Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Sunday, November 1, 2015

चुप्पी तोड़िये प्रधानमंत्री जी ! ” देश चला रहे शख्स का संवेदनशील मामलों पर चुप रहना और उनके सहयोगियों की गैरजिम्मेदाराना बयानबाज़ी राष्ट्र की एकता को गंभीर क्षति पंहुचा रही है “



              चुप्पी तोड़िये प्रधानमंत्री जी !

" देश चला रहे शख्स का संवेदनशील मामलों पर चुप रहना और उनके सहयोगियों की गैरजिम्मेदाराना बयानबाज़ी राष्ट्र की एकता को गंभीर क्षति पंहुचा रही है "

------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

आज देश के हर क्षेत्र के नामचीन लोग यह कह रहे है कि देश में सहिष्णुता का माहौल नहीं है ,लोग डरने लगे  है .अविश्वास और भय की स्थितियां बन गयी है ,फिर भी सत्ता प्रतिष्ठान के अधिपति इस बात को मानने को राजी नहीं दिखाई दे रहे है .साहित्यकारों द्वारा अवार्ड लौटाए जाने को उन्होंने साज़िश करार दिया है .उनका कहना है कि ये सभी साहित्यकार वर्तमान सत्ता के शाश्वत विरोधी रहे है तथा एक विचारधारा विशेष की तरफ इनका रुझान है ,इसलिए इनकी नाराजगी और पुरुस्कार वापसी कोई गंभीर मुद्दा नहीं है .

सत्ताधारी वर्ग और उससे लाभान्वित होने वाले हितसमूह के लोग हर असहमति की आवाज़ को नकारने में लगे हुए है .ऐसा लगता है कि नकार इस सत्ता का सर्वप्रिय लक्षण है .शुरूआती दौर में जब वर्तमान सत्ता के सहभागियों के अपराधी चरित्र पर सवाल उठे और एक मंत्री पर दुष्कर्म जैसे कृत्य का आरोप लगा तो सत्ताधारी दल ने पूरी निर्लज्जता से उसका बचाव किया और उन्हें मंत्रिपद पर आरुढ़ रखा .इसके बाद मानव संसाधन जैसे मंत्रालय में अपेक्षाकृत कम पढ़ी लिखी मंत्री महोदया के आगमन पर बात उठी तो वह भी हवा में उड़ा दी गयी .ललित गेट का मामला उठा और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधराराजे तथा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का इस्तीफ़ा माँगा गया तब भी वही स्थिति बनी रही .व्यापम में मौत दर मौत होती रही मगर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह निर्भयता से शासन का संचालन करने के लिए स्वतंत्र बने रहे .

मंहगाई ने आसमान छुआ. सत्ता के सहयोगी बेलगाम बोलते रहे ,मगर फिर भी प्रधानमंत्री ने कुछ भी कहना उचित नहीं समझा दहाड़ने वाले मोदी लब हिलाने से भी परहेज़ करने लगे .गोमांस के मुद्दे पर जमकर राजनीती हुयी ,सिर्फ संदेह के आधार पर  देश भर में तीन लोगों की जान ले ली गयी  .एक पशु जिसे पवित्र मान लिया गया ,उसके लिए तीन तीन लोग मार डाले गए .पर इसका सिंहासन पर कोई असर नहीं पड़ा .सत्ताधारी दल के अधिकृत प्रवक्ता इन हत्याओं की आश्चर्यजनक व्याख्याएं करते रहे ,कई बार तो लगा कि वे हत्याओं को जायज ठहराने का प्रयास कर रहे है .भूख और गरीबी के मुद्दे गाय की भेंट चढ़ गए ,फिर भी प्रधानमंत्री नहीं बोले .शायद मारे गए लोगों की हमदर्दी के लिए मुल्क के वजीरे आज़म के पास कोई शब्द तक नहीं बचे थे  ,इस सत्ता का कितना दरिद्र समय है यह ?

तर्कवादी ,प्रगतिशील ,वैज्ञानिक सोच के पैरोकार और अंधविश्वासों के खिलाफ़ जंग लड़ रहे तीन योद्धा नरेंद्र दाभोलकर ,कामरेड गोविन्द पानसरे एवं प्रोफेसर कलबुर्गी मारे गये .यह सिर्फ तीन लोगों का क़त्ल नहीं था  ,यह देश में तर्क ,स्वतंत्र विचार और वैज्ञानिक सोच की हत्या थी ,मगर प्रधानमंत्री फिर भी नहीं बोले .

देश भर में दलित उत्पीड़न की वारदातों में बढ़ोतरी हुयी ,दक्षिण में विल्ल्ल्पुरम से लेकर राजस्थान के डांगावास तथा हरियाणा के सुनपेड़ तक दलितों का नरसंहार हुआ ,दलित नंगे किये गए ,महिलाओं को बेइज्जत किया गया ,दलित नौजवान मारे गए ,मोदी जी को उनके आंसू पूंछने की फुर्सत नहीं मिली .हर नरसंहार पर सत्ता के अन्ह्कारियों ने या तो पर्दा डालने की कोशिस की या उससे अपने को अलग दिखाने की कवायद की .एक केन्द्रीय मंत्री ने तो मारे गए दलित मासूमों की तुलना कुत्तों से कर दी और हंगामा होने पर यहाँ तक कहने में भी कोई संकोच नहीं किया कि जब मैं मीडिया से बात कर रहा था ,तब वहां से कुत्ता गुजरा ,इसलिये मैंने उसका नाम ले लिया ,अगर भैंस निकल आती तो भैंस का नाम ले लेता ! यह गाय ,भैंस सरकार है या देश की सरकार है ?

