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Friday, July 9, 2010

'ब्राह्मण' संपादक ने 'क्षत्रिय' पत्रकार भगाए!

'ब्राह्मण' संपादक ने 'क्षत्रिय' पत्रकार भगाए!

http://bhadas4media.com/print/5652-hindustan-ranchi.html

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रांची से खबर है कि हिंदुस्तान के संपादक अशोक पांडेय ने तीन पत्रकारों का तबादला दूरदराज की यूनिटों में कर दिया है. इनके नाम हैं वरीय सब एडिटर विनोद सिंह, उप समाचार संपादक संजय सिंह और उप समाचार संपादक संजय सिंह (पलामू वाले). इनमें विनोद सिंह को मेरठ यूनिट भेजा गया है. संजय सिंह को रांची से धनबाद जाने के लिए कह दिया गया है. जबकि संजय सिंह पलामू वाले को देहरादून भेजा गया है. इन लोगों को तत्काल संबंधित यूनिटों में रिपोर्ट करने को कहा गया है. इस तबादला आदेश से आफिस में खलबली मची हुई है. लोग घबराए हुए हैं.

डरे हुए हैं कि कहीं उनकी बारी न आ जाए. तबादला आदेश पर 8 जुलाई की देर रात मुहर लगी है. उधर, इस तबादले को जातीय नजरिए से भी देखा जा रहा है. तीन गैर-ब्राह्मणों के तबादले को रांची यूनिट में ब्राह्मणवाद के पैर को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से की गई कार्यवाही बताया जा रहा है. एक जमाने में जब हरिनारायण सिंह रांची के संपादक हुआ करते थे तो इस यूनिट पर क्षत्रियवाद के आरोप यदा-कदा लगते रहे हैं.

अब अशोक पांडेय के आने के बाद गैर-ब्राह्रण पत्रकार परेशान हैं और मान रहे हैं कि तीन क्षत्रियों के तबादले के बाद बाकी गैर-ब्राह्रणों पर कभी भी गाज गिराई जा सकती है या उन्हें साइडलाइन किया जा सकता है. वैसे भी मीडिया में सवर्णों, खासकर ब्राह्मणों के भरे होने के किस्से, खबरें, चर्चाएं आदि समय-समय पर होती रहती हैं. रांची यूनिट में अचानक तीन गैर-ब्राह्मणों का एकसाथ तबादला कर दिए जाने के बाद पान-चाय की दुकानों पर खड़े होकर विश्लेषण करने वाले मीडिया विश्लेषक इसे जातीय नजरिए के आधार पर देखकर विश्लेषित कर रहे हैं और कुछ तो संपादक अशोक पांडेय के ब्राह्मण प्रेम के अतीत के किस्से पता करते अपने अगल-बगल वालों को सुना रहे हैं.

वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि जिन लोगों का तबादला किया गया है, उनके बारे में हिंदुस्तान प्रबंधन को सूचना मिली थी कि ये लोग भास्कर प्रबंधन से संपर्क में हैं और जल्द ही हिंदुस्तान से इस्तीफा दे सकते हैं, इसलिए तबादला किया गया. पर दूसरी तरफ, तबादले के शिकार लोगों के करीबियों का कहना है कि भास्कर वालों ने तो हर हिंदुस्तानी से संपर्क साधा था, तो क्या इस आधार पर हर किसी का तबादला नहीं कर देना चाहिए, केवल तीन को ही क्यों निशाना बनाया गया, और उन्हीं तीन को निशाना बनाया गया जो ब्राह्मण नहीं थे. फिलहाल, हिंदुस्तान, रांची में कार्यरत लोग इन तीन तबादलों को अपने-अपने तरीके से व्याख्यायित करने में जुटे हुए हैं.

