पलंग पीठ तजि गौद हिडोरा सिय न दीन पग अवनि कठोरा
अर्थ : सीता जी युवावस्था में ही घुटनों के दर्द से लाचार थीं अतः पलंग पर या कुर्सी पर बैठी रह्ती थीं कौशल्या जी उन्हें गौद में उठा कर झूले पर बैठाया करती थीं. राम ने भरत से सुनहु भरत भावी प्रबल कहते हुए उनके जिद्दी स्वभाव के कारण अयोध्या लौटने मॆं अपनी असमर्थता व्यक्त की थी (एक छात्र की उत्तर पुस्तिका से साभार )
Current Real News
7 years ago
No comments:
Post a Comment