महिलाओं की अस्मत पर खतरे कम नहीं हुए ,बल्कि बढे है .डायन बता कर हत्या करने ,अपहरण ,बलात्कार के मामलों में कई प्रदेश भयंकर रूप से कुख्यात हुए .मासूमों से दुष्कर्म और उनकी निर्मम हत्याओं की देशव्यापी बाढ़ आई हुयी है ,जिनकी जिम्मेदारी है इन्हें रोकने की ,वो सत्तासीन लोग उलजलूल बयानबाज़ी करके पीड़ितों के घाव कुरेदते रहे फिर भी  हमारे महान देश के पन्तप्रधान मौनी बाबा बने रहे .लोग यह कह सकते है कि उनका ज्यादातर समय बाहर के मुल्कों की यात्रा में बीता है ,इसलिए वो पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाए .मगर जब घर में आग लगी हो तो कोई घूमने नहीं जाता सिवाय हमारे प्रधानमंत्री जी के .

मोदीजी आप किस तरह के प्राइमिनिस्टर है .क्या वाकई आपको कुछ भी पता नहीं है ,या आपको सब कुछ पता है और आप ऐसा होने देना चाहते है .आपके देश में साहित्यकार धमकियों के चलते लिखना छोड़ देते है ,तर्क करने वाले मार दिये जाते है .पडौसी मुल्क के कलाकार अपने फन की प्रस्तुति नहीं कर सकते है .कहीं खेल रोके दिये जाते है तो कहीं  किसी के चेहरे पर स्याही छिडकी जाती है .प्रतिरोध के स्वरों को विरोधी दल की आवाज कह कर गरियाया जाता है .जाति और धर्म के नाम पर मार काट मची हुयी है .वंचितों के अधिकार छीने जा रहे है .अल्पसंख्यकों को भयभीत किया जा रहा है .बुद्धिजीवीयों  को हेय दृष्टि से देखा जा रहा है ,मगर आप है कि मेक इन इंडिया ,डिजिटल इंडिया और विकास का ढोल पीट रहे है .जब पूरा मुल्क ही अशांत हो तो वह कैसे विकास करेगा ? कैसा विकास और किनका विकास ? किनके लिए विकास ? सिर्फ नारे ,भाषण और नए नए नाम वाली योजनाओं की शोशेबाजी ,आखिर इस तरह कैसे यह देश आगे बढेगा .यह देश एक भी रहेगा या बाँट दिया जायेगा .कैसा मुल्क चाहते है आपके नागपुरी गुरुजन ? शुभ दिनों के नाम पर कैसा अशुभ समय ले आये आप ? और आपके ये बेलगाम भक्तगण जिस तरह की दादागिरी पर उतर आये है वे  आपातकाल नामक सरकारी गुंडागर्दी से भी ज्यादा भयानक साबित हो रही है.

बढ़ती हुयी असहिष्णुता और बिगड़ते सौहार्द्र पर  देश के साहित्यकार ,चित्रकार ,फ़िल्मकार ,उद्योगपति ,अर्थशास्त्री ,वैज्ञानिक ,सामाजिक कार्यकर्ता ,पत्रकार ,रिजर्व बैंक के गवर्नर और यहाँ तक कि राष्ट्रपति तक बोल रहे है .आप कब बोलेंगे ? कब आपकी ये अराजक वानरसेना नियंत्रित होगी ? चुप्पी तोड़िये पीएम जी ,केवल रेडियो पर मन की बात  मत कीजिये ,देश के मन की बात भी समझिये और उसके मन से अपने मन की बात को मिला कर बोलिए ,ताकि देश वासियों का भरोसा लौट सके .देश के बुद्धिजीवी तबके की आवाज़ों को हवा में मत उड़ाइए .असहमति के स्वरों को कुचलिये मत और अपने अंध भक्तों को समझाईये कि सत्ता का विरोध देशद्रोह नहीं होता है ,और ना ही प्रतिरोध करने वालों को पडौसी मुल्कों में भेजने की जरुरत होती है .एक देश कई प्रकार की आवाज़ों से मिलकर बनता है .हम सब मिलकर एक देश है ,ना कि नाम में राष्ट्रीय  लगाने भर से कोई राष्ट्र हो जाता है .

भारत अपनी तमाम बहुलताओं ,विविधताओं और बहुरंगी पहचान की वजह से भारत है .इसलिए यह भारत है क्योंकि यहाँ हर जाति ,धर्म ,पंथ ,विचार ,वेश ,भाषा और भाव के व्यक्ति मिलकर रह सकते है .तभी हम गंगा जमुनी तहज़ीब बनाते है .सिर्फ गाय का नारा लगाने और गंगा की सफाई की बातें करने और देश विदेश के सैर सपाटे से राष्ट्र नहीं बनता ,ना ही आगे बढ़ता है .सबको साथ ले कर चलना है तो भरोसा जितियेगा .डर पैदा करके सत्ताई दमन के सहारे दम्भी शासन किसी भी मुल्क को ना तो कभी आगे ले गया है और ना ही ले जा पायेगा . उग्र राष्ट्रवाद के नाम पर फैलाया जा रहा कट्टरपंथ हमें एक तालिबानी मुल्क तो बना सकता है मगर विकसित राष्ट्र नहीं .यह आप भी जानते है और आपके आका भी ,फिर भी अगर आप चुप रहना चाहते है तो बेशक रहिये ,फिर यह पूरा देश बोलेगा और आप सिर्फ सुनेंगे.

-    भंवर मेघवंशी

{ लेखक राजस्थान में कार्यरत मानव अधिकार कार्यकर्ता है }

 


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment