Palah Biswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Zia clarifies his timing of declaration of independence

what mujib said

Jyothi Basu Is Dead

Unflinching Left firm on nuke deal

Jyoti Basu's Address on the Lok Sabha Elections 2009

Basu expresses shock over poll debacle

Jyoti Basu: The Pragmatist

Dr.BR Ambedkar

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin Babu and basanti Devi were living

"The Day India Burned"--A Documentary On Partition Part-1/9

Partition

Partition of India - refugees displaced by the partition

Friday, January 20, 2012

Fwd: [Social Equality] समस्त ब्राह्मणवादी साहित्य में जीवन का सच्चा...



---------- Forwarded message ----------
From: Nilakshi Singh <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/1/20
Subject: [Social Equality] समस्त ब्राह्मणवादी साहित्य में जीवन का सच्चा...
To: Social Equality <wearedalits@groups.facebook.com>


Nilakshi Singh posted in Social Equality.
समस्त ब्राह्मणवादी साहित्य में जीवन का सच्चा...
Nilakshi Singh 7:37pm Jan 20
समस्त ब्राह्मणवादी साहित्य में जीवन का सच्चा ज्ञान खारिज है. मनुष्य को संपूर्ण सच न मानने की सिरफिरी मानसिकता का ही कमाल है कि यह देश कंगाल है मगर यहां के तिरुपति, पशुपति, पक्षीपति, बालाजी और उनकी अयोनिज संतान लाला जी मौज कर रहे हैं. जिस देश का भगवान करोड़ों रुपए का हिसाब-किताब हर वर्ष करता हो मगर उसी देश में हजारों बालक भूख से मर जाते हों वहां सिवाय शर्म और बेहयाई के साथ ही ईश्वर के होने की बात कही जा सकती है. आदि पुरुष शिव की जटाओं से निकलने वाली गंगा, दिव्य अलौकिक पुरुष कृष्ण की बहन, सूर्य की पुत्री जमुना किसी गटर या नाले से आज कम नहीं है. मंदिरों में हुई भगदड़ से कितने पागल हर वर्ष मारे जाते हैं. आदि पुरुष शिव की पैतृक जमीन कैलाश ईश्वर को न मानने वाले चीन के कब्जे में है. मगर इसके बावजूद आज किसी से नहीं कह सकते ईश्वर नामक कोई जीव नहीं होता. ऐसे रहस्यमय प्रश्न सामने ला खड़ा करेंगे कि आप चुप रहने के सिवाय कुछ नहीं कर सकते. जो तुम्हारे अंदर बोल रहा है वह कौन है ? मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है ? दरअसल, पूरा विश्वास सिवाय स्वार्थ और भयाश्रित आस्था के कहीं आधारित नहीं.
ईश्वर ने भारत के पतन में महती भूमिका निभाई थी. मुगलों का आक्रमण, मंदिरों का विध्वंस, लाखों जनेऊओं की आहुति, अंग्रेजों द्वारा लाखों द्रौपदियों का प्रतिदिन चीरहरण ईश्वर की उपस्थिति में हो चुका था.

'वैदिक हिंसा, हिंसा न भवति' नाटक में भारतेंदु पूरी तरह से इस बात को सामने रखना चाहते हैं कि वेद-पुराणों के नाम पर स्वयं को ब्रह्मा का वैध पुत्र मानने वाला ब्राह्मण अपने कर्म में कितना निकृष्ट है और उसकी यह निकृष्टता समस्त वेदों की सार्थकता व प्रासंगिकता को खारिज करती है. धर्म की आड़ लेकर दरअसल मांस-मदिरा खाना-पीना ज्यादा सुगम और धर्म-सत्यापित हो गया.
दरअसल, सारे वेदों, स्मृतियों में सिर्फ निठल्ले बैठने को ही संपूर्ण ब्राह्मण होने की संज्ञा दी गई, कर्म करने वाले ब्राह्मणों को ब्राह्मणत्व से बाहर कर दिया.

साभार : 'हंस' मासिक पत्रिका

View Post on Facebook · Edit Email Settings · Reply to this email to add a comment.



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment