Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Saturday, July 24, 2010

'इतने दोस्त थे पापा के, कितनों ने सुध ली?'

E-mail Print PDF

नौनिहाल शर्मा: भाग 28 : दिवाली के बाद पहली बार छुट्टी लेकर मेरठ आया हूं। अपने पापा को देखने के लिए। उनकी तबियत जरा खराब चल रही थी। चैकअप में चिन्ता की कोई बात नहीं मिली। सुकून मिला। फिर मैं चल पड़ा नौनिहाल के घर की ओर। दिसंबर में सुधा भाभी को पैरेलिटिक अटैक होने के बाद उनके बच्चों से फोन पर बात होती रही थी। दो बार भाभीजी से भी बात हुई थी। फोन पर उन्होंने पहचान लिया था। मुझे लगा था कि वे बहुत ठीक हो चुकी हैं।

शास्त्री नगर के पास जागृति विहार के तीसरे सैक्टर में उनके घर के सामने खड़ा हूं। बहुत कुछ बदला-बदला सा लगता है। छोटा सा घर। लगभग सड़क पर ही दरवाजा। बाहर के कमरे में ही भाभीजी लेटी हुई हैं। बड़ा बेटा मधुरेश दरवाजा खोलता है। मैं अपने छोटे भाई अरुण के साथ अन्दर दाखिल होता हूं। नमस्ते करके भाभीजी से पूछता हूं, 'पहचाना क्या?' वे थोड़ा तिरछी होकर हमें देखती हैं। मुझे नहीं पहचान पातीं। शायद मेरा नाम उन्हें याद नहीं आता। लेकिन आश्चर्य की बात, अरुण को पहचान लेती हैं। कहती हैं, 'ये तो अरुण त्यागी हैं।' (मेरे मुबई जाने के बाद अरुण का ही उनके घर ज्यादा आना-जाना रहा।) मधुरेश मेरी ओर इशारा करके बोलता है, 'और ये?' वे कहती हैं, 'अरुण के बड़े भाई।' मुझे राहत मिलती है कि वे पहचान तो रही हैं पर उन्हें मेरा नाम याद नहीं आ रहा था।

नौनिहाल की बड़ी बहन हरदम सुधा भाभी के साथ ही रहती हैं। उनका पूरा ख्याल रखती हैं। बच्चों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। मधुरेश पुरानी यादों में डूब जाता है। तीनों बच्चों में केवल उसे ही नौनिहाल की बहुत सारी बातें याद हैं। वास्तव में नौनिहाल ने मधुरेश को भी बहुत कम उम्र में ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी। उसे वे बहुत से काम सिखाने लगे थे। मधुरेश एक पुरानी सी फाईल ले आता हैं। उसमें कई कागजात हैं। उनके बीच से एक पोस्ट कार्ड निकलता है। सामने का हिस्सा बहुत बारीक लिखावट से पूरी तरह भरा हुआ। पते वाली तरफ करीब 1 ईंच जगह खाली। मुझे यह तो मालूम था कि नौनिहाल पोस्ट कार्ड पर सबसे ज्यादा शब्द लिखने का रिकार्ड बनाने में लगे थे, पर ये पता नहीं था कि अपनी इस धुन में वे इतना ज्यादा काम कर चुके थे। लिखावट इतनी बारीक है कि मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आता। पर मधुरेश उसे पढ़ लेता है। वह सुनाता है, 'पाठको, यूं तो आपने हजारों कहानियां सुनी होंगी। सुनाने के लिए एक से एक किस्सागो मिले होंगे। उनमें अपने लहू से लिखने वाले भी रहे होंगे. . .'

इतना पढ़ने से बाद मधुरेश ने अमर गोस्वामी की 11 कहानियों का संकलन 'उदास राघोदास' निकालकर दिखाया। वह ये बताकर अचरज में डाल देता है कि 112 पेज की इस किताब के लगभग 100 पेज पापा ने से पोस्ट कार्ड पर लिख लिए थे। बाकी बची एक इंच जगह में 12 पेज भी लिखकर वे इस पोस्ट कार्ड पर पूरी किताब उतार देते। अक्टूबर, 1992 में मु्जफ्फरनगर के आलोक गुप्ता ने एक पोस्ट कार्ड पर 22 हजार 761 शब्द लिखकर लिंमका बुक आॅफ रिकाॅड्र्स में अपना नाम शामिल कराया था। नौनिहाल इस पोस्ट कार्ड पर उससे ज्यादा शब्द लिख चुके थे। चूंकि अभी एक इंच जगह और बची थी, इसलिए वे गिनीज आॅफ वल्र्ड रिकाड्र्स में अपना नाम शामिल कराना चाहते थे। लेकिन उनका ये काम अधूरा रह गया. . .

