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Saturday, June 5, 2010

भारतीय मीडिया

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नोएडा में बनेगा कांशीराम प्रेस क्लब

नोएडा : माननीय कांशीराम प्रेस क्लब ट्रस्ट यहां प्रेस क्लब के निर्माण के अपने संकल्प को जल्दी ही मूर्त रूप प्रदान करेगा। ट्रस्ट ने प्रस्तावित क्लब के निर्माण के लिए भूमि हासिल कर ली है। यह जानकारी ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेन्द्र भाटी ने राष्ट्रीय पत्रकार कल्याण ट्रस्ट और यू.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन की संयुक्त बैठक में दी। श्री भाटी ने इस बात पर खेद जताया कि स्थानीय विकास प्राधिकरण ने प्रेस क्लब की उत्कट आवश्यकता को पूरा करने की लगातार उपेक्षा की है, जबकि पिछले दशक मे नोएडा प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया का राष्ट्रीय केन्द्र बन चुका है।

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'लोकमत' से खफा हैं 'लोकसत्ता' के संपादक

इंडियन एक्सप्रेस समूह के मुंबई से प्रकाशित होने वाले मराठी अखबार 'लोकसत्ता' के मुख्य संपादक कुमार केतकर इन दिनों एक अन्य अखबार से काफी खफा हैं. इसकी वजह यह है कि उनके प्रतिस्पर्धी अखबार 'लोकमत' ने केतकर के बारे में एक खबर प्रकाशित कर दी. इस खबर में कहा गया है कि कांग्रेस की ओर से राज्यसभा टिकट पाने के लिए कुमार केतकर भी प्रयासरत हैं. इसी खबर के आधार पर मुंबई के अंग्रेजी दैनिक 'फ्री प्रेस जर्नल' ने भी रविवार को पहले पन्ने पर यह खबर प्रकाशित कर डाली. फिर क्या, कुमार केतकर खफा हो गए और उन्होंने एक पेज का स्पष्टीकरण जारी कर डाला.

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राजेश, अखलाक व आशुतोष टाइम न्यूज में

राजेश सीओओ, अखलाक एमई और आशुतोष चीफ एडिटर बनाए गए : फोकस की निशा भी पहुंची : हाल ही में नोएडा शिफ्ट हुए टाइम न्यूज़ (रफ्तार न्यूज) के बड़े पदों के लिए भर्ती हो गई है। टाइम न्यूज़ के सीओओ पद पर राजेश कुमार और मैनेजिंग एडिटर पद पर अख़लाक़ उस्मानी की नियुक्ति कर दी गई है। माना जा रहा है कि सीईओ और एडिटर इन चीफ़ के पद पर आशुतोष पाठक की जल्द ही नियुक्ति हो जाएगी। चैनल के मैनेजिंग डायरेक्टर गौरव कुमार सिंह ने बताया कि प्रभात ख़बर के चीफ़ मार्केटिंग आफ़िसर और लाइव इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट रहे राजेश कुमार ने टाइम न्यूज़ ज्वाइन कर लिया है।

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''लगता है हमारा संवाददाता टूट गया है''

टीपी ही खा जाते हैं एंकर और कभी-कभी तो कुछ ऐसा बोल जाते हैं कि लोग बस सिर पकड़ लें. जी हां, एक न्यूज चैनल का न्यूज रूम इन दिनों काफी परेशान है. यूपी-उत्तराखंड के एक रीजनल न्यूज चैनल की कहानी है ये. इस चैनल में किसी के रन डाउन में अगर दो महिला एंकरों में से किसी का नंबर लग जाये तो उसकी बस आफत ही आ जाती है. उपर से बुलेटिन प्रोडूसर चिल्लाता है कि ये क्या हो हो रहा है. इधर इतनी देर में एंकर अर्थ का अनर्थ कर चुके होते हैं. बानगी देखिये....

