপদ বোঝাতে কেন তিনি আরও সক্রিয় হলেন না, উঠেছে সেই প্রশ্নও।
বাসুদেববাবু, অসীমবাবুরা অবশ্য এর মধ্যেই বোঝানোর চেষ্টা করেছেন, এ বার যে পরিস্থিতিতে বিপর্যয় হয়েছে, তার জন্য শুধু নেতৃত্বকে দায়ী করা অযৌক্তিক। সুমিতবাবু বা বিপ্লববাবুর মতো জেলা সম্পাদকেরাও নেপাদেবদের পাল্টা যুক্তি দিয়েছেন, হাতে-গোনা সাংসদ নিয়ে প্রধানমন্ত্রিত্বে বসতে যাওয়া বিচক্ষণ কাজ হতো না। এখন আর সেই প্রসঙ্গ টেনে লাভও নেই।
যুক্তি-পাল্টা যুক্তির মধ্যেও কারাটকে কিন্তু সারা দিন বসে শুনতে হয়েছে, বিকল্প শক্তির সরকার গঠনের জন্য তাঁদের উদ্যোগ দলের মধ্যেই কতটা গুরুতর প্রশ্নের মুখে! শুনতে হয়েছে সেই পরমাণু চুক্তির কথা। কথা উঠেছে, পরমাণু চুক্তি খায় না মাথায় দেয়, তা-ই লোকে ঠিক করে বুঝল না! আর তার জন্য দলটাকে এখন অনুবীক্ষণ দিয়ে খুঁজতে হচ্ছে! একের পর এক জেলার নেতারা প্রশ্ন তুলেছেন, যে সব আঞ্চলিক দলের বিশ্বাসযোগ্যতা নিয়ে নানা সংশয় আছে, তাদের একজোট করে ভোটের আগে প্রতি বার বিকল্প খাড়া করার চেষ্টার কী অর্থ?
সিপিএমেরই একাংশে অবশ্য পাল্টা প্রশ্ন আছে, কংগ্রেস ও বিজেপি-র থেকে দূরত্বে দাঁড়িয়ে বিকল্প সরকার ছাড়া বামেরা আর কী-ই বা বলতে পারত? কংগ্রেস এবং বিজেপি ছাড়া সরকার গড়ায় নির্ণায়ক ভূমিকা নেওয়ার কথা বলেই তো মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ৩৪টি আসন পেয়েছেন! কারাটের লাইনের সমালোচনা যাঁরা করছেন, তাঁদের বিকল্প প্রস্তাবটা কী? দলের এই অংশের মতে, পরাজয়ের গ্লানিতে কিছু নেতা এমন বিষয়কে বড় করে দেখাচ্ছেন, যেটা হয়তো বিপর্যয়ের মূল কারণ নয়। এই পরিস্থিতিতেই আজ জবাব দিতে হবে বিমান-কারাটদের।



