Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Sunday, March 17, 2013

कागजों पर लगा दिये साढ़े तीन करोड़ पौधे

कागजों पर लगा दिये साढ़े तीन करोड़ पौधे


मनरेगा योजना में सवा अरब का घोटाला

एक ही स्थान पर 8 वर्षो से उगाये जा रहे पौधे, वास्तविक क्षेत्रफल से अधिक भूमि पर वृक्षारोपण, 7 वर्षों से हो रहा मजदूरों के नाम पर फर्जी भुगतान

बस्तर से देवशरण तिवारी 


छत्तीसगढ़. बस्तर जिले के तोकापाल तहसील में करीब सवा अरब रूपये की लागत से किये गये वृक्षारोपण की असलियत अब सामने आ चुकी है. बरसों से यहां पदस्थ तोकापाल जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की इस पूरे घोटाले में मुख्य भूमिका है. मनरेगा के तहत लगातर उन्हीं स्थानों पर वृक्षारोपण दिखाया गया है जहां पहले ही वृक्षारोपण किया जा चुका है. तोकापाल तहसील का कुल क्षेत्रफल 36551 हेक्टेयर है. इसमें से कृषि भूमि 2917 हेक्टेयर, वनक्षेत्र 1991 है और अन्य खातेदारों की भूमि, अमराई, आबादी जमीन छोटे बड़े झाड़ का जंगल सब मिलाकर कुल क्षेत्रफल 15734 हेक्टेयर है. लेकिन अधिकारियों ने इस भूमि पर भी वृक्षारोप ण दर्शाकर इस शासकीय योजना का बंटाधार कर दिया है.

mnerga-scam-jagdalpur
मनरेगा महाघोटाला का एक नमूना

मुख्य रूप से मनरेगा के तहत हुए इस घोटाले के उजागर होने के बाद यह माना जा रहा है कि यह बस्तर जिले का अब तक सबसे बड़ा घोटाला है. पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने पूरे दस्तावेजों के साथ मामले की शिकायत केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से की है. 

तोकापाल तहसील में 2004-05 से 2012-13 के बीच 1 अरब 22 करोड़ 62 लाख की लागत से 3 करोड़ 50 लाख 55 हजार पौधे 31444.5 हेक्टर भूमि पर लगाये जाने का दावा कि या जा रहा है. कृषि विभाग, वन विभाग, उद्यान विभाग और स्वयं सेवी संस्थानों द्वारा एक ही जगह पर हर वर्ष वृक्षारोपण करते-करते स्थिति यह हो चुकी है कि यह वृक्षारोपण उपलब्ध कुल भूमि से भी अधिक क्षेत्रफल पर दर्शा दिया गया है. 

इस कागजी वृक्षारोपण में 68 करोड़ 42 लाख रूपयें की लागत से एक करोड़ पचास लाख पाधों का रोपण 16498 हेक्टेयर भूमि पर तोकापाल जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा करवाया गया है. शेष कार्य एक एनजीओ, वन, कृषि तथा उद्यान विभाग द्वारा करवाया गया है. मनरेगा के तहत मिली वाटर शेड मोरठपाल, जाटम, उड़वा, मेटावाड़ा तथा करंजी ग्रामों में सर्वाधिक गड़बड़ी की गई है. अन्य विभागों तथा एनजीओ के द्वारा किये गये वृक्षोरोपण को भी जनपद द्वारा किया बताया गया है. 

उक्त ग्रामों में जनपद द्वारा 2004 से 2013 तक 29960.48 एकड़ में 150.10 लाख पौधे, माता रूक्मणी सेवा संस्थान एवं मिली वाटर शेड रानसगीपाल द्वारा 10023.13 एकड़ में 70.25 लाख पौधे और अन्य विभाग एवं नव जागृति संस्थान तथा मिली वाटर शेड पामेला द्वारा 15114.94 एकड़ भूमि पर 85.30 लाख पौधों के वृक्षारोपण का फर्जी दावा किया जा रहा है. इस पूरे रोपणी का क्षेत्रफल कागजों में 55098.55 एकड़ है जबकि वास्तविक रूप से यहां का समूचा क्षेत्रफल मात्र 52398 एकड़ ही है. 

वास्तविक भूमि से अधिक क्षेत्रफल पर वृक्षारोपण दर्शाकर जनपद पंचायत के अधिकारी खुद मुसीबत में फंस चुके है. उपरोक्त वर्णित ग्रामों में हर वर्ष लगातार फर्जी प्लांटेशन कर करोड़ों की हेराफेरी की जा रही है. उदाहरण के तौर पर ग्राम करंजी में 2008 से 2013 तक कुल 3539 एकड़ भूमि पर वृक्षारोपण किये जाने के दावे किये गये है जबकि इस गांव में सिर्फ 2350.30 एकड़ भूमि है. इस प्रकार यहां भी लगभग दुगुनी जमीन पर पौधे लगाने की बात कही जा रही है. यदि मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोपित वृक्षों के क्षय होने या मरने का बहाना बनाते है, तो यह आंकडा 30 से 35 प्रतिशत तक पहुंच जाता है. 

