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Wednesday, March 14, 2012

हरीश रावत समर्थकों ने दिल्ली में जमाया डेरा

हरीश रावत समर्थकों ने दिल्ली में जमाया डेरा 


Thursday, 15 March 2012 09:31

सुनील दत्त पांडेय 
देहरादून, 15 मार्च। उत्तराखंड कांग्रेस में मुख्यमंत्री को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बावजूद हरीश रावत समर्थकों की नाराजगी बुधवार को भी दूर नहीं हुई। रावत बुधवार को संसद नहीं गए। वे अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में अपने घर पर डेरा डाले रहे। दूसरी ओर हरीश रावत की नाराजगी की परवाह किए बिना विजय बहुगुणा सचिवालय गए। उन्होंने भुवन चंद्र खंडूड़ी के जमाने में सचिवालय में तैनात आला अफसरों के साथ राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर विचार विमर्श किया। वे प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय भी गए।
विजय बहुगुणा ने बाद में पत्रकारों से कहा उन्हें पूरी उम्मीद है कि हरीश रावत सांप्रदायिक ताकतों से हाथ नहीं मिलाएंगे। रावत ने हमेशा सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ संघर्ष किया है।
उधर पौड़ी गढ़वाल से कांग्रेस सांसद व पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सतपाल महाराज और उनकी पत्नी अमृता रावत ने हरीश रावत के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि हरीश रावत को पार्टी ने क्या कुछ नहीं दिया है। उन्हें दो-दो बार पार्टी का उत्तराखंड का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। केंद्र में राज्यमंत्री बनाया। उनके बेटे को राज्य युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया। उन्होंने कहा कि जब पार्टी के सभी विधायकों ने यह प्रस्ताव पारित कर दिया कि जिसे सोनिया गांधी मुख्यमंत्री बना देंगी उसे सभी विधायक मंजूर कर लेंगे तो अब हरीश रावत सोनिया के फैसले का विरोध क्यों कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हरीश रावत ने पार्टी आलाकमान से कहा था कि उन्हें या विजय बहुगुणा में से किसी एक को मुख्यमंत्री बना दो। अब जब पार्टी आलाकमान ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना दिया तो वे विरोध क्यों कर रहे हैं।
इस तरह कांग्रेस में मुख्यमंत्री को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। हरीश रावत अपने समर्थकों व विधायकों के साथ दिल्ली में अपने घर पर डटे हुए हैं। रावत पार्टी आलाकमान के उन नेताओं से नाराज हैं जिन्होंने सोनिया गांधी को गलत जानकारी दी और गलत फैसला करवाया। रावत समर्थक विधायकों का कहना है कि विजय बहुगुणा की बहन रीता जोशी बहुगुणा ने पहले उत्तर प्रदेश में पार्टी की दुर्गति करवाई, अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भ्रम में रखकर अपने भाई विजय बहुगुणा को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनवा कर राज्य में पार्टी की दुर्गति करवाएंगी। उन्होंने कहा कि विजय बहुगुणा समर्थक विधायक पांच-छह ही चुन कर आए हैं। विजय बहुगुणा ने मंत्री प्रसाद नैथाणी का टिकट काटा था, वे निर्दलीय जीत कर आए। उन्होंने विकास नगर से नवप्रभात का टिकट काटा था। बाद में दबाव में उन्हें टिकट दिया और वे जीत गए।

रावत समर्थकों का कहना है कि राज्य में आज भी भाजपा की सरकार चल रही है। अब तक भाजपा के मुख्यमंत्री के रूप में विजय बहुगुणा के ममेरे भाई भुवन चंद्र खंडूडी राज कर रहे थे। अब खंडूडी के फुफेर भाई विजय बहुगुणा कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में काम करेंगे। इस तरह एक ही खानदान के लोग राज्य में राज कर रहे हैं। खंडूडी को हरा कर भाजपा को झटका देने वाले हरीश रावत व उनके समर्थक विधायक धक्के खा रहे हैं। खंडूड़ी को हराने वाले कोटद्वार के विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी हरीश रावत के दाहिने हाथ हैं।
कांग्रेस में समीकरण बदलते रहे हैं। कांग्रेस में ब्राह्मण लाबी नारायण दत्त तिवारी, विजय बहुगुणा, सत्यव्रत चतुर्वेदी, जनार्दन द्विवेदी, मोती लाल वोरा, सुधीर पचौरी सब एक हो गए। उन्होंने हरीश रावत को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया। इसी ब्राह्मण लाबी ने 2002 में रावत को उनके समर्थन में 27 विधायक होने के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया था। तब विजय बहुगुणा एनडी तिवारी व सतपाल महाराज के खिलाफ हरीश रावत के साथ थे। परंतु जब इस बार विजय बहुगुणा का मुख्यमंत्री बनने का नंबर आया तो सतपाल महाराज एनडी तिवारी, यशपाल आर्य, हरीश रावत के साथ हो गए।
हरीश रावत के सख्त रवैए से कांग्रेस का संकट गहराता जा रहा है। कांग्रेस के इस विवाद के चलते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में विजय बहुगुणा को अकेले शपथ लेनी पड़ी। वे राज्य के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने बिना किसी मंत्री को साथ लिए अकेले शपथ ली।

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