নেতৃত্ব বদলে গা-ঝাড়া দিতে চায় সিপিএম

সন্দীপন চক্রবর্তী

কলকাতা, ৩১ মে, ২০১৪, ০৩:৩৯:৫৮
দলের রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর বৈঠকের পরে এক বিকেলে মহাকরণের করিডরে চশমার কাচ মুছতে মুছতে জ্যোতি বসু বলেছিলেন, "সুন ইউ উইল সি আ নিউ চিফ মিনিস্টার।" একেবারে বসুর নিজস্ব কায়দায় সেটা ছিল রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী পদ থেকে তাঁর অবসর এবং বুদ্ধদেব ভট্টাচার্যের অভিষেকের ঘোষণা।
এমন কোনও ঘোষণার পথে না গেলেও ভোটে ভরাডুবির পরে এ বার দলের কেন্দ্রীয় ও রাজ্য নেতৃত্বে বদল আনতে চলেছে সিপিএম। বলা যেতে পারে, শেষ পর্যন্ত বিপর্যয়ই পরিবর্তনের গতি বাড়িয়ে দিল!
কেন্দ্র ও রাজ্যের পাশাপাশি বদল আসতে চলেছে বেশ কিছু জেলার নেতৃত্বেও। সিপিএমের কেন্দ্রীয় ও রাজ্য নেতৃত্ব দলের মধ্যে ঘরোয়া আলোচনায় পরিবর্তনের একটা রূপরেখা ভেবে ফেলেছেন। আনুষ্ঠানিক ভাবে তাতে সিলমোহর পড়া বাকি। এর মধ্যে কিছু পরিবর্তন এমনিতেই আসার কথা ছিল। কিন্তু লোকসভা ভোটে বেনজির বিপর্যয়ের পরে সংগঠনে ঝাঁকুনি দিয়ে কর্মীদের চাঙ্গা করার লক্ষ্যে পরিবর্তনের পরিধি আরও বাড়াতে চাইছে কলকাতার আলিমুদ্দিন স্ট্রিট এবং দিল্লির এ কে গোপালন ভবন।
দলের নিচু তলার ক্ষোভ এবং চাপের জেরে জরুরি বৈঠক ডেকে সিপিএম নেতারা অবশ্য পদ থেকে ইস্তফা দিচ্ছেন না। সাংগঠনিক নিয়ম মেনে, সম্মেলন প্রক্রিয়ার মধ্যে দিয়েই নেতৃত্বে রদবদলের কথা ভাবা হয়েছে। এ কে জি ভবন সূত্রের ইঙ্গিত, চলতি বছরের নভেম্বর-ডিসেম্বরের মধ্যেই পার্টি কংগ্রেস সেরে ফেলা হবে। সে ক্ষেত্রে বিধানসভা ভোটের জন্য আগামী বছরের গোড়া থেকে পশ্চিমবঙ্গ ও কেরলে নতুন নেতৃত্বের হাত ধরেই ঘর গোছাতে পারবে সিপিএম। দলের এক পলিটব্যুরো সদস্যের কথায়, "সকলকেই মনে রাখতে হবে, পার্টি অফিসে পোস্টার মেরে বা বিক্ষোভ দেখিয়ে কমিউনিস্ট পার্টিতে নেতৃত্ব বদলায় না। দলের নির্দিষ্ট প্রক্রিয়া মেনেই যা হওয়ার, হবে।"
সম্পাদক পদে টানা তিন বারের বেশি থাকা যাবে না বলে সিপিএমের গঠনতন্ত্রেই এখন এক ধারা অন্তর্ভুক্ত হয়েছে। সেই ধারা মেনে সাধারণ সম্পাদক প্রকাশ কারাটের এ বার সরে দাঁড়ানোর কথা। বিপর্যয়ের পরে ক্ষোভ সামাল দিতে তড়িঘড়ি ইস্তফা দিয়ে কয়েক মাসের জন্য পরিস্থিতি জটিল করতে চান না তিনি। নিয়মমাফিক পশ্চিমবঙ্গে বিমান বসুর আরও এক দফা রাজ্য সম্পাদক হতে বাধা নেই। কিন্তু এখন তিনি নিজেই আর ওই পদে থাকতে চান না। লোকসভা ভোটের ফল ঘোষণার পরেই তাঁর পদত্যাগের ইচ্ছা কারাটেরা নিরস্ত করেছেন ঠিকই। কিন্তু বিকল্প পথও ভেবে রাখা হচ্ছে। সিপিএম সূত্রের খবর, কারাট এবং বিমানবাবুর জায়গায় তরুণ মুখ দেখা যাওয়ার সম্ভাবনা কম। দলের বর্তমান শীর্ষ নেতৃত্বের মধ্যে থেকেই দু'জন আপাতত দায়িত্ব নেবেন। নেতৃত্বের অপেক্ষাকৃত তরুণ অংশকে তৈরি রাখা হবে অদূর ভবিষ্যতের জন্য।
