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Thursday, March 15, 2012

शासन नहीं चला पा रही है तो सत्ता छोड़ दे सरकार : विपक्ष

शासन नहीं चला पा रही है तो सत्ता छोड़ दे सरकार : विपक्ष 

Thursday, 15 March 2012 19:11

नयी दिल्ली, 15 मार्च (एजेंसी) गठबंधन में शामिल दलों को साथ ले कर नहीं चल पाने का केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए विपक्षी दलों ने आज राज्यसभा में कहा कि सरकार यदि ढंग से शासन नहीं कर पा रही है तो उसे सत्ता छोड़ देनी चाहिए। सरकार के सहयोगी दलों ने भी गैर कांग्रेसी सरकारों के साथ भेदभाव और संघीय ढांचे से छेड़छाड़ करने के मुद्दे पर गहरी नाराजगी जताई।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के एम वेंकैया नायडू ने कहा कि हाल के समय में ऐसा कई बार हुआ कि जब सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल और बाहर से समर्थन दे रहे दल ....तृणमूल कांग्रेस, राजद और ्रदमुक के सदस्य विभिन्न मुद्दों पर अपना विरोध जताते हुए आसन के समीप आ गए। इसके चलते खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, तीस्ता समझौता, एनसीटीसी और कपास निर्यात के मामले में सरकार को अपने फैसले ठंडे बस्ते में डालने पड़े। इसी क्रम में उन्होंने अन्ना हजारे और योगगुरू रामदेव के प्रति सरकार के बार बार बदलने वाले रवैये पर भी सवाल उठाए। 
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संघीय प्रणाली में विश्वास नहीं करती है और इसी कारण उसे कमजोर करना चाहती है। उन्होंने कहा कि एनसीटीसी इसका ताजा उदाहरण है। उन्होंने इस मामले में गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति, गुजरात के विधेयक गुजकोका को चार साल से लंबित रखने, सीबीआई, आयकर विभाग और खुफिया ब्यूरो के दुरूपयोग का उदाहरण दिया। 
तृणमूल कांगे्रस के सुखेन्दु शेखर राय ने राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केन््रद .ंएनसीटीसी.ं के गठन को राज्य सरकारों के अधिकारों में गंभीर हस्तक्षेप करार देते हुए कहा कि संघीय ढांचा हमारे संविधान का मुख्य चरित्र है। संसद भी हमारे संघीय ढांचे से छेड़छाड़ नहीं कर सकती। 
बसपा के प्रमोद कुरील ने आरोप लगाया कि आम आदमी की बात कर सत्ता में आने वाली सरकार खास आदमी के लिए काम कर रही है तथा विकास के मामले में देश ' भारत एवं इंडिया ' दो हिस्सों में बंटा दिख रहा है। 
जद यू के शिवानंद तिवारी ने कहा कि पिछले महीने एक रिपोर्ट जारी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश में करीब 42 प्रतिशत नवजात बच्चे कुपोषित पैदा होते हैं और यह राष्ट्रीय शर्म की बात है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की आर्थिक नीति के कारण ऐसी स्थिति बनी कि करीब आधे बच्चे कुपोषित हो रहे हैं। 
कांग्रेस के हुसैन दलवई ने कहा कि सरकार की आर्थिक नीतियों का परिणाम है कि देश में निवेश की मात्रा में वृद्धि हुयी है। उन्होंने कहा कि अन्य देशों के साथ हमारे संबंध मजबूत हुए हैं और हमारी सीमाएं पहले के मुकाबले अधिक सुरक्षित हैं।

राकांपा के तारिक अनवर ने कृषि क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार को नसीहत दी कि किसानों की रिण माफी जैसे कदम ही पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए सिंचाई व्यवस्था को दुरूस्त करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने जैसे महत्वपूर्ण उपायों की भी जरूरत है। 
बीजद के किशोर कुमार मोहंती ने कहा कि केन््रद सरकार का रवैया राज्यों के अधिकारों की अनदेखी करता है। इन्हीं कारणों से कई मुख्यमंत्री एनसीटीसी जैसे कानून के विरोध में हैं। 
भाकपा के डी राजा ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण टूटे हुए वायदों का दस्तावेज है तथा संप्रग सरकार ने शासन करने का नैतिक अधिकार खो दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार अन्तर्विरोधों में फंसी सरकार है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी दबाव में भारत..ईरान..पाकिस्तान गैर पाईपलाइन परियोजना में भारत पीछे हटा है फिर ऐसे में हम कैसे उर्च्च्जा सुरक्षा की बात कर सकते हैं। 
अन्ना्रदमुक के एन बालगंगा ने कहा कि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर राष्ट्रपति के अभिभाषण में खामोशी बरती गई है। उन्होंने कहा कि एनसीटीसी कानून राज्य पुलिस की भूमिका में कटौती करता है। 
मनोनीत एच के दुआ ने अभिभाषण का समर्थन करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कें्रद और राज्य दोनों को मिलकर लड़ने की जरूरत है। 
मनोनीत सदस्य एवं प्रख्यात कृषि विशेषज्ञ एम एस स्वामीनाथन ने कहा कि सरकार को खाद्य उत्पादन के साथ साथ उसके भंडारण पर भी जोर देना चाहिए। उन्होेंने कहा कि देश में दक्षता मिशन चलाने की जरूरत है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
अगप के वीरेन््रद प्रसाद वैश्य ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में मूल्य वृद्धि और मु्रदास्फीति को नियंत्रित करने में सरकार की विफलता का कोई जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अभिभाषण में पूर्वोत्तर भारत के लोगों को चीन द्वारा वीजा नहीं दिये जाने की प्रथा और ब्रह्मपुत्र नदी की धारा को रोके जाने के बारे में खामोशी बरती गई है। 
भाजपा के भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को नीरस करार देते हुए कहा कि सरकार का प्रशासन विफल है क्योंकि जो सरकार सेनाध्यक्ष की उम्र के विवाद को नहीं सुलझा पा रही है वह भारत चीन के बीच के भूमि और सीमा विवाद को कैसे सुलझा सकती है।

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