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Wednesday, December 7, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/12/8
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


व्यवस्था के कारण छात्र बनते हैं तोतारटंत

Posted: 07 Dec 2011 06:17 AM PST

आज हमारे देश में दोहरी शिक्षा प्रणाली है। एक ग्रामीण तथा गरीब बच्चों को सरकारी विद्यालयों में मिलने वाली काम चलाऊ शिक्षा और दूसरी जो बड़े शहरों में महँगे विद्यालयों में मिलने वाली ताम-झाम से परिपूर्ण दिखावटी शिक्षा। इतना ही नहीं, आज शिक्षा अधिकार नहीं बल्कि कुछ लोगों का विशेषाधिकार बन गई है। ऐसे में सिर्फ कोचिंग क्लासेज की आलोचना करने से क्या होगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जनरल वेसले क्लार्क ने कहा था कि अगर किसी इच्छुक व्यक्ति के पास आईआईटी की डिग्री हो तो उसे तुरंत अमेरिकी नागरिकता मिल जाएगी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) के छात्रों का अंतरराष्ट्रीय बाजार में महत्व का अंदाजा इस अमेरिकी नेता के इस बयान से लगाया जा सकता है। भारत के युवा वर्ग में अमेरिकी वीसा की चाहत एक सपने की तरह जेहन में मचलता रही है। आईआईटी की डिग्री उन्हें यह अवसर आसानी से उपलब्ध कराती है।

माइक्रोसॉफ्ट के मुखिया बिल गेट्स ने एक साक्षात्कार में पूछे गए प्रश्नों के जवाब देते हुए कहा था कि आईआईटियन बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर उनकी पहली पसंद है लेकिन कुछ दिन पहले जब न्यूयार्क में आईआईटी के भूतपूर्व छात्रों द्वारा आयोजित पीएएन आईआईटी कार्यक्रम में इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने यह कहकर कि आजकल आईआईटी के ८० फीसद छात्र स्तरहीन होते हैं, देश के सामने एक गंभीर प्रश्न खड़ा किया है।

नारायणमूर्ति के अनुसार स्तरहीनता का कारण कोचिंग है और छात्र कोचिंग द्वारा रटंत विद्या के दम पर ही आईआईटी का सफर तय कर रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि नारायणमूर्ति की बात में कुछ हद तक सच्चाई है लेकिन उन्होंने जो वजह बताई है वह वजह इतनी आसान नहीं है कि कोचिंग क्लासेज पर रटंत विद्या के बढ़ावा देने का आरोप लगाकर पल्ला झाड़ लिया जाए। अगर सच में इस प्रश्न का जवाब पाने का प्रयास किया जाए तो देश की शिक्षा व्यवस्था की कई खामियाँ सामने उभर कर आएँगी।

नारायणमूर्ति सिर्फ २० फीसद छात्रों को स्तरीय बताते हैं तो उन्हें भी जरूर मालूम होना चाहिए कि वे २० फीसद छात्र भी किसी न किसी कोचिंग का सहारा लेते ही हैं। आईआईटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा को पूरी दुनिया के कठिनतम परीक्षाओं में से एक समझा जाता है। लगभग पाँच लाख परीक्षार्थी आईआईटी प्रवेश परीक्षा में अपनी किस्मत आजमाते हैं और सफलता का दर मात्र दो फीसद से भी कम है। अमेरिका जैसे संपन्ना देशों में भी आईआईटी में दाखिले को हॉर्वर्ड, एमआईटी और येल जैसे विश्वविद्यालय के दाखिले से कठिन समझा जाता है और अब स्थिति यह हो गई है कि इतनी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफल होने के लिए रट्टा मारने की जरूरत पड़ रही है और कोचिंग संस्थान चाँदी कूट रहे हैं।

आखिर आईआईटी क्यों ऐसे प्रश्नों को पूछने में अक्षम हो रहा है जो रटंत विद्या पर आधारित नहीं हों? क्या प्रश्न बनाने वाली टीम सच में इतनी कमजोर हो चुकी है कि छात्रों को बजाय सृजनात्मक क्षमता की जाँच किए रटंत विद्या पर आधारित प्रश्नों को पूछ कर छात्रों को कोचिंग पर लाखों रुपए खर्च करने पर मजबूर कर रही है। इस तरह के सवालों को पूछकर आईआईटी क्या उन गरीब बच्चों के साथ एक भद्दा मजाक नहीं कर रही है जिनके पास कोचिंग पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं? जाहिर है कि प्रश्न बनाने वाले प्रश्न बनाते समय इस बात की कोई परवाह नहीं करते कि उनके प्रश्नों को हल करने के लिए तोता रटंत होना जरूरी हो जाता है।

आईआईटी के प्रश्नकर्ताओं की टीम आज इतनी लापरवाह हो चुकी है कि पिछले साल हिन्दी में पूछे गए प्रश्न ही अटपटे हो गए थे। यहीं नहीं, इस वर्ष तो १८ अंकों के प्रश्न ही गलत पूछ दिए गए। आनन-फानन में आईआईटी को औसत मार्किंग करनी पड़ी यानी जिसने प्रश्नों का हल नहीं किया वह भी १८ अंक का मालिक बन बैठा। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि आईआईटी में रिजल्ट के समय जो रैंक दिए जाते हैं उसमें एक अंक के अंतराल पर सैकड़ों छात्र खड़े होते हैं। ऐसे में सभी अभ्यर्थियों को एकमुश्त १८ नंबर दे देने का आखिर क्या औचित्य हो सकता है?

