| Sunday, 13 May 2012 14:37 |
फुटपाथों पर डेरा डाले हुए हैं, फ्लाइओवरों के नीचे पूरे परिवार बस गए हैं। भूखे तो शायद इस महानगर में भी रहेंगे, पर पानी की किल्लत इतनी नहीं है कि चौबीस घंटे इंतजार के बाद मिलता है दो पतीले पानी। पंजाब में फिर से इस साल अनाज सड़े जा रहा है। अजीब बात है कि मिसाइल तो बना लेते हैं हम, लेकिन गोदाम नहीं बना पाते। रुपया इतना कमजोर हो गया है कि रिजर्व बैंक का पिछले सप्ताह से निर्यातकों को हुक्म है कि वे डॉलर बेचें और रुपए खरीदें। विदेशी निवेशक भारत से भाग रहे हैं और भारतीय निवेशक मायूस हैं। अगर आप अभी तक समझ नहीं पाए हैं कि मैं कहना क्या चाहती हूं तो स्पष्ट शब्दों में समझाती हूं: हमारी सबसे बड़ी राजनीतिक समस्या आज अर्थव्यवस्था है। न कोई नया सुझाव आता है। लेकिन चूंकि नीतियां बनाना सीएजी का काम नहीं है, यह दखलअंदाजी अजीब साबित होती जा रही है। एअर इंडिया को लेकर कभी सीएजी ने विमानों की खरीद में विलंब पर सरकार को फटकार लगाई तो अगले वर्ष कह दिया कि विमान ज्यादा खरीदे गए, इसलिए कंगाल हो गया एअर इंडिया। पिछले सप्ताह की एक नई रिपोर्ट में सीएजी के सुझाव हैं सरकारी कारखानों को बचाने के। परंपरा यह है कि अगर सीएजी के पास सुझाव हैं भी सरकार के लिए तो उसे वे सुझाव सरकार को देना चाहिए, न कि आम आदमी को टीवी के जरिए। |
My father Pulin Babu lived and died for Indigenous Aboriginal Black Untouchables. His Life and Time Covered Great Indian Holocaust of Partition and the Plight of Refugees in India. Which Continues as continues the Manusmriti Apartheid Rule in the Divided bleeding Geopolitics. Whatever I stumbled to know about this span, I present you. many things are UNKNOWN to me. Pl contribute. Palash Biswas
Sunday, May 13, 2012
मायूसी के इस माहौल में
मायूसी के इस माहौल में
तवलीन सिंह
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