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Tuesday, December 6, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/12/6
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


लखनऊ विविःसेमेस्टर परीक्षाओं की स्कीम जारी

Posted: 05 Dec 2011 01:51 AM PST

लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने सेमेस्टर परीक्षाओं की स्कीम आखिरकार रविवार देर शाम जारी कर दी। विज्ञान संकाय की परीक्षाएं सबसे पहले शुरू हो रही हैं। इनमें एम.एस-सी. प्रथम सेमेस्टर बायोकेमिस्ट्री और बायोटेक्नोलॉजी की परीक्षाएं सोमवार को ही शुरू हो रही हैं। परीक्षा नियंत्रक प्रो.यशवीर त्यागी ने बताया कि इन विभागों में स्कीम काफी पहले चस्पा कर दी गई थी। एक-दो विषयों की परीक्षाएं सात दिसंबर से जबकि अन्य पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं आठ दिसंबर से शुरू हो रही हैं। लविवि प्रशासन ने सेमेस्टर परीक्षाओं की तिथियां घोषित कर दी हैं और विद्यार्थियों को चार दिन का समय भी नहीं दिया गया। फिलहाल विज्ञान संकाय (एम.एससी) की स्कीम ही जारी की गई है। मानवविज्ञान की परीक्षाएं 16 दिसंबर से, एम.एससी तृतीय सेमेस्टर बायोटेमिस्ट्री और बायोटेक्नोलॉजी की परीक्षाएं सात दिसंबर से, गणित तृतीय सेमेस्टर सात से जबकि प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं आठ से शुरू हो रही है। सांख्यिकी की परीक्षा 13 दिसंबर से, एम.एससी मास कम्युनिकेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी की परीक्षाएं आठ से, न्यूट्रिशन की परीक्षाएं नौ से और प्राणि विज्ञान तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं आठ दिसंबर से शुरू हो रही हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,5.12.11)।

लखनऊ विविः मैथ्स ओलंपियाड परीक्षा के लिए नहीं दी अनुमति

Posted: 05 Dec 2011 01:50 AM PST

शिक्षकों की आपसी तकरार शैक्षणिक गतिविधियों को भी प्रभावित करने लगी है। हर साल रीजनल मैथ्स ओलंपियाड की परीक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय के गणित और कॉमर्स विभाग में कराई जाती रही है लेकिन इस बार गणित विभाग में परीक्षा के लिए कक्ष ही नहीं दिए गए। परीक्षा के दिन ही आननफानन 628 विद्यार्थियों के बैठने का इंतजाम कॉमर्स विभाग में कराया गया। यह हाल तब है जब नेशनल बोर्ड ऑफ हायर मैथमेटिक्स की ओर से हर साल लाखों रुपये का अनुदान दिया जाता है। मैथमैटिक्स ओलंपियाड की परीक्षा क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और फिर विश्व स्तर पर होती है। लखनऊ विवि में पिछले बीस सालों से परीक्षा आयोजित की जा रही है। ज्यादा छात्र गणित विभाग में और कुछ कॉमर्स विभाग में परीक्षा देते हैं। इस परीक्षा के आयोजन के लिए 30,000 रुपये राशि दी जाती है, साथ ही हर साल तीन लाख रुपये का अनुदान भी दिया जाता है। परीक्षा आयोजन के ठीक पहले तक लविवि प्रशासन यह तय नहीं कर पाए कि सैकड़ों विद्यार्थियों को कहां बैठाना है। परीक्षा समन्वयक डॉ.डीपी शुक्ला का कहना है कि विभागाध्यक्ष को पांच दिन पहले पत्र लिखा था लेकिन परीक्षा की इजाजत नहीं दी गई। वहीं विभागाध्यक्ष प्रो.मंजू अग्रवाल का कहना है कि अनुमति छह माह पहले ली जानी चाहिए। परीक्षा की जानकारी दो दिन पहले दी गई। इतनी जल्द इंतजाम करना आसान नहीं था। सूत्रों का कहना है कि दोनों शिक्षकों में आपस में तकरार है और इससे छात्र प्रभावित हुए हैं। अनुदान की है लड़ाई विभागाध्यक्ष प्रो.अग्रवाल का आरोप है कि नेशनल बोर्ड ऑफ हायर मैथमैटिक्स की ओर से अनुदान डॉ.शुक्ला को व्यक्तिगत रूप से दिया जाता है, इससे विभाग को कोई लाभ नहीं होता। अन्य कोई अनुदान विभाग तक नहीं पहुंचता। आरोप है कि डॉ.शुक्ला व्यक्तिगत हित में परीक्षा कराते हैं। वहीं डॉ.शुक्ला का कहना है कि परीक्षा आयोजन के लिए उनके खाते में 30000 रुपये आते हैं बाकी तीन लाख रुपये तक का अनुदान विभाग को मिलता है(दैनिक जागरण,लखनऊ,5.12.11)।