आज हमारे देश में दोहरी शिक्षा प्रणाली है। एक ग्रामीण तथा गरीब बच्चों को सरकारी विद्यालयों में मिलने वाली कामचलाऊ शिक्षा और दूसरी जो बड़े शहरों में महँगे विद्यालयों में मिलने वाली तामझाम से परिपूर्ण दिखावटी शिक्षा। इतना ही नहीं, आज शिक्षा अधिकार नहीं बल्कि कुछ लोगों का विशेषाधिकार बन गई है। सिर्फ कहने के लिए ही शिक्षा सबके लिए है लेकिन वास्तव में शिक्षा पर धनी वर्ग का वर्चस्व हो गया है। गरीब के लिए तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाना महज एक कल्पना ही है।


अब तो शिक्षा खरीदने की चीज भर बनकर रह गई है। अगर आपके पास पैसे हैं तो अपने बच्चों के लिए शिक्षा को खरीद सकते हैं, वरना मन मसोसने के सिवा आपके पास कोई विकल्प नहीं है। आज बच्चों को स्कूल के स्तर से ही रटवाया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर बच्चे जानते हैं कि त्रिभुज का क्षेत्रफल क्या होगा, लेकिन क्यों होगा, यह नहीं जानते हैं। यहाँ तक कि जोड़-घटाव, गुणा तथा भाग की प्रकिया को तो जानते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया क्यों अपनाई जाती है और इसका प्रमाण क्या है, यह नहीं जानते हैं। इस तरह रट्टा लगवाने की प्रक्रिया बच्चों के दिमाग में शुरुआत में ही डाल दी जाती है। अब भला उन गरीब छात्रों की छटपटाहट को कौन समझेगा जो बेचारे अपने दम पर कड़ी मेहनत करके प्लस टू तक की पढ़ाई करते हैं लेकिन उन्हें झटका उस वक्त लगता है और कोचिंग नहीं कर पाने के कारण गरीबी का अहसास होता है, जब आईआईटी प्रवेश परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों और प्लस के सिलेबस की गहरी खाई को बगैर कोचिंग के पाट पाने में अक्षम हो जाते हैं। सच कहा जाए तो आईआईटी का सिलेबस ही इस तरह का बनाया गया है कि छात्रों के लिए कोचिंग करना अपरिहार्य बन गया है(आनंद कुमार,नई दुनिया,7.12.11)।

हरियाणा के 124 प्राइमरी स्कूल होंगे बंद

Posted: 07 Dec 2011 06:12 AM PST

प्राथमिक शिक्षा निदेशालय प्रदेश के 124 राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं को बंद करेगा। इन विद्यालयों में तैनात शिक्षकों व बच्चों को नजदीकी राजकीय विद्यालय में समायोजित किाय जाएगा। निदेशालय ने बंद किए जाने वाले स्कूलों की सूची तैयार कर जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजी ह। इनमें भिवानी जिले के 8 स्कूलों के नाम शामिल हैं। इन विद्यालयों में कभी भी छात्र संख्या 25 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने ऐसे स्कूलों को एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले राजकीय मिडिल, हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूल में समायोजित करने का फैसला लिया है। विभाग की सूची में जिन विद्यालयों पर समायोजन की गाज गिरनी है, उनमें भिवानी के तोशाम उपमंडल के विद्यालय सबसे अधिक हैं। तोशाम में तीन राजकीय प्राथमिक विद्यालय इस सूची में शामिल हैं। लोहारू उपमंडल में भी ऐसे दो स्कूल हैं। भिवानी, चरखी दादरी और बाढडा ब्लाक के भी एक-एक विद्यालय का नाम इस सूची में शामिल है। 

निदेशालय से मिल चुकी है सूची : मित्रसेन इस संबंध में हिसार व भिवानी के जिला शिक्षा अधिकारी मित्रसेन मल्होत्रा ने इस ऐसे पत्र की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्हें निदेशालय की ओर से ऐसे स्कूलों की सूची मिली है, जिन्हें समायोजित किया जाना है। उन्होंने बताया कि स्कूलों के संबंध में संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों को सूचित किया जाएगा(संजय वर्मा,दैनिक जागरण,भिवानी,7.12.11)।

