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Wednesday, April 10, 2013

VHP का मंदिर निर्माण अभियान कल से!देश के बाहर हिंदुओं की बलि चढ़ाने पर आमादा संघ परिवार।

VHP का मंदिर निर्माण अभियान कल से!देश के बाहर हिंदुओं की बलि चढ़ाने पर आमादा संघ परिवार।


पलाश विश्वास

हम अपने धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक मित्रों को लगातार यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि हिंदू साम्राज्यवाद और कारपोरेट साम्राज्यवाद दोनों जायनवादी हैं और एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। व्यर्थ के वादविवाद में हम वक्त जाया कर रहे हैं और आर्थिक सुधारों के बहाने नरसंहार संस्कृति का अश्वमेध अभियान हिंदुत्व के पताकातले बिना प्रतिरोध लगातार तेज होता जा रहा है। सत्ता दखल की खूनी लड़ाई में आज बंगाल और बांग्लादेश एकाकार है। वहां बांग्लादेशी इस्लामी राष्ट्रवाद तो इसपार नस्लवादी ब्राह्मणवाद। वर्चस्ववादी सत्ता हिंदू साम्राज्यवाद की मनुस्मृति व्यवस्था का मुख्ख्याधार है। देश अब मुक्त बाजार में तब्दील है।हर दिशा में संविधान, नागरिक और मानवाधिकार के खुल्ला उल्लंघन के तहत जल जंगल जमीन आजीविका और नागरिकता से बेदखली तेज हो रहा है।ग्लोबल हिंदुत्व के सहार वैश्विक व्यवस्था का यही एजंडा है, जो भारतीय जनता का मुख्य संकट है। नये सिरे से राममंदिर अभियान मुक्त बाजार के जनक मनमोहन सिंह के भारतीय राजनीति में ्अवतरण की पृष्ठभूमि का स्मरण करा रही है। सिखों के जनसंहार,भोपाल गैस त्रासदी, बाबरी विध्वंस और गुजरात नरसंहार भारत के मुक्त बाजार में बदलने के अनिवार्य परिदृश्य हैं।तसलिमा नसरीन ने अपने उपन्यास लज्जा में बाबरी विध्वंस के बाद बांग्लादेश में भड़की हिंसा का खुला विवरण दिया है।बांग्लादेश में धर्मनिरपेश्क्षता और लोकतंत्र के लिए लेखकों, पत्रकारों और बुद्धिजीवी लगातार शहादतें देते रहे हैं।इसवक्त भी बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की लड़ाई जीवन मरण का प्रश्न है। लेकिन सत्ता की राजनीति ने वहां इस्लामी राष्ट्रवाद का इस्तेमाल करते हुए अल्पसंख्यकों को अपना निशाना बनाया हुआ है। दो सौ साल से निरंतर जारी ब्राह्मणवाद की वैदिकी संस्कृति और नस्लवादी जाति व्यवस्था को खारिज करने वाले मतुआ आंदोलन का बारुनि उत्सव उनके तांडव से बंद हो गया है। इस बार दुर्गा पूजा भी असंभव है। भारत में हिंदू साम्राज्यवादियों के राममंदिर आंदोलन का मतलब है कि अब भी बांग्लादेश में रह गये एक करोड़ से ज्यादा हिंदुो के सामने  सम्मान के साथ जीवित रहने के लिए भारत आने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचेगा, जैसा कि बाबरी विध्वंस के बाद लज्जा के नायक ने किया था। इस बार 1971 से भी बड़ा संकट सामने है। हिंदुत्व की राह पर चल रही भारत सरकार के अपने आर्थिक सुदारों के एजंडे की वजह से इसकी कोई परवाह नहीं है क्योंकि यह सरकार अपने अस्तित्व व