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Tuesday, March 20, 2012

सेंसेक्स को झटका दिया है प्रणव ने!

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सेंसेक्स को झटका दिया है प्रणव ने!

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सेंसेक्स अर्थ व्यवस्था को जोर का झटका दिया वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने। देश के शेयर बाजारों में बीते सप्ताह सुस्ती रही। आम बजट व मौद्रिक समीक्षा आने जैसी महत्वपूर्ण आर्थिक घटनाओं के बाद भी निवेशक उत्साहित नहीं दिखे। भारतीय अर्थ व्यवस्था में १९९१ से पहले शेयर बाजार की कोई अहमियत नहीं थी। पर नवउदारवादी नीतियों के खुले बाजार में तब्दील देश ​​में शेयर सूचकांक ही अर्थव्यवस्था का पर्याय बन गया है।

इसे नजरअंदाज करके प्रणव बाबू ने जो अस्सी के दशक का बजट सबको खुश करके राजनीतिक समीकरण दुरुस्त बनाये रखने के लिए संसद में पेश किया, उससे अब बाजार को इसका अहसास जरूर हो गया है कि यह सरकार कितनी मजबूर है और कारपोरेट इंडिया इस मजबूर सरकार पर दबाव बनाने के लिए कोई कसर नहीं ठोड़ने वाली है।

लाबिइंग और प्रार्थना की मुद्राएं तजकर बाजार आक्रामक होने लगा है और इस भष्मासुर से कैसे बचकर आगे सरकार चलायी जाये, नीति निर्धोरकों के लिए यह सबसे बड़ी​ ​ चुनौती हैं। शुक्रवार को लोकसभा में आम बजट पेश किए जाने के बाद बंबई स्टाक एक्सचेंज [बीएसई] का संवदी सूचकांक सेंसेक्स 37.04 अंक गिरकर 17466.2 पर बंद हुआ जबकि इससे पिछले सप्ताह सेंसेक्स 17503.24 पर बंद हुआ था।

इसी तरह नेशनल स्टाक एक्सचेंज [एनएसई] का निफ्टी 15.65 अंकों की गिरावट के साथ 5317.9 पर बंद हुआ। बीते सप्ताह 15 मार्च को भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआई] द्वारा अ‌र्द्ध तिमाही मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों के अपरिवर्तित रहने के कारण भी बाजार को निराशा हाथ लगी थी। इसके बाद उस दिन सेंसेक्स में 243 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई थी।उद्योग जगत और बाजार की आम शिकायत है कि बजट में प्रणब दा ने शेयर बाजार के लिए कुछ खास नहीं किया है।

हांलाकि सरकार ने आईपीओ में 50 हजार तक निवेश करने वालों को टैक्स छूट देने की घोषणा कर दी लेकिन बाजार के लिए इतना काफी नहीं था। सर्विस और एक्साइज टैक्स बढ़ाकर सरकार ने बाजार की हवा निकाल दी।उद्योग जगत ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने बजट में उत्पादन शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने की घोषणा की है, इससे आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ना तय है। साथ ही सेवा करों में बढ़ोतरी से भी उद्योग जगत को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

सरकार ने पैसा बांटने की अपनी प्रमुख स्कीम 'मनरेगा' के लिए आवंटन को 40,000 करोड़ रुपये से कम करके 33,000 करोड़ रुपये कर दिया है। 'जेएनएनयूआरएम' के लिए बजट आवंटन भी कम कर दिया गया है।सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में कटौती और सरकारी खर्च में कमी के साथ बेतरतीब मौद्रिक नीतियों से नकदी के संकट से इस वित्तीय वर्ष में बी बाजार को राहत नहीं मिलने वाली। मांगे बढ़ने का सवाल ही नहीं उठता। टारगेट क्रेताओं से क्रयसक्ति छीन जाने के खतरे के बीच समावेशी ​​विकास की बातें हास्यास्पद हो गयी है।

सामाजिक क्षेत्र में निवेश की गुंजाइश ौर मांग रहने के बावजूद बाजार इसे जोखिम का सौदा मानता है और इसलिए ज्यादार राज्यों में पीपीपी माडल प्लाप शो साबित हो गया है। इससे तेजी से बाजार का विस्तार न होने की वजह से मार्केटिंग की ​​तमाम जादूगरी के बावजूद उपभोक्ता बाजार में कंपनियों को अच्छा खासा  घाटा उठाना पड़ सकता है।