Comments (5)Add Comment
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written by ak mishra, July 09, 2010
dikha koi apno ko apna samajhne wala. pandey ji ko mera slam
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written by prashant kumaar, July 09, 2010
Mere Bhai, Harinarayan Singh ne kabhi jaativadita nahi ki. Unhone sirf work culture ko pechana.Jab kabhi compter operator ki kami hui unhone khud matter ko compose kya. Hai koi mail ka lal aisa sampadak.Unhone logon ko samjhya ki ek sampadak bhi operator ka kaam kar sakta hai. Unka kad chota tha par unki unchai ko koi nahi maap sakta. Jab bhi kisi ne naraz hokar apna tyagpatra saunpa unhonein use apni jeb rakhar phir se kaam karne ke liye kaha.Kabhi kisi ko naukri se nahi nikala.Aaj to sampadak har baat par logon ko naukri se nikalne ki dhamki detein hai lekin Harinaraya Ji ne logon ko sirf thik se kaam karne ke liye kaha.Wo to shai mein HARI aur NARAYAN hain.
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written by vijaya, July 09, 2010
khabar achhi hai par heading thik nahi . heading me jyada jatiyatabad dikhta hai. sanjog bhi to ho sakta hai ki tino singh hi hain
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written by Sarla, July 09, 2010
Ashok Panday ji jo bhi kar rahe hai mere hisab sey woh apni team bana rahey hai jo her sampadak aur har leader karta hai ab issey jatiwaad ka rag diya ja raha hai jo achhi baat nahi hai
Hamey her cheeze ko negative nahi dekhna chaiye
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written by Sunil kaushik kanina, July 09, 2010
Mere Vichar se tabadlon ko kewal jatiye najariye se dekhna buri bat hai. ye prabhandhan ka hissa hai.Media men sabhi jatiyan kam ker rahi hain. Kam men jati nahin Yogyata mayne rakhti hai.
Sunil kaushik kanina(Haryana)

नागपुर पुलिस का डंडा और पत्रकारिता

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: सच के पक्ष में आएं पुलिस आयुक्त : प्रेस, पुलिस, पब्लिक के बीच परस्पर सामंजस्य को कानून-व्यवस्था के लिए आवश्यक मानने वाले आज निराश हैं। दुखी हैं कि इस अवधारणा की बखिया उधेड़ी गई कानून-व्यवस्था लागू करने की जिम्मेदार पुलिस के द्वारा! ऐसा नहीं होना चाहिए था। मैं मजबूर हूं अपने इस मंतव्य के लिए कि सोमवार 5 जुलाई को भारत बंद के दौरान नागपुर पुलिस ने अमर्यादा का जो नंगा नाच दिखाया उससे पूरा पुलिस महकमा विवेकहीन, अनुशासनहीन दिखने लगा है। दो दशक बाद नागपुर पुलिस का डंडा कर्तव्यनिर्वाह कर रहे पत्रकारों पर पड़ा।

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जार्ज, जया और लैला... तमाशा जारी है....

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:  पिंजड़े में बूढ़े 'शेर' की सूनी आंखें! :  कई बार वक्त ऐसा त्रासद मोड़ लेता है कि दहाड़ लगाने वाला शेर भी 'म्याऊं-म्याऊं' बोलने के लिए मजबूर हो जाता है। जब कभी ऐसे मुहावरे किसी की जिंदगी के यथार्थ बनने लगते हैं, तो उलट-फेर होते हुए देर नहीं लगती। शायद ऐसा ही बहुत कुछ स्वनाम धन्य जार्ज फर्नांडीस की जिंदगी में इन दिनों घट रहा है। इमरजेंसी के दौर में शेर कहे जाने वाले इस शख्स को लेकर 'अपने' ही फूहड़ खींचतान में जुट गए हैं। अल्जाइमर्स और पार्किंसन जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे जार्ज एकदम लाचार हालत में हैं। जो कुछ उनके आसपास हो रहा है, उसका कुछ-कुछ अहसास उन्हें जरूर है। इसका दर्द उनकी सूनी-सूनी आंखों में अच्छी तरह पढ़ा भी जा सकता है।

