भारती की कविता हिंदुस्तानियों का सामूहिक स्वप्न है
http://mohallalive.com/2010/10/21/first-subramanyam-bharati-memorial-lecture-in-jnu/भारती की कविता हिंदुस्तानियों का सामूहिक स्वप्न है
जेएनयू में पहला सु्ब्रह्मण्य भारती स्मृति व्याख्यान
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र की ओर से मंगलवार की शाम पहले सुब्रह्मण्य भारती स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। तमिल के मशहूर विद्वान प्रोफेसर के चेलप्पन, डॉ एच बालसुब्रह्मण्यम और वरिष्ठ हिंदी आलोचक मैनेजर पांडेय ने अपनी बात रखी। प्रो चेलप्पन ने कहा, जेएनयू भाषाओं की आकाशगंगा बनता जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रकवि सुब्रह्मण्य भारती की महर्षि अरविंद, रवींद्रनाथ टैगोर, कीट्स, शैली, माइकोवस्की आदि से तुलना की और बताया कि भारती की कविता हिंदुस्तानियों का सामूहिक स्वप्न है। भारती कहते थे कि स्वतंत्रता कोई भीख मांगने की चीज नहीं बल्कि हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। भारती भविष्यदृष्टि के लेखक थे। उन्होंने 1920 के आसपास ही स्वतंत्रता को देख लिया था। भारती की कविता प्रेम के उत्सव की कविता है और यह प्रेम व्यक्ति से शुरू होकर राष्ट्र तक जाता है।
आलोचक मैनेजर पांडेय ने कहा कि भारती अपने कर्म और व्यवहार से भारतीय थे। उन्होंने तमिल कविता में आधुनिकता की शुरुआत की। यह आधुनिकता सामाजिक और राजनीतिक, दोनों स्तरों पर थी। तमिल और हिंदी विद्वान डॉ एच बालासुब्रह्मण्यम ने भारती और भारतेंदु की तुलना करते हुए कहा कि सामंतवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में दोनों साहित्य नेताओं ने दक्षिण और उत्तर में अपना-अपना मोर्चा संभाला हुआ था। दोनों भारतीय नवजागरण की उपज थे।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण भारतीय भाषा केंद्र के अध्यक्ष प्रो कृष्णस्वामी नचिमुथु ने दिया और संचालन डॉ एन चंद्रशेखरन ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाषा संस्थान के कार्यवाहक डीन प्रो जीजेवी प्रसान ने की और धन्यवाद ज्ञापन डा मजहर हुसैन ने किया। कार्यक्रम में प्रो रामबक्ष, प्रो शाहिद हुसैन, प्रो वीरभारत तलवार, प्रो बशीर, प्रो चमनलाल, प्रो मुइनुद्दीन जिनाबाडे, डॉ गोबिंद प्रसाद, डॉ रमण प्रसाद सिन्हा डॉ देवेंद्र चौबे, डॉ रणजीत कुमार साहा व गंगा सहाय मीणा सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे।
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Palash Biswas
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