Tuesday, September 24, 2013

बंगाल में अभेद्य वामदुर्ग का अवशेष भी समाप्त

बंगाल में अभेद्य वामदुर्ग

का अवशेष भी समाप्त

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


भारत में संसदीय राजनीति में नस्ली वर्चस्व बनाये रखने की वामपंथी आत्मघाती रणनीति का नतीजा यह कि बंगाल में अभेद्य वाम दुर्ग का अवशेष भी अब समाप्त है।वौटिंग मशीनरी और अजेय सांगठनिक जनाधार के लिए जिस वाममोर्चा ने देश विदेश में धूम मचा दी थी, बिना किसा सांगठनिक मशीनरी के महज तूफानी लोकप्रियता और जमीनी राजनीति के बुलडोजरों से ममता बनर्जी ने उसे मटियामेट कर दिया। विडंबना यह है कि वाम नेतृत्व में अब भी  किसी बदलाव की कोई उम्मीद नहीं हैं। बूढ़े और विकलांग शेर बिना दांत के मैदान में छोड़कर ममता की दिग्विजयी राजनीतिक विजय यात्रा को रोकने केक्वाब में है वाममोर्चा अब भी।

सिलसिला जारी

सांगठनिक कवायद फेल हो गयी है।नेतृत्व में बदलाव की मांग की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।वर्चस्ववादी अधिनायकत्व के सामंतवादी दुश्चक्र में फंसे वाममोर्चेके लिए बचाव का रास्ता कहीं से निकल नहीं रहा है।


निर्लज्ज आत्मसमर्पण,मरने को चुल्लूभर पानी भी नहीं

माकपा के जेएनयू पलट बड़बोले अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ नेतृत्व के लिए अब बंगाल की माटी में शर्म में डूबने के लायक चुल्लूभर पानी भी नहीं बचा हैं।वैश्विक व्यवस्ता के विशेषज्ञों की बुनियादी जमीनीराजनीतिक समझ कामरेड ज्योतिबसु जैसे लोगों की व्यवहारिकता की परंपरा में कहीं नहीं ठहरती।


वर्दमान में शून्य,चाकदह में शून्य

हालत इतनी खराब है कि जिस वर्दमान के जनादार के दम पर वाम सासन के उद्योग मंत्री पोलित ब्यूरो सदस्य निरुपम सेन नंदीग्राम ौर सिंगुर युद्ध में पार्टी काकपन सजा रहे थे,वहां पालिका चुनाव में जनाधार और संगठन के दोहरे विपर्यय के कारण पार्टी को अपने सारे उम्मीदवार बैठा देने पड़े।वर्दमान की 35 सीटों में माकपा शून्य। इसीतरह माकपाई भूमिसुदार के बड़े जनादार केंद्र नदिया में चाकदह में भी माकपा ने आत्मसमर्पण कर दिया और वहां भी शून्य। लगातार दशकों से जिस पानीहाटी पर वाम लाल पताका लहराता रहा है, वहां जहां कांग्रेस को भी तीन सीटें मिल गयीं अधीर चौधरी के एक दिनी चुनाव प्रचार से,माकपो को सिर्फ दो ही सीटें मिल पायी हैं।


ममता का कोई मुकाबला नहीं है

तीन तीन सांसदो को कारण बताओ नोटिस देकर ममता बनर्जी ने अपने एक छत्र राज का ही सबूत पेश किया है।शारदा चिटफंड हो या दूसरे मामलात,खुद माकपाई हाथ रंगे हुए हैं,इन मुद्दों से जनाधार की वापसी असंभव है। माकपाई और दूसरे वामपंथी हावड़ा में राजधानी स्थानांतरण को ममता का पागलपन,रोजाना राज्यभर में दौड़कर विकास के परचम फहराने को उनकी दिखावट और तृणमूली अनुसासनात्मक कार्रवाई को अंतर्कलह मानकर ममता के अवसान का दिवास्वप्न देख रहे हैं।


बूथों में वामपंथी भूत भी नहीं


अब बंगाल के बूथों में कोई वामपथी भूत बी नहीं मिल रहा है मतदान एजंट बतौर। फिर भी वाम मोर्चा धृतराष्ट्र,भीष्म पितामह,द्रोमाचार्य के भरोसे हैं।किसी अर्जुन के लिए वाम आंदोलन में कोई मौका नहीं है।


लोकसभा चुनावों में माकपा का सफाया तय


सारे के सारे एकलव्य कटा हुआ अंगूठा चूसते हुए हाशिये पर हैं।लोकसभा,विधानसभा,पंचायत और पालिका चुनाव के बाद अब बंगाल में अगले लोकसभा चुनाव में माकपा का सफाया तय है।किस बूते दिल्ली में बयान जारी करेंगे प्रकाश कारत,वृंदा कारत और सीताराम येचुरी?


नतीजों का ब्यौरा

जिला

पालिकाएं

कुल

सीटें

तृणमूल

वाम

कांग्रेस

भाजपा

अन्य

बोर्ड

कोटबिहार

मेखलिगंज

9

0

8

1

0

0

वाम

कूच बिहार

हल्दीबाड़ी

11

2

2

6

0

1

कांग्रेस

जलपाईगुड़ी

अलीपुरद्वार

20

6

8

6

0

0

त्रिशंकु

दक्षिण दिनाजपुर

बालुरघाट

25

14

11

0

0

0

तृणमूल

दक्षिण दिनाजपुर

डालखोला

16

2

4

8

0

1

कांग्रेस

नदियां

चाकदह

21

21

0

0

0

0

तृणमूल











उत्तर 24 परगना

पानीहाटि

35

30

2

3

0

0

तृणमूल

उत्तर 24 परगना

हाबरा

24

15

8

1

0

0

तृणमूल

दक्षिण 24 परगना

डायमंड हारबार

16

10

3

0

1

2

तृणमूल

बर्दमान

वर्दमान शहर

35

35

0

0

0

0

तऋणमूल

वर्दमान

गुसकुरा

16

11

5

0

0

0

तृणमूल

वीरभूम

दुबराजपुर

16

9

1

4

2

0

तृणमूल



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