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खबर बनाते हुए सुनाने की आदत

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: भाग 25 : पलाश दादा अपनी प्रखरता से जल्द ही पूरे संपादकीय विभाग पर छा गये। उनकी कई खूबियां थीं। पढ़ते बहुत थे। जन सरोकारों से उद्वेलित रहते थे। जुनूनी थे। सिस्टम से भिडऩे को हमेशा तैयार रहते। शोषितों-वंचितों की खबरों पर उनकी भरपूर नजर रहती। उनके अंग्रेजी ज्ञान से नये पत्रकार बहुत आतंकित रहते थे। बोऊदी (सविता भाभी) की शिकायत रहती कि उनकी तनखा का एक बड़ा हिस्सा अखबारों-पत्रिकाओं-किताबों पर ही खर्च हो जाता है। पलाश दा के संघर्ष के दिन थे वे। नया शहर, नया परिवेश, मामूली तनखा और ढेर सारा काम। पर उन्होंने कभी काम से जी नहीं चुराया। वे पहले पेज के इंचार्ज हुआ करते थे। उनके साथ नरनारायण गोयल, राकेश कुमार और सुनील पांडे काम करते थे। इनमें से कोई एक डे शिफ्ट में होता। वह अंदर का देश-विदेश का पेज देखता। उनके साथ होता कोई नया उपसंपादक।

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मीडिया को रोक रहे हैं पुलिस व नक्सली

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पुलिस और नक्सली, दोनों अब मीडिया पर शिकंजा कसने में लगे हैं. इसकी बानगी छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में औड़ाई में हुई नक्सली घटना के बाद देखने को मिली. वहां मीडियाकर्मियों को जाने से रोक दिया. एक तरफ तो नक्सलियों का तालिबानी चेहरा साफ नजर आ रहा है दूसरी ओर पुलिस ने भी मीडियाकर्मियों को रोक कर अपने अलोकतांत्रिक चेहरे का दर्शन कराया है.

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फिर लौटेंगे छोटे से ब्रेक के बाद

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कई बार लगने लगता है कि चीजें यूं ही चलती चली जा रही हैं, बिना सोचे-विचारे. तब रुकना पड़ता है. ठहरना पड़ता है. सोचना पड़ता है. भड़ास4मीडिया को लेकर भी ऐसा ही है. करीब डेढ़-दो महीने पहले भड़ास4मीडिया के दो साल पूरे हुए, चुपचाप. कोई मकसद, मतलब नहीं समझ आ रहा था दो साल पूरे होने पर कुछ खास लिखने-बताने-करने के लिए. पर कुछ सवाल जरूर थे, जिसे दिमाग में स्टोर किए हुए आगे बढ़ते रहे, चलते रहे. पर कुछ महीनों से लगने लगा है कि जैसे चीजें चल रही हैं भड़ास4मीडिया पर, वैसे न चल पाएंगी. सिर्फ 'मीडिया मीडिया' करके, कहके, गरियाके कुछ खास नहीं हो सकता. बहुत सारे अन्य सवाल भी हैं.

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आरु तन्ग पदक्कम वेल्लुवदर्कु नन्द्री...

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नौनिहाल शर्मा: भाग 24 : मेरठ में अखिल भारतीय ग्रामीण स्कूली खेल हुए, तो मेरे लिए वह मेरठ में सबसे बड़ा खेल आयोजन था। एक हफ्ते चले इन खेलों की मैंने जबरदस्त रिपोर्टिंग की। मैं सुबह आठ बजे स्टेडियम पहुंच जाता। चार बजे तक वहां रहकर रिपोर्टिंग करता। वहां से दफ्तर जाकर पहले दूसरे खेलों की खबरें बनाता। फिर मेरठ की खबरें। सात बजे तक यह काम पूरा करके फिर स्टेडियम जाता। लेटेस्ट रिपोर्ट लेकर आठ बजे दफ्तर लौटता। इन खेलों की खबरें अपडेट करता। पेज बनवाकर रात 11 बजे घर पहुंचता।