বাম শিবিরের একাংশের প্রস্তাব, সব বাম দলেই এ বার সম্মেলন ডেকে নতুন নেতা নির্বাচন করা হোক একেবারে গণতান্ত্রিক পদ্ধতিতে। সর্ব স্তরে সম্মেলন-কক্ষেই প্রতিনিধিরা বেছে নিন, কে হবেন নেতা। সর্বসম্মত ভাবেও তা হতে পারে, ভোটাভুটিতেও হতে পারে। দলে গণতন্ত্রের অভাব নিয়ে যখন এত কথা হচ্ছে, এই অবস্থায় আবার নেতৃত্বের তরফেই নামের প্যানেল ঠিক করে দেওয়া উচিত হবে না। গঠনতন্ত্রে ভোটাভুটির সুযোগ থাকলেও সেই পথে সিপিএম নেতৃত্ব হাঁটবেন, তেমন সম্ভাবনা অবশ্য ক্ষীণ।
দিল্লিতে আগামী ৬ জুন পলিটব্যুরো এবং ৭-৮ জুন কেন্দ্রীয় কমিটির বৈঠকেই সম্মেলন প্রক্রিয়া এগিয়ে আনার বিষয়ে আলোচনা হতে পারে। সিপিএম সূত্রের খবর, সম্মেলন এগিয়ে এনে নেতৃত্বে পরিবর্তনের গতি ত্বরান্বিত করার পিছনে ভূমিকা রয়েছে দলের তিন পলিটব্যুরো সদস্যের। তাঁরা তিন জনেই বিপর্যয়ের দায় নিতে চেয়ে দলের গোটা শীর্ষ নেতৃত্বকেই অন্য রকম ভাবতে বাধ্য করেছেন।
পলিটব্যুরোর কাছে যেমন এ রাজ্যে বিশ্রী হারের দায় নিতে চেয়েছিলেন বিমানবাবু, তেমনই কেরলের নেতা এম এ বেবি বিধায়ক পদ থেকে ইস্তফা দিতে চেয়েছিলেন। ভোটের ফলপ্রকাশের পরে প্রথম বৈঠকে পলিটব্যুরোর অন্য দুই সদস্য অবশ্য ফল খারাপ হলেই ইস্তফা দিতে চাওয়ার প্রবণতাকে 'নাটক' বলে কটাক্ষ করেছিলেন। কিন্তু তাতে বাদ সাধেন সীতারাম ইয়েচুরি। দলের অন্দরে তাঁর পরিষ্কার যুক্তি, 'যৌথ দায়িত্ব' নামক ঢাল ব্যবহার করে নিজেদের আড়াল করার কোনও অর্থই হয় না! মার্ক্স ও লেনিনের কেতাবি নীতি অনুযায়ী, কমিউনিস্ট পার্টি চলে যৌথ কর্মপদ্ধতিতে। কিন্তু ব্যক্তির কিছু দায়িত্ব থাকে। 'যৌথ দায়িত্ব' বলে কিছু হয় না! তা হলে তো শুধু রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলী রাখলেই চলত, সম্পাদকের আর দরকার হত না! বাংলা থেকে নির্বাচিত সাংসদ ইয়েচুরির বক্তব্য ছিল, এ রাজ্যে দলের বহু বিষয়েই তিনি জড়িত। প্রচারেও অন্যতম ভূমিকা ছিল তাঁর। সে ক্ষেত্রে তিনিও দায় নিয়ে পলিটব্যুরো থেকে সরে দাঁড়াতে তৈরি। বিষয়টি অস্বস্তিকর জায়গায় যাচ্ছে বলে সে যাত্রায় সতীর্থদের নিবৃত্ত করেছিলেন কারাটই। পরে তিনি বিমান-ইয়েচুরিদের সঙ্গে আলাদা করে কথাও বলেছেন। প্রকাশ্যে কারাট অবশ্য এ সব কিছুই অস্বীকার করেছেন। আর ইয়েচুরি এ নিয়ে মন্তব্য করতেই নারাজ।
বাংলা থেকে এখন সিপিএমের চার পলিটব্যুরো সদস্যের মধ্যে প্রাক্তন শিল্পমন্ত্রী নিরুপম সেন শারীরিক কারণেই অব্যাহতি নেবেন। আলিমুদ্দিন এবং এ কে জি ভবনের মধ্যে আলোচনা শুরু হয়েছে, তাঁর জায়গায় সাংসদ ও সুবক্তা মহম্মদ সেলিমকে পলিটব্যুরোয় জায়গা দেওয়া যায় কি না। দলের একাংশের মত, কলকাতার বাইরে বৈঠকে যাতায়াতে অক্ষম বুদ্ধবাবুকেও এ বার অব্যাহতি দেওয়া হোক। সত্যিই তা হলে বর্ধমানের এক নেতা নাকি কেন্দ্রীয় সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য, এ রাজ্যের এক প্রাক্তন সাংসদপলিটব্যুরোয় কে জায়গা পাবেন, টানাপড়েন হবে তা নিয়ে।