पीएफ का सूद घटने के बाद अब बहुत सारे कर्मचारी किसी न किसी बहाने पीएफ निकालकर बैंकों में डालने के फिराक में है, यह बात आगे चली तो सरकार के लिए बड़ा सरदर्द साबित हो सकती है। जीवनबीमा ौर भविष्यनिधि को दांव पर लगाकर शेयर बाजार को चंगा करने की नीति खटाी में पड़ सकती है। शुक्रवार को आम बजट में वित्तीय बाजार के लिए कुछ खास घोषणा नहीं होने से निवेशकों में निराशा देखी गई। साप्ताहिक कारोबार के दौरान सेंसेक्स में शामिल डीएलएफ [5.6 फीसदी], सन फार्मा [5.2 फीसदी], टीसीएस [4.8 फीसदी] और एचडीएफसी बैंक [4.7] शेयरों में अच्छी गिरावट दर्ज की गई।

सप्ताह के दौरान वैश्विक स्तर पर देखें तो एशियाई बाजारों में मिला-जुला रूख देखा गया।सप्ताह के दौरान जापान के निक्केई सूचकांक में 2.02 फीसदी जबकि हांगकांग के हेंगसेंग में 1.1 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। चीन के शंघाई कम्पोजिट सूचकांक में 1.4 फीसदी की गिरावट रही।

यूरोपीय बाजारों में हालांकि इस दौरान अच्छी तेजी रही। ब्रिटेन का एफटीएसई 100 में 1.33 फसदी की जबकि जर्मन के डीएएक्स सूचकांक में 4.03 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। फ्रांस के सीएसी 40 में तीन फीसदी से अधिक की तेजी रही।

शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों में सुस्ती नजर आई। डाओ जोंस और नैस्डैक कंपोजिट मामूली गिरावट पर बंद हुए। वहीं, एसएंडपी 500 में हल्की तेजी दिखी।अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़े अनुमान के मुताबिक रहने के बावजूद बाजार में जोश नहीं दिखा। ईरान को लेकर चिंता जारी रहने से एनर्जी शेयरों में खरीदारी आई। जानकारों का कहना है कि बाजार की नजर कच्चे तेल की चाल पर बनी हुई है।कारोबार खत्म होने पर डाओ जोंस 20 अंक गिरकर 13232 और नैस्डैक कंपोजिट 1 अंक गिरकर 3055 पर बंद हुए। एसएंडपी 500 1.5 अंक चढ़कर 1404 पर बंद हुआ।

करों में राहत न देकर बोझ बढ़ाने का कदम वित्त मंत्री के लिए मजबूरी बन गई थी। राजस्व संग्रह में कमी और खर्च में बढ़ोतरी से राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.9 फीसदी पर पहुंच गया जबकि इसके लिए लक्ष्य 4.6 फीसदी का था। 2012-13 में इसके 5.1 फीसदी पर रहने का अनुमान है। इससे सरकार की बढ़ती उधारी ब्याज दरों में बढ़ोतरी का कारक बन रही है। नये साल के 14,90,925 करोड़ रुपये के कुल बजट में सरकार 5,13,590 करोड़ रुपये उधारी और दूसरे रास्तों से जुटाएगी क्योंकि कर राजस्व 9,35,685 करोड़ रुपये ही रहने का अनुमान है।

घाटे के पीछे एक बड़ी वजह सब्सिडी है। लागत से कम कीमत पर राशन, उर्वरक और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री के लिए सरकार को सब्सिडी दे रही है। चालू साल में खाद्य सब्सिडी बजटीय अनुमान से 12,250 करोड़ रुपये बढ़कर 72,823 करोड़ रुपये हो गई, जबकि उर्वरक सब्सिडी 17,201 करोड़ रुपये बढ़कर 67,199 करोड़ रुपये हो गई।

सबसे अधिक 44,841 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी पेट्रोलियम सब्सिडी में हुई है और यह 68,481 करोड़ रुपये रहेगी। 2012-13 के लिए उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी में कटौती की गई है लेकिन खाद्य सब्सिडी को 2177 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है। सब्सिडी पर अंकुश के लिए बजट में आधार व्यवस्था के जरिये इनके लाभार्थियों तक पहुंचने तक निगरानी करने की बात कही गई है। सब्सिडी के अलावा 1,93,407 करोड़ रुपये का रक्षा बजट भी एक बड़ा खर्च है।