संस्कृत की स्वरलहरियों पर तहजीब की हिलोरें

Posted: 05 Dec 2011 01:47 AM PST

देश में भाषा के नाम पर घृणा व उन्माद फैलाने वालों को,बिहार के अरवल जिले का श्री राम संस्कृत कालेज सरौती आइना दिखा रहा है। इस संस्था में संस्कृत की स्वलहरियों पर गंगा-जमुनी तहजीब हिलोरें ले रही है। यहां हिन्दू छात्रों के बीच दर्जनों मुस्लिम छात्र भी संस्कृत की संस्कारिता शिक्षा पाकर धन्य हो रहे हैं। यहां जब हिन्दु-मुस्लिम छात्र एक साथ संस्कृत के स्लोकों का पाठ पढ़ते हैं तो लोगों को सुखद अनुभूति होती है। कालेज प्रबंधन भी इन मुस्लिम छात्रों को उनके शिक्षण कार्य में सहयोग करता है। यहां पूर्व में भी दर्जनों मुसलमान छात्र उप शास्त्री व शास्त्री की डिग्री ले चुके हैं। आकिब जावेद, शमीम अख्तर, एनामुल हक व तैयब हुसैन सरीखे छात्र बताते हैं कि कि संस्कृत सीखकर उन्हें काफी संतोष मिल रहा है। अगर संभव हुआ तो वे इसमें अपना कैरियर भी बनाएंगे। छात्रों का कहना है कि किसी भाषा को किसी समुदाय की परिधि तक सीमित नहीं रखा जा सकता। भाषा तो एक सेतु है, जो विभिन्न संप्रदाय से लेकर विश्र्व के विभिन्न स्थलों की दूरी को खत्म कर देता है। यहां परवेज आलम, फरहाना खातून सहित दर्जन भर छात्र-छात्राएं सरौती संस्कृत कालेज में संस्कृत शिक्षा परंपरा के मजबूत संवाहक बने हैं। उल्लेखनीय है कि कालेज में संस्थापक व तत्कालीन महान संत व संस्कृत के महान विद्वान स्वामी परंकुशाचार्य जी महाराज ने संस्था के स्थापना उद्देश्य में ही कालेज को सभी प्रकार की संकुचित बंधनो से परे रखा था। आज संस्था के वर्तमान प्रमुख स्वामी रंगरामानुजाचार्यजी महाराज अपने गुरु द्वारा स्थापित परंपरा को व्यापकता प्रदान करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। आज हुलासगंज तथा सरौती में ब्रांाणों के साथ दलित वर्ग के विद्यार्थी भी समान गरिमा व सम्मान के साथ संस्कृत की शिक्षा लेकर अपने को धन्य पा रहे हैं। राजनीति तथा सामाजिक क्षेत्रों के स्थापित लोग इसे राष्ट्रीय तथा सामाजिक एकता के लिहाज से बेहतरीन संस्थागत प्रयास मान रहे हैं। कालेज के प्राचार्य डा. सर्वानंद शर्मा भारद्वाज ने बताया कि कामेश्र्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्र्व विद्यालय से संबद्धता प्राप्त उनके कालेज में संस्कृत शिक्षा के लिए प्रतिवर्ष मुसलमान छात्रों का रुझान क्रमश: बढ़ रहा है, यह संस्कृत शिक्षा के हालिया स्थिति के लिहाज से काफी प्रेरक है। फिलहाल कालेज में शास्त्री व उपशास्त्री के लगभग चार सौ छात्र अध्ययनरत हैं(मृत्युंजय/मनिन्द्र,दैनिक जागरण,जहानाबाद,5.12.11)।

