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Saturday, February 16, 2013

एक और रक्षा सौदा रफा दफा करने का चाकचौबंद इंतजाम!राष्ट्रपति और फर्स्ट फेमिली के नाम विवाद में हैं, तो होगा क्या?

एक और रक्षा सौदा रफा दफा करने का चाकचौबंद इंतजाम!राष्ट्रपति और फर्स्ट फेमिली के नाम विवाद में हैं,
तो होगा क्या?

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

राष्ट्रपति और फर्स्ट फेमिली के नाम विवाद में हैं , तो होगा क्याएक और रक्षा सौदा रफा दफा करने का चाकचौबंद इंतजाम हो गया। संसद के बजट सत्र में मीडिया ब्लिट्ज और विपक्ष के हो हल्ले से अपनी छवि जनता के बीच बेदाग रखने के लिए भले ही सीबीआई जांच का ऐलान कर दिया गया हो, पर जांच पड़ताल शुरु होने से पहले ही तय हो गया​​ कि कुछ नहीं होने वाला है।वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे में घोटाले के आरोपों के बवंडर के बीच भारत सरकार को इटली से एक और झटका मिला है। मामले की सुनवाई कर रही इतालवी अदालत ने जांच से जुड़े दस्तावेज सौंपने के भारतीय दूतावास के अनुरोध को खारिज कर दिया।बहरहाल इस बीच तथ्यों की पड़ताल के सिलसिले में सीबीआई व रक्षा मंत्रालय का एक दल इटली रवाना हो रहा है।दूसरी ओर, हेलीकॉप्टर सौदे को रद्द करने की कवायद के बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसने अभी इस पर कोई फैसला नहीं किया है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि कंपनी को दिया गया कारण बताओ नोटिस सौदे को रद करने की पहली सीढ़ी जरूर है, लेकिन अभी इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले का राजनीतिकरण न किया जाए। इस सौदे में सभी प्रक्रियाओं का पूरी सख्ती के साथ पालन किया गया था।इटली के साथ विवादित 12 अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील मामले में यूपीए सरकार धीरे-धीरे उलझती जा रही है।इसमें सबसे खास बात है कि इस रक्षा सौदे को अतिम मंजूरी मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ही दी थी। विवादित रक्षा सौदे में महामहिम के जिक्र शायद पहली बार हो रहा है। इस डील को लेकर सरकार की फैक्टशीट में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भी नाम है। इसमें कहा गया है कि 2005 में जब हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए डील हुई थी, तब प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री थे और उन्होंने ही इस डील पर अंतिम मुहर लगाई थी।यही नहीं,अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घूसकांड को लेकर अब गांधी परिवार विपक्ष के निशाने पर आ गया है। राजग सरकार को इस हेलीकॉप्टर सौदे के लिए जिम्मेदार ठहराने की कांग्रेसी चाल पर भाजपा ने पलटवार कर दिया है। भाजपा ने इटली की अदालत में दाखिल आरोप पत्र का हवाला देते हुए सरकार से उस 'फर्स्‍ट फैमिली' का नाम उजागर करने को कहा है जिसे कंपनी ने 200 करोड रुपए देने की बात कही है।  

3500 करोड़ के इस सौदे पर उठ रहे सवालों पर सफाई पेश करते हुए रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा है कि पूरी गंभीरता से इसके सभी पहलुओं की जांच होगी। रोम में भारतीय राजदूत से इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट भी तलब की है।बीजेपी ने सरकार से पूछा है कि वह कौन 'परिवार' है, जिसे वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में 200 करोड़ रुपये बतौर रिश्वत देने की बात इटली की अदालत में दाखिल आरोप पत्र में कही गई है।

