Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Friday, May 4, 2012

जात भी गंवाए और भात भी नहीं खाए!

http://hastakshep.com/?p=18592

जात भी गंवाए और भात भी नहीं खाए!

जात भी गंवाए और भात भी नहीं खाए!

By  | May 4, 2012 at 4:42 pm | One comment | हस्तक्षेप | Tags: 

अभिरंजन कुमार

एसएस अहलुवालिया

झारखंड राज्यसभा चुनाव में एसएस अहलुवालिया की हार पर बीजेपी के लिए एक कहावत सबसे फिट बैठती है- जात भी गंवाए और भात भी नहीं खाए। इस सीट को हासिल करने के लिए पार्टी ने क्या-क्या नहीं किया। पहले अंशुमान मिश्रा जैसे धनबली को राज्यसभा में भिजवाने की कोशिश की, और इतना भी ख्याल नहीं रखा कि बात-बात पर राजनीतिक शुचिता की दुहाई देने वाली पार्टी महज एक राज्यसभा सीट के लिए सौदेबाज़ी करती हुई दिखेगी, तो उसकी क्या इज्जत रह जाएगी.। और अब जिस तरह से उसने गठबंधन के सहयोगियों का तापमान नापे बिना अपने प्रत्याशी की किरकिरी करवा दी, उससे भी न सिर्फ उसके आला नेतृत्व की अदूरदर्शिता की पोल खुलती है, बल्कि ये भी पता चलता है कि 2014 में केंद्र में सत्ता-वापसी का सपना संजोए बैठी यह पार्टी पूरे देश में किस कदर कमज़ोर पड़ती जा रही है।

बीजेपी चाहे जिस मुगालते में रहे, लेकिन जिस तेजी से वह अपने मूल विचारों से क्षरित हुई है और काजल की कोठरी का सारा काजल अपने चेहरे पर लपेसने को लालायित दिखाई देती है, उससे उसकी विश्वसनीयता खंडित हुई है और जनता की नज़र में वह काफी गिर चुकी है। जिन भी राज्यों में बीजेपी दूसरे दलों से गठबंधन करके सत्ता में है, वहां उसकी हालत पिछलग्गुओं जैसी बन गई है। बिहार में जेडीयू ने तो उसकी बोलती तक बंद कर रखी है। बीजेपी की हिम्मत नहीं है कि वह नीतीश कुमार के सामने अपनी कोई शर्त चला ले।

झारखंड में उसने पंख फड़फड़ाने की कोशिश की, तो जेएमएम और आजसू- सरकार में उसके दोनों सहयोगियों ने मिलकर उसे उसकी हैसियत बता दी। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने बड़े तेवर दिखाए, लेकिन फाइनली इज्जत भी गंवाई और पार्टी की सीट गंवाई। अब झारखंड में बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ेंगी। सबसे पहले तो सरकार में उसका मनोबल टूटेगा और उसके दोनों सहयोगी उसपर हावी होंगे, दूसरे हटिया विधानसभा उपचुनाव में भी अगर जेएमएम और आजसू का सहयोग बना रहा तो बीजेपी की किरकिरी उसमें भी तय है।

बंगारू लक्ष्मण का घूसखोरी कांड में दोषी पाया जाना, झारखंड में राज्यसभा सीट की खरीद-फरोख्त में शामिल होने का आरोप, उत्तर प्रदेश में मायावती के भ्रष्टों के सहारे चुनाव की वैतरणी पार करने का मंसूबा पालना, उत्तराखंड जैसे गढ़ से बेदखल हो जाना और कर्नाटक में तिलक की जगह कलंक का टीका माथे पर लगाकर घूमना- ये सारे प्रसंग ऐसे हैं, जिनसे बीजेपी अप्रासंगिक होती जा रही है। इन सबके बावजूद संकेत ऐसे बिल्कुल नहीं हैं कि बीजेपी आने वाले दिनों में कोई सबक लेने वाली है और अगर पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो संघ के दुलारे गडकरी अभी पार्टी का यूं ही बेड़ा गर्क करते रहेंगे, क्योंकि संघ उनके मामले में पूरी तरह धृतराष्ट्र बना हुआ है।

अभिरंजन कुमार,लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं आर्यन टीवी में कार्यकारी संपादक हैं।

No comments:

Post a Comment