नीति निर्धारण और राज काज के लिए पूरी तरह संघ परिवार पर निर्भर है। दूसरी तरफ, संघ परिवार को हिंदू राछ्ट्र के लिए बांग्लादेश या अन्यत्र रह रहे हिंदुओं की बलि चढ़ाने में कोई हिचक नहीं है। विभाजन पीड़ित हिंदू शरणार्थियों के देश निकाले और आदिवासियों की बेदखली, बस्ती में बहुमंजिली प्रोमोटर राज के लिए बायोमेट्रिक नागरिकता का गैरकानूनी असंवैधानिक आयोजन भी धर्मादिकारी प्रणव मुखर्जी और रामरथी लाल कृष्ष्ण आडवाणी का साझा उद्यम है। इस दिशा में बंगाल में मोदी संस्कृति का संक्रमण सबसे खतरनाक है। यह दुर्भाग्यजनक है कि ममता बनर्जी जैसी क्षत्रप को इस खतरे का जरा सा अंदेशा नहीं है तो दूसरी तरफ घोषित धर्मनिरपेक्ष सिपाहसालार मुलायम सिंह भी संघियों की भाषा बोल रहे हैं। सुनियोजित तरीके से बहुजन आंदोलन पर संघ परिवार का कब्जा हो गया है। भारतीय बहुजनसमाज अब हिंदू साम्राज्.वाद की पैदल सेना के अलावा और कुछ नहीं है। यह समय जाति विमर्श का नहीं है, बल्कि किसान आंदोलन और प्रतिरोध संघर्ष की निरंतरता बनेये रखने की अनिवार्यता का है। भूमि सुधार के किसान आंदोलन आदिवासी विद्रोह के समन्वय से जो ब्राह्मणवाद विरोधी नस्लवादी जाति वर्चस्ववाले हिंदुत्व विरोधी मतुआ आंदोलन का इतिहास है, बंगाल उसे भूल गया है और बाकी भारत को इस बारे में कुछ भी मालूम नहीं है। हरिचांद ठाकुर की दो सौवीं जयंती पर हम इस विरासत को पुनर्जीवित कर सकते थे, पर हमने यह मौका खोया है। अब बांग्लादेश के फरीदपुर के ओड़ाकांदी में जो बारुणी उत्सव बंद हुआ, वह पूरे दक्षिण एशिया में आ रही महासुनामी का अशनिसंकेत है। यह इस्लामी राष्ट्रवाद और हिंदू साम्राज्यवाद का विजय अभियान है और नरसंहार संस्कृति का शंखनाद है। नये सिरे से राममंदिर आंदोलन भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में उग्रतम  धर्मांध कारपोरेट राष्ट्रवाद का विजय उत्सव है। बहुजनसमाज को इसके प्रतिरोध में पहल करना चाहिए, पर उसका आंदोलन तो अब संघी हो गया और वह नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व के लिए यज्ञ महायज्ञ  में शामिल है। दूसरी तरफ, वामपंथी अति मेधावी वैज्ञानिक आंदोलन हिंदू साम्राज्यवाद की बजाय वर्ग विहीन जाति विहीन समाज की स्थापना के लिए अंबेडकर की पुनः हत्या सबसे ज्यादा जरुरी मान रहे हैं। यह विडंबना ही है कि बहुजनसमाज अंबेडकर जयंती तो जोर शोर से मनाने की तैयारी कर रहा है ौर ब्राह्मणों व ब्राह्मणवाद के खिलाफ विचार नहीं तो गालियों का अकूत भंडार उसके पास गोला बारुद के आतंक से ज्यादा है, लेकिन हिंदू साम्राज्यवाद के प्रतिरोध का उसका भी कोई कार्यक्रम नहीं है, जैसे कि कारपोरेट साम्राज्यवाद के समर्थन में सबसे आगे हैं बहुजन समाज के नेतृवृंद। हिंदुत्व के झंडावरदारों से निवेदन है कि वे अपने नेताओं से पूछे कि दुनिय़ाभर के कट्टरपंतियों को भारत के बाहर रहने वाले हिंदुओं के सफाये के लिए उकसाने के कार्यक्रम से ही क्या हिंदु हित सधेगा।


