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Saturday, June 16, 2012

एक्टिविज्म, जर्नलिज्म और कनखजूरे

http://news.bhadas4media.com/index.php/yeduniya/1570-2012-06-16-11-47-57

 [LARGE][LINK=/index.php/yeduniya/1570-2012-06-16-11-47-57]एक्टिविज्म, जर्नलिज्म और कनखजूरे [/LINK] [/LARGE]
Written by आवेश तिवारी Category: [LINK=/index.php/yeduniya]सियासत-ताकत-राजकाज-देश-प्रदेश-दुनिया-समाज-सरोकार[/LINK] Published on 16 June 2012 [LINK=/index.php/component/mailto/?tmpl=component&template=youmagazine&link=9f5657b67222b52ad591ab213e37258f2c833063][IMG]/templates/youmagazine/images/system/emailButton.png[/IMG][/LINK] [LINK=/index.php/yeduniya/1570-2012-06-16-11-47-57?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/youmagazine/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK]
शाजिया इल्मी का नाम यूपी या फिर दिल्ली की पत्रकारिता में गैर-नामचीन है| चाहे स्टार न्यूज की एंकरिंग हो या फिर अपने घर के अखबार "सियासत जदीद" की पत्रकारिता, शाजिया कोई बड़ा करिश्मा करके नहीं दिखा पायीं, लेकिन प्रधानमन्त्री कार्यालय द्वारा मनमोहन सिंह की मैक्सिको और ब्राजील यात्रा में मीडिया दल की सदस्य के तौर पर उनका नामांकन खारिज किये जाने से वो अचानक सुर्ख़ियों में आ गयी हैं| शाजिया ने कम समय में शोहरत हासिल करने के लिए टीम अन्ना का दामन पकड़ा, लेकिन जब इस आंदोलन से भी उन्हें वो शोहरत नहीं मिली तो वो वरिष्ठ नेता आरिफ मोहम्मद खान के साले की बेटी के तौर पर दिल्ली के राजनैतिक गलियारों में होती हुई पीएम कार्यालय में पहुँच गयी| लेकिन यहाँ उनके परिवार का झगडा, उनकी काबिलियत और एक्टिविस्ट का लबादा ओढकर पत्रकारिता करने का दंभ उन्हें नुकसान पहुंचा गया| शाजिया इस पूरे मामले को साजिश बताते हुए दैनिक छत्तीसगढ़ को कहती हैं कि कांग्रेस पार्टी के कई नेता जिनमें सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं, मेरे भाई एजाज के साथ मिलकर अखबार पर कब्ज़ा ज़माना चाहते हैं, ऐसा वो लोग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मैं टीम अन्ना की सदस्य हूँ| शाजिया के नामांकन का रद्द होना अन्ना और मनमोहन सिंह के बीच की तल्खियों से जोड़कर देखा जाना लाजिमी है| लेकिन ये भी सच है कि शाजिया के इस किस्से में पत्रकारिता और एक्टिविज्म की आड़ में हो रही धोखाधड़ी के साथ-साथ दिल्ली के राजनैतिक गलियारों से से लेकर रालेगन सिद्धि तक मौजूद उन चेहरों का सच भी उजागर होता है, जो कई तरह के मुखौटे लगाकर अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं|

इस पूरे मामले से प्रधानमंत्री के साथ विदेश यात्राओं पर जाने वाले पत्रकारों के कुनबे की योग्यता पर भी सवाल खड़ा होता है| शाजिया कहती हैं कि ''मैं टीम अन्ना की सदस्य हूं लेकिन मैं टीम अन्ना की सदस्य के रूप नहीं जा रही बल्कि पत्रकार के रूप में जा रही थी. मैं आंदोलन से जुड़ी हूं, इसका मतलब यह नहीं कि मैं बतौर पत्रकार अपना कार्य नहीं कर सकती| दिल्ली के पत्रकार साथी बताते हैं कि अभी कुछ ही दिन पहले शाजिया दिल्ली में अन्ना समर्थकों की एक बैठक में प्रधानमंत्री को पानी पी-पीकर गाली दे रही थी और अगले ही कुछ घंटों बाद मैंने उन्हें पीएमओ में चाय की चुस्कियों के साथ प्रधानमंत्री की विदेश नीति और खुद प्रधानमन्त्री की तारीफ में कसीदे पढते पाया| शायद वो प्रधानमंत्री के साथ अपनी यात्रा सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही थी| गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 16 जून से जी-20 सम्मेलन में भाग लेने मैक्सिको तथा द्विपक्षीय यात्रा पर ब्राजील जा रहे हैं| शाजिया वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि ये तो कुछ ऐसा है कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पचौरी उनके मीडिया सलहाकार रहें और सत्ता बदलते ही उनको प्रधानमंत्री के आस-पास भी फटकने नहीं दिया जाए.

महत्वपूर्ण है कि शाजिया ने अपने पारिवारिक अख़बार "सियासत जदीद'' के पत्रकार के रूप में यहाँ जाने को लेकर अपनी अर्जी दी थी, जिसका अनुमोदन उनके भाई इरशाद इल्मी ने किया था, जो अखबार के संपादक हैं| लेकिन उसके बाद उनके दूसरे भाई एजाज ने संपादक मंडल के अध्यक्ष के तौर पर विदेश मंत्रालय से उनका नाम हटा देने की सिफारिश कर डाली| एजाज ने लिखा कि शाजिया  अब पूरी तरह से एक एक्टिविस्ट हैं और वे न्यूज़पेपर को रिप्रजेंट नहीं करतीं. ऐसे में उनकी दावेदारी को रद्द किया जाना चाहिए. हालाँकि शाजिया ने भी अपने भाई को जवाब देते हुए कहा है कि वे   न्यूज़पेपर के एडिटर नहीं हैं और वे यह फैसला नहीं ले सकते हैं| शाजिया कहती हैं कि अखबार का आरएनआई नंबर मेरे भाई इरशाद इल्मी के नाम से है, मैं इस मामले में मानहानि का मुकदमा करुँगी|

प्रधानमन्त्री की विदेश यात्रा से अपना नाम बाहर हो जाने पर खेद जताते हुए शाजिया कहती है प्रधानमंत्री भी सरकार के पैसे से विदेश यात्रा करने जा रहे हैं, हम भी सरकारी पैसे से विदेश यात्रा करने जा रहे हैं, इसमें कोई किसी पर एहसान नहीं कर रहा था| लेकिन इन लोगों ने मेरे भाई एजाज के साथ मिलकर मेरा नाम हटवा कर मुझे अपमानित करने की कोशिश की |शाजिया से जब हम पूछते हैं कि आप प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में क्या राय रखती हैं तो वो साफ़ लहजे में कहती है "हम उनके बारे में कुछ नहीं कहेंगे, हमारी मांग सिर्फ लोकपाल है"| लेकिन जब उनसे ये पूछा जाता है कि एक एक्टिविस्ट जर्नलिस्ट कैसे हो सकता है? तो वो जवाब देने से कतराते हुए कहती हैं "मैंने हमेशा ईमानदार पत्रकारिता की है"| उधर छत्तीसगढ़ द्वारा जब टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविन्द केजरीवाल से इस पूरे मामले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जानकारी न होने की बात कह कर किसी भी किस्म की टिपण्णी करने से इनकार कर दिया|

[B]लेखक आवेश तिवारी यूपी के प्रतिभाशाली और तेजतर्रार पत्रकार हैं[/B]

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