हरियाणाःछुट्टी पर रहने वाले डॉक्टर होंगे बर्खास्त

Posted: 07 Dec 2011 06:11 AM PST

सरकारी नौकरी ज्वाइन करने के बावजूद नियमित रूप से ड्यूटी नहीं करने और बार-बार लंबी छुट्टी पर चले जाने वाले डॉक्टरों की मनमानी अब और नहीं चल पाएगी। ऐसे डॉक्टरों की सूची तैयार करने के साथ ही उन्हें बर्खास्त करने की पूरी तैयारी है। गौरतलब है कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं पहले ही लड़खड़ा रही हैं, उस पर कुछ एमबीबीएस डॉक्टरों की मनमानी स्थिति को और बदतर कर रही है। कई एमबीबीएस डॉक्टर सरकारी नौकरी के लालच और जॉब सिक्योरिटी के कारण नौकरी तो ज्वाइन कर लेते हैं पर कुछ माह बाद ही छुट्टी लेकर या तो पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन) की तैयारी करने लगते हैं या फिर एनसीआर सहित बड़े-बड़े महानगरों में मोटी पगार वाली नौकरी ढूंढ़ने में लग जाते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं का लड़खड़ाना स्वाभाविक है। इस स्थिति में सिर्फ मरीज ही नहीं, सरकार भी परेशान होती है। मरीज को पूरा और समयबद्ध उपचार नहीं मिल पाता। सरकार के हाथ भी बंध जाते हैं क्योंकि वह तब तक नई नियुक्तियां नहीं कर सकती जब तक पद रिक्त न हों और ऐसे डॉक्टर इस्तीफा न दे दें। कहने का मतलब यह कि ऐसे डॉक्टर पद तो भरे रखते हैं किन्तु अपनी सेवाएं नहीं देते(संजीव गुप्ता,दैनिक जागरण,झज्जर,7.12.11)।

देशभर के मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया में समरूपता संभव नहीं

Posted: 07 Dec 2011 06:09 AM PST

सरकार ने राष्ट्रीय मेडिकल सीईटी (एनईईटी) के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस एनईईटी के जरिए देशभर के मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया में समरूपता नहीं लाई जा सकती है।

क्योंकि हर राज्य का न सिर्फ कक्षा 12 का पाठ्यक्रम अलग है बल्कि अध्यापन का माध्यम भी भिन्न है। याचिका में तर्क दिए गए हैं कि मद्रास, कोलकाता व आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट ने पहले ही राष्ट्रीय मेडिकल एनईईटी पर रोक लगा दी है। ऐसे में एनईईटी के जरिए समानता के उद्देश्य को पूरा नहीं किया जा सकता है।

याचिका के मुताबिक राष्ट्रीय सीईटी का पाठ्यक्रम सीबीएसई बोर्ड के पाठ्यक्रम पर आधारित है। मौजूदा समय में राज्य में 20 प्रतिशत विद्यार्थी केंद्रीय बोर्ड के हैं। लिहाजा एनईईटी को मंजूरी प्रदान की जाती है तो इसका सीधा लाभ सीबीएसई बोर्ड के विद्यार्थियों को होगा और एमबीबीएस की ज्यादा सीटों पर उनका कब्जा होगा। इससे राज्य के विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा। एनईईटी में कई खामियां हैं। जो सामनता के अधिकार का उल्लघंन करती हैं। इसमें सुधार लाने की जरूरत है। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से आयोजित की जानेवाली सीईटी में उर्दू व हिंदी में भी प्रश्नपत्र निकाले जाते हैं।

राष्ट्रीय एनईईटी में ऐसा कोई भी प्रवाधान नहीं किया गया है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) ने जब एनईईटी के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी तब भी राज्य सरकार ने राष्ट्रीय मेडिकल सीईटी का विरोध किया था, जिसे नजर अंदाज किया गया था।


एमसीआई ने देशभर के मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए एनईईटी लागू करने का फैसला किया था। ताकि सभी विद्यार्थियों को समान अवसर मिल सके। पर राज्य सरकार एमसीआई से सहमत नहीं है। राज्य मेडिकल शिक्षा महानिदेशालय के सहनिदेशक प्रवीण शिनगारे का कहना है कि एनईईटी राज्य के तीन लाख विद्यार्थियों के साथ अन्याय है। पूरे साल विद्यार्थियों ने यहां के पाठ्यक्रम के हिसाब से पढ़ाई की है। 

अचानक विद्यार्थियों को एनईईटी का पाठ्यक्रम पढ़ने के लिए मजबूर करना सरासर अन्याय है। उन्होंने बताया कि एनईईटी सिर्फ स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिया जा रहा है। स्नातकोत्तर स्तर पर इसे लागू नहीं किया जा रहा है, जिसके लिए हम तैयार हैं। 

यह पहला मौका नहीं है जब राज्य सरकार ने एनईईटी के खिलाफ अपना विरोध जताया है। इससे पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एनईईटी के खिलाफ याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार को बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का सुझाव दिया था। कोर्ट के सुझाव पर सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिस पर अगले बुधवार को न्यायमूर्ति शरद बोबडे व वीके ताहिलरमानी की खंडपीठ के सामने सुनवाई होगी(दैनिक भास्कर,मुंबई,7.12.11)।