हम सब गमगीन हो उठे हैं। अचानक सुधा भाभी सुबकने लगती हैं। शायद वे अपनी यादों में चली गयी हैं। और यादें आंसुओं में बदल जाती हैं। अरुण मुझे इशारा करता है कि पुरानी बातें इनके सामने मत दोहराओ। नौनिहाल की बहन सुधा भाभी को बैठा देती हैं। उन्हें दायीं ओर पैरेलिसिस है। बायीं ओर का हिस्सा ठीक है। पर अब वे अटैक से काफी हद तक उबर चुकी हैं। यहां तक कि दायें हाथ को भी थोड़ा ऊपर-नीचे कर लेतीं हैं। मगर न जाने क्यों उन्हें लगता रहता है कि अपनी सारी जिम्मेदारियां उन्हें जल्दी पूरी कर लेनी चाहिएं। इसीलिए मधुरेश का रिश्ता कर दिया है। सर्दियों में उसकी शादी है। मधुरेश खुश भी है और उदास भी। 28 साल का हो गया है। अभी तक नौकरी नहीं मिली। ट्यूशन पढ़ाकर किसी तरह अपनी जिम्मेदारियां निभाने की कोशिश कर रहा है। चाहता था कि अच्छी तरह सैटिल होने की बाद ही शादी करें। पर भाभीजी की इच्छा के सामने उसे झुकना पड़ता हैं।

हमेशा शान्त और संयत रहने वाले मधुरेश की आवाज में धीरे-धीरे थोड़ी तुर्शी आने लगती है- इतने दोस्त थे पापा के। एक-दो को छोड़कर किसी ने कोई सुध नहीं ली। कई के पास तो मैं खुद गया। कई को फोन किया। किसी ने मदद नहीं की। ऐसे में तो गैर भी काम आ जाते हैं, इन सबको तो फिर भी हम अपना ही समझते थे।

मधुरेश की आवाज में नमी आ जाती है। सहसा मुझे ख्याल आता है, कोई आधा दर्जन तो आज ऐसे आरई ही हैं, जिनसे नौनिहाल की खासी नजदीकी रही थी। वे चाहते तो मधुरेश को खुद नौकरी दे सकते थे या उसे कहीं नौकरी दिला सकते थे। लेकिन ये दूसरा वक्त है, वो दूसरा वक्त था। तब नौनिहाल मुफलिसी में भी दूसरों के लिए अपनी बाहें और दिल खुले रखते थे। आज लोग बेहद अच्छी स्थिति में होने के बावजूद बाहंे और दिल, दोनों बंद रखते हैं। सबको केवल अपना ही हित दिखता है। दूसरों की किसी को कोई परवाह नहीं है।

नौनिहाल का छोटा बेटा प्रतीक और बेटी ज्योति भी आकर बैठ जाते हैं। प्रतीक बीआईटी से मैकेनिकल में बीटैक कर रहा है। फाइनल ईयर में है। एनटीपीसी में इन्टर्नशिप कर चुका है। एनटीपीसी, भेल और रेलवे में से कहीं नौकरी करना चाहता है। मैं उसे डीआरडीओ या इसरो के लिए तैयारी करने को कहता हूं। उसे थोड़ी हिचक है, 'मेरी अंग्रेजी बहुत अच्छी नहीं है।'

'तो क्या हुआ? अभी एक साल है। उसकी तैयारी की जा सकती है। ये कोई बड़ी समस्या नहीं है।'

वह सहमति में सिर हिलाता है।

ज्योति डीएन कालेज से बीएससी कर रही है। पीसीएम की फाईनल ईयर की स्टूडेंट है। मैथ्स में एमएससी करके लैक्चरर बनना चाहती है। इसके लिए एमएससी के बाद एमफिल, पीएचडी और नैट क्वालीफाई करना होगा। यानी कम से कम आठ साल की मेहनत और। उसे मैथ्स के बजाय एनवायरमेन्टल साइंस में एमएससी करने की सलाह देता हूं। इसका स्कोप वह तुरन्त समझ जाती है। हालांकि इसमें उसे ज्यादा मेहनत लगेगी, लेकिन अच्छा स्कोप देखकर वह मेहनत करने को तैयार हो जाती है।

