Saturday, 10 March 2012 14:24 |
लखनऊ, दस मार्च (एजेंसी) उत्तर प्रदेश की राजनीति के युवा चेहरे के तौर पर उभरे अखिलेश यादव की मेहनत रंग लाई और 12 वर्ष पहले राजनीति में अपना पहला मजबूत रखने वाले सियासत के इस माहिर खिलाड़ी ने चुनावी बिसात में अपनी शातिर चालों से 'हाथी' को मात देकर आखिरकार बाजी अपने नाम कर ली। अखिलेश का जन्म एक जुलाई 1973 को इटावा में हुआ था और तब उनके पिता युवा मुलायम सिंह यादस प्रदेश की राजनीति में पैर जमा रहे थे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में पार्टी को जमाने और समाजवाद का संदेश जन जन तक पहुंचाने के लिए अखिलेश ने दस हजार किलोमीटर यात्राएं की और आठ सौ से अधिक रैलियां संबोधित की, मगर चेहरे पर कभी थकान और आक्रोश की झलक तक दिखाई न पड़ी। सिर पर पार्टी की लाल टोपी, सफेद कुर्ते पायजामे पर काले रंग की सदरी में संयत, विनम्र मगर दृढसंकल्प भाषणों के जरिये युवा अखिलेश ने देखते ही देखते स्वयं को प्रदेश की राजनीति का सबसे जाना पहचाना चेहरा बना लिया। पार्टी उम्मीदवारों के चयन में सूझ बूझ के साथ अहम भूमिका निभाई और '' डीपी यादव '' जैसे बाहुबलियों को पार्टी में शामिल किये जाने के कदम का विरोध करके उन्होंने राजनीति में जरुरी दृढ निर्णय शक्ति का परिचय दिया। अखिलेश के समझदार फैसलों का ही असर था कि छह मार्च को विधानसभा चुनाव के लिए मतों की गिनती शुरु होने के बाद से चढ़ते दिन के साथ पार्टी की स्थिति निरंतर मजबूत होती गयी , और शाम ढलने तक 403 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी को 224 सीटों पर जीत के शानदार बहुमत के साथ प्रदेश के राजनीतिक आकाश में एक नये सूरज का उदय हो चुका था। |
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