हरियाणाःशिक्षा बोर्ड के परिणाम में भारी गड़बड़ी

Posted: 07 Dec 2011 06:07 AM PST

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा सत्र 2010-11 के लिए मार्च में आयोजित की गई दसवीं और बारहवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षाओं के परिणाम में भारी अनियमितताएं हुई हैं। जांच के बाद दसवीं व बारहवीं कक्षा के करीब चार हजार छात्रों के परिणाम बदल दिए गए हैं। इंटरनेट पर देखे गए परिणाम की तुलना में अब उन्हें कम अंक वाले प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। बोर्ड अधिकारियों के अनुसार इस मामले में कई लोगों पर गाज गिरने वाली है। सूत्र बताते हैं कि वैसे तो पिछले कई वर्षो से खेल कोटे के नाम से 10 अंक बढ़ाने का सिलसिला चल रहा था। पिछले सत्र के दौरान इस मामले की भनक शिक्षा बोर्ड के उच्चाधिकारियों को तब लगी जब एक शिक्षा बोर्ड के एक कर्मचारी के बेटे का नाम टॉप टेन सूची में शामिल हो गया। जांच की गई तो पाया गया कि उक्त कर्मचारी के पुत्र ने खेल कोटे का फर्जी सर्टिफिकेट लगाया हुआ था। इस खुलासे के बाद शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन सचिव शेखर विद्यार्थी ने दस कमेटियां गठित कर सभी प्रमाणपत्रों की जांच शुरू करा दी। जांच में पता चला कि दसवीं तथा बारहवीं दोनों कक्षाओं के चार हजार से अधिक विद्यार्थियों को खेल कोटे के नाम पर दस अंक दे दिए गए हैं। जबकि उनके खेल सर्टिफिकेट राज्य और राष्ट्र स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं के नहीं थे। इन छात्रों ने दस और 15 दिन के खेल कैंपों के सर्टिफिकेट लगाकर दस अंक हासिल करने का खेल खेला था। जांच रिपोर्ट के बाद बोर्ड कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश जारी किया गया है। मामले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ भी जल्द कार्रवाई होने की उम्मीद है। जांच कमेटियों की सिफारिश पर परिणामों की त्रुटियां दूर कर शिक्षा बोर्ड मुख्यालय से सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। स्पो‌र्ट्स कोटे के तहत अंक देने के लिए बोर्ड ने नीति बनाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में शिक्षा बोर्ड के सचिव चंद्रप्रकाश ने बताया कि परिणाम दोबारा जारी किए गए हैं। गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है(बलवान शर्मा,दैनिक जागरण,भिवानी,7.12.11)।

कामन लॉ टेस्ट 13 मई को

Posted: 07 Dec 2011 06:05 AM PST

राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाला कामन ला एडमिशन टेस्ट 13 मई को होगा। प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया 2 जनवरी से शुरू होगी। आवेदन जमा करने की आखिरी तिथि 31 मार्च निर्धारित है। इस बार प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय विधि विवि जोधपुर को दी गयी है। नामांकन के लिए कुल 15 सौ सीटें हैं। प्रवेश परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया जायेगा। लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर मेधा सूची जारी की जायेगी। चयनित छात्रों को पटना समेत देश के 11 राष्ट्रीय विधि विवि में दाखिला दिया जायेगा। परीक्षा में शामिल होने की आर्हता इंटर या समकक्ष परीक्षा में उत्तीर्ण विद्यार्थी कामन ला टेस्ट के लिए आवेदन कर सकते हैं। सामान्य कोटि के अभ्यर्थी को इंटर की परीक्षा में 50 प्रतिशत प्राप्तांक लाना अनिवार्य है, जबकि एससी, एसटी, ओबीसी एवं विकलांग अभ्यर्थियों के लिए 47 प्रतिशत प्राप्तांक अनिवार्य है। साथ ही इंटर के परीक्षार्थी भी प्रवेश परीक्षा में बैठ सकते हैं, लेकिन नामांकन के पहले इंटर उत्तीर्ण कर लेना अनिवार्य है। सामान्य कोटि के अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु 20 एवं आरक्षित कोटि के अभ्यर्थियों की 22 वर्ष निर्धारित है। कामन ला टेस्ट का प्रारूप कामन ला टेस्ट 200 अंकों का होगा, जिसमें अंगे्रजी, सामान्य ज्ञान, गणित, रीजनिंग और विधि जागरूकता आधारित सवाल पूछे जायेंगे। परीक्षा में अंगे्रजी- 40, सामान्य ज्ञान- 50, गणित- 20, रीजनिंग- 45 एवं विधि जागरूकता- 45 अंक निर्धारित है। परीक्षा की अवधि दो घंटे की होगी। राष्ट्रीय विधि विवि पटना, जोधपुर , कोची, बंगलोर, हैदराबाद गांधीनगर, लखनऊ, कोलकाता, भोपाल, रायपुर, पंजाब(दैनिक जागरण,पटना,7.12.11)

छत्तीसगढ़ पेपर लीक मामला: दो हजार में बिका बीडीएस का पर्चा

Posted: 07 Dec 2011 06:03 AM PST

परीक्षा के पहले फूटते बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) के पर्चो ने डेंटल की परीक्षा के पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं।बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) का पर्चा परीक्षा के पहले ही छात्रों तक पहुंच रहा है। छात्रों को इसकी प्रतियां दो-दो हजार रुपए लेकर बेचे जाने की खबर है। अब तक फूटे दोनों पर्चो को देखा जाए, तो क्रम के अंतर को छोड़कर पूरे के पूरे सवाल मिलते हैं। एक या दो लघुत्तरीय सवाल नहीं आए हैं। दो घटनाओं से यह तो साफ हो गया है कि इसके पीछे संगठित तरीके से काम कर रहा पूरा रैकेट है।इसका पता लगाने में अब तक रविशंकर यूनिवर्सिटी या डेंटल कॉलेज को सफलता नहीं मिली है।