पहले ही उनके द्वारा 4 प्रतिशत वृक्ष मृत्यु दर का आंकड़ा प्रस्तुत किया जा चुका है. उनके द्वारा बचाव के इस रास्ते को पहले ही बंद किया जा चुका है. इस पूरे प्रकरण की जब सूक्ष्मता से जांच की गई तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये. मनरेगा के तहत इन पूरे कार्यो के लिये जिस मजदूर संख्या की आवश्यकता पड़ती है उतनी कुल आबादी भी इन गांवों की नहीं है. वृक्षारोपण के हर कार्य के लिये हर बार ग्राम सभा का प्रस्ताव व अनुमोदन आवश्यक होता है. प्रस्तावित रोपणी का खसरा नक्शा मूलत: संलग्र किया जाना अनिवार्य है. श्रमिको का परिश्रमिक भूगतान ग्राम पंचायत की समिति के समक्ष किया जाना आवश्यक है. 

श्रमिकों के बैंक खातों के माध्यम से लेनदेन आवश्यक है. हर सप्ताह का प्रतिवेदन पंचायतों को देना अनिवार्य है परन्तु उक्त अधिकारी ने इन नियमों की लगातार अवहेलना की है. हर वृक्षारोपण के लिये नक्शा खसरा प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है. जिससे यह स्पष्ट हो सके कि अनुमोदित स्थल अलग है अथवा नहीं. परन्तु उक्त अधिकारी द्वारा स्थलों की पहचान छुपा कर घोर अनियमिता बरती गई है. इसी वजह से एक ही स्थल पर हर साल वृक्षारोपण के प्रस्ताव जारी किये जाते रहे . पिछले नौ वर्षो में मजदूरों की संख्या और मस्टर रोल और कार्य दिवस के आंकडे भी पूरी तरफ से फर्जी है. 

प्रत्येक मस्टर रोल में छ: कार्य दिवस और दस श्रमिकों के नामों का उल्लेख किया जाना चाहिये, लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया है. इस आधार पर गणना कि जाये तो श्रमिकों की संख्या तोकापाल ब्लाक की सकल आबादी से भी ज्यादा होगी. कार्य पूर्णता के समस्त प्रमाण पत्र भी फर्जी है. साथ ही अनाप शनाप ढंग से भौतिक सत्यापन किया गया है. बी-9 की पंचायत की प्रविष्टि और एमआईएस की एन्ट्री समान रहनी चाहिए, लेकिन इन दोनो में बड़ा अन्तर दिखाई पड़ रहा है. 

मस्टररोल में उल्लेखित मजदूर इन ग्राम पंचायत क्षेत्र के नहीं है. जॉब कार्ड में मजदूरी दिवस एवं दिनांक का उल्लेख नहीं किया गया है. जितनी मात्रा में सामग्री क्रय किया जाना बताया गया है संबंधित विक्रेता के स्टाक में उतनी मात्रा में सामग्री थी ही नहीं. अर्थात जारी किये गये बिल और उनके अनुक्रमों में किये गये अधिकांश भुगतान भी फर्जी हंै. हर कार्य स्थल पर संपूर्ण जानकारी सहित सूचना पटल अनिवार्य रूप से लगाया जाना चाहिए. प्रत्येक बोर्ड में रोपणी वर्ष, स्वीकृत राशि, पौधों की प्रजाति, संख्या, स्वीकृति दिवस, समापन दिवस, प्रति व्यक्ति मजदूरी भूगतान, स्थल का नाम, क्षेत्रफल आदि स्पष्ट उल्लेखित किया जाना चाहिए, लेकिन हर सूचना पटल पर सिर्फ पौधों की प्रजाति का ही उल्लेख किया गया है.

इस प्रकार तोकापाल जनपद के सीईओ द्वारा किये गये कागजी वृक्षारोपण की हकीकत सबके सामने है. मनरेगा की सफलता की कहानियों में कितनी सच्चाई है इसका अन्दाजा तोकापाल की इस घटना से बखूबी लगाया जा सकता है.

devsharan-tiwariदेवशरण तिवारी देशबंधु अख़बार के बस्तर ब्यूरो प्रमुख हैं

http://www.janjwar.com/janjwar-special

No comments:

Post a Comment