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लाइबेरिया - सोमालिया सा भारतीय मीडिया

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हाल ही में मैंने अलग-अलग संस्थानों से आए 500 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की एक सभा को संबोधित किया। उनसे जब यह पूछा गया कि उनमें से कितने मीडिया (प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक) का भरोसा करते हैं तो इसके जवाब में दस से भी कम हाथ उठे। अगर यह सवाल अस्सी के दशक में पूछा जाता तो ज्यादा हाथ उठते। उस समय अखबारों के सरकुलेशन की तुलना में उनकी पाठकों की संख्या का जिक्र किया जाता था। पाठकों की संख्या सरकुलेशन यानी प्रसार से छह गुना ज्यादा होती थी। आज की तारीख में सरकुलेशन बढ़ी और अखबारों की बिक्री भी।

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सेठजी, मीडिया ना बन जाइए

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Alok Tomar : करोड़ों रुपये फूकेंगे पर लाभ चवन्नी का ना मिलेगा : यकीन न हो तो मीडिया के इस इतिहास को पढ़िए : टीवी चैनलों की दुनिया में इतनी भीड़ हो गई है कि उसका हिसाब नहीं। जिसके पास जिस धंधे से दस बारह करोड़ रुपए बचते हैं, टीवी चैनल खोल देता है। एक साहब ने तो बाकायदा उड़ीसा में चिट फंड घोटाला कर के मुंबई का एक चलता हुआ टीवी चैनल हथियाने की कोशिश की मगर सफल नहीं हुए।

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भारतीय मीडिया

राममोहन पाठक व उनके पुत्रों पर मुकदमा

राममोहन पाठक व उनके पुत्रों पर मुकदमा

: चेतगंज थाने में मूर्ति चोरी की एफआईआर दर्ज : महामना मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के प्रोफेसर राम मोहन पाठक, उनके सगे बड़े पुत्र अमितांशु पाठक (आलोक मेहता के सम्पादकत्व में निकल रही नई दुनिया के वाराणसी संवाददाता), छोटे पुत्र किंशु पाठक के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। न्यायालय के आदेश पर वाराणसी के चेतगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया।

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मुझे मेरे डेस्क इंचार्ज से बचाओ!

: वरना जान दे दूंगा : ईटीवी के पत्रकार की दास्तान : ईटीवी, हैदराबाद में कार्यरत एक कापी राइटर इन दिनों बेहद परेशान है. उसे शिकायत अपने डेस्क इंचार्ज से है. डेस्क इंचार्ज उसे आफिस का काम कम, उनके घर का काम ज्यादा करने के लिए कहते हैं. ऐसा न करने पर प्रमोशन रोकने व नौकरी से हटा देने की धमकी देते हैं. पीड़ित पत्रकार ने इस बात की शिकायत जब मैनेजमेंट से की तो बजाय डेस्क इंचार्ज पर कोई एक्शन लेने के, पीड़ित पत्रकार को ही आफिस न आने के लिए कह दिया गया. अब यह पत्रकार न्याय के लिए विभिन्न संस्थाओं के पास जाकर गुहार लगा रहा है.

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नागपुर पुलिस का डंडा और पत्रकारिता

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रिटायर हो गए वीरेनदा

रिटायर हो गए वीरेनदा

वीरेन डंगवाल उर्फ वीरेनदा बरेली कालेज से रिटायर हो गए. 30 जून का दिन वीरेन डंगवाल के लिए कई मायनों में न भूलने वाला रहा. एक तो यह कि उनका उनके प्यारे बरेली कालेज से कई दशकों का सीधा नाता टूट गया. अब भावनात्मक रिश्ता ही रहेगा. और, इसी 30 जून के दिन वीरेन दा ने अपने शहर बरेली में पहली बार कविता पाठ किया. गर्मी की छुट्टियों के कारण 30 जून को बरेली कालेज बंद रहा, सो, वीरेन डंगवाल के रिटायरमेंट पर कोई आयोजन नहीं किया जा सका.