अयोध्या।। अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) 11 साल बाद फिर से अभियान चलाने जा रहा है। इस अभियान के तहत कल यहां राम शिलाओं और तराशे गए पत्थरों की परिक्रमा की जाएगी।

सन 1989 में देशभर से इन शिलाओं को यहां लाया गया था। राम जन्मभूमि न्यास कार्यालय में रखी इन शिलाओं की संख्या लगभग एक लाख है।

इन शिलाओं के पूजन के माध्यम से विहिप ने देशभर में मंदिर आन्दोलन का माहौल तैयार किया था। सितम्बर 1990 में विहिप ने मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने के लिए कार्यशाला स्थापित की थी।

कार्यशाला में विहिप के प्रस्तावित मंदिर के मुताबिक 70 प्रतिशत से अधिक पत्थरों को तराशा जा चुका है।

इस कार्यशाला को लेकर बीच बीच में राजनीतिक सरगर्मियां बढी। कई मौकों पर संसद की कार्यवाही भी ठप हुई। विहिप के प्रस्तावित माडल के अनुसार मंदिर में 212 खम्भों का निर्माण होना है।

मंदिर की उंचाई 128 फुट, चौडाई 140 फीट और लम्बाई 268.5 फुट रखी गई है। सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर प्रस्तावित निर्माण के लिए विहिप राम नाम जप मंदिर निर्माण संकल्प समारोह पूरे देश में शुर करने जा रही है।

विहिप सूत्रों ने आज यहां बताया कि संकल्प अभियान की शुरआत कल यहां दोपहर दो बजे से होगी। इसके तहत कार्यशाला में पूजन के बाद शिलाओं की परिक्रमा की जाएगी।

तेरह मई तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत दो लाख स्थानों पर राम नाम का जप होगा। उन्होंने दावा किया कि विहिप संरक्षक अशोक सिंघल और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महन्त नृत्यगोपाल दास की मौजूदगी में अयोध्या से शुर होने वाले इस अभियान से मंदिर निर्माण के लिए जागरकता पैदा करने में मदद मिलेगी।

शिलाओं की परिक्रमा के बाद सरयू जल से संकल्प लिया जाएगा और आस पास के 300 गांवों में राम मूर्तियों का वितरण किया जाएगा।


 सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करने में देरी क्यों की? इस मामले में कोर्ट ने केंद्र को एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल के दफ्तर में फाइल कई महीनो तक पड़ी रही लेकिन उनकी तरफ से अपील दाखिल नहीं की गई। हालांकि सीबीआई ने सॉलिसिटर जनरल को बार-बार याद दिलाया कि हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी है, लेकिन सॉलिसिटर जनरल की तरफ से अपील दाखिल नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपील दाखिल करने में 167 दिनों की देरी हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को देरी की वजह एक हफ्ते के अन्दर हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है। इस मामले में आडवाणी, जोशी समेत संघ के आठ नेताओं के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा था। जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, लेकिन कुछ अन्य धाराओं में इनके खिलाफ मामला चल रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट इस केस की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को करेगा।

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में SC ने केंद्र पर उठाए सवाल


राम जन्मभूमि विवाद: 11 साल बाद हिन्दू परिषद चलाएगा अभियान


अयोध्या में राम जन्मभूमि के विवादित स्थान पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिन्दू परिषद 11 साल बाद फिर से जाग गया है और अभियान चलाने जा रहा है। इसी के तहत परिषद गुरुवार को राम शिलाओं और तराशे गए पत्थरों की परिक्रमा करेगा। सन् 1989 में देशभर से इन शिलाओं को यहां लाया गया था। राम जन्मभूमि न्यास कार्यालय में रखी इन शिलाओं की संख्या करीब एक लाख है।

इन शिलाओं के पूजन के माध्यम से विहिप ने देशभर में मंदिर आंदोलन का माहौल तैयार किया था। सितम्बर 1990 में विहिप ने मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने की कार्यशाला स्थापित की थी। कार्यशाला में विहिप के प्रस्तावित मंदिर के मुताबिक 70 प्रतिशत से अधिक पत्थरों को तराशा जा चुका है। इस कार्यशाला को लेकर बीच बीच में राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ी। ऐसा भी कई बार हुआ जब इस मुद्दे को लेकर संसद की कार्यवाही भी ठप हुई।

याद हो कि विहिप के प्रस्तावित मॉडल के अनुसार मंदिर में 212 खम्भों का निर्माण होना है। मंदिर की उंचाई 128 फीट, चौड़ाई 140 फीट और लंबाई 268.5 फीट रखी गई है। सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर प्रस्तावित निर्माण के लिए विहिप राम नाम जप मंदिर निर्माण संकल्प समारोह पूरे देश में शुरु करने जा रही है ।

