Sunday, 11 March 2012 18:02 |
नयी दिल्ली, 11 मार्च (एजेंसी) संसद के कल से बजट सत्र शुरू हो रहे हैं। सरकार के लिए मुश्किलों के आसार नजर आ रहे हैं। हाल में हुए कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांगे्रस के निराशाजनक प्रदर्शन तथा संघवाद जैसे मुद्दों पर परस्पर विरोधी ताकतों के एकजुट होने की संभावनाओं की पृष्ठभूमि में सरकार के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। बजट सत्र आमतौर पर फरवरी के तीसरे सप्ताह में शुरू होता है। इस साल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के कारण बजट सत्र के कार्यक्रम को आगे बढ़ा दिया गया। सत्र के पहले कांगे्रस ने अपने सहयोगी दलों से संपर्क कायम करने के संकेत दिये हैं। उसने यह भी संकेत दिये कि वह संप्रग समन्वय समिति के विचार के लिए खुली है। विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद कांगे्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सहयोगियों के साथ नियमित संवाद का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने उम्मीद जतायी कि सहयोगी और विपक्ष लोकोन्मुखी उपायों को समर्थन देंगे। कांगे्रस इस बात पर कायम है कि राजनीतिक उथल पुथल की गाज बजट पर नहीं गिरनी चाहिए क्योंकि बजट तथा अन्य जरूरी विधेयक राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। भाजपा दावा कर रही है कि कांग्रेस के सहयोगी, संप्र्रग गठबंधन को बाहर से समर्थन दे रहे दल और विपक्ष संघवाद के मुद्दे को जोरशोर से उठायेंगे। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ''संघवाद का मुद्दा कांग्रेस के सहयोगी, संप्र्रग गठबंधन को बाहर से समर्थन दे रहे दल और विपक्ष के बीच अनूठा गठजोड़ बनाने के लिए एक उत्प्रेरक बन गया है। '' उन्होंने कहा कि कपास निर्यात पर रोक लगाने के किसान विरोधी कदम सहित विभिन्न मुद्दों को विपक्ष बजट सत्र के दौरान उठायेगा। |
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