Friday, 04 May 2012 18:26 |
गुजरात, चार मई (एजेंसी) ओड गांव के मालवा भागोल इलाके में एक मार्च 2002 को अल्पसंख्यक समुदाय के तीन व्यक्तियों की हत्या कर दी गई थी। एक विशेष अदालत ने वर्ष 2002 के ओड गांव दंगा मामले में आज नौ लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस घटना में अल्पसंख्यक समुदाय के तीन लोगों को जिंदा जला दिया गया था। अदालत ने हत्या के सभी नौ दोषियों पर 21,500...21,500 रुपये का जुर्माना लगाया वहीं चोटिल करने के एक दोषी पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया। सरकारी अभियोजक बीसी त्रिवेदी ने कहा कि अदालत ने 470 से अधिक पन्नों के अपने फैसले में मामले में दोषियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोपों को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने मामले में दोषी ठहराये गये सभी नौ लोगों को मौत की सजा की मांग की थी। अदालत ने उनकी मांग नहीं मानी लेकिन सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। उन्होंने कहा कि वह फैसले का अध्ययन करने के बाद 30 लोगों को बरी किये जाने के निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने पर फैसला करेंगे। इस बीच आरोपियों के वकील वीके पटेल ने कहा कि जांच में कई खामियां रहीं और गवाहों ने भी विरोधाभासी बयान दिये। पटेल ने कहा, ''ऐसा लगता है कि अदालत ने फैसला देने में चश्मदीदों के बयानों पर भरोसा किया है।'' उन्होंने कहा कि वे निश्चित रूप से उच्च्ंची अदालतों में मामले को चुनौती देंगे। अदालत ने जिन लोगों को दोषी ठहराया है उनके नाम हरीश पटेल, वसंत पटेल, लाला उर्फ नीलेश पटेल, टीना उर्फ महेश पटेल, मिमेश पटेल, प्रकाश उर्फ पाको पटेल, रितेश पटेल, अशोक पटेल और किरीट पटेल हैं। सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन की अध्यक्षता वाले विशेष जांच दल ने जिन नौ मामलों की जांच की थी, उनमें से दो अन्य मामलों में भी फैसला सुना दिया गया है। इनमें गोधरा ट्रेन हादसे से जुड़ा मामला शामिल है, जिसमें 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई और 20 को उम्रकैद की सजा दी गई। दूसरा मामला मेहसाणा जिले के सरदारपुर गांव का है, जहां 31 व्यक्तियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई और 42 अन्य को दोषमुक्त कर दिया गया। |
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