सूत्रों के मुताबिक, संकल्प अभियान की शुरुआत गुरुवार को दोपहर दो बजे से होगी। इसके तहत कार्यशाला में पूजन के बाद शिलाओं की परिक्रमा की जाएगी। तेरह मई तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत दो लाख स्थानों पर राम नाम का जप होगा। उन्होंने दावा किया कि विहिप संरक्षक अशोक सिंघल और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास की मौजूदगी में अयोध्या से शुरु होने वाले इस अभियान से मंदिर निर्माण के लिए जागरुकता पैदा करने में मदद मिलेगी। शिलाओं की परिक्रमा के बाद सरयू जल से संकल्प लिया जाएगा और आस पास के 300 गांवों में राम मूर्तियों का वितरण किया जाएगा।

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख रहे राम जन्मभूमि न्यास के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत परमहंस रामचन्द्र दास की अगुवाई में मार्च 2002 में शिलादान कार्यक्रम के बाद विहिप का यह नया अभियान चलने जा रहा है । शिलादान कार्यक्रम की घोषणा के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल वाजपेयी सरकार ने परमहंस रामचन्द्र दास से सुप्रीम कोर्ट के अधिग्रहीत परिसर में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश का हवाला देते हुए शिला को परिसर या उसके आसपास नहीं ले जाने का आग्रह किया था।

सरकार की ओर से सांसद विनय कटियार, भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी नवनीत सहगल, राजा अयोध्या विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और लखनऊ जोन के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक हरभजन सिंह ने परमहंस रामचन्द्र दास को अधिग्रहीत परिसर में शिलादान नहीं करने के लिए मना लिया था। अयोध्या के दिगम्बर अखाड़ा मंदिर में प्रधानमंत्री कार्यालय में स्थापित अयोध्या प्रकोष्ठ के प्रभारी और आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह ने शिला को ले लिया था। यह शिला आज भी फैजाबाद के कोषागार में रखी हुई है ।


05 फरवरी 2012 
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस


अयोध्या। उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करने पहुंचे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पहले ही दिन शनिवार को राम मंदिर मुद्दे को हवा देते हुए कहा कि उन्हें तब तक चैन नहीं मिलेगा जब तक अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता। 

अयोध्या में एक चुनावी जनसभा को सम्बोधित करते हुए आडवाणी ने कहा, "राम मंदिर का निर्माण मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा लक्ष्य है। मुझे तब तक चैन नहीं मिलेगा जब तक जहां रामलला विराजमान हैं, वहां भव्य राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता।"

आडवाणी ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि जहां रामलला विराजमान हैं, उस स्थान को राम का जन्मस्थान मानने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय भी सही ठहराएगा।"

अयोध्या सीट से भाजपा उम्मीदवार लल्लू सिंह के पक्ष में आयोजित जनसभा को सम्बोधित करने के बाद आडवाणी ने रामलला के दर्शन किए। 

उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश के साथ केंद्र की सत्ता में भी बदलाव की जरूरत है। दोनों सरकारें जनविरोधी हैं और इनके शासन में आम आदमी त्रस्त हो गया है।"

कालेधन के मुद्दे को उठाते हुए आडवाणी ने कहा कि अगर सरकार विदेशों में जमा सारा कालाधन वापस लाकर गरीबों में बांट दिया जाए तो देश की गरीबी दूर हो जाएगी।

सोमनाथ से अयोध्या के लिए अपने जीवन की पहली रथयात्रा निकालने वाले आडवाणी ने कहा, "मैंने उस रथयात्रा में यह सीखा कि अगर देश को जागृत करना है तो रथयात्रा से बेहतर कुछ और नहीं हो सकता।"


अयोध्या आंदोलन पर अफसोस नहीं, गर्व करेंः आडवाणी


नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन में अपनी भूमिका को लेकर पार्टी को अफसोस जताने के बजाय गौरवांवित होना चाहिए। आडवाणी ने यहां बीजेपी के 33वें स्थापना दिवस समारोह में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि मुलायम सिंह को मेरी प्रशंसा करते हुए सुनकर लोगों ने सवाल खड़े किए। मेरा मानना है कि अगर आप सही बात कहते हैं तो दुनिया उसे जरूर स्वीकार करेगी। इसलिए हिचकिचाएं नहीं और खुद में हीनता का भाव विकसित नहीं होने दें।