সিপিএম নেতৃত্ব বদল চাইছেন সোমনাথ

Dec 28, 2012, 11.24AM IST

SOMNATH
সোমনাথ চট্টোপাধ্যায়।
বিশ্বজিত্‍ বসু-

সিপিএমে নেতৃত্ব বদল চাইলেন দলের কেন্দ্রীয় কমিটির প্রাক্তন সদস্য ও লোকসভার প্রাক্তন স্পিকার সোমনাথ চ‌ট্টোপাধ্যায়৷ এই রদবদল দিল্লিতে সর্বোচ্চ স্তর থেকেই হওয়া দরকার বলে তিনি মনে করেন৷ তাঁর বক্তব্য, দক্ষ নেতৃত্বের অভাবেই নানা বিষয়ে দলের বাস্তব ভাবনা চিন্তা নিয়ে এখন প্রশ্ন উঠছে৷ এই প্রসঙ্গেই লোকসভার প্রাক্তন অধ্যক্ষের মত, খুচরো ব্যবসায় বিদেশি বিনিয়োগ (এফডিআই) ইস্যুতে প্রকাশ কারাতরা অহেতুক হইচই করছেন৷ এসব না করে এফডিআইকে পরীক্ষামূলকভাবে প্রয়োগ করে দেখা উচিত্‍৷

পরমাণু-চুক্তির ইস্যু ঘিরে চার বছর আগে সিপিএমের সাধারণ সম্পাদক প্রকাশ কারাতের সঙ্গে সংঘাত হয় সোমনাথবাবুর৷ ওই ইস্যুতে দলের ফরমান অগ্রাহ্য করে তিনি অধ্যক্ষের পদ ধরে রাখেন৷ এই নিয়ে স্বয়ং জ্যোতি বসু উদ্যোগ নিলেও তা ব্যর্থ হয়৷ শেষ পর্যন্ত বোলপুরের সাংসদ দল থেকে বহিস্কত হন৷ দলে থাকাকালীন বিভিন্ন বিষয়ে কারাত-ইয়েচুরিদের সিদ্ধান্তকে অবাস্তব বলেছেন তিনি৷ তার জেরে শীর্ষ নেতৃত্বের সঙ্গে সোমনাথবাবুর সরাসরি সংঘাত হয়েছে বহুবার৷ তা সত্বেও তিনি নিজের অবস্থান বদলাননি৷ দল থেকে বিতাড়িত হওয়ার পরেও নানা ইস্যুতে তাঁর মত অপরিবর্তিত রয়েছে৷ গত শনিবার শান্তিনিকেতনে নিজের বাড়িতে বসে 'এই সময়'কে দেওয়া এক সাক্ষাত্‍কারে ফের তাঁর অবস্থান স্পষ্ট করে দিলেন বর্ষীয়ান রাজনীতিবীদ৷

নিজেকে এই মুহূর্তে 'অরাজনৈতিক ব্যক্তি'বললেও, তাঁর সঙ্গে কথা বললেই বোঝা যায়, সিপিএম তো বটেই, জাতীয় রাজনীতির টাটকা খবর রাখেন তিনি৷ সোমনাথবাবু বলছেন, 'এখন আরও বাম ঐক্য দরকার৷ সেই কারণেই সিপিএমের সব স্তরে নেতৃত্বে পরির্বতন প্রয়োজন৷ দিল্লির কেন্দ্রীয় স্তর থেকেই রদবদল করতে হবে৷' নাম না করলেও তিনি যে সাধারণ সম্পাদক পদে প্রকাশ কারাতের অপসারণ চাইছেন তা দলের কেন্দ্রীয় কমিটির প্রাক্তন সদস্যের কথাতেই স্পষ্ট৷ তিনি মনে করেন, যাঁদের দল চালানোর ক্ষমতা নেই তাঁরাই এখন নেতা৷ তাঁর কথায়, 'নেতৃত্বে শৈথিল্য এসেছে৷ সেই কারণেই বাস্তব ভাবনার ক্ষেত্রে এত দৈন দশা৷'