वर्ष 2012-13 के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा पेश किए बजट से उद्योग जगत खासा नाराज नजर आ रहा है। उद्योग जगत का कहना है कि जिस तरह से वित्त मंत्री ने अप्रत्यक्ष कर के जरिए 45,940 करोड़ रुपये की राशि जुटाने का लक्ष्य रखा है, इससे तो यह साफ होता है कि आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक की ब्याज दरों में कहीं कोई कमी नहीं आएगी। वित्त मंत्री ने जो प्रावधान किये हैं उनसे आम आदमी पर बोझ बढ़ेगा। सीमित विकल्पों के बीच वित्त मंत्री ने सेवा कर और उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी के जरिये जनता पर करीब 41,440 करोड़ रुपये के नये करों का बोझ डाल दिया है।

बहरहाल वित्त मंत्री ने यह भी किया है कि बचत खाते से साल भर में मिलनेवाली 10,000 तक की ब्याज को करमुक्त कर दिया है। मतलब, अब आप आराम से बैंकों के बचत खाते में 2.50 लाख रुपए रखकर निश्चिंत हो सकते हैं क्योंकि उस पर कम से कम चार फीसदी की दर से मिले 10,000 रुपए पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। बैंक अभी तक उस पर टीडीएस काट लेते थे। लेकिन 1 अप्रैल 2012 के बाद वे ऐसा नहीं करेंगे। इसके अलावा सरकार ने कुछ चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों को 60,000 करोड़ रुपए तक के टैक्स-फ्री बांड जारी करने की इजाजत दे दी है।

इंफ्रास्ट्रक्चर बांडों पर वित्त मंत्री ने अलग से कुछ कहा नहीं है तो माना जा सकता है कि इन बांडों में 20,000 रुपए तक के निवेश पर कर-छूट मिलती रहेगी। बजट में एक और नया प्रावधान यह किया गया है कि अगर आप हेल्थ चेकअप पर साल में 5000 रुपए खर्च करते हैं तो इतनी रकम अपनी करयोग्य आय से घटा सकते हैं। जिन वरिष्‍ठ नागरिकों की कारोबार से कोई आय नहीं है, उन्हें अग्रिम कर भुगतान से छूट देने का प्रस्‍ताव है।

वित्त मंत्री के मुताबिक रेस्ट्रोपेक्टिव के रास्ते से टैक्स वसूली की पहल संसदीय नियमों के मुताबिक ही किया गया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन नहीं किया है। ऐसे में विदेशी निवेशकों को कोई गलत संदेश जाने का सवाल नहीं है।

वित्त मंत्री का मानना है कि विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए विदहोल्डिंग टैक्स को 20 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया। लिहाजा पुरानी तारीखों से टैक्स वसूली से एफआईआई का भरोसा नहीं घटेगा। देश में जनवरी-फरवरी के दौरान एफडीआई निवेश बढ़ा है, जो अब तक का सबसे ज्यादा विदेशी पूंजी प्रवाह है। उम्मीद है कि आगे भी विदेशी निवेश में तेजी देखने को मिलेगी। विनिवेश के मोर्चे पर जो संभव था सरकार ने उसी ओर कदम उठाकर लक्ष्य तय किया है।

प्रणव मुखर्जी का कहना है कि सब्सिडी के लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है। वहीं वित्त वर्ष 2013 में वित्तीय घाटे को 5.1 फीसदी पर रखने का पूरा भरोसा है। भारतीय अर्थव्यवस्था के मंदी की ओर बढ़ने का कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है। वित्तीय घाटे को जीडीपी के 2 फीसदी पर लाने में सफलता नहीं मिली तो मुश्किल हो सकती है। आर्थिक विकास दर को बढ़ती महंगाई से जोड़ना जायज नहीं है। माना कि परिस्थितियां कठिनाइयों से भरी हैं लेकिन स्थिति गंभीर नहीं है।

इसको लेकर बिजनेस वेबसाइट मनीकंट्रोलने लिखा है कि शेयर बाजार के लिहाज से प्रणब बाबू ने इस बजट में कुछ खास नहीं किया। बाजार को उम्मीद की इस बजट में सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को खत्म कर दिया जाएगा, लेकिन वित्त मंत्री ने उस में सिर्फ मामूली कमी की है। अब एसटीटी 0.1 फीसदी हो गई है।गौरतलब है कि बढ़ती महंगाई, सिमटती अर्थव्यवस्था और गठबंधन की राजनीति की दिक्कतें एक तरफ तो बढ़ता घाटा दूसरी तरफ। इनके बीच संतुलन बनाने की वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की कोशिश का ही नतीजा है 2012-13 का बजट।

