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Monday, December 21, 2009

Re: [Hindi IWP] प्रकाशन के लिए दो आलेख - 1- कोपेनहेगन वार्ता का दुःखद अंत/ 2 -समृद्धि का रास्ता.



2009/12/22 Hindi Water portal <hindi@lists.indiawaterportal.org>

प्रकाशन के लिए दो लेख भेज रहे हैं। आप इन लेखों को उदरता से इस्तेमाल कर सकते हैं। स्रोत में (इंडिया वाटर पोर्टल हिन्दी) का जिक्र करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा।


कोपेनहेगन वार्ता का दुःखद अंत

जलवायु परिवर्तनजलवायु परिवर्तनमीनाक्षी अरोरा
अंततः जलवायु परिवर्तन पर कोपेनहेगन वार्ता का दुःखद अंत हो चुका है। डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन के बेला सेंन्टर में चले 12 दिन की लंबी बातचीत दुनिया के आशाओं पर बेनतीजा ही रही। कोपेनहेगन सम्मेलन में बातचीत के लिए जुटे 192 देशों के नेताओं के तौर-तरीकों से यह कतई नहीं लगा कि वे पृथ्वी के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। दुनियाँ के कई बड़े नेताओं ने बेशर्मी के साथ घोषणा की कि 'यह प्रक्रिया की शुरुआत है, न की अंत'। 192 देशों के नेता किसी सामुहिक नतीजे पर नहीं पहुँच सके,



समृद्धि का रास्ता

ग्राम गौरव प्रतिष्ठान

जिस तरह पानी फसलों की वृद्धि और हरियाली लाता है ठीक वही सब कुछ महादपुर गांव के लिए सामूहिक सिंचाई संचालन ने किया है। दक्षिण-पूर्वी महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के आदिवासी इलाके में स्थित महादपुर गांव के कोलम जनजातियों ने 1993 में पहली बार गेहूं और सब्जियां उगाईं। इससे पहले सिंचाई के लिए पानी नहीं होने से यह सपना ही रह गया था। ग्राम गौरव प्रतिष्ठान और उसके संस्थापक विलास राव सालुंके, जो 'पानी पंचायत' के लिए प्रसिद्ध हैं, ने कोलमों को पानी के प्रबंध से अवगत कराया, जिसके फलस्वरुप आज वे समृद्धि की ओर अग्रसर हैं। 


                               




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Minakshi Arora
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