मामला प्रकाशित होने के बाद इस काम में लिप्त लोगों ने अब इसकी हार्ड कॉपी देना बंद कर दिया है। अब वे मोबाइल से एसएमएस कर संदेश दे रहे हैं। पहले इसे गेसिंग पेपर की तरह छात्रों को दिया जाता है ताकि वे किसी की पकड़ में न आएं और रविवि प्रशासन भी इस पर फौरन कोई कार्रवाई न कर पाए। इससे कानूनी तौर पर पर्चा फूटना कहने में भी संदेह रहेगा।


मामले की शिकायत होने के बाद पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय प्रशासन ने डेंटल कॉलेज के डीन डॉ. विश्वजीत मिश्रा, मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अशोक कुमार शर्मा और लाइफ साइंस विभाग के डीन डॉ. एके पति की एक समिति बनाई है। पर्चा लीक होने से इनकार किया है। साथ ही पर्चा रद्द भी नहीं किया है। परीक्षा समय सारणी के अनुसार चल रही है।

शुक्रवार को हुए कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडोंटिक्स का पर्चा गुरुवार रात ही छात्रों को मिल गया था। इसी तरह सोमवार को हुआ ओरल सर्जरी का पेपर रविवार रात तक छात्रों के पास पहुंच गया था। इसमें मिले सारे सवाल प्रश्न पत्र में पूछे गए। भिलाई से पर्चा रायपुर आया है। मामले की पहली शिकायत डेंटल कॉलेज के डीन विश्वजीत मिश्रा ने ही रविवि प्रशासन से की। इसके बाद छात्रों ने कुलसचिव को इसकी जानकारी दी।


बताया जाता है कि समिति ने जांच शुरू कर दी है। इसके पहले चरण में कागज के पुर्जे में मिले सवाल और प्रश्न पत्रों का मिलान किया गया है। इसमें छात्रों की शिकायत सही पाई गई है। सभी सवाल मिल रहे हैं। परीक्षा केंद्रों से उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल मंगाए गए हैं। उनमें देखा जाएगा कि सभी छात्रों के उत्तर में समानता तो नहीं है। बीडीएस अंतिम के सिलेबस का भी आंकलन किया जाएगा कि पाठ्यक्रम में प्रश्नों को बदलने की कितनी गुंजाइश है? विकल्प के अभाव में संभव है कोई गेसिंग पेपर बेच रहा हो और संयोगवश प्रश्न पत्र में पूछे गए सारे सवाल मिल रहे हों।

तीन साल से जारी है पर्चा फूटने का सिलसिला
बीडीएस का पर्चा फूटने का सिलसिला तीन साल से जारी है। इसमें पर्चे की फोटोकापी मिलने या उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़ के मामले सामने आए हैं। इसके बाद भी रविवि प्रशासन ने आज तक कोई सार्थक कदम नहीं उठाया। इसी का परिणाम है कि बीडीएस का तीसरा और चौथा पर्चा परीक्षा के एक दिन पहले ही फूट गया। पर्चे में पूछे गए सवाल और छात्रों के पास मिले पुर्जे में लिखे प्रश्न ज्यों के त्यों हैं। मामले की जांच में और भी कई तथ्य सामने आने की संभावना है।

इन बिंदुओं पर होगी जांच
* पर्चा कहां से लीक हुआ? 
* छात्रों तक कहां से और कैसे पहुंचा? 
* कौन छात्रों से संपर्क कर रहा है? 
* किसी फोटोकॉपी सेंटर या परीक्षा केंद्र से तो गड़बड़ी नहीं हो रही है? ञ्च इसमें किसी निजी डेंटल कॉलेज का तो हाथ नहीं है? 
* प्रश्न पत्र बनाने वाले की भूमिका क्या है?

जांच समिति को जल्द जल्द रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है ताकि इस मामले में कड़े कदम उठाए जा सकें। गड़बड़ी पाए जाने पर पर्चा रद्द किया जा सकता है। आगे इस तरह की कोई और गड़बड़ी न हो, इसका ख्याल रखा जाएगा। मामले में लिप्त लोगों को काली सूची में डालकर परीक्षा कार्य से वंचित किया जाएगा। 
डॉ. शिवकुमार पांडेय, कुलपति, रविवि(संजय पाठक,दैनिक भास्कर,रायपुर,7.12.11)