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'ध्यान रखना, मैं बड़े अखबार का रिपोर्टर हूं'

यह खबर लखनऊ से मेल के जरिए कल आई. एक गैर-पत्रकार साथी ने आंखों देखे हाल को बयान किया है. कैसे दो पत्रकार आपस में सबके सामने भिड़ गए, इस दास्तान को इस ई-चिट्ठी के जरिए बयान किया गया है. आप खुद पढ़ लीजिए... ''Today in afternoon a scene broke out inside the room of OSD AC Sinha at Lucknow Nagar Nigam Lalbagh. Two reporters one from a big hindi daily and other from a small newspaper started fighting with each other in the presence of employees and other reporters. The fellow from the big newspaper was saying to the other reporter that how dare you called me up and asked about the routine news, dont call me again.

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झूठ बोला था, झूठ बोल रहे हैं

झूठ बोला था, झूठ बोल रहे हैं

आईपीएल नीलामी और शरद पवार से जुड़े सनसनीखेज नए खुलासे के बाद भी पवार का अपने पुराने कथन पर अडिग रहना चोरी और सीनाजोरी का शर्मनाक मंचन ही तो है! वैसे अब कोई किसी राजनीतिक (पालिटिशियन) से सच्चाई, ईमानदारी, नैतिकता की अपेक्षा भी नहीं करता। लेकिन जब देश के शासक बने बैठे ये लोग हर दिन बेशर्मी के साथ झूठ, बेइमानी, छल-फरेब के पाले में दिखें तब इन पर अंकुश तो लगाना ही होगा। अन्यथा एक दिन ये पूरे देश को ही नीलाम कर डालेंगे। अगर इन्हें बेलगाम छोड़ दिया गया तो ये देश के अस्तित्व के लिए ही खतरा बन जाएंगे।

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चीफ रिपोर्टर के पद पर कई जोड़ी नजरें थीं

चीफ रिपोर्टर के पद पर कई जोड़ी नजरें थीं

भाग 21 : मेरठ में जागरण के पहले छह महीने जमकर काम करने और अखबार को जमाने के रहे थे। लेकिन उसके बाद स्टाफ बढ़ा। अखबार का दायरा और रुतबा बढ़ा। इसके साथ ही बढ़े तनाव और मतभेद भी। काम का श्रेय लेने, दूसरों को डाउन करने और अपना पौवा फिट करने के दंद-फंद उभरे। भगवतजी सख्त प्रशासक थे। सबको काम में झोंके रखते थे। किसी को फालतू बात करने के लिए एंटरटेन नहीं करते थे। जो कह दिया, कह दिया। फिर उस पर कोई बहस नहीं। मंगलजी में सख्ती नहीं थी। उनका मिजाज अफसरी वाला भी नहीं था।

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माखनलाल : लाल ना रंगाऊं मैं हरी ना रंगाऊं

माखनलाल : लाल ना रंगाऊं मैं हरी ना रंगाऊं

सन 2001 की एक रात इस लेखक को तत्कालीन प्रधानमंत्री से साक्षात्कार का 'अवसर' मिला था. कैमरा टीम और पूरे ताम-झाम के साथ प्रधानमंत्री निवास पहुंच कर पहला सवाल पूछने से पहले ही नींद टूट गयी. लगा, सपने को सच करना चाहिए. पत्रकार बन जाना चाहिए. अखबार में माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय का विज्ञापन देखा तो दौड़ पड़ा सपना पूरा करने भोपाल. निम्न मध्यवर्गीय युवक का सपना. औसत विद्यार्थी का कुछ बड़ा सपना. एक दशक बीत जाने के बाद भी स्वप्न अधूरा है. लेकिन तबसे अब तक या उससे पहले भी इस संस्थान ने उत्तर भारतीय परिवारों से अपनी जेब में पुश्तैनी ज़मीन या घर के जेवरात बंधक रख कर लाये कुछ पैसे और सपने लेकर आने वालों को राह दिखाई है.