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सहारा के कारपोरेट अफेयर्स & पीआर नवीन देखेंगे

सहारा के कारपोरेट अफेयर्स & पीआर नवीन देखेंगे

: पंकज गर्ग रेडियो छोड़ अध्यापन की ओर मुड़े :  भड़ास4मीडिया को एक मेल के जरिए सूचित किया गया है कि... ''सहारा इंडिया ग्रुप के आतंरिक कोर ग्रुप के सदस्य और सहारा इंडिया ग्रुप के अध्यक्ष व मैनेजिंग वर्कर सुब्रत रॉय सहारा के करीबी नवीन सिंह को सहारा इंडिया ग्रुप के कॉरपोरेट अफेयर्स तथा जन संपर्क का सर्वे-सर्वा बनाया गया है. सूत्रों के मुताबिक नवीन सिंह पिछले 15 सालों से सहारा ग्रुप से जुड़े हुए हैं और सुब्रत रॉय सहारा के सबसे विश्वसनीय लोगों में से एक माने जाते हैं.

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गुजर गईं शांताजी

गुजर गईं शांताजी

रायपुर। प्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय गजानन माधव मुक्तिबोध की पत्नी श्रीमती शांता मुक्तिबोध का निधन गुरुवार रात हो गया। उनकी उम्र 88 वर्ष थी। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रही थीं। शुक्रवार सुबह 11 बजे उनका अंतिम संस्कार रायपुर के देवेंद्र नगर श्मशानघाट में किया गया। वे रमेश, दिवाकर, गिरीश व दिलीप मुक्तिबोध की माता थीं। उन्हें मुखाग्नि उनके कनिष्ठ पुत्र गिरीश मुक्तिबोध ने दी। उनके अंतिम संस्कार के मौके पर कई जाने-माने लोग, बुद्धिजीवी, साहित्यकार आदि मौजूद थे।

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'ब्राह्मण' संपादक ने 'क्षत्रिय' पत्रकार भगाए!

रांची से खबर है कि हिंदुस्तान के संपादक अशोक पांडेय ने तीन पत्रकारों का तबादला दूरदराज की यूनिटों में कर दिया है. इनके नाम हैं वरीय सब एडिटर विनोद सिंह, उप समाचार संपादक संजय सिंह और उप समाचार संपादक संजय सिंह (पलामू वाले). इनमें विनोद सिंह को मेरठ यूनिट भेजा गया है. संजय सिंह को रांची से धनबाद जाने के लिए कह दिया गया है. जबकि संजय सिंह पलामू वाले को देहरादून भेजा गया है. इन लोगों को तत्काल संबंधित यूनिटों में रिपोर्ट करने को कहा गया है. इस तबादला आदेश से आफिस में खलबली मची हुई है. लोग घबराए हुए हैं.

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मुस्लिमों को कट्टर बताने वाला सर्वे रोको

: जेयूसीएस ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को ज्ञापन सौंपकर की मांग : जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसायटी ने एक निजी कम्पनी की ओर से युवा मुस्लिम धर्मगुरुओं के बीच किए जा रहे उस सर्वे का विरोध किया है, जिसमें मुस्लमानों की छवि को राष्ट्ररोधी और कट्टरपंथी के रूप में पेश करने की कोशिश की जा रही है। संगठन ने मंगलवार को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष शफी कुरैशी को इस संबंध में ज्ञापन सौंपकर पूरे मामले हस्तक्षेप की मांग की। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन ने पूरे तथ्य में कार्रवाई का आवाश्वसन दिया है।

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'रमन सिंह सुरक्षित, छत्तीसगढ़ सुरक्षित'

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: पत्रकार के हमलावरों को न पकड़े जाने से खफा मीडियाकर्मियों ने धरना-प्रदर्शन शुरू किया :  कुछ दिनों पूर्व राजनांदगांव के पत्रकार और दैनिक 'दावा' के संपादक सूरज बुद्धदेव पर हुए जानलेवा हमले के बाद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं होता देख जिलेभर के पत्रकारों ने आंदोलन शुरू कर दिया है।