पार्टी ने हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले की तहकीकात विशेष जांच दल (एसआईटी) से या उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग करते हुए भारत के एक 'परिवार' को रिश्वत दिए जाने के राज़ से पर्दा उठाने की मांग की।बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने इस घोटाले के संदर्भ में पार्टी की ओर से सरकार के सामने छह सवाल रखते हुए उनका जवाब देने को कहा। इन सवालों में प्रमुख है, इटली की अदालत में दाखिल आरोप पत्र में दो जगह परिवार (द फैमिली) को तकरीबन 200 करोड़ रुपये का भुगतान करने का जिक्र किया गया है। देश जानना चाहता है कि यह परिवार कौन है? सवालों में यह भी है कि हेलीकॉप्टर सौदे को अंतिम रूप किसने दिया और उस पर हस्ताक्षर किसने किए, रिश्वत किसने प्राप्त की, हैश्के और एमार एमजीएफ में क्या संबंध है, आईडीएस इंडिया की इस घोटाले में क्या भूमिका है और क्या सरकार ने घोटाले के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए इटली सरकार को पत्र लिखा है।बीजेपी के एक अन्य नेता वेंकैया नायडू ने हैदराबाद में कहा कि या तो उच्चतम न्यायालय की या फिर संसदीय समिति की निगरानी में विशेष जांच दल गठित करके पूरे मामले की जांच कराई जाए। उन्होंने कहा, कांग्रेस भेदभावपूर्ण तरीके से जांच का अंत करने के उद्देश्य से सीबीआई के दुरुपयोग के लिए 'कुख्यात' है, इसीलिए बीजेपी को सीबीआई जांच स्वीकार्य नहीं है। सीबीआई की कोई विश्वसनीयता नहीं है और सरकार के इरादे भी संदेहपूर्ण हैं।नायडू ने संवाददाताओं से कहा, यह मुद्दा वर्ष 2011 में संसद में उठाया गया था और रक्षामंत्री को एक पत्र भी लिखा गया था। इसके बावजूद सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि जब इस मुद्दे पर इटली में मामला दर्ज हुआ और भारतीय बिचौलियों को भी रिश्वत दिए जाने के खुलासे होने लगे, तब सरकार ने सीबीआई जांच की बात की।

राहुल गांधी के सहयोगी कनिष्क सिंह पर आरोप  

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव किरीट सोमैया ने सीबीआई को पत्र लिखकर हेलीकॉप्टर सौदे में राहुल गांधी के एक सहयोगी कनिष्क सिंह की भूमिका की जांच की मांग की है। उन्होंने बिचौलिए हेश्के के एम्मार-एमजीएफ कंपनी से रिश्ते और इस कंपनी से कनिष्क के संबंधों को इस आरोप का आधार बनाया है।सोमैया की मानें तो सौदे के बिचौलिए हेश्के के साथ कनिष्क के संबंध हैं। हालांकि कंपनी ने सोमैया के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि कनिष्क का एम्मार-एमजीएफ से कोई लेनादेना नहीं है। मगर भाजपा सचिव के इस आरोप के बाद राजनीतिक घमासान तेज होने के आसार बढ़ गए हैं।

ऑगस्टा वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद सौदे में कथित तौर पर रिश्वत दिए जाने को लेकर मचे बवाल के बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय ने कहा कि इस विवादास्पद सौदे की ऑडिटिंग की जा रही है और इसकी रिपोर्ट जल्द ही जारी की जाएगी।बैंकरों की एक संगोष्ठी के दौरान सवाल-जवाब सत्र में उन्होंने कहा, कैग रक्षा मंत्रालय का ऑडिट करता है और हमने इस मामले (ऑगस्टा वेस्टलैंड सौदे) में भी यह किया है। यह जल्द ही आपके संज्ञान में आ जाएगा।ऑडिट रिपोर्ट की स्थिति के बारे में राय ने कहा, ऑडिट चल रहा है, लेकिन नहीं मालूम कि यह कब पूरा होगा। ऑडिट के चरण के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। ऐसा आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने हेलीकॉप्टर आपूर्ति का ठेका हासिल करने के लिए करीब 362 करोड़ रुपये रिश्वत दी है।भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राय ने कहा कि चीजें बदली हैं और बेजुबान जनता को कुछ लोगों द्वारा ज्यादा दिनों तक गुमराह नहीं किया जा सकता। जनता हमेशा ही चुप रहती है, क्योंकि ऊपर बैठे कुछ लोगों को लगता है कि उन्हें जनादेश मिला है और वे इस जनादेश का उपयोग कर रहे हैं।