प्रतीक और ज्योति को अपने पापा की ज्यादा याद नहीं है। उन्होंने अपनी मां और बड़े भाई से काफी सुना है। दूसरों से भी। उसी के आधार पर उनके दिमाग में एक छवि है कि उनके पिता एक जीनियस थे। उन्हें इसका अहसास है कि पिता के न रहने और मां के बीमार होने के कारण उन पर बड़ी जिम्मेदारी आ पड़ी है। फिर भी वे पूरी शिद्दत से जिन्दगी से जूझ रहे हैं। उनके कुछ गिले-शिकवे हैं। कुछ शिकायतें हैं। कुछ कड़वाहट भी उनके मन में है। इस सब के बावजूद उन्हें गर्व इस बात का है कि नौनिहाल उनके पिता थे और बहुत से लोग मानते हैं कि वे एक अच्छे और सच्चे पत्रकार थे।

नौनिहाल की यादों में डूबते-उतराते हमें करीब एक घंटा हो चला है। बैठे-बैठे भाभीजी थकने लगती हैं। हम उन्हें लेटने को भुवेंद्र त्यागीकहकर विदा लेते हैं। वे कुछ उदास सी हैं। बाहर शाम भी उदास है। मधुरेश, प्रतीक और ज्योति हमें छोड़ने बाहर तक आते हैं। मधुरेश अपनी शादी में आने का आग्रह दोहराता है। अब हम उनसे विदा ले रहे हैं। अचानक मधुरेश बोलता है, 'पोस्ट कार्ड पर विश्व रिकार्ड लिखने का पापा का अधूरा काम मैं जरूर पूरा करूंगा!'

उसकी आवाज में दृढ़ता है। हौसले में मानो पंख लगे हैं। उसकी ये जिद बिल्कुल नौनिहाल जैसी है।

लेखक भुवेन्द्र त्यागी को नौनिहाल का शिष्य होने का गर्व है. वे नवभारत टाइम्स, मुम्बई में चीफ सब एडिटर पद पर कार्यरत हैं. उनसे संपर्क bhuvtyagi@yahoo.comThis e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it के जरिए किया जा सकता है.


Next >

फजीहत के बाद भी नहीं सुधरे जागरण के मालिक

E-mail Print PDF
राकेश शर्मा

राकेश शर्मा

: अंत में कांग्रेस प्रत्याशी नवीन जिंदल ने कहा कि संजय जी से बात हुई है, वैश्विक वित्तीय संकट की मार झेल रही कंपनी को मैं कुछ न कुछ मदद जरूर करूंगा : नकारात्मक समाचारों की जब हद हो गई तो अवतार भड़ाना की पत्नी ने फोन मिलाकर संजय गुप्ता जी की ऐसी-तैसी कर दी : चेतन शर्मा बोले कि जागरण के कार्यक्रमों में बिना कोई पैसा लिए शामिल होता हूं तो जागरण को चुनाव कवरेज के लिए पैसे क्यों दूं? :
Read more...
 

'इतने दोस्त थे पापा के, कितनों ने सुध ली?'

E-mail Print PDF

नौनिहाल शर्मा: भाग 28 : दिवाली के बाद पहली बार छुट्टी लेकर मेरठ आया हूं। अपने पापा को देखने के लिए। उनकी तबियत जरा खराब चल रही थी। चैकअप में चिन्ता की कोई बात नहीं मिली। सुकून मिला। फिर मैं चल पड़ा नौनिहाल के घर की ओर। दिसंबर में सुधा भाभी को पैरेलिटिक अटैक होने के बाद उनके बच्चों से फोन पर बात होती रही थी। दो बार भाभीजी से भी बात हुई थी। फोन पर उन्होंने पहचान लिया था। मुझे लगा था कि वे बहुत ठीक हो चुकी हैं।

Read more...
 

न्यास की पवित्रता में पाखंड का प्रवेश न हो

E-mail Print PDF

राजकुमार सोनी: वरना सरकार की गोद में बैठने में देर न लगेगी : पिछले कुछ दिनों से प्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी के नाम पर गठित किए एक ट्रस्ट (प्रभाष परम्परा न्यास) को लेकर जमकर जूतम-पैजार चल रही है। प्रभाष परम्परा न्यास को गठित करने वाला एक धड़ा मानता है कि जो कुछ वह कर रहा है शायद सही कर रहा है। न्यास के औचित्य को लेकर सवाल उठाने वाले दूसरे धड़े के भी अपने तर्क हैं।

Read more...
 