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प्रसिद्धि की इच्छा नहीं थी अग्निहोत्रीजी में

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: श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ पत्रकार राजनाथ सिंह 'सूर्य' ने कहा : ''राम शंकर अग्निहोत्री जी आत्मलोपी स्वभाव के थे। वे बिना चर्चा में आये काम करते रहे।'' यह कहना है वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य श्री राजनाथ सिंह 'सूर्य' का। श्री सूर्य विश्व संवाद केन्द्र, लखनऊ में श्री राम शंकर अग्निहोत्री जी की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बोल रहे थे।

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पी7न्यूज प्रबंधन ने निर्मलेंदु से लिया इस्तीफा

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: पी7न्यूज प्रबंधन में सत्ता संघर्ष जारी : शिकार हो रहे हैं यहां काम करने वाले पत्रकार : कई लोगों को ज्वायनिंग लेटर देकर ज्वाइन नहीं कराया गया : ज्योति नारायण के करीबियों पर गिर रही है गाज : पी7न्यूज से खबर है कि एसोसिएट एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर पद पर कार्यरत निर्मलेंदु साहा से प्रबंधन ने इस्तीफा ले लिया है. सूत्रों के मुताबिक निर्मलेंदु की बलि प्रबंधन के आंतरिक सत्ता संघर्ष का नतीजा है. निर्मलेंदु से इस्तीफा एचआर के लोगों ने लिया.

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मित्तल बंधुओं को 'वीओआई' सौंपेंगे अमित!

: वीओआई के एकाउंटेंट आलोक शुक्ला ने अमित सिन्हा के खिलाफ पुलिस में शिकायत की : वायस आफ इंडिया उर्फ वीओआई के संबंध में खबर है कि इस न्यूज चैनल के संचालन का अधिकार एक बार फिर त्रिवेणी मीडिया को मिलने वाला है. त्रिवेणी मीडिया से जुड़े उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि अमित सिन्हा की कंपनी सर्चलाइट मूवीज ने सुमित मित्तल और मधुर मित्तल की कंपनी त्रिवेणी मीडिया से वीओआई के संचालन का अधिकार कई शर्तों के साथ हासिल किया था. इन शर्तों में हर माह एक निश्चित रकम मित्तल बंधुओं को देना भी शामिल था.

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भास्कर की लांचिंग पर छाए काले बादल

: संजय अग्रवाल कोर्ट से स्टे लाए : आरएनआई में आपत्ति खारिज हो गई थी : आरएनआई के खिलाफ कोर्ट गए थे संजय : दैनिक भास्कर, रांची व जमशेदपुर में लांचिंग पर फिर काले बादल मंडराने लगे हैं. अभी-अभी खबर मिली है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने आरएनआई के उस आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है जिसमें आरएनआई ने भास्कर की रांची व जमशेदपुर में लांचिंग को ओके कर दिया था और लांचिंग रोकने संबंधी आब्जेक्शन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि पीआरबी एक्ट में उल्लखित आधारों पर लांचिंग रोकने संबंधी कोई नियम नहीं है.

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संपादक से परेशान तीन पत्रकारों ने प्रभात खबर छोड़ा

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स्टार न्यूज के डिप्टी ईपी संतोष जाएंगे सहारा

सूचना आ रही है कि स्टार न्यूज के डिप्टी एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर संतोष राज न...

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जार्ज, जया और लैला... तमाशा जारी है....

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इंटरव्यू : हृदयनाथ मंगेशकर (मशहूर संगीतकार) : मास एक-एक सीढ़ी नीचे लाने लगता है : जीवन में जो भी संघर्ष किया सिर्फ ज़िंदगी चलाने के लिए किया, संगीत के लिए नहीं : आदमी को पता चलता ही नहीं, सहज हो जाना : बड़ी कला सहज ही हो जाती है, सो...

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