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Tuesday, April 12, 2016

वैशाली डालमिया के हक में तृणमूल का चुनाव प्रचार करेंगे सौरभ गांगुली! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप


वैशाली डालमिया के हक में तृणमूल का चुनाव प्रचार करेंगे सौरभ गांगुली!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

वैशाली डालमिया के हक में तृणमूल का चुनाव प्रचार करेंगे सौरभ गांगुली।जाहिर है कि निरपेक्ष माने जाने वाले दादा के इस कदम को सत्ता से नत्थी हो जाना मान रहे हैं बंगाल में लोग।


सचिन तेंदुलकर के राज्यसभा सांसद बनने के बाद दादा को हमेशा लुभावने राजनीतिक प्रस्ताव मिले हैं और उनने हर बार बापि बाड़ी जा स्टाइल से छक्का दागकर राजनीति को अपने मैदान से बाहर किया है।अबकी दफा दादा धर्मसंकट में हैं।


Sourav Ganguly will take part in an exhibition match © IANS

Sourav Ganguly will take part in an exhibition match © IANS

Former India captain Sourav Ganguly, after a lot of ifs-and-buts, will now be seen campaigning forJagmohan Dalmiya's daughter Vaishali Dalmiya. Ganguly, who was known to be apolitical so far, will for the first time do something like this for family-friend Dalmiyas. Vaishali is the Trina Mool Congress (TMC) candidate contending from Bali, Howrah and Ganguly, taking out time from her busy schedule, will visit the polling campaign and lend his support to her. Apart from Ganguly, the cricketers of Bengal Ranji Team and stars from the Bengali film industry are expected to turn up for the event scheduled for Sunday.


जाहिर है कि देशभर के क्रिकेटप्रेमियों को एक जोर का झटका आहिस्ते से लगने वाला है।


देश विदेश सार्वभौमिक दादा का रंग भी बदलने जा रहा है।राजनीति ने लंबे अरसे से उन्हें दलदल में धकेलने की कोशिश की है लेकिन वे इससे बचते रहे हैं।हालांकि पूर्ववर्ती वाम जमाने में उनके मुख्यमंत्री से लेकर तमाम लोगों से मधुर संबंध रहे हैं।


अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी उनके संबंध बेहतर हैं।खासकर जगमोहन डालमिया के अवसान के बाद दीदी के ही हस्तक्षेप से दादा बंगाल क्रिकेट के सर्वेसर्वा बन गये ।


जगजाहिर है कि दिवंगत जगमोहन डालमियां से दादा के संबंध निजी संबंध की गहराइयों में थे।उन्हीं डालमियां की बेटी वैशाली डालमिया चुनाव मैदान में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर हावड़ा जिले के बाली से चुनाव लड़ रही हैं और निजी संबंध बेहतर निभाने वाले दादा के लिए वैशाली की मदद न करना असंभव है।


देखना तो यह है कि दादा क्या दूसरे चुनावक्षेत्रों में भी तृणमूल कांग्रेस का प्रचारक बनकर अवतरित होते है या नहीं।


इसवक्त दीदी को सत्ता में वापसी के लिए कांटे के मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है और दादा बंगाल के हर घर में लोकप्रिय है।कोलकाता और उपनगरों में वैशाली डालमियां के बहाने ही दादा के दीदी के समर्थन में सड़क पर उतरने का राजनीतिक नतीजा कहने की जरुरत नहीं है दीदी के लिए वरदान होगा।


गौरतलब है कि खून में प्रशासनिक कुशलता होने और गाइड के रूप में पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली जैसे मित्र के बल पर पूर्व और दिवंगत खेल प्रशासक जगमोहन डालमिया की बेटी वैशाली डालमिया ममता बनर्जी की तरह जन सेवक बनना चाहती हैं।

तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर पहली बार हावड़ा जिले के पड़ोसी बाली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहीं वैशाली ने कहा है, "मैं चौदह वर्ष की उम्र से ही सामाज सेवा कर रही हूं। राजनीति में आना मेरे लिए स्वाभाविक तरक्की है। इसके जरिए मुझको दूसरे स्तर की सामाजिक सेवा करने का अवसर मिलेगा।"

वैशाली ने जोर देकर कहा कि उनके पिता ने जीवन भर राजनेताओं को पसंद नहीं किया। लेकिन अगर वे आज जीवित होते तो न केवल खुश होते बल्कि उनका हौसला भी बढ़ाते।

पिता की छत्रछाया में पली बढ़ी वैशाली ने अब पारिवारिक व्यावसायिक विरासत को संभाल लिया है। वह दावा करती हैं कि उनमें पिता के सारे प्रशासनिक गुण हैं।

वैशाली कहती हैं, "आप कह सकते हैं कि मेरा यूएसपी है कि मैं ऐसे व्यक्ति की बेटी हूं जो प्रशासनिक योग्यता, कड़ी मेहनत और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे। वह कभी दरकिनार नहीं किए जा सके। ये सारे गुण मेरे जीन में हैं। और पिता की तरह ही मैं भी प्रतिकूल परिस्थिति से लड़ने की क्षमता मुझमें भी है। "

जब उनसे पूछा गया कि भव्य जीवन शैली में जीवन बिताने और राजनीति में नौसिखिया होने पर भी आपने बाली जैसे गरीब और ग्रामीण क्षेत्र को चुनाव लड़ने के लिए क्यों चुना तो उन्होंने कहा, "लोग मुझको वोट नहीं देंगे, बल्कि तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को वोट देंगे। ममता बनर्जी ने राज्य का कायाकल्प कर दिया है। सभी जिलों और सभी प्रखंडों में हुए विकास इसका जीता जागता सबूत है।"

वैशली ने कहा, "वह ममता बनर्जी हैं जिनके चलते मैंने राजनीति में आने को सोचा। वह जो वादा करती हैं उसे पूरा भी करती हैं। सबसे बड़ी बात है कि वह मानव होने में विश्वास करती हैं।"

डालमिया कहती हैं कि ममता बनर्जी लोगों की आवाज हैं। वह लोगों की शिकायतें सुनती हैं और उसका निवारण भी करती हैं। "यह दीदी का व्यक्तित्व है जिसका मैं अनुकरण करना चाहती हूं। "

उन्होंने कहा कि ममता दीदी के पद चिन्हों पर चलने की प्रेरणा मुझे किसी और से नहीं घनिष्ठ पारिवारिक मित्र पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली से मिली।

वैशाली कहती हैं, "राजनीतिक सफर पर हमलोगों की चर्चा हुई तो सौरव ने मुझे ममता दी के पद चिन्हों पर चलकर आमलोगों का आदमी बनने को कहा। उन्होंने मुझे आमलोगों के बीच जाकर उनकी समस्याएं से रू-ब-रू होने को कहा।"

डालमिया ने क्षेत्र में अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। वह घर-घर जाकर वोट मांग रही हैं। वह अपने क्षेत्र में एक क्रिकेट अकादमी स्थापित करना चाहती हैं। वह कहती हैं कि सौरव गांगुली भी उनके लिए चुनाव प्रचार करेंगे।

वैशाली को भरोसा है कि वह परिवार और राजनीति के बीच संतुलन बनाने में कामयाब रहेंगी। पिछले 2011 के विधानसभा चुनाव में बाली विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के सुल्तान सिंह 6000 मतों के अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहे थे।


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