प्रभाषजी की टीम को हाशिए पर फेकने की साजिश!

E-mail Print PDF

: प्रभाष परंपरा की रचनात्मक पहल : कल रात उस जमात पर लिखने बैठा जिसने कुछ सालों पहले पूरे देश में गणेश जी को दूध पिला दिया था. इनके दुष्प्रचार तंत्र का यह सबसे रोचक उदाहरण रहा है. तभी दो जानकारी मिली. उस पोस्ट को रोक दिया है. पता चला कि भगवा रंग में रंगा प्रभाष परंपरा न्यास ने काम शुरू कर दिया. कैंसर से जूझ रहे साथी आलोक तोमर को धमकाने की कोशिश हुई. दूसरी सूचना पत्रकार सुप्रिया (आलोक तोमर की पत्नी) के बारे में मिली.

Read more...
 

मैं फच्चर अड़ाने वालों में से नहीं हूं

E-mail Print PDF

आलोक तोमर: किस्से कहानियां छोड़ो, काम करो : उम्मीद है कि मेरे गुरु के काम में झापड़ की नौबत नहीं आएगी, मगर आएगी तो देखा जाएगा : प्रभाष जोशी के नाम पर बहस इतनी लंबी और इतने आयामों में फैल जाएगी इसकी उम्मीद किसी को नहीं रही होगी। ऐसे ऐसे लोग बोले जिन्हें न प्रभाष जोशी से कोई मतलब था और न प्रभाष परंपरा का अर्थ ठीक से उन्हें समझ में आता है।

Read more...
 

किसी निजी लड़ाई को इस मंच पर नहीं लाया हूं

E-mail Print PDF

दोस्तों, पिछले दो दिनों के दौरान मुझे कई मेल, फोन और प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं। इस मामले में बहुत से लोगों ने मेरे प्रयास को सराहा है, जिसके लिए सभी का धन्यवाद। इसके बावजूद कुछ मामलों में ये महसूस हो रहा है कि पेड न्यूज के मामले में मेरे द्वारा जताई गई प्रतिक्रिया और सेबी को लिखा गया पत्र मेरी किसी तरह की व्यक्तिगत लड़ाई की नजर से देखा जा रहा है। मेरी दैनिक जागरण से कोई निजी लड़ाई समझ कर ही कुछ लोग मुझे सहयोग करने की सलाह दे रहे हैं।

Read more...
 

तब हम दूसरा न्यास बनाएंगे : आलोक तोमर

E-mail Print PDF

: राय साहब ने इस न्यास में मुझे शामिल होने लायक नहीं समझा : लेकिन इस न्यास में कई बेइमान लोग रख दिए : अंबरीश के बाद नैनीताल में मैं भी घर बनवाने जा रहा हूं : प्रभाषजी जैसे फक्कड़ बैरागी को इन भाई लोगों ने उत्सवमूर्ति बना दिया : पता नहीं हमारे मित्र संजय तिवारी को अचानक क्या हो गया है? प्रभाष परंपरा न्यास का जिस दिन गठन हुआ था उस दिन प्रभाष जी के घर एक अच्छी खासी बैठक हुई थी और तय हुआ था कि नामवर सिंह के संरक्षण में यह न्यास काम करेगा। जिन्हें नहीं पता हो उन्हें बताना जरूरी है कि प्रभाष परंपरा न्यास यह नाम मेरा दिया हुआ है और इस न्यास में आंकड़ों की हेराफेरी करने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं, लेखकों की रायल्टी हजम करने वाले एक प्रसिद्ध प्रकाशक हैं जिन्होंने खुद प्रभाष जी से लाखों रुपए कमाएं हैं, एक पत्रिका के मालिक हैं जो राज्यसभा में जाने के लिए आतुर बताए जाते हैं।

Read more...
 

संजय तिवारी ने दिया अंबरीश के आरोपों का जवाब

E-mail Print PDF

15 जुलाई की शाम दिल्ली के गांधी दर्शन में प्रभाष जोशी को जानने मानने वाले कोई पांच सात सौ लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने उनके जाने के बाद पहला जन्मदिन मनाया. प्रभाष जी जब थे तब वे जन्मदिन पर भी अपनी उत्सवधर्मिता का पालन करते थे. उनके जाने के बाद जिस न्यास ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था उसकी कोशिश भी यही थी कि प्रभाष जी की उस परंपरा को भी जन्मदिन के बहाने बरकरार रखा जाए. जिस दिन यह कार्यक्रम हो रहा था, मैं खुद मुंबई में था. चाहकर भी नहीं पहुंच पाया क्योंकि दिल्ली और मुंबई के बीच अच्छी खासी दूरी है और मुंबई से दिल्ली पैदल चलकर नहीं जाया जा सकता था. फिर भी लोगों से बात करके जो पता चला वह यह कि खूब लोग आये और प्रभाष जी को याद किया.