कोई नहीं जानता कि हेलीकॉप्टर घूसकांड का ये दलदल आखिर कितना गहरा है। भारत ने इटली से हेलीकॉप्टर सौदे के लिए दी गई घूस का पूरा ब्यौरा मांगा है, सूत्रों के मुताबिक खुद रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने इसके लिए इटली को चिट्ठी लिखी है। इस बीच, ये भी पता चल रहा है कि हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी ऑगस्टा वेस्टलैंड के सीईओ से भी पूछा जा रहा है कि आखिर किस भारतीय शख्स या कंपनी को घूस दी गई।

हाश्क की गवाही का एक और हिस्सा... 'जब टेंडर का ऐलान हुआ मैंने ओरसी और लूनार्डी को बताया कि 18 हजार फीट की शर्त कम कर दी गई है। अब ये कोटा 15 हजार फीट कर दिया गया है जिसने ऑगस्टा को अमेरिकन्स और रसीयन्स के साथ रेस में ला दिया है। ये गवाही है वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील के आरोपी बिचौलिए राल्फ गुइडो हाश्क की जो उसने इटालियन कोर्ट के सामने दी है। हाश्क फिनमेक्कानिका कंपनी के उसी सीईओ जिसपे ओरसी की बात कर रहा है जिसे इटालियन पुलिस ने कोर्ट में जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद गिरफ्तार किया है। ओरसी और कंपनी पर भारत के साथ 12 वीवीआईपी ऑगस्टा हेलिकॉप्टर बेचने के लिए बिचौलियों के इस्तेमाल और इटली और भारत में घूस खिलाने का आरोप है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इस गवाही से पूर्व एयर चीफ मार्शल एस पी त्यागी पर घूस लेने के आरोप कैसे लगते हैं।'

हाश्क की गवाही का एक और हिस्सा 'मैंने इंजीनीयिर ओरसी से कहा कि त्यागी परिवार से मेरे ताल्लुकात बहुत अच्छे हैं और उनकी ही वजह से एयर चीफ मार्शल की मुलाकात ज़ापा से हो पाई। उस वक्त सिर्फ कुछ जानकारी मांगी गई थी। मैंने अगली मीटिंग्स में कहा कि इसमें पक्का टेंडर निकलेगा और मैं अपने अहम सूत्रों के जरिये ऑगस्टा को ठेका दिलवाने की कोशिश कर सकता हूं। इससे पहले एस पी त्यागी के साथ मीटिंग में जो चर्चा हुई थी उसमें 18000 फीट ऊंचाई के बारे में बात हुई थी जिसमें यूरोकॉप्टर को छोड़कर कोई मुकाबले में नहीं था। लेकिन यूरोकॉप्टर वीआईपी हेलिकॉप्टर नहीं बनाता'।