साथ ही डिलिवरी सौदो में एसटीटी को 20 फीसदी घटा दिया गया है। हालांकि बाजार को सबसे ज्यादा राहत इस बात से मिली है कि वित्त मंत्री ने थोड़ा व्यावहारिक होकर अगले साल के विनिवेश के लक्ष्य को घटा कर 30,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इक्विटी मार्केट में निवेश बढ़ाने के लिए राजीव गांधी इक्विटी स्कीम का ऐलान किया गया है।इस स्कीम से बाजार में आने वाले छोटे रिटेल निवेशकों को काफी फायदा होगा। स्कीम के तहत 10 लाख रुपये से कम आय वाले नए निवेशकों को 5 लाख रुपये तक के निवेश पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में 50 फीसदी की छूट मिलेगी। हालांकि इस स्कीम में 3 साल का लॉक इन पीरियड होगा।

मनीकंट्रोलने लिखा है कि साथ ही आईपीओ मार्केट में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी बढ़ाने के लिए भी वित्त मंत्री ने कदम उठाया है। अब 10 करोड़ रुपये से ज्यादा बड़े आईपीओ को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म लाना होगा। इससे देश के हर कोने से निवेशक आईपीओ में हिस्सा ले पाएंगे।

सरकारी बैंकों को मदद करने के लिए वित्तमंत्री ने 15,800 करोड़ रुपये का निवेश करने का ऐलान किया है।मुश्किल में पड़े एयरलाइन सेक्टर की मदद के लिए वित्त मंत्री ने एफडीआई का ऐलान तो नहीं किया। लेकिन ये जरूर कहा कि एयरलाइन कंपनियों में 49 फीसदी विदेशी निवेश पर विचार जरूर चल रहा है। साथ ही उन्होंने एयरलाइंस को एक साल के लिए 100 करोड़ डॉलर ईसीबी के जरिए उठाने का प्रस्ताव दिया है।

बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बजाज ऑटो के चेयरमैन राहुल बजाज ने कहा कि यह बजट उद्योग जगत के लिए निराशाजनक ही है। वहीं फिक्की के अध्यक्ष आर वी कनोरिया ने कहा कि इस बजट से आने वाले दिनों की अर्थव्यवस्था काफी हद तक प्रभावित होगी।

दूसरी ओर गोदरेज समूह के प्रबंध निदेशक आदि गोदरेज ने कहा कि इससे आने वाले समय में महंगाई बढ़ सकती है। वहीं आईसीआईसीआई की निदेशक चंदा कोचर ने कहा कि मुझे उम्मीद ही नहीं लगती है कि अप्रैल तक आरबीआई की ब्याज दरों में कोई भी कटौती होगी।

कुल मिलाकर उत्पादन शुल्क में इजाफा व सेवा कर में भी बढ़ोतरी से उद्योग जगत निराश सा नजर आ रहा है।

1. उत्पाद शुल्क की दर 10 से बढ़ाकर 12 फीसदी किया।

2. अधिकांश सेवा उद्योग को देना होगा 12 फीसदी की दर।

3. लग्जरी कारों पर सीमा शुल्क की दर बढ़ाई।

4. कंपनियों को निवेश बढ़ाने पर कोई प्रोत्साहन नहीं।

5. ग्लोबल मंदी से परेशान घरेलू उद्योग के लिए कोई राहत नहीं।

6. लौह-अयस्क, स्टील, टेक्सटाइल कंपनियों के लिए उपकरण आयात सस्ता।

7. लघु व मझोली इकाइयों के लिए 5,000 करोड़ रुपये का विशेष फंड।

8. विदेशी वाणिज्यिक ऋण लेने के तरीके को उदार बनाया।

9. आठ नए विधेयकों के पारित होने से वित्ताीय कंपनियों को होगा फायदा।

10. कॉरपोरेट बांड से बाजार में मजबूती के एलान से भी होगा फायदा।

वित्त मंत्री ने प्रत्यक्ष करों के मोर्चे पर केवल कर मुक्त आय की सीमा को 20,000 रुपये बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया है। इसके साथ ही आय कर की दरों को पांच लाख रुपये तक दस फीसदी, पांच लाख से दस लाख रुपये तक की आय पर बीस फीसदी और दस लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 फीसदी कर दिया है। लेकिन 20,000 रुपये के कर छूट वाले इनफ्रास्ट्रक्चर बांड का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है। प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों से 4500 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान की बात वित्त मंत्री ने कही है।

वित्त मंत्री ने देने के मामले में कंजूसी बरती, लेकिन अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी के जरिये रोजमर्रा का खर्च बढ़ा दिया। हर व्यक्ति के जीवन में सेवा का उपभोग बढ़ रहा है और इसी के रास्ते राजस्व बढ़ाने पर वित्त मंत्री ने खासा जोर दिया है।