बिहारःठेके पर नियुक्त होंगे रिटायर शिक्षक

Posted: 07 Dec 2011 06:01 AM PST

फिर से नौकरी के इच्छुक तथा इसके लिए तीन माह पूर्व आवेदन दे चुके माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए नया साल यानी 2012 नई सौगात लेकर आ रहा है। सरकार निर्धारित उम्र सीमा में फिट हो रहे शिक्षकों को अनुबंध पर नियुक्त करने जा रही है। उन्हें हर माह पेंशन के अलावा छह हजार रुपये का भुगतान किया जायेगा। उन्हें राजपत्रित अवकाश के अलावा एक वर्ष में 12 दिनों का आकस्मिक अवकाश मिलेगा। मानव संसाधन विकास विभाग के संयुक्त निदेशक आरएस सिंह ने बताया कि जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि वे हर हाल में 31 दिसंबर तक प्राप्त आवेदनों की स्क्रूटनी कर सही पाये गये आवेदकों की चयन प्रक्रिया पूरी करें। दरअसल, हाल के दिनों में सरकार ने प्राथमिक और अपर प्राइमरी स्कूलों से निकलने वाले बच्चों के बढ़ते दबाव तथा मौजूदा हाई स्कूलों की सीमित संख्या के मद्देनजर बड़ी संख्या में अपर प्राइमरी स्कूलों को हाई स्कूल में उत्क्रमित करने का काम कियाथा। उन स्कूलों के अलावा लगातार रिटायर हो रहे शिक्षकों के चलते माध्यमिक व उच्च माध्यमिक में शिक्षकों की भारी किल्लत व अनुबंध पर नियोजित शिक्षकों की बहाली में विलंब को देखते हुए सरकार ने विगत सितंबर माह में 65 वर्ष से कम उम्र वाले सेवानिवृत्त शिक्षकों को अनुबंध पर बहाल करने का फैसला किया। इसके तहत उपलब्ध विषयवार रिक्तियों के विरुद्ध जिला परिषद, नगर निकाय स्तर पर विषयवार योग्य सेवानिवृत्त शिक्षकों का पैनल तैयार करने के लिए विज्ञापन निकाला गया था। डीइओ को नियुक्ति में आदर्श रोस्टर बिंदु का ख्याल रखने के निर्देश दिये गये हैं। जो प्रावधान किया गया है उसके मुताबिक सेवानिवृत्त शिक्षक अधिकतम 65 वर्ष तक नियोजित किये जा सकेंगे। यथासंभव सेवानिवृत्त शिक्षक संबंधित जिला या प्रखंड के निवासी हों। उसके बाद अनुबंध का विस्तार किया जा सकता है मगर आयु सीमा 65 वर्ष से अधिक नहीं हो सकती(दैनिक जागरण,पटना,7.12.11)।

हरियाणाःपात्रता परीक्षा में 89 वालों को चाहिए एक नंबर की 'ऊर्जा'

Posted: 07 Dec 2011 05:52 AM PST

ऊर्जा का कौन सा साधन परंपरागत है? 1. सौर ऊर्जा 2. पवन ऊर्जा 3. ज्वारीय ऊर्जा 4. भू तापीय ऊर्जा। बस इस एक सवाल पर जेबीटी पास भविष्य के गुरुओं की उम्मीद टिकी है। प्रदेशभर के करीब 3000 जेबीटी परीक्षार्थी ऐसे हैं, जिनकी जेबीटी की पात्रता परीक्षा में गाड़ी 89 नंबर पर आकर अटक गई।

बोर्ड विश्लेषण कर इस सवाल के चारों ऑप्शन को गलत पाता है तो इन्हें 1 नंबर की ग्रेस मिल सकती है और ये लोग भी नौकरी की लाइन में आकर खड़े हो सकते हैं। बोर्ड का कहना है कि एक्सपर्ट के अनुसार सवाल सही है लेकिन 89 पर अटके परीक्षार्थी बोर्ड सचिव से मिलकर ग्रेस देने की मांग करने की तैयारी में हैं।

साइंस के जानकारों का भी मानना है कि पात्रता परीक्षा में पूछे गए इस सवाल के चारों ही ऑप्शन गलत हैं और इसका सही उत्तर कोयला, पेट्रोलियम या जल विद्युत होना चाहिए था। जेबीटी पात्रता परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों का कहना है कि बोर्ड की पहली से छठी तक की पात्रता परीक्षा में एक और बड़ी गड़बड़ी थी।

इस वर्ग में कुल पांच भागों में प्रश्नपत्र था। 5वां भाग पर्यावरण विज्ञान का था लेकिन बोर्ड ने इसमें इतिहास व राजनीति से संबंधित प्रश्न भी पूछ रखे थे। इन सवालों की संख्या 6 थी इसलिए 1 या दो नंबर से पास होने से रहने परीक्षार्थी बोर्ड से ग्रेस मार्क्‍स की मांग कर रहे हैं।


विशेषज्ञों की राय जुदा

बोर्ड के इस सवाल के जवाब में विशेषज्ञों का मानना है कि ये चारों ही ऑप्शन गलत हैं क्योंकि ये सभी ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत हैं। विकिपीडिया के अनुसार भी सौर ऊर्जा, पवन उर्जा, ज्वारीय ऊर्जा और भूतापीय ऊर्जा गैर परंपरागत स्रोत हैं। प्रतियोगिता परीक्षाओं की पुस्तक टाटा मेग्राहिल की सामान्य विज्ञान में भी इस सवाल का जवाब दिया गया है। 