Read more...
  • «
  •  Start 
  •  Prev 
  •  1 
  •  2 
  •  3 
  •  4 
  •  5 
  •  6 
  •  7 
  •  8 
  •  9 
  •  10 
  •  Next 
  •  End 
  • »
Page 1 of 99
--

सभी पेड न्यूज की मलाई खा रहे : उदय शंकर

E-mail Print PDF

: पत्रकारिता की मौत है पेड न्यूज : नई दिल्ली : निर्भीक पत्रकारिता के उत्‍सव (पत्रकारों को रामनाथ गोयनका एवार्ड दिए जाने) के बाद गुरुवार को रामनाथ गोयनका पुरस्‍कार समारोह के केन्‍द्र में पत्रकारिता का स्‍याह पक्ष भी आया. पत्रकारिता की साख को बेचने की प्रवृत्ति यानी पेड न्‍यूज पर परिचर्चा हुई. सवाल उठे कि क्‍या इस मसले पर खामोशी की राजनीति चल रही है. इस बुराई के पीछे राजनेताओं का कितना योगदान है.

Read more...
 

संगोष्ठी में उठे पत्रकारिता के चरण और आचरण पर सवाल

E-mail Print PDF

पत्रकारिता का चरण बहुत शक्तिशाली रहा है और आचरण पर जो उंगलियां उठ रही हैं उसका समाधान सामूहिक प्रयास से होगा. यह विचार वरिष्ठ पत्रकार ईशदत्त ओझा ने व्यक्त किया. वे प्रेस क्लब में दैनिक भारतीय बस्ती के स्‍थापना दिवस पर आयोजित संगोष्ठी- 'पत्रकारिता के चरण और आचरण' को सम्बोधित कर रहे थे. पत्रकारिता के क्रमिक विकास की चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि समय का अपना सत्य है और समाज से ही सभी धारायें निकली हैं. पत्रकारिता उससे भिन्न नहीं है. जब समाज का चरित्र बिगड़ेगा तो पत्रकारिता ही नहीं समाज का कोई भी क्षेत्र हो उससे मुक्त नहीं हो सकता. ईशदत्त ओझा को स्वर्गीय हरिश्‍चन्‍द्र अग्रवाल स्मृति सम्मान 2010 से श्री अग्रवाल के पुत्र संजय अग्रवाल और पत्रकारों द्वारा सम्मानित किया गया.

Read more...
 

गांधी दर्शन से ही दुखों से मुक्ति

E-mail Print PDF

: असगर अली इंजीनियर का उदबोधन : उदयपुर : हिंसा मानव स्वभाव है, मानव की प्रकृति है लेकिन सत्य पर डटे रहने, इच्छाओं के शमन तथा लोभ, लालच की मुक्ति से अहिंसा को जिया जा सकता है। इसके लिए सत्ता व शक्ति को प्राप्त करने के मोह को छोडकर मानव सेवा को जीवन का लक्ष्य बनाना होगा। यह विचार प्रसिद्ध सुधारवादी चिंतक डॉ. असगर अली इंजीनियर ने डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए।

Read more...
 

खबर लिखने की कीमत चुका रहे पत्रकार

E-mail Print PDF

: स्वतंत्र पत्रकार हेमचंद पांडेय की कथित मुठभेड़ पर उठे सवाल : 'अघोषित आपातकाल में पत्रकारों की भूमिका' विषय पर संगोष्ठी : नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में जर्नलिस्ट फॉर पीपुल की ओर से 'अघोषित आपातकाल में पत्रकारों की भूमिका' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें आर्य समाज के नेता और समाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने कहा कि आज देश में आपातकाल जैसी स्थितियां हैं। और ऐसी स्थितियां कमोबेश हर दौर में रहती हैं।

Read more...
 

