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Tuesday, January 31, 2012

नक्सलियों को प्रेम की सजा, पहले नसबंदी तब शादी

uesday, 31 January 2012 15:48

कांकेर 31 जनवरी (एजेंसी) नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में जंगलों की खाक छान रहे नक्सलियों को प्रेम की भी सजा दी जाती है । नक्सली यहां प्रेम तो कर सकते हैं लेकिन अपना घर नहीं बसा सकते हैं । कांकेर जिले में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली कमांडरों के मुताबिक शादी से पहले ही उनकी जबरदस्ती नसबंदी कर दी जाती है । 
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सोमवार शाम वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने नक्सली नेताओं द्वारा उनके साथ किए जा रहे दुर्व्यहार के बारे में विस्तार से बताया । 
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली सदस्यों पूर्व बस्तर डिविजन कमेटी के सदस्य सुनील कुमार मतलाम ्र उसकी पत्नी और कोर कमेटी की कमांडर जैनी उर्फ जयंती ्र परतापुर क्षेत्र के जन मीलिशिया कमांडर रामदास ्र उनकी पत्नी पानीडोबिर :कोयलीबेड़ा : एलओएस की डिप्टी कमांडर सुशीला ्र सीतापुर :कोयलीबेड़ा:एलओएस के कमांडर जयलाल ्रउसकी पत्नी सीतापुर एलओएस की सदस्या आसमानी उर्फ सनाय और रावघाट में सक्रिय प्लाटून नम्बर 25 की सदस्य सामो मंडावी ने ''भाषा'' को अपनी आपबीती सुनायी । उन्होंने बताया कि जंगल में उनके साथ आंध्रप्रदेश के नक्सली नेता बुरा बर्ताव तो करते ही है साथ ही साथ उन्हें प्रेम करने की सजा भी दी जाती है । 
सुनील  31 वर्ष ने बताया कि तीन नक्सलियों ने अपनी पत्नी के साथ आत्मसमर्पण किया है तथा तीनों पुरूषों की शादी से पहले ही नसबंदी कर दी गई है । 
उसने बताया कि वह कांकेर जिले के आमाबेड़ा थाना क्षेत्र के फूफगांव का रहने वाला है । जब वह 17 साल का था तब नक्सली उसके गांव पहुंचे और उसे अपने साथ लेकर चले गए । नक्सलियों ने सुशील को प्रशिक्षण दिया और वह सक्रिय नक्सली सदस्य बन गया । इस दौरान वह कई वारदातों में शामिल रहा जिसमें कई पुलिसकर्मी शहीद भी हुए । 
सुनील ने बताया कि जब वह नक्सली सदस्य के रूप में काम कर रहा था तब उसे चेतना नाटय मंडल की कमांडर जैनी उर्फ जयंती कुरोटी के साथ काम करने का मौका मिला । जैनी से उसकी जान पहचान हुई और बाद में यह जान पहचान प्रेम में बदल गयी । जब सुनील और जैनी ने शादी कर अपना परिवार बसाना चाहा तब नक्सली नेताओं ने उसके प्रेम को स्वीकार कर लिया लेकिन उसे घर बसाने की इजाजत नहीं दी गई 

नक्सली नेताओं ने कहा कि जब सुनील नसबंदी करवा लेगा तभी उसे जैनी के साथ शादी करने की इजाजत दी जाएगी । जैनी को पाने के लिए सुनील ने ऐसा ही किया । जंगल में ही उसकी नसबंदी कर दी गई । अब सुनील मुख्यधारा में शामिल होकर अच्छी जिंदगी जीना चाहता है । वह चाहता है कि वह फिर से आपरेशन करवाए तथा अपना घर बसा सके । 
यही स्थिति रामदास और जयलाल की भी है । उन्हें भी प्रेम करने की इजाजत तो दी गई लेकिन जब शादी की बारी आई तब उनकी नसबंदी कर दी गई । 
सुनील ने बताया कि यह बर्ताव उन सभी नक्सलियों के साथ होता है जिन्हें जंगल में किसी महिला नक्सली से प्रेम हो जाता है और वह उससे शादी करना चाहता है । नक्सलियों की यहां शादी केवल नसबंदी कराने की शर्त पर ही हो पाती है । यदि कोई सदस्य इससे मना करता है तब पहले उसे खूब प्रताड़ित किया जाता है और जबरदस्ती उसकी नसबंदी कर दी जाती है । 
उसने बताया कि जंगल में नसबंदी करने के लिए पश्चिम बंगाल से डाक्टरों को यहां बुलाया जाता है । इस आपरेशन के बाद कई नक्सली गंभीर रूप से बीमार भी हो जाते हैं । यहां कई नक्सली ऐसे हैं जिनकी जबरदस्ती नसबंदी कर दी गई है और वे सामने आने से डरते हैं । 
सुनील ने बताया कि नक्सली नेताओं का मानना है कि एक बार शादी हो गयी और बाल बच्चे हुए तब नक्सली सदस्य उस बच्चे के अच्छे लालन पालन के लिए घर लौट सकते हैं और उनका आंदोलन खतरे में पड़ जाएगा । इससे बचने के लिए वह पहले पुरूषों की नसबंदी कर देते हैं । 
पुरूषों की ही नसबंदी करने के कारणों के बारे में पूछने पर सुनील ने बताया कि महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों की नसबंदी आसान होती है । 
इन कट्टर नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराने में मुख्य भूमिका निभाने वाले कांकेर के पुलिस अधीक्षक राहुल भगत कहते हैं कि पुलिस को इस बात की जानकारी लगातार मिल रही थी कि जंगल में पुरूष नक्सलियों की जबरदस्ती नसबंदी कर दी जाती है । 
पुलिस अधिकारी कहते हैं कि यदि नक्सली सदस्य साधारण जिंदगी जीने और बच्चे के लिए नसबंदी हटाना चाहते हैं तब पुलिस उनकी पूरी मदद करेगी और अपने खर्च पर उनका आपरेशन करवाएगी ।

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