पुस्तक के अनुसार सौर, पवन, भूतापीय, महानगरीय, लहरों, हाइड्रोजन तथा बायोमास आदि ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत हैं। ऊर्जा के ये सभी गैर परंपरागत स्रोत नवीनीकरण हैं। इसके विपरीत ऊर्जा के परंपरागत स्रोत कोयला, पेट्रोलियम आदि हैं। प्रातियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले विजेंद्र यादव कहा कहना है कि-साइंस की किसी भी पुस्तक में आप ऊर्जा के परंपरागत और गैर परंपरागत स्रोत को देख सकते हैं। 

जेबीटी की पात्रता परीक्षा में पूछा गए सवाल के चारों ऑप्शन गलत थे इसलिए ऐसे लोगों को कम से कम एक नंबर की ग्रेस तो मिलनी चाहिए। 1 नंबर से पीछे रही पुलिस लाइन की रेणुका और बबली और कंवारी गांव की सविता भी जेबीटी की पात्रता परीक्षा में 1 नंबर से रह गईं। दोनों का कहना है कि यह ऑप्शन गलत है और बोर्ड को एक नंबर की ग्रेस जरूर देनी चाहिए। हम बोर्ड सचिव से मिलकर इसकी मांग रखेंगे(धर्मेंद्र कंवारी,दैनिक भास्कर,हिसार-भिवानी,7.12.11)।

छह साल में 260 स्कूल बने माओवादियों का निशाना

Posted: 07 Dec 2011 05:51 AM PST

सरकार की नीतियों के विरोध में आंदोलन करने का दंभ भरने वाले नक्सली मासूमों के भविष्य से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे। माओवादियों ने छह सालों में लगभग 260 स्कूल ध्वस्त कर दिए। साथ ही इस अवधि में उन्होंने करीब 3836 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2006 से इस साल नवंबर के बीच नक्सली हिंसा के दौरान सबसे अधिक 131 स्कूल छत्तीसगढ़ में नष्ट हुए। झारखंड में 63 और बिहार में 46 स्कूलों को माओवादियों ने तबाह कर दिया। नक्सल प्रभावित छह राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडि़सा, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में 2006 में नक्सलियों ने 59 स्कूल ध्वस्त किए। 2007 में 43, 2008 में 25, 2009 में 71, 2010 में 39 और 2011 में (नवंबर तक) 21 स्कूल माओवादी हिंसा की भेंट चढ़ गए। यूनेस्को की ओर से जारी एक अलग रिपोर्ट में जनवरी से जुलाई 2009 के बीच नक्सली वारदात का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस दौरान झारखंड में 11 और बिहार में नौ स्कूल माओवादियों ने उजाड़ दिए। इस रिपोर्ट में बताया गया कि 2009 में नक्सलियों ने झारखंड और बिहार में कम से कम 50 स्कूलों पर हमले किए। अप्रैल 2009 में झारखंड के ही मंदर में एक बच्चे को नक्सलियों ने महज इसलिए कथित यातना दी क्योंकि उसने उनकी बाल ब्रिगेड में शामिल होने से इंकार कर दिया था। वहीं, माओवादियों ने इस साल न सिर्फ बडे़ पैमाने पर आम लोगों की हत्या की, बल्कि सुरक्षाबलों के कई जवान भी उनसे संघर्ष के दौरान शहीद हुए। नक्सलियों ने 124 सुरक्षा जवानों सहित 500 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया। सूत्रों के मुताबिक 2011 में नवंबर तक माओवादियों के साथ संघर्ष में सुरक्षाबलों के 124 जवान शहीद हो गए जबकि नक्सलियों ने 389 आम लोगों को मौत के घाट उतार दिया। 2010 में भी माओवादियों ने लगभग 626 आम नागरिकों की हत्या की थी जबकि उनके साथ संघर्ष के दौरान 277 सुरक्षा जवान शहीद हुए थे। सुरक्षाबलों की कार्रवाई में पिछले साल 277 माओवादी मारे गए। सूत्रों ने बताया कि 2011 और इससे पहले के छह साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि माओवादियों ने सुरक्षाबलों के जवानों सहित कुल 3836 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। उन्होंने कहा कि देश के नौ राज्य नक्सल हिंसा की चपेट में हैं। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडि़सा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश नक्सल हिंसा से प्रभावित हैं। नक्सलियों के हाथों आम नागरिकों के मारे जाने की घटनाओं में छत्तीसगढ़ सबसे आगे है और इस साल अब तक लगभग 182 लोगों को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया। झारखंड में 137, महाराष्ट्र में 50, बिहार 49, उड़ीसा में 49 और पश्चिम बंगाल में 40 लोग मारे गए। सूत्रों ने कहा कि 2006 में भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का आकलन था कि नक्सलियों के 20 हजार से अधिक सशस्त्र कैडर जबकि 50 हजार नियमित कैडर हैं(दैनिक जागरण,दिल्ली,7.12.11)।

दिल्लीः निजी स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार कानून को गलत बताया