हाश्क की गवाही का अगला हिस्सा... 'ज़ापा के जरिए मुझे इंजीनियर ओरसी से मिलने का मौका मिला। ये मीटिंग 2005 में हुई। ये मीटिंग सीआईएएमपीआई के भारत दौरे के बाद हुई जिसमें त्यागी बंधुओं की मदद से ज़ापा की मुलाकात एयर चीफ मार्शल से हो पाई। ये मीटिंग मेरे ख्याल से फरवरी 2005 में हुई थी जबकि ओरसी से मेरी मुलाकात इसके बाद हुई। दिसंबर 2005 में ऑगस्टा वेस्टलैंड और मेरी कंपनी गॉर्डियन के बीच पहला कांट्रेक्ट हुआ। ओरसी से मेरी मीटिंग से पहले मुझे पता था कि ज़ापा ने उसे बता दिया है कि भारत में वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे का मौका है। मैं तुरंत डील में घुस गया, इसलिए क्योंकि कुछ भारतीयों के साथ मेरी पहचान थी और मैं ज़ापा और भारतीय एयर चीफ मार्शल त्यागी की मुलाकात करवाने में सफल रहा था'।

यानी अपनी गवाही में हाश्क का कहना है कि एयर चीफ मार्शल त्यागी के साथ फिनमेक्कानिका के जनरल डॉयरेक्टर जाफा कि मुलाकात साल 2005 में हुई। और इसी मुलाकात में टेंडर की शर्तें बदलने के बारे में चर्चा हुई। इसी गवाही में हाश्क ने माना है कि उसने अपने भारत दौरों के दौरान जूली यानी संजीव त्यागी के हाथ में 1 लाख यूरो कैश दिया। हाश्क के मुताबिक कांट्रेक्ट त्यागी परिवार के साथ था लेकिन पैसे हर बार जूली के हाथ में ही दिए गए। यही नहीं, हाश्क का ये भी दावा है कि वो खुद एयर चीफ मार्शल से कई बार मिल चुका है। हाश्क ने अपनी गवाही में यहां तक कहा कि इन मुलाकातों में भी टेंडर की शर्त बदलने पर चर्चा हुई। हालांकि पूर्व एयर चीफ मार्शल एस पी त्यागी का दावा है कि हाश्क से उनकी कोई मुलाकात नहीं हुई।

इटालियन जांच एजेंसी के मुताबिक हेलीकॉप्टर कंपनी फिनमेक्कानिका ने 217 करोड़ रुपए का फंड घूस खिलाने के लिए रखा था। खबर ये भी है कि बिचौलिए ने 70 लाख रुपये पूर्व वायु सेनाध्यक्ष के रिश्तेदार जूली त्यागी के हाथ में दिए थे। हालांकि पूर्व एयर चीफ मार्शल के रिश्तेदार इससे इनकार कर रहे हैं। हमारे सहयोगी चैनल सीएनएन- आईबीएन ने कुछ देर पहले इस मामले के एक आरोपी संजीव त्यागी से बात की।

इस बीच, यूपीए सरकार इस घूसकांड से अपना पल्ला झाड़ते हुए इसके लिए एनडीए को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं बीजेपी ने वाजपेयी सरकार के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा का बचाव करते हुए यूपीए पर पलटवार किया है। बीजेपी ने कहा कि मिश्रा ने सिर्फ विशेषज्ञों की राय मान कर ही अपनी सिफारिशें दी थीं, असली टेंडर तो यूपीए सरकार के दौर में दिया गया था।

वीवीआईपी लोगों के लिए 12 हेलीकॉप्टरों के सौदे के लिए ऑगस्टा वेस्टलैंड द्वारा घूस देने के मामले की जहां सीबीआई जांच जारी है, वहीं एनडीटीवी के हाथ आए कुछ दस्तावेजों से पता चलता है कि ऑगस्टा वेस्टलैंड ने दिल्ली पुलिस को हेलीकॉप्टरों और उसके कल-पुर्जों की आपूर्ति के सौदे के लिए एक कंपनी को कमीशन देने का प्रस्ताव भी दिया था। हालांकि यह सौदा नहीं हुआ और एनडीटीवी अपने स्तर से इन दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सकता है।

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार ने एनडीटीवी से कहा कि अगस्त, 2009 में जब तथाकथित सौदे पर हस्ताक्षर हुए, उस वक्त वह एक सीनियर अधिकारी के रूप में प्रशासन और सुरक्षा के इंचार्ज थे और ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ किसी सौदे पर विचार नहीं किया गया।