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माखनलाल में बिना प्रवेश परीक्षा प्रवेश!

कुलपति का तुगलकी फरमान : भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय इस मायने में अनूठा संस्थान रहा है कि एक तो ये अकेला पत्रकारिता को समर्पित विश्वविद्यालय है, और दूसरा कि यहां से निकले पत्रकार देसी खुशबू लिए होते हैं. उन्हें भाषा के साथ साथ आम आदमी के मुद्दों और सरोकारों की समझ होती है। वर्तिका नंदा के शब्दों में कहें तो यहां परीकथा के किरदार...गुड्डे और गुड़िया पढ़ने नहीं आते हैं जैसा कि दिल्ली स्थित संस्थानों में आपको मिलेगा।

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मैग्जीन लांच करेगा सनातन ग्रुप

मैग्जीन लांच करेगा सनातन ग्रुप

सनातन ग्रुप जल्द ही एक मैग्जीन लांच करने जा रहा है. यह पत्रिका भारतीय संस्कृति पर केंद्रित होगी. सनातन इंडिया नेटवर्किंग प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन आरपी सिंह ने बताया कि ग्रुप सनातन नामक आध्यात्मिक चैनल संचालित करता है जिसे 19 नवंबर 2009 को लांच किया गया. इस चैनल ने मात्र छह महीने की अल्पावधि में ही आध्यात्मिक चैनलों की अग्रिम पंक्ति में अपना स्थान बना लिया है.

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'नौटियालजी हिंदी पत्रकारिता के भीष्म पितामह'

नंदकिशोर नौटियाल पर 'समावर्तन' विशेषांक : 'समावर्तन' के संपादक प्रो. प्रभात कुमार भट्टाचार्य का सम्मान : उज्जैन से प्रकाशित 'समावर्तन' के संपादक प्रो. प्रभात कुमार भट्टाचार्य का सम्मान शनिवार, २९ मई, २०१० को मुंबई में संपन्न हुआ। अवसर था वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल के पत्रकारिता में योगदान पर प्रकाशित `समावर्तन' के विशेषांक का लोकार्पण। खचाखच भरे मुंबई के हिंदुस्तानी प्रचार सभा के सभागृह में मंच पर वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ सचदेव की अध्यक्षता में मुख्य वक्ता मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के रीडर डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय, हिंदुस्तानी प्रचार सभा की मानद् निदेशक डॉ. सुशीला गुप्ता व राजू पटेल विराजमान थे।

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श्रीकांत त्रिपाठी की फिर मजबूत हुई कद-काठी

पर्ल ग्रुप से खबर है कि वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत त्रिपाठी की पर्ल मीडिया के भीतर मुख्यधारा में वापसी हो गई है. सूत्रों के मुताबिक श्रीकांत को पर्ल के प्रिंट मीडिया के प्रोजेक्ट का ग्रुप एडिटर बनाया गया है. आज उन्होंने पर्ल मीडिया के नोएडा स्थित आफिस जाकर काम संभाल लिया. श्रीकांत त्रिपाठी की अगवानी निदेशक केसर सिंह समेत कई वरिष्ठ लोगों ने की. श्रीकांत त्रिपाठी की वापसी को ज्योति नारायण के अधिकारों में कटौती की चर्चाओं से ही जोड़कर देखा जा रहा है. श्रीकांत त्रिपाठी 'शुक्रवार', 'बिंदिया' और 'मनी मंत्रा' ग्जीन के ग्रुप एडिटर हुआ करते थे. बाद में उन्हें इन मैग्जीनों से हटा दिया गया था.