Posted: 07 Dec 2011 05:49 AM PST

शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) निजी स्कूलों में लागू करना पूरी तरह से गलत है। हम इसे स्वीकार्य नहीं करना चाहते हैं। यही जवाब राजधानी के निजी स्कूलों ने केंद्र सरकार को दिया है। निजी स्कूलों ने कहा कि आखिर आरटीई लागू किए जाने के एक साल बाद केंद्र सरकार द्वारा स्कूलों से यह पूछे जाने का औचित्य क्या है कि आरटीई ठीक है या नहीं, इस पर आपकी क्या आपत्ति क्या है, सुधार क्या हो सकती है? आरटीई के लागू करने के तौर तरीकों पर आपत्ति दर्ज करवाते हुए इसे निजी स्कूलों के लिए ठीक नहीं बताया है। दिल्ली पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.सी. जैन ने कहा कि सभी स्कूलों ने सोमवार को आखिरी दिन जवाब और सुझाव दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह बातें तो आरटीई लागू करने से पहले पूछी जाती तो बेहतर होता। जब सरकार ने निजी स्कूलों पर जबरदस्ती लागू कर दिया है, तब इस पर उनसे सुझाव मांगे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले से स्कूल वाले इससे परेशान हैं और उस पर केंद्र सरकार ने उनसे सुझाव मांग लिए। लिहाजा स्कूल भी बढ़चढ़ कर आगे आए और कहा कि यह कानून सरकारी स्कूलों के लिए तो बेहतर है, लेकिन निजी स्कूलों के लिए। क्योंकि सरकारी स्कूलों में इस तरह का माहौल पहले से है। निजी स्कूल कई चीजों में उनसे अलग हैं। यहां के बच्चों का स्तर उन बच्चों से काफी बेहतर होता है जो आरटीई कानून के तहत आते हैं। फिर पढ़ाने में काफी दिक्कत होती है। अगर वैसे बच्चों को अलग से बैठाया जाता है तो हो-हल्ला होता है। इससे बेहतर है कि यह कानून निजी स्कूलों से हटा लिया जाए(दैनिक जागरण,दिल्ली,7.12.11)।

हरियाणा में पदोन्नति परीक्षा में बैठे जज फेल

Posted: 07 Dec 2011 05:48 AM PST

हरियाणा में पदोन्नति के लिए सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस की लिखित परीक्षा में बैठे सभी सिविल जज फेल हो गए। पूरे प्रदेश से 38 जजों को परीक्षा के लिए चुना गया था, इनमें से सात ने परीक्षा से किनारा कर लिया, बाकी का नतीजा सिफर रहा। 600 अंकों वाली इस परीक्षा में 17 जजों का प्राप्तांक तो शून्य रहा है। एक जज ने 269 अंक लेकर टॉप तो किया लेकिन वे भी इस परीक्षा को पास नहीं कर पाए। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 8 अप्रैल को हरियाणा सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस के 13 पदों (एडीजे) को भरने के लिए अधिवक्ताओं से आवेदन मांगे थे। इतने ही पद सिविल जज सीनियर डिवीजन को लिखित परीक्षा के बाद पदोन्नति देकर भरने थे। इसके लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात 38 जजों तथा 148 वकीलों को परीक्षा के लिए बुलाया गया। जजों को 200-200 नंबर के तीन पर्चे हल करने को दिए गए(कुमार मुकेश,दैनिक जागऱण,हिसार,7.12.11)।

आरपीएससी की वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा आज से

Posted: 07 Dec 2011 05:23 AM PST

आरपीएससी की वरिष्ठ अध्यापक (सैकंड ग्रेड) परीक्षा के लिए शहर में 68 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इस परीक्षा में 27 हजार परीक्षार्थियों के बैठने की व्यवस्था की गई है। यह परीक्षा 7 से 10 दिसंबर तक आयोजित की जाएगी। परीक्षा दो पारी में आयोजित की जाएगी।


पहली पारी सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक तथा दूसरी पारी दोपहर 2 से शाम 4.30 बजे तक होगी। परीक्षा 7 एवं 10 दिसंबर को एक पारी में तथा 8 व 9 दिसंबर को दो पारी में आयोजित होगी। इस परीक्षा के लिए मंगलवार से एडीएम द्वितीय के कार्यालय में कंट्रोल रूम खोल दिया गया है। परीक्षा समन्वयक एडीएम द्वितीय डॉ. भागचंद बधाल ने बताया कि इस परीक्षा के लिए 13 सर्जकता तथा कुल 116 पर्यवेक्षक लगाए गए हैं। 

मोबाइल लेकर प्रवेश नहीं 

डॉ. बधाल ने बताया कि परीक्षा केंद्र में मोबाइल फोन और तंबाकू से बने पदार्थ लेकर किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा। परीक्षार्थियों के साथ ही ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों एवं अधिकारियों को भी मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होगी।

किस दिन कौनसी परीक्षा 

दिनांक -विषय- पारी- कितने केंद्र- कितने परीक्षार्थी 
7 दिसंबर सामान्य ज्ञान प्रथम 68 27,000 
8 दिसंबर सामाजिक ज्ञान प्रथम 51 17,850 
8 दिसंबर विज्ञान दूसरी 13 2,300 
9 दिसंबर हिंदी प्रथम 24 11,000 
9 दिसंबर गणित दूसरी 04 1050 
10 दिसंबर अंग्रेजी प्रथम 08 2,400(दैनिक भास्कर,जोधपुर,7.12.11)
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Palash Biswas
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