इस 'इंटरनल एंग्रीमेंट', प्रभावी रूप से एक सलाहकारीय समझौते पर ऑगस्टा वेस्टलैंड के प्रमुख ब्रूनो स्पागनोलिनी के हस्ताक्षर हैं, जो वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे को लेकर इटली में नजरबंद हैं। इस एंग्रीमेंट में न्यूयॉर्क आधारित गैनटन लिमिटेड कंपनी को हेलीकॉप्टरों की बिक्री के लिए आठ प्रतिशत और कल-पुर्जों के लिए 15 प्रतिशत कमीशन के प्रस्ताव का जिक्र है। इस कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाले अभिषेक वर्मा हथियारों के विवादित सौदे के आरोप में जेल में हैं।

दस्तावेज के मुताबिक कमीशन तभी लागू होता, जब अंतिम रूप से सौदा तय हो जाता। गैनटन के अध्यक्ष एडमंड एलेन पिछले साल की शुरुआत से भारत सरकार को अभिषेक वर्मा के अवैध और भ्रष्ट कारनामों के बारे में चिट्ठी लिखते रहे हैं। वर्मा कभी एलेन के बिजनेस सहयोगी थे। गैनटन और ऑगस्टा वेस्टलैंड ने फिलहाल इस बारे में टिप्पणी करने के आग्रह पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

सरकार का कहना है कि चूंकि यह डील अमल में आई ही नहीं, इसलिए ऑगस्टा वेस्टलैंड या इसके हेलीकॉप्टरों को लेकर दूसरे किसी घोटाले की आशंका नहीं है। लेकिन अगर ये दस्तावेज प्रामाणिक हैं तो यह साफ तौर पर जाहिर करता है कि देश में जहां रक्षा सौदों को बिना बिचौलिये और बिना कमीशन के आधार पर किया जाना चाहिए, वहीं ये सौदे कई बार निजी पार्टियों के बीच अघोषित समझौते के इर्द-गिर्द भी घूमते रहते हैं।

रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को अगस्ता-वेस्टलैंड कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट किया था कि उसने इसे रद करने की दिशा में कदम उठाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि रक्षा सौदे में निर्धारित प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाता है। इस बीच सौदे पर नोटिस हासिल करने के बाद अगस्ता-वेस्टलैंड ने कहा है कि वह निर्धारित सात दिन में जवाब दाखिल कर देगी। साथ ही जल्द ही उसके वरिष्ठ प्रबंधन के फैसलों व कारोबारी निर्णयों की वैधता साबित हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि 2010 में अगस्ता-वेस्टलैंड (यूके) के साथ भारत ने 12 वीवीआइपी हेलीकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था।करीब 3500 करोड़ रुपये से अधिक के इस सौदे में 350 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोप लगे हैं। इटली में अगस्ता-वेस्टलैंड और मुख्य कंपनी फिनमैकेनिका के सीईओ की गिरफ्तारी के बाद रक्षा मंत्रालय सौदे में घूसखोरी के आरोपों की जांच के लिए सीबीआई जांच के आदेश दे चुका है।

सूत्रों के मुताबकि रोम स्थित भारतीय दूतावास के प्रारंभिक जानकारियां साझा करने के अनुरोध को इतालवी शहर बुस्तो अरसीजियो की अदालत ने गोपनीयता और कानूनी बंदिशों का हवाला देते हुए ठुकरा दिया। शनिवार को भारतीय दूतावास को भेजे जवाब में अदालत की ओर से कहा गया है कि उनके आग्रह पर सकारात्मक प्रत्युत्तर संभव नहीं है। सूत्रों के अनुसार, इतालवी जज ने दंड संहिता के अनुच्छेद 329 का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत प्रारंभिक जांच के सभी दस्तावेज व जानकारियां गोपनीय हैं। केवल संबंधित पक्ष और उनके वकील ही इन्हें प्राप्त कर सकते हैं।