कोलकाताःबढेंगी मैरिन विवि की सुविधाएं

Posted: 05 Dec 2011 01:43 AM PST

भारतीय समुद्रीय विश्वविद्यालय (आईएमयू), कोलकाता परिसर की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। यह बातें केंद्रीय जहाजरानी राज्यमंत्री मुकुल राय ने कहीं। रविवार को भारतीय समुद्रीय विश्वविद्यालय कोलकाता परिसर में 57 वें दीक्षांत एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया था। इस मौके पर इस विश्वविद्यालय से पास होने वाले 139 कैडेट्स को बैचलर आफ मैरिन इंजीनियरिंग से सम्मानित किया गया। साथ ही अपना बेहतर प्रदर्शन देने वाले कैडेट्स को अवार्ड भी दिए गए। उन्होंने कहा कि आई एम यू भारत का सबसे प्राचीन संस्थान है। वाम शासनकाल में इसकी उन्नति की ओर ध्यान नहीं दिया गया था। यहां की सुविधाओं में विकास करने की आवश्यकता है। ताकि आने वाले दिनों में भी इसकी गरीमा बनी रहे। उन्होंने कहा कि यहां हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। और यही कारण है कि इस संस्थान से पास होने वाले कैडेट्स आगे चल कर अपना बेहतर प्रदर्शन भी देते हैं। अत: इस संस्थान की और उन्नति करने की जरुरत है। ताकि आने वाले दिनों में इसका और भी बेहतर प्रदर्शन हो सके। इसकी सुविधाओं में उन्नति के लिए मंत्रालय के पास प्रस्ताव भी रखा गया है। मौके पर उपस्थित मेयर शोभन चटर्जी ने कहा कि समुद्री इंजीनियर का देश के वाणिज्य एवं व्यापार जगत के विकास में अहम योगदान है। इस मौके पर मुकुल राय द्वारा ओबीसी हास्टल एवं प्रशासनिक ब्लाक का शिलान्यास एवं शिप मैन्यूवेरिंग सिमूलेटर का उद्घाटन भी किया गया(दैनिक जागरण,कोलकाता,5.12.11)।

हजार रुपये होगी न्यूनतम पेंशन!

Posted: 05 Dec 2011 01:41 AM PST

बीपीएल को 32 रुपये रोजाना पर हायतौबा करने वाले भी यह जानकर हैरत में पड़ जाएंगे कि ईपीएफ में अंशदान करने के बाद कई पेंशनभोगी महज 12 रुपये की मासिक पेंशन पाते हैं। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का प्रबंधन करने वाला कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अब इस सूरत को बदलने जा रहा है। इसके तहत ईपीएफओ अंशदाताओं के लिए न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये तय कर सकता है। इस मुद्दे पर केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) की 23 दिसंबर को होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी। मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाले ईपीएफओ के इस शीर्ष निकाय की बैठक में यह फैसला संभव है। संगठित क्षेत्र के साढ़े चार करोड़ से ज्यादा कर्मचारी इस संगठन के सदस्य हैं। ईपीएफओ 3.5 लाख करोड़ रुपये के कोष का प्रबंधन करता है। ईपीएफओ के आंकड़े के अनुसार मार्च, 2010 तक संगठन से जुड़े 35 लाख पेंशनभोगी थे। इनमें से 14 लाख लोगों को 500 रुपये से भी कम मासिक पेंशन मिल रही थी। वहीं, हर महीने एक हजार रुपये की पेंशन पाने वाले अंशदाताओं की संख्या सात लाख है। ताज्जुब की बात यह है कि कुछ पेंशनभोगियों को मासिक पेंशन के रूप में केवल 12 और 38 रुपये भी मिल रहे हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने एक हलफनामे में उन लोगों को गरीबी की रेखा के नीचे यानी बीपीएल माना था, जिनकी रोजाना कमाई 32 रुपये से कम है। हिंद मजदूर सभा के सचिव एडी नागपाल ने कहा कि मौजूदा आसमान छूती महंगाई के कारण रहन-सहन की लागत बढ़ गई है। इसलिए न्यूनतम पेंशन 2,000 रुपये मासिक से कम नहीं होनी चाहिए। देश में वरिष्ठ नागरिकों को बगैर किसी अंशदान के 400 रुपये से 1,000 रुपये महीने पेंशन मिलती है। सेवाकाल के दौरान अपने अंशदान के बावजूद संगठित क्षेत्र में काम कर चुके लोगों को हजार रुपये भी नहीं मिलते। नियोक्ता एवं कर्मचारियों के प्रतिनिधि न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये हर महीने तय करने पर सहमत हैं, लेकिन अतिरिक्त फंड जुटाने के उपायों को लेकर अभी फैसला नहीं हो पाया है। एक अनुमान के मुताबिक न्यूनतम हजार रुपये की पेंशन को लागू करने के लिए अंशदाताओं को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 0.63 प्रतिशत अतिरिक्त योगदान देना होगा। यह वृद्धि नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों के पेंशन खाते में दिए जाने वाले योगदान 8.33 प्रतिशत और सरकार द्वारा योजना के तहत दिए जाने वाली 1.16 फीसदी की सहायता के अलावा होगी। अगर सरकार अतिरिक्त लागत वहन करने का निर्णय करती है तो कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में संशोधन की जरूरत होगी। ईपीएफओ के एक ट्रस्टी ने कहा कि यह संभव है कि अतिरिक्त बोझ बराबर-बराबर सरकार, कर्मचारी और नियोक्ता के बीच बांटने का निर्णय किया जाए। ट्रस्टी बोर्ड पेंशन के अलावा कुछ श्रेणियों खासकर कंस्ट्रक्शन क्षेत्र के कर्मियों के लिए बैंकिंग सेवा की तर्ज पर पासबुक जारी करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा कर सकता है(दैनिक जागरण,दिल्ली,5.12.11)।
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Palash Biswas
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