अंबरीश कुमार लखनऊ, 14 मार्च। समाजवादी पार्टी के नए नायक अखिलेश यादव अभी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले भी नहीं पाए हैं पर कई जिलों में सरकार का काम शुरू हो चुका है। करीब आधा दर्जन जिलों में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश को मिले जनादेश को ठेंगा दिखाने में लग गए हैं। भावी मुख्यमंत्री के लिए फिलहाल बाहर के विरोधियों से ज्यादा बड़ी चुनौती घर के समाजवादियों से ही मिलने लगी हैं। उन्नाव जिले में समाजवादी पार्टी के विधायक उदय यादव ने जिले के सीडीओ सहित लोक निर्माण विभाग के आला अफसरों को तलब किया। कई तरह के निर्माण का ब्योरा लिया और कहा, अब बिना इजाजत इनका कोई भुगतान नहीं होगा। यही जिला और उससे बड़ा कारनामा दूसरे विधायक का कुलदीप सेंगर और उनके परिजनों का है। इन लोगों ने एक राष्ट्रीय दैनिक जिसके मालिक इसी पार्टी के सांसद हैं, उसके पत्रकार अमित मिश्र की पिटाई कर दी। क्योंकि उसने अपनी खबरों में सेंगर के साथ न्याय नहीं किया था। लिहाजा इन लोगों ने उसके साथ अन्याय कर हिसाब बराबर कर दिया। गोरखपुर में एक एमएलसी ने घोषित कर दिया कि वे भावी शिक्षा मंत्री हैं, लिहाजा उनके यहां मिठाई का डिब्बा लेकर आने वालों लाइन लग गई। इसी तरह अनाज घोटाले में चर्चा में आ चुके गोण्डा के विधायक भी भावी मंत्री की भूमिका में नजर आ रहे हैं। उनके चेले इस सरकार में क्या क्या कर डालेंगे, इससे भी लोग आशंकित हैं। इस तरह की कुछ खबरें और भी जिलों से मिली हैं। यह बानगी है सपा के अति उत्साही कुछ विधायकों की, जो चेतावनी के बाद भी पुराने रास्ते को छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसे ज्यादातर विधायकों से बात करने पर जवाब था, यह सब गलत खबर है। पर साथ ही सवाल था-आपको यह बताया किसने? इनके जवाब और सवाल अखिलेश यादव की सरकार के सत्ता में आने से पहले उनकी राजनीति पर सवाल बन कर खड़े हो गए हैं। चुनाव के बाद जब आधा दर्जन जिलों में हिंसा हुई, तो उसे रोकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए। फिर भी उसे चुनाव की बदले वाली राजनीति का हिस्सा मान लिया गया और धीरे धीरे वह थम भी गया। अब जो विधायक जीत कर आए हैं, उनमें सब के सब बहुत साफ सुथरी छवि के हों यह बात किसी के गले से नीचे नहीं उतरने वाली। इनमें से मंत्रिमंडल में उन्हीं को जगह मिले जो दागी न हों, तो यह बड़ा राजनीतिक संदेश होगा । हालांकि समजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने मंगलवार को फिर कहा-बसपा राज में गुंडागर्दी की जो छूट थी, बसपा अध्यक्ष आगे भी उसे जारी रहने देना चाहती हैं। लेकिन सत्ता संभालने जा रहे अखिलेश यादव ने यह बात साफ कर दी है कि समाजवादी पार्टी के राज में अपराधियों की जगह सिर्फ जेल में होगी या वे राज्य की सीमा से बाहर हो जाएंगे। किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राज्य में कानून व्यवस्था का राज कायम होगा। मायावती को अनर्गल प्रलाप बंद करना चाहिए और लोकतंत्र का सम्मान करना सीखना चाहिए। मायावती जब हारीं, तो ठीकरा राजनीतिक दलों के साथ मीडिया पर भी फोड़ दिया। वे यह भूल गर्इं कि उनके बेलगाम अफसरों और नेताओं ने क्या-क्या किया। इनमें एक अफसर तो सूचना विभाग में अभी भी जमा हुआ है। इस बार अखिलेश को जो जनादेश मिला है, वह डीपी यादव के खिलाफ कड़ा फैसला लेने की वजह से मिला है। वरना उन्हें पार्टी में शामिल करा कर मायावती की तरह यह बयान दिया जा सकता था कि सब विरोधियों की साजिश है। लेकिन तब वह जनादेश नहीं मिलता जिस पर सवार होकर अखिलेश यादव एक नायक की तरह उभरे है। राजनीतिक आंदोलन के कारण कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामले चलते हैं पर उनसे किसी को अपराधी नहीं माना जा सकता। उदाहरण है पिछले तीन दशक से विश्वविद्यालय से लेकर सड़क की राजनीति करने वाले रविदास मेहरोत्रा का, जिन्हें एक एनजीओ ने टाप टेन अपराधी घोषित कर दिया है पर जीवन में उन्होंने एक मुर्गी भी नहीं मारी होगी। इसलिए ऐसे नेताओं में और अपराधी किस्म के नेताओं में भी फर्क करना पड़ेगा। समाजवादी पार्टी ने अपने कई नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर यह साफ भी किया है कि अब पुरानी संस्कृति बदल रही है। |
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