उन्होंने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा पिछले माह की गई प्रशंसा का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर हम अयोध्या के अस्तित्व को मानते है और हमने इसके लिए आंदोलन किया है तो इसके लिए अपराध बोध प्रदर्शित करने की कोई जरूरत नहीं है। हमें इसे लेकर गर्व होना चाहिए। गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव ने आडवाणी को ईमानदार आदमी बताते हुए कहा था कि बीजेपी नेता ने कभी झूठ नहीं बोला।

अयोध्या आंदोलन पर अफसोस नहीं, गर्व करेंः आडवाणी

उल्लेखनीय है कि आडवाणी की 1992 की रथयात्रा अयोध्या में विवादित भूमि पर राम मंदिर बनाने से संबंधित बीजेपी के राम जन्मभूमि आंदोलन का केंद्र बिंदु थी। इसी आंदोलन के दौरान छह दिसंबर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाया गया था।

हालांकि आडवाणी ने कहा कि पार्टी के भीतर जो चल रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए आज की बीजेपी मेरे विचार की पार्टी से अलग है। उन्होंने कहा कि गैर अनुशासन और भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए।


अयोध्या को मीठा जहर दे रही केंद्र सरकार

Updated on: Mon, 08 Apr 2013 01:02 AM (IST)


जागरण संवाददाता, आगरा: रामलला के मंदिर के निर्माण को कुंभ में लिया गया संतों का संकल्प रविवार को यहां विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश जी ने दोहराया। कहा कि केंद्र सरकार रामलला के मंदिर पर तुष्टिकरण की राजनीति कर अयोध्या को 'शुगर कोटेड' (मीठा) जहर देना चाह रही है। अब हिंदू विजय मंत्र के जाप से मंदिर बनाने की ताकत जुटाएंगे।

रविवार को बल्केश्वर में आयोजित हवन यज्ञ में शामिल होने के बाद पत्रकारों से वार्ता में उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने राम जन्म स्थान की स्थिति स्पष्ट कर दी है। मुस्लिम या बैरागियों ने भी जमीन के बंटवारे की बात नहीं कही, लेकिन सरकार जमीन बांटना चाहती है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह केंद्र सरकार का साथ दे रहे हैं। जन्मस्थान पर मुस्लिमों को जबरन जमीन देकर वहां माहौल खराब करने की कोशिश है। एक रिटायर्ड जज केंद्र सरकार के प्रतिनिधि बनकर इस काम में लगे हुए हैं। वे राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास महाराज के पास प्रस्ताव लेकर पहुंचे थे कि एक कोने में बाबर के विजय प्रतीक के रूप में मस्जिद बनवा दी जाए, बाकी जमीन पर मंदिर बना लें।

दिनेश जी ने बताया कि संतों ने साफ कह दिया कि है कि वहां सिर्फ मंदिर ही बनेगा। एक मंजिल बन भी चुकी है। 7 फरवरी 2013 को कुंभ में संतों ने संकल्प लिया था। अब उसका पालन करना है। 11 अप्रैल से 13 मई तक देश भर में हिंदू 13 मालाओं का विजय मंत्र 'श्री राम जय राम जय जय राम' का जाप करेंगे। 11-12 जून को हरिद्वार में संतों का मार्गदर्शक मंडल आगे की रणनीति तय करेगा। इसी मंत्र की ताकत से हिंदुओं ने विवादित ढांचे को थोड़ी ही देर में ढहा दिया था।

प्रेसवार्ता में मेयर इंद्रजीत आर्य, सांसद रामशंकर कठेरिया, विहिप के महानगर अध्यक्ष शशि अग्रवाल सीए, प्रांत संगठन मंत्री राघवेंद्र सिंह, बजरंग दल प्रांत सुरक्षा प्रमुख रामकुमार शर्मा आदि उपस्थित थे।

http://www.jagran.com/uttar-pradesh/agra-city-10283286.html


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