जनता से दूर हो रहे बड़े अखबार और उनके पत्रकार

E-mail Print PDF

: बड़े अखबारों के पत्रकारों की हर पल पैसे पर होती है निगाह : पैसे के लिए खबरों को मैनेज और मेनूपुलेट करते हैं वे : छोटे अखबारों के पत्रकारों को 'खेल' में शामिल करने के लिए बनाते हैं दबाव : 'सुप्रीम न्यूज' की तरफ से बादलपुर में सेमिनार का आयोजन :

Read more...
 

Role of Journalists in Undeclared Emergency

E-mail Print PDF

Dear All, The fake encounter of a freelance journalist Hem Chandra Pandey alias Hemant Pandey has clearly exposed that Indian journalists are working in an undeclared emergency situation. United Nation's premier agency UNESCO has demanded probe into the circumstances in which the scribe was killed. IFJ, PCI, civil society organisations and various journalist unions including Uttarakhand political leaders across the party line have condemned this killing in cold blood. Although the Union Home Minister has denied the probe demand, that was put forward by Swami Agniwesh on behalf of the civil society at large.

Read more...
 

व्याख्यान बनाम मुकुल शिवपुत्र

E-mail Print PDF
मयंक

मयंक

माहौल में एक आवाज़ गूंज रही थी और अंतस में कुछ चलचित्र से चल रहे थे.... पहली बार प्रभाष जी के घर पर था... उन्हीं पुस्तकों के बीच में बैठा जहां कई बार प्रभाष जी को कई बार बाईट देते... लाइव या तस्वीरों में देखा था... कागद कारे पढ़ते हुए कई बार जिस व्यक्ति के व्यवहार के बारे में कल्पनाएं की थी.... वो सामने थे और कुछ भी अलग नहीं था जैसे लिखते थे वैसे ही थे वो...
Read more...
 

बौनों के दौर में बहुत बड़े आदमी थे प्रभाषजी

E-mail Print PDF

: जन्मदिन पर आयोजन ने साबित किया : खचाखच भरा था संत्याग्रह मंडप : पंडित कुमार गंधर्व को बहुत सुनते थे प्रभाषजी. मालवा की दाल बाटी को बहुत पसंद करते थे प्रभाषजी. गांधीजी और हिंद स्वराज पर खूब बतियाते और सक्रिय रहते थे अपने प्रभाष जोशी जी. कल तीनों का ही संगम था.

Read more...
  • «
  •  Start 
  •  Prev 
  •  1 
  •  2 
  •  3 
  •  4 
  •  5 
  •  6 
  •  7 
  •  8 
  •  Next 
  •  End 
  • »
Page 1 of 8

भारतीय मीडिया

'इतने दोस्त थे पापा के, कितनों ने सुध ली?'

'इतने दोस्त थे पापा के, कितनों ने सुध ली?'

: भाग 28 : दिवाली के बाद पहली बार छुट्टी लेकर मेरठ आया हूं। अपने पापा को देखने के लिए। उनकी तबियत जरा खराब चल रही थी। चैकअप में चिन्ता की कोई बात नहीं मिली। सुकून मिला। फिर मैं चल पड़ा नौनिहाल के घर की ओर। दिसंबर में सुधा भाभी को पैरेलिटिक अटैक होने के बाद उनके बच्चों से फोन पर बात होती रही थी। दो बार भाभीजी से भी बात हुई थी। फोन पर उन्होंने पहचान लिया था। मुझे लगा था कि वे बहुत ठीक हो चुकी हैं।

Read more...

फजीहत के बाद भी नहीं सुधरे जागरण के मालिक

फजीहत के बाद भी नहीं सुधरे जागरण के मालिक

: अंत में कांग्रेस प्रत्याशी नवीन जिंदल ने कहा कि संजय जी से बात हुई है, वैश्विक वित्तीय संकट की मार झेल रही कंपनी को मैं कुछ न कुछ मदद जरूर करूंगा : नकारात्मक समाचारों की जब हद हो गई तो अवतार भड़ाना की पत्नी ने फोन मिलाकर संजय गुप्ता जी की ऐसी-तैसी कर दी : चेतन शर्मा बोले कि जागरण के कार्यक्रमों में बिना कोई पैसा लिए शामिल होता हूं तो जागरण को चुनाव कवरेज के लिए पैसे क्यों दूं? :

Read more...