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पद से हटने की खबर सच नहीं : शोभना

यशवंत जी, आपके पोर्टल में कल मेरे बारे में प्रकाशित समाचार "शोभना जैन को प्रबंधन ने हटाने का मन बना लिया है" - पर आज मेरा पक्ष जानने के लिये प्रयास किया गया, इसके लिए धन्यवाद. अच्छा होता कि कल यह इकतरफा खबर देने से पहले आप मेरा या प्रबंधन का भी पक्ष जान लेते. खैर! मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं, मेरे यूनीवार्ता के ब्यूरो प्रमुख से हटने की खबर पूरी तरह से तथ्यों से परे है और प्रबंधन ने ऐसा कोई भी लिखित आदेश जारी नहीं किया है. कुछ अस्थाई प्रशासनिक व्यवस्था की गयी है जिसका पद से हटाने का कोई सम्बंध नहीं है.

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दो अखबारों की गर्दन मरोड़ दी

एक देश का, दूसरा विदेश का : एक ने गलत कैप्शन छापा, दूसरे ने सरकार की पोल खोली : वजह चाहें जो भी हो, लेकिन भुगतना पड़ा है दो अखबारों और इनमें कार्यरत कर्मियों को. जम्मू-कश्मीर के एक अखबार को इसलिए बंद करा दिया गया क्योंकि सोनिया गांधी की तस्वीर के नीचे घटिया किस्म का कैप्शन लगा दिया गया था. सोनिया की यह तस्वीर जम्मू-कश्मीर के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज के साथ 30 मई को प्रकाशित हुई. इसी तस्वीर पर आपत्तिजनक-अपमानजनक कैप्शन लगाकर अखबार पब्लिश करा दिया गया था.

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अखबार बिक्री के लिए क्रिकेट का सहारा

शाहजहांपुर के नगर खुटार में 'हिन्दुस्तान क्रिकेट कप 2010' के नाम से अंतर्जन...

अल्केश का इस्तीफा, उपमिता चलीं जम्मू

भड़ास4मीडिया तक मेल के जरिए दो सूचनाएं पहुंचाई गई हैं. पहली सूचना बरेली से ...

'लोकमत' से खफा हैं 'लोकसत्ता' के संपादक

इंडियन एक्सप्रेस समूह के मुंबई से प्रकाशित होने वाले मराठी अखबार 'लोकसत्ता'...

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यहां हर हफ्ते उड़ती है पैसे बढ़ने की अफवाह

निर्मल्या ने ईटीवी छोड़कर जी ज्वाइन किया : सभी मीडिया समूहों में इन्क्रीमेंट...

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झूठ बोला था, झूठ बोल रहे हैं

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चीफ रिपोर्टर के पद पर कई जोड़ी नजरें थीं

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भाग 21 : मेरठ में जागरण के पहले छह महीने जमकर काम करने और अखबार को जमाने के रहे थे। लेकिन उसके बाद स्टाफ बढ़ा। अखबार का दायरा और रुतबा बढ़ा। इसके साथ ही बढ़े तनाव और मतभेद भी। काम का श्रेय लेने, दूसरों को डाउन करने और अपना पौव...

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मेरे को मास नहीं मानता, यह अच्छा है

मेरे को मास नहीं मानता, यह अच्छा है

इंटरव्यू : हृदयनाथ मंगेशकर (मशहूर संगीतकार) : मास एक-एक सीढ़ी नीचे लाने लगता है : जीवन में जो भी संघर्ष किया सिर्फ ज़िंदगी चलाने के लिए किया, संगीत के लिए नहीं : आदमी को पता चलता ही नहीं, सहज हो जाना : बड़ी कला सहज ही हो जाती है, सो...

केवल कलम चलाने गाल बजाने से कुछ न होगा

केवल कलम चलाने गाल बजाने से कुछ न होगा

इंटरव्यू : मुकेश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार और निदेशक, मौर्य टीवी) : टेलीविज़न में ज़्यादातर काम करने वालों के पास न तो दृष्टि होती है न ज्ञान : 'सुबह सवेरे' की लोकप्रियता का आलम ये था कि हर दिन बोरों मे भरकर पत्र आते थे : सहारा प्रण...

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