हालांकि इतालवी अदालत की ओर से स्पष्ट किया गया कि गोपनीयता का बंधन समाप्त होने के बाद यदि भारत की ओर से कोई नया प्रस्ताव आता है तो उस बारे में नए सिरे से विचार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इटली में फिनमैकेनिका कंपनी के सीईओ गियुसिपी ओरसी की गिरफ्तारी के बाद भारत ने 13 फरवरी को सूचनाएं साझा करने का आग्रह किया था।

जानकारी साझा करने को लेकर इटली के इन्कार के बावजूद मामले की जांच में लगी सीबीआइ की दो सदस्यीय टीम व रक्षा मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव स्तर अधिकारी को भेजा जा रहा है। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार अधिक से अधिक सुबूतों को जमा करने के लिए संयुक्त सचिव एके बल को इटली भेजा जा रहा है। बल सोमवार को इटली रवाना होंगे। साथ ही सीबीआइ भी अपने एक संयुक्त निदेशक व एक वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को मामले की पड़ताल के लिए रोम रवाना कर रही है।

भारत के साथ हुए वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे में रिश्वतखोरी के आरोपों के सिलसिले में इतालवी जांच एजेंसियां फिनमैकेनिका और सहयोगी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। भारत में अतिविशिष्ट लोगों के लिए 12 एडब्ल्यू-101 हेलीकॉप्टरों की खरीद को लेकर करीब 3600 करोड़ रुपये के हुए सौदे में लगभग 350 करोड़ रुपये की रिश्वत दिए जाने के आरोप लगे हैं। मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने के साथ ही भारत इस सौदे को निरस्त करने की कवायद शुरू करते हुए कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी कर चुका है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार की फैक्टशीट में कहा गया है कि टेंडर पर 2005 में मुहर लगी, उस समय प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री और एस पी त्यागी वायुसेना प्रमुख (अब सेवानिवृत्त) थे।

फैक्टशीट में भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार पर भी आरोप मढ़े गए हैं। इसमें कहा गया है कि 2003 में जब ब्रजेश मिश्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे, तब उन्होंने तत्कालीन रक्षा सचिव को पत्र लिखकर हेलीकॉप्टर की तकनीकी दक्षता की आवश्यकता को 18 हजार फुट तक से घटाकर 14 हजार फुट करने और मौजूदा नियमों को अनुचित बताते हुए बोली प्रक्रिया में और कंपनियों को शामिल करने की बात कही थी।

पहले केवल तकनीकी दक्षता की आवश्यकता को यूरोकॉप्टर कंपनी ही पूरी कर पा रही थी। तब मिश्रा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की और उनसे मिलकर टेंडर में और बोलीदाताओं को शामिल करने का आग्रह किया। इस मुलाकात के बाद हेलीकॉप्टर की ऊंची उड़ान क्षमता को घटाकर छह हजार मीटर से घटाकर 4500 मीटर कर दिया गया।

फैक्टशीट के मुताबिक, इसके बाद नया टेंडर निकाला गया और तीन विदेशी कंपनियों में अगस्तावेस्टलैंड का अंतिम रूप से चयन किया गया और इस पर कैबिनेट की अंतिम मुहर 18 जनवरी 2010 को लगी।

डील पर अंतिम मुहर को लेकर प्रणब मुखर्जी का नाम सार्वजनिक होने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सीबीआइ इस बारे में उनसे जानकारी हासिल कर पाती है। मालूम हो कि राष्ट्रपति को संविधान के अंतर्गत ऐसी किसी भी तरह की पूछताछ से छूट प्राप्त है।

दूसरी ओर, तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा का पिछले साल सितंबर में ही निधन हो गया है। अब सीबीआइ के पास तत्काल एसपी त्यागी से पूछताछ के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता है।

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