My father Pulin Babu lived and died for Indigenous Aboriginal Black Untouchables. His Life and Time Covered Great Indian Holocaust of Partition and the Plight of Refugees in India. Which Continues as continues the Manusmriti Apartheid Rule in the Divided bleeding Geopolitics. Whatever I stumbled to know about this span, I present you. many things are UNKNOWN to me. Pl contribute. Palash Biswas
Wednesday, October 15, 2025
खलनायक क्यों बनाए गए महाप्राण जोगेंद्र नाथ मंडल ?
यह महाप्राण जोगेंद्र नाथ मंडल का आखिरी भाषण है। भारत विभाजन और पूर्वी पाकिस्तान में बने रहने, मुस्लिम लीग सरकारों में शामिल होने, भारत विभाजन और बंगाल के हिंदुओं के साथ पाकिस्तान में ही काम करने बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के निर्देश,मुस्लिम लीग नेताओं के विश्वासघात और पाकिस्तान मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बारे में यह उनका आखिरी स्पष्टीकरण है।
यह स्पष्टीकरण वे भारत आने के बाद मृत्यु पर्यंत लगातार दिया, लेकिन इस पर किसी को विश्वास नहीं हुआ।
1954 में नदियां के हरिश्चंद्रपुर गांव में एक आमसभा में जब वे यह स्पष्टीकरण दे रहे थे, विभाजनपीडित बंगाली विस्थापित नेता पुलिनबाबू से उनका झगड़ा इतना तगड़ा हुआ कि वे खुद हरिश्चंद्रपुर से पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं की लड़ाई लड़ने के लिए चले गए। वहां जाकर वे भाषा आंदोलन में शामिल हो गए और ढाका में गिरफ्तार हो गए। पुलिनबाबू ने अपने नेता महाप्राण को पाकिस्तान जाकर हिन्दुओं के पक्ष में चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी।
पुलिनबाबू आखिर तक जोगेंद्र बाबू को अपना नेता मानते रहे।जैसा कि जोगेंद्र बाबू ने अपने इस आखिरी भाषण में कहा कि भारत विभाजन का फैसला कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने मिलकर किया था और इस फैसले का पंजाब में जरूर विरोध हुआ,लेकिन पश्चिम बंगाल के सभी नेता विभाजन पर अड़े हुए थे।कम्युनिस्टों ने न विभाजन का समर्थन किया और न विरोध।
जोगेंद्रनाथ मंडल ने इस भाषण में भी दावा किया कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी मुस्लिम लीग के संस्थापन नेता फ़ज़लूल हक के मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे।इस मंत्रिमंडल को श्यामा हक मंत्रिमंडल कहा गया। लेकिन इसके लिए कोई उनकी आलोचना नहीं करता।
अंबेडकर और जोगेंद्र नाथ मंडल के बीच पत्रव्यवहार, तत्कालीन अखबारों में छपी खबरों में स्पष्ट है कि महाप्राण झूठ नहीं बोल रहे थे। अंबेडकर और कम्युनिस्ट नेता मानते थे कि वे भारत विभाजन रोक नहीं सकते थे।
अंबेडकर ने जोगेंद्र बाबू को लिखे अपने पत्र में यही लिखा था।
जोगेंद्र नाथ मंडल अंबेडकर की पार्टी शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के सदस्य थे। महाप्राण ने ही उन्हें बंगाल बुलाकर पूर्वी बंगाल से संविधान सभा में भेजा। भारत विभाजन के परिप्रेक्ष्य में क्या किया जाए, इसके लिए उन्होंने उनसे दिशानिर्देश मांगा था। इस पर बाबासाहेब ने उन्हें लिखे पत्र में पाकिस्तान में दलितों के हितों की लड़ाई लड़ने की सलाह दी थी।
इसके बाद दोनों नेताओं के संवाद का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
इसलिए इस भाषण पर जरूर गौर करना चाहिए।
जिन्होंने भारत के विभाजन में निर्णायक भूमिका निभाई, पाकिस्तान से आए विस्थापितों को विदेशी कानून के दायरे में रखा और उनको तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, विस्थापितों की दुर्दशा के लिए उन्होंने ही मंडल को खलनायक बना दिया,भारत विभाजन के लिए भी।
कम से कम दोषी ठहराए जाने से पहले उनका पक्ष और तत्कालीन सारे दस्तावेजों की पड़ताल जरूरी है।
पाकिस्तान लौटने से पहले मंडल ने सभी चुनाव जीते,लेकिन पाकिस्तान से लौटने के बाद चूंकि उनके लोग ही उनके खिलाफ कर दिए गए, वे कोई चुनाव जीत नहीं सके।
हालांकि इन बातों से अब कोई फर्क नहीं पड़ता। जो सत्यानाश होना था,हो गया।लेकिन सच जानना जरूरी है।
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