झगड़े में फंसा जम्‍मू से भास्‍कर का प्रकाशन

: टाइटिल वेरिफिकेशन और डिक्लयरेशन पर स्टे : भास्कर घराने का झगड़ा डीबी कार्प वालों को भारी पड़ता दिख रहा है. ताजी खबर जम्मू से है. डीबी कॉर्प ने 25 मई, 2010 को जम्‍मू से दैनिक भास्‍कर के प्रकाशन के लिये टाइटल वेरिफिकेशन के लिये आवेदन किया था. जम्‍मू जिला प्रशासन ने 2 जून को आरएनआई से राय मांगी. 9 जून को आरएनआई ने वेरिफिकेशन पर मुहर लगा दी. 15 जून 2010 को डीबी कॉर्प ने जिला प्रशासन जम्‍मू के यहां डिक्‍लयरेशन फाइल कर दिया.

Read more...

न्यास की पवित्रता में पाखंड का प्रवेश न हो

न्यास की पवित्रता में पाखंड का प्रवेश न हो

: वरना सरकार की गोद में बैठने में देर न लगेगी : पिछले कुछ दिनों से प्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी के नाम पर गठित किए एक ट्रस्ट (प्रभाष परम्परा न्यास) को लेकर जमकर जूतम-पैजार चल रही है। प्रभाष परम्परा न्यास को गठित करने वाला एक धड़ा मानता है कि जो कुछ वह कर रहा है शायद सही कर रहा है। न्यास के औचित्य को लेकर सवाल उठाने वाले दूसरे धड़े के भी अपने तर्क हैं।

Read more...

प्रभाषजी की टीम को हाशिए पर फेकने की साजिश!

: प्रभाष परंपरा की रचनात्मक पहल : कल रात उस जमात पर लिखने बैठा जिसने कुछ सालों पहले पूरे देश में गणेश जी को दूध पिला दिया था. इनके दुष्प्रचार तंत्र का यह सबसे रोचक उदाहरण रहा है. तभी दो जानकारी मिली. उस पोस्ट को रोक दिया है. पता चला कि भगवा रंग में रंगा प्रभाष परंपरा न्यास ने काम शुरू कर दिया. कैंसर से जूझ रहे साथी आलोक तोमर को धमकाने की कोशिश हुई. दूसरी सूचना पत्रकार सुप्रिया (आलोक तोमर की पत्नी) के बारे में मिली.

Read more...

मैं फच्चर अड़ाने वालों में से नहीं हूं

मैं फच्चर अड़ाने वालों में से नहीं हूं

: किस्से कहानियां छोड़ो, काम करो : उम्मीद है कि मेरे गुरु के काम में झापड़ की नौबत नहीं आएगी, मगर आएगी तो देखा जाएगा : प्रभाष जोशी के नाम पर बहस इतनी लंबी और इतने आयामों में फैल जाएगी इसकी उम्मीद किसी को नहीं रही होगी। ऐसे ऐसे लोग बोले जिन्हें न प्रभाष जोशी से कोई मतलब था और न प्रभाष परंपरा का अर्थ ठीक से उन्हें समझ में आता है।

Read more...

सरगर्म है अमर उजाला, कानपुर का माहौल

: दो नए लोग आ रहे : तीन का इस्तीफा : दो ब्यूरो चीफों का तबादला : सिटी चीफ बदले : प्रादेशिक डेस्क दो हिस्सों में : खफा रिपोर्टर ने इस्तीफा वापस लिया :  अमर उजाला, कानपुर से कई खबरें हैं. दैनिक भास्कर, पटियाला के सीनियर रिपोर्टर संदीप अवस्थी यहां प्रिंसिपल करेस्पांडेंट पद पर ज्वाइन करने वाले हैं. रवींद्र नाथ झा न्यूज एडिटर के रूप में अमर उजाला, कानपुर में दस्तक देने वाले हैं. चर्चा है कि उन्हें अमर उजाला के टैबलायड अखबार कांपैक्ट का प्रभारी बनाया जाएगा.

Read more...

निर्भीक पत्रकारिता का पुरस्‍कार स्व. विजय को

: सिद्धार्थ वरदराजन और अर्णब गोस्वामी को वर्ष के श्रेष्ठ पत्रकार का पुरस्कार :  दर्जनों पत्रकारों ने लिया रामनाथ गोयनका एवार्ड : राष्ट्रपति ने कहा- सतही खबरें परोसने से बचे मीडिया : नई दिल्‍ली : उत्‍कृष्‍ट पत्रकारिता के लिये दिया जाने वाला रामनाथ गोयनका अवार्डस फार एक्‍सलेंस इन जर्नलिज्‍म के विजेताओं के एलान के लिये आयोजित समारोह इस बार निर्भीक पत्रकारिता को हृदयस्‍पर्शी श्रद्धांजलि का गवाह बना.