एक छोटी सी निगेविटव सूची को छोड़कर अब हर छोटी बड़ी सेवा पर 12 फीसदी कर लगेगा। इसके चलते बच्चे की कोचिंग से लेकर कपड़ों को लांड्री में धुलवाने और महिलाओं को ब्यूटी पार्लर तक जाने के लिए अधिक जेब ढीली करनी होगी। इसके जरिये प्रणब मुखर्जी ने 18,660 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ डाला है।

अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी पर आगे बढ़ते हुए वित्त मंत्री ने उत्पाद शुल्क में दो फीसदी तक की बढ़ोतरी की है। सुबह की चाय-बिस्कुट हो या फिर बच्चे को स्कूल छोडऩे वाला आपका दुपहिया या कार, सभी महंगे हो गये हैं।

सुबह से रात तक काम आने वाले एसी, फ्रिज, वाशिंग मशीन जैसे टिकाऊ उपभोक्ता सामान सभी महंगे हो गये हैं। उत्पाद शुल्क दरों को 2008 के वित्तीय संकट के पूर्व स्तर पर ला दिया गया है। सीमा शुल्क में बढ़ोतरी कर सोना, चांदी, प्लेटिनम, डायमंड जैसे तमाम उत्पाद महंगे हो गये हैं।

बजट में किसानों को राहत देने की कोशिश की गई है। सात फीसदी के सस्ते ब्याज पर फसली ऋण के लक्ष्य को एक लाख करोड़ रुपये बढ़ाकर 5,75,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वहीं वेयरहाउसिंग रसीद पर छह माह के लिए भी इसी दर पर कर्ज देने का प्रावधान कर दिया है। कृषि क्षेत्र के लिए जरूरी उपकरणों पर करों में कटौती की गई है।

एमएसएमई क्षेत्र के लिए कई प्रावधान किये गये हैं। इसके लिए कर्ज प्रवाह बढ़ाने के लिए सिडबी के पास 5000 करोड़ रुपये का वैंचर कैपिटल फंड बनाया है। वहीं कर प्रक्रिया को सरल करने के लिए टैक्स ऑडिट की छूट सीमा को 60 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दिया है। इसके अलावा आवास को बेचकर एसएमई कारोबार या संयंत्र खरीदने के लिए निवेश कर कैपिटल गेन टैक्स से छूट देकर निवेश को प्रोत्साहित करने की कोशिश की है।

बजट 2012-13

वित्तीय प्रबंधन

रसोई गैस बाजार मूल्य के आधार पर, सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में। मैसूर में इसका पॉयलट प्रोजेक्ट शुरू

झारखंड में राशन कार्ड के लिए आधार प्लैटफॉर्म का सफलतापूर्वक इस्तेमाल

2011-12 में 40,000 करोड़ के लक्ष्य की तुलना में विनिवेश से 14,000 करोड़ रुपये ही जुटाए गए, 2012-13 के लिए 30,000 करोड़ का लक्ष्य

सामाजिक योजनाएं

ग्रामीण पेयजल और सैनिटेशन के लिए आवंटन 11,000 करोड़ से 27 फीसदी बढ़कर 14,000 करोड़

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए आवंटन 20 फीसदी बढ़कर 24,000 करोड़ रुपये

रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के लिए 20,000 करोड़ का आवंटन, इसमें से 5,000 करोड़ वेयरहाउसिंग सुविधाओं के लिए

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत आवंटन 2,914 करोड़ से 34 फीसदी बढ़कर 3,915 करोड़ रुपये

केवीआईसी के तहत प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (पीएमईजीपी) के लिए आवंटन 1,037 करोड़ से बढ़कर 1,276 करोड़ रुपये

बैंकिंग

वित्तीय समावेशन के लिए बैंकों की अति लघु ब्रांच खुलेंगी, यहां कैश ट्रांजैक्शन की डीलिंग करेंगे बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट

इन्फ्रास्ट्रक्चर

विदेशी बाजार से फंड जुटाने के लिए इस माह 8,000 करोड़ का इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड लांच

इन्फ्रा प्रोजेक्ट को कर्ज सुलभ कराने के लिए आईआईएफसीएल के जरिए नई व्यवस्था

मौजूदा पावर प्रोजेक्ट के रुपये में कर्ज के भुगतान के लिए ईसीबी की इजाजत

रियल्टी

15 लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज में एक फीसदी रियायत 2012-13 में भी जारी, बशर्ते घर की कीमत 25 लाख रुपये से ज्यादा ना हो

कम कीमत वाले (अर्फोडेबल) हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए ईसीबी की अनुमति का प्रस्ताव

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