এই সূত্রে তিনি কম্পিউটর থেকে এফডিআই, বিভিন্ন ইস্যুতে সিপিএমের সিদ্ধান্তকে 'অবাস্তব' বলছেন৷ তিনি বলছেন, 'দেশে কম্পিউটর চালু করার সময়েও বামেরা চেঁচামেচি করেছিল৷ পরে ভুল বুঝতে পারে৷ এখন বিদেশি বিনিয়োগ নিয়েও হইচই করছে৷ সবাই বলছে দেশে মন্দা চলছে, চাষীরা আত্মহত্যা করছে৷ সেক্ষেত্রে মিডলম্যানদের হাত থেকে কৃষকদের বাঁচাতে পরীক্ষামূলকভাবে অবশ্যই এফডিআইকে আসতে দেওয়া উচিত্‍৷ সব জায়গা থেকে টাকা নিচ্ছে, তাহলে এক্ষেত্রে সমস্যা কোথায় বুঝছি না৷' খুচরো ব্যবসায় বিদেশি টাকা এলে চাষির কি ক্ষতি হবে তাও বুঝতে পারছেন না লোকসভার প্রাক্তন অধ্যক্ষ৷ তাঁর যুক্তি, 'এত শপিং মল রয়েছে এখানে৷ তার ফলে ছোট ব্যবসার কী ক্ষতি হয়েছে? এইসব মল হওয়ার পরে ব্যবসা গুটিয়ে ফুটপাথের হকাররা কেউ চলে যাননি৷ সোমনাথবাবুর প্রশ্ন, শিক্ষা, স্বাস্থ্যে এত সমস্যা থাকতে শুধু এফডিআই নিয়ে সোরগোল কেন? এসব মন্তব্যের জন্য তাঁকে কেউ ভুল বুঝতে পারে জেনেই তিনি বলছেন, 'বিদেশি বলেই আমি নাচছি না৷ দেশিরাও ব্যবসা করবে৷ আমিও সব বিদেশিকরণের পক্ষে নই৷ কিন্ত্ত এফডিআই নিয়ে সিপিএমের বাস্তব ভাবনা চিন্তার অভাব আছে৷'

জনসংযোগের ক্ষেত্রে সিপিএমের বর্তমান নেতৃত্বের কড়া সমালোচনা করেছেন দলের এই প্রাক্তন সাংসদ৷ জনভিত্তি থাকলে সিঙ্গুর, নন্দীগ্রামের ঘটনা অতদূর যেত না বলে তিনি মনে করেন৷ একই কারণে তাঁর মন্তব্য, '৩৪ বছর সরকারে থাকার পরে এখন সন্ত্রাষ রুখে রাজ্যে কোথাও সভা করতে পারলে সিপিএম খুশি হচ্ছে!' তাঁর সমালোচনার মূল নিশানা যে প্রকাশ, বৃন্দা কারাত, সীতারামরা তা বোঝাতেই তিনি বারবার জাতীয় রাজনীতিতে সিপিএম নেতৃত্বের 'ব্যর্থতা'র প্রসঙ্গ টেনে এনেছেন৷ গুজরাটে নরেন্দ্র মোদীর টানা তিনবারের জয়ের সমালোচনা করে কারাতরা বলেছেন, রাজ্যে কোনও উন্নয়ন না করে ধর্মের নামে জিতেছেন মোদী৷ এই বিষয়ে সিপিএমের কেন্দ্রীয় নেতৃত্বকে কটাক্ষ করে সোমনাথবাবু বলছেন, 'মোদী জিতলে সমালোচনা হচ্ছে৷ তাহলে বামফ্রন্ট সরকারও কি ৩৪ বছর উন্নয়ন ছাড়া জিতেছে? এই কথা বলে জনগণকে অপমান করা হচ্ছে৷'

সাক্ষাত্কারের শেষপর্বে তিনি পুরোনো দলকে পরামর্শও দিয়েছেন৷ বলছেন, 'এখন দলকে অন্য রাজ্যে ছড়াতে হলে জনগণের পাশে আরও বেশি করে থাকতে হবে৷ জনসংযোগের কারণেই রাজস্থানে সিপিএম আসন পাচ্ছে৷ আবার মেয়র ও ডেপুটি পদে জিতলেও জনভিত্তির ঘাটতির কারণে সিমলা বিধানসভা নির্বাচনে একটিও আসন পেল না'৷ সিমলার ঘটনায় বিষ্মিত সোমনাথ চ‌ট্টোপাধ্যায়ের পরামর্শ, 'যেখানেই ব্যর্থ হবে, সেখানে সঙ্গে সঙ্গে কারণ খুঁজতে হবে দলকে৷'

No comments:

Post a Comment