Read more...

सभी पेड न्यूज की मलाई खा रहे : उदय शंकर

: पत्रकारिता की मौत है पेड न्यूज : नई दिल्ली : निर्भीक पत्रकारिता के उत्‍सव (पत्रकारों को रामनाथ गोयनका एवार्ड दिए जाने) के बाद गुरुवार को रामनाथ गोयनका पुरस्‍कार समारोह के केन्‍द्र में पत्रकारिता का स्‍याह पक्ष भी आया. पत्रकारिता की साख को बेचने की प्रवृत्ति यानी पेड न्‍यूज पर परिचर्चा हुई. सवाल उठे कि क्‍या इस मसले पर खामोशी की राजनीति चल रही है. इस बुराई के पीछे राजनेताओं का कितना योगदान है.

Read more...
 



अमर उजाला, आगरा में चल रहा है 'सफाई' अभियान

अमर उजाला, आगरा का माहौल भी बेहद गरम है. पिछले दिनों दो लोगों को हटाए जाने ...

झगड़े में फंसा जम्‍मू से भास्‍कर का प्रकाशन

: टाइटिल वेरिफिकेशन और डिक्लयरेशन पर स्टे : भास्कर घराने का झगड़ा डीबी कार्प ...

सरगर्म है अमर उजाला, कानपुर का माहौल

: दो नए लोग आ रहे : तीन का इस्तीफा : दो ब्यूरो चीफों का तबादला : सिटी चीफ बद...

More:

अफरोज और शैलेंद्र की नई पारी

अफरोज आलम साहिल ने टीवी9 न्यूज चैनल के साथ नई पारी शुरू की है. आरटीआई एक्टि...

एस-वन न्यूज चैनल के कायाकल्प की तैयारी

मंदी के दौर से उबर कर एस-वन न्यूज चैनल की फील्ड यूनिट्स को री-ऑर्गेनाइज किय...

क्या बिहार में मौर्य नंबर वन हो गया?

टैम वालों की ताजी रेटिंग में मौर्य टीवी बिहार में नंबर वन चुका है. इस बार म...

More:

'इतने दोस्त थे पापा के, कितनों ने सुध ली?'

'इतने दोस्त थे पापा के, कितनों ने सुध ली?'

: भाग 28 : दिवाली के बाद पहली बार छुट्टी लेकर मेरठ आया हूं। अपने पापा को देखने के लिए। उनकी तबियत जरा खराब चल रही थी। चैकअप में चिन्ता की कोई बात नहीं मिली। सुकून मिला। फिर मैं चल पड़ा नौनिहाल के घर की ओर। दिसंबर में सुधा भाभी क...

न्यास की पवित्रता में पाखंड का प्रवेश न हो

न्यास की पवित्रता में पाखंड का प्रवेश न हो

: वरना सरकार की गोद में बैठने में देर न लगेगी : पिछले कुछ दिनों से प्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी के नाम पर गठित किए एक ट्रस्ट (प्रभाष परम्परा न्यास) को लेकर जमकर जूतम-पैजार चल रही है। प्रभाष परम्परा न्यास को गठित करने वाला एक धड...

More:

मीडिया हाउसों को चैन से न रहने दूंगा

मीडिया हाउसों को चैन से न रहने दूंगा

इंटरव्यू : एडवोकेट अजय मुखर्जी 'दादा' :  एक ही जगह पर तीन तीन तरह की वेतन व्‍यवस्‍था : अखबारों की तरफ से मुझे धमकियां मिलीं और प्रलोभन भी : मालिक करोड़ों में खेल रहे पर पत्रकारों को उनका हक नहीं देते : पूंजीपतियों के दबाव में कांट...

श्वान रूप संसार है भूकन दे झकमार

श्वान रूप संसार है भूकन दे झकमार

: साहित्य में शोषितों की आवाज मद्धिम पड़ी : अब कोई पक्ष लेने और कहने से परहेज करता है : अंधड़-तूफान के बाद भी जो लौ बची रहेगी वह पंक्ति में स्थान पा लेगी : समाज को ऐसा बनाया जा रहा है कि वह सभी विकल्पों, प्रतिरोध करने वाली शक्तिय...

More:

रंगरंगीला परजातंतर

There seems to be an error with the player !

महंगाई डायन खाय

There seems to be an error with the player !